रामसहर बहुत बड़ गाँव ह। बस्ती के चारो ओर आम के घना बगइचा बा। दूर से गाँव ना लउकेला। हँ, बाबू रामतहल सिंह के घर के सामने ऊँच मंदिर के कलसा दूर से देखल जा सकेला। उहे बाबू साहेब के पिता सरबजीत सिंह के बनावल पत्थर पंचमंदिर। गाँव के लोग एकरा के ‘पंचमंडिल’
बलभद्र जी के आलोचनात्मक आलेख भोजपुरी आ हिंदी के पत्र-पत्रिकन में समय-समय पर छपत रहल बा। भोजपुरी साहित्य प भोजपुरी में लिखल आलेखन के एह किताब ‘भोजपुरी साहित्य: हाल-फिलहाल’ में पढ़ल जा सकेला। ‘भोजपुरी साहित्य: हाल-फिलहाल’ में लेखक के ओर से प्रस्तुत तथ्य
This is a book of poems. These all poems are depends on life of the common man. This book consist entire emotions of humanity, as well these poems are quietly imagination of struggling life. This book ignite all positive waves which through us toward