भाई दूज जेकरा के भाई फोटा भा भाऊ बीज के नाम से भी जानल जाला, हिन्दू के परब ह जवन भाई-बहिन के बेजोड़ बंधन के जश्न मनावेला। दिवाली के पांचवा दिन पड़े वाला एह आनन्दमय मौका में संस्कार, रस्म-रिवाज, आ भाई-बहिन के बीच दिल से इशारा के आदान-प्रदान होला। भाई दूज के हिन्दू संस्कृति में अपार महत्व बा, जवन प्रेम, स्नेह, आ पारिवारिक बंधन के गहिराह जड़ वाला मूल्यन के दर्शावत बा।
ऐतिहासिक आ पौराणिक महत्व:
भाई दूज के इतिहास विभिन्न पौराणिक आ ऐतिहासिक आख्यान से गूंथल बा। एगो लोकप्रिय किंवदंती भगवान श्रीकृष्ण आ उनकर बहिन सुभद्रा के कहानी ह। पौराणिक कथा के मोताबिक एह दिन भगवान श्रीकृष्ण सुभद्रा के दर्शन कइलन, सुभद्रा जी उनकर स्वागत प्रेम आ स्नेह से कइलन। सुभद्रा आरती कर के कृष्ण के माथे पर तिलक लगा के भाई दूज परम्परा के उत्पत्ती के चिन्हित कइलस।
संस्कार आ रीति-रिवाज :
भाई दूज के उत्सव के शुरुआत बहिन लोग के भाई लोग के माथे पर रंगीन तिलक लगावे से होला जवन ओह लोग के भलाई आ समृद्धि खातिर दुआ के प्रतीक होला। बहिन लोग भी आरती करेले, भाई लोग के चारो ओर जरावल दिया (दीपक) वाला थाली के चक्कर लगा के। ई संस्कार बहिन के भाई के लमहर आ समृद्ध जीवन खातिर दिल से प्रार्थना के बोध करावेला।
उपहार के आदान-प्रदान:
भाई दूज के एगो खास बात बा भाई-बहिन के बीच उपहार के आदान-प्रदान। बहिन लोग अपना भाई लोग के मिठाई, चॉकलेट, आ कपड़ा से लेके गैजेट आ एक्सेसरीज तक के सोचल-समझल उपहार भेंट क के आपन प्यार के इजहार करेली। बदला में भाई लोग अपना बहिन खातिर उपहार के जवाब देला, जवन कि उ लोग के आपसी प्यार अवुरी देखभाल के प्रतीक ह।
भोज आ उत्सव के आयोजन:
भाई दूज परिवार के एकजुट होके जश्न मनावे के भी समय ह। खास खाना बनावल जाला, आ परिवार उत्सव के स्वादिष्ट भोजन में लिप्त हो जालें, जवना से खुशी आ एकजुटता के माहौल बनेला। पारंपरिक व्यंजन के सुगंध हवा में भर देला काहे कि भाई-बहिन आ रिश्तेदार लोग हँसी साझा करे आ स्थायी याद बनावे खातिर जुट जाला।
तिलक के प्रतीकात्मकता :
भाई दूज के समय लगावल तिलक गहिराह प्रतीकात्मक अर्थ धारण करेला। मानल जाला कि एकरा से भाई के दुष्ट ताकत से बचावल जा सकता अवुरी ओकर भलाई सुनिश्चित होखेला। रंगीन पैटर्न बहिन के भाई खातिर जीवंत आ समृद्ध जीवन के इच्छा के प्रतिनिधित्व करेला।
आधुनिक उत्सव के बारे में बतावल गइल बा:
समकालीन समय में भाई दूज पारंपरिक सीमा के पार कर लेला, दुनिया के अलग-अलग हिस्सा में रहे वाला भाई-बहिन के जुड़ाव अवुरी जश्न मनावे के रचनात्मक तरीका खोजल जाला। वर्चुअल जमघट, ऑनलाइन गिफ्ट, आ वीडियो कॉल आम बात हो गइल बा जवना से डिजिटल युग में भाई दूज के भावना पनपे के मौका मिल गइल बा.
अंतिम बात:
भाई बहिन के खास बंधन के सम्मान करे वाला एगो सुन्दर उत्सव भाई दूज ह। ई परिवार, प्रेम, आ भाई-बहिन के साझा संबंध के महत्व के याद दिलावत बा. जइसे-जइसे ई परब घर-घर में खुशी, हँसी, आ स्नेह ले आवेला, भारत के समृद्ध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री आ पारिवारिक संबंधन के मजबूत करे वाली स्थायी परंपरा के गवाही के रूप में खड़ा बा।