हाल के सालन में भारत में पालतू जानवर के मालिकाना हक के परिदृश्य में उल्लेखनीय बदलाव भइल बा, रोअल दोस्तन के अपना जिनगी में स्वागत करे वाला घरन के संख्या में काफी बढ़ोतरी भइल बा। पालतू जानवर सभ के बिबिध
उपशीर्षक: अपेक्षा आ संभावित परिणाम के खोज कइल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय 28वां सम्मेलन (COP-28) के बेसब्री से इंतजार करत बा, जवन जलवायु परिवर्तन से निपटे के जारी प्रयास में एगो महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन
अइसन अनेत हो गइल हरियाली रेत हो गइल। सोना के चिरईं अस देस नेता के पेट हो गइल। पुरुब के लाल रजाई पच्छिम के भेंट हो गइल। गाड़ी के कवन बा कसूर घरहीं में लेट हो गइल। जिनिगी भर खटले महँगू मालिक के खेत
॥ गजल ॥ जिनिगी व्यापार हो गइल मौसम के मार हो गइल चढ़नीं जवने जहाज पर ऊहे मंझधार हो गइल गीत गजल कबले लिखीं चुप्पी बरियार हो गइल केकर-केकर करीं हिसाब तरकुल अनार हो गइल खुरपी के बेंट भुलाइल हंसुआ तर
॥ गजल ॥ दउरत-दउरत जिनिगी भार हो गइल भोरहीं में देखिलऽ अन्हार हो गइल केकरा के मीत कहीं, केकरा के दुश्मन बदरी में सभे अनचिन्हार हो गइल पुरवा के झोंका में गदराइल महुआ अचके में पछुआ बयार हो गइल दरिया
अक्कड़-बक्कड़ बम्बू बोल खूँटी गाड़ल तम्बू गोल । धरती-सूरज चंदा गोल, मुजरिम हाजिर, फंदा गोल । आसन-डासन-बासन गोल भासन चालू, रासन गोल । लाल-पियर के अंतर गोल, मंतर चमकल, जंतर गोल । संविधान आ सासन गोल
राजा बेटा आवड रानी बेटी आवड के-के खेली चोर-सिपाही, हमरा के बतलावऽ चोर बने खातिर उज्जर कुरूता पैजामा चाहीं खाकी वर्दी जे-जे पहिनी ऊहे बनी सिपाही केकरा पासे कइसन टोपी, ई पहिले बतलावऽ राजा बेटा आवड
केकरा से करीं अरजिया हो, सगरे बंटमार । राजा के देखनीं, सिपहिया के देखनीं नेता के देखनीं, उपहिया के देखनीं, पइसा प सभकर मरजिया हो, सगरे बंटमार। देखनीं कलट्टर के, जजो के देखनीं राजो के देखनीं आ लाजो के
बहल बसंती बेअरिया हो, पिया बान्हऽ पगरिया। घामा में दिन-दिन भ देहिया जरवलऽ बरखा के पानी में सपना घुलवलऽ जाड़ा में सेवलऽ बघरिया हो, पिया बान्ह पगरिया । महुआ के फूल नियन मातल जवानी हो गइल अचके में तीसी
राजा बाबू राजा भइलें रानी जी के बाद खानदानी रजवा के कइलन आबाद मिले लागल माफिया गिरोहवन के खाद जनता प बढ़ल अत्याचार SSS बनावे चलऽ अब तू आपन राज। रोज-रोज बनत बा नयका कानूनवा हक के लड़इया के करे खातिर ख
भइया किसनवा हो, सूतल रहव कवले चद्दर तान? भइया किसनवा हो... गद्दी प बइठल बा देखऽ कसइया चाभत बा हँसि-हँसिके खोआ मलइया; तोहरा के दुलम पिसान भइया किसनवा हो... छंवड़ा के भोरे बधारी पेठवलऽ छंउड़ी से रात-द
बदलीं जा देसवा के खाका, बलमु लेइ ललका पताका हो। खुरपी आ हंसुआ से कइनीं इआरी जिनगी भर सुनलीं मलिकवा के गारी कवले बने के मुँह ताका, बलमु लेइ ललका पताका हो। ना चाहीं हमरा के कोठा-अंटारी ना चाहीं मखमल आ
हमनी के जवना तेजी से चले वाला अवुरी अक्सर अराजक दुनिया में रहतानी, ओकरा में तनाव प्रबंधन के प्रभावी तकनीक के खोज एतना महत्वपूर्ण कबो ना रहल। प्राचीन चिंतनात्मक प्रथा सभ में जड़ जमा चुकल माइंडफुलनेस मे
देस लहकत वा आंवा के माफिक आगि तोहरे लगावल हऽ रानी, खून जतना इहाँ तू बहवलू ऊ कहत बा जुलुम के कहानी। चोर गुंडन के राजा बनवलू घूसखोरन के आंचर ओढ़वलू जे खटत घाम में रात दिन बा, ना मिले ओकरा पीये के प
सूतल सागर में हलफी उठाई जा अब, चलऽ क्रांती के झंडा उड़ाई जा अव। गीत गाई जा आजाद, के भगत के देस खातिर कसम मिलि के खाई जा अब। राजधानी में कतना तिरंगा उड़ल चलऽ ललका निसान फहराई जा अब। आइल पनरह अगस्त, आई
पनरह अगस्तवा के दिनवां तिरंगा लहराये लागल हो, ए भइया हम नाहीं जननीं अजदिया, गुलमिया में दिन कटे हो। खेतवा में करीला रोपनियां, सोहनियां, कटनियां नू हो, ए भइया, घरवा में तयो ना अनजवा, करजवा में डूबि ग
चली नाहीं जुलुमी ससनवां, जबनवां के टूटी अब ताला। सहर बजार जागल, जागल बधरिया जागि गइल अमवा महुइया, रहरिया तरनाइल सभकर बदनवां, जबनवां के टूटी अब ताला। चिरंइन के ठोरवा भइल हथियरवा वैला-बछरुआ, तूरावेला स
जारी भइल नयका एलनवां, जवनवां प लागी अव ताला। बढ़वा में पंवरऽ अकलवा में नाचऽ जोजना के गीत लिखऽ ओकरे के बांचऽ महंगी के कर मत वखनवां, जबनवां प लागी अब ताला। कह जनि कि नेता लोग चोर बटमरवा कह जनि कि बरदी
परल अकलवा, बेहाल भइल मनवां, झुराई गइल ना, सालभर के सपनवां, झुराई गइल ना। खेतवा में धनवां के बियवा गिरवनीं सरग के आसरा प थतियो गँववनी वरिसल ना अदरा, विलाइ गइल बदरा, बुताई गइल ना, खरीहान के दिअनवां, बु
आइल बा क्रांति के लहरा हो, चलऽ दिल्ली के ओर दिल्ली में राजा, दिल्ली में रानी, बहुए कनूनिया के पहरा हो, चलऽ दिल्ली के ओर दिल्ली में मस्ती, दिल्ली में हस्ती संसद में बोले पपिहरा हो, चलऽ दिल्ली के ओर हम