कनक किशोर
भोजपुरी में खूब लिखात बा। हर विधा पर कलम चल रहल बा। नीक जबून सब बा। रहबो करेला सब साहित्य में। ई कवनो नया नइखे। बाकिर समय के साथ-साथ साहित्य के मूल्यांकन होखे के चाहीं। कवनो नया चीज आवता त पाठकीय प्रतिक्रिया आवे के चाहीं। ऐकरा से हमार साहित्य कतना पानी में बा, कतना ओकरा लोक स्वीकार्यता मिलल बा पता चलेला। समाज साहित्य से का चाहता पता चलेला। ओही अनुरूप साहित्य कदम बढ़ावेला।
कनक किशोर की कविताएँ
कठपुतरी बाग बागिया में बजेल बाँसुरी, अबेरी चढ़ेल पे चढ़ेल बताई। चंदनी रात में, चाँदनी रात में, कईया जुगनु बोलेल छाई। पवन भरे बहुत सुहावनी, देखे लोगन बोलेल कईया लाजाई। भोजपुरी भाषा में रंगीन बोल, कहे बातें बड़ी ताजगी से हमराई। अनूदि
कनक किशोर की कविताएँ
कठपुतरी बाग बागिया में बजेल बाँसुरी, अबेरी चढ़ेल पे चढ़ेल बताई। चंदनी रात में, चाँदनी रात में, कईया जुगनु बोलेल छाई। पवन भरे बहुत सुहावनी, देखे लोगन बोलेल कईया लाजाई। भोजपुरी भाषा में रंगीन बोल, कहे बातें बड़ी ताजगी से हमराई। अनूदि
गाँव गाव गीत
हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
गाँव गाव गीत
हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।