भोजपुरी के नयकी पीढ़ी के रतन 'मयंक' आ 'मयूर' के जे अमेरिको में भोजपुरी के मशाल जरवले आ अपने गाँव के बचवले बा
भोजपुरी के प्रमुख साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन अपना सम्मोहक रचना से साहित्यिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ले बाड़न. अपना अंतर्दृष्टि वाला कहानी खातिर विख्यात ऊ अइसन कथन बुनत बाड़न जवन भोजपुरी भाषी क्षेत्रन के समृद्ध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री से गुंजायमान बा.
कठपुतरी बाग बागिया में बजेल बाँसुरी, अबेरी चढ़ेल पे चढ़ेल बताई। चंदनी रात में, चाँदनी रात में, कईया जुगनु बोलेल छाई। पवन भरे बहुत सुहावनी, देखे लोगन बोलेल कईया लाजाई। भोजपुरी भाषा में रंगीन बोल, कहे बातें बड़ी ताजगी से हमराई। अनूदि
छठ पूजा सूर्य भगवान के धन्यवाद आ आभार अर्पित करे खातिर मनावल जाला। लोग सूर्य देव के बहिन छठी मईया के भी पूजा करेला। छठ पूजा में कवन-कवन संस्कार मनावल जाला? छठ पूजा चार दिन तक चलेला।
लखन जस अनुज कंचन जेह पर हमारा नाज बा, उनके हाथ में सस्नेह!
हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
"हम कबीर के बानी" (Ham Kabir Ke Baani) एक उत्कृष्ट भोजपुरी गीत संग्रह है जिसके संगीतकार और गीतकार विजेन्द्र अनिल को अपना कार्य के माध्यम से समर्पित किया गया है। इस संग्रह के माध्यम से, विजेन्द्र अनिल ने भोजपुरी साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी मह
"भोजपुरी लोक गीत में करुण रस" (The Sentiment of Compassion in Bhojpuri Folk Songs) एक रोचक और साहित्यपूर्ण विषय है जिसमें भोजपुरी भाषा और सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से लोक साहित्य का अध्ययन किया जाता है। यह विशेष रूप से भोजपुरी क्षेत्र की जनता के बी
कथाकार आशुतोष मिसिर के जेकरे हाथे भोजपुरी गद्य के सुभाव बचल बा।