बलभद्र जी के आलोचनात्मक आलेख भोजपुरी आ हिंदी के पत्र-पत्रिकन में समय-समय पर छपत रहल बा। भोजपुरी साहित्य प भोजपुरी में लिखल आलेखन के एह किताब ‘भोजपुरी साहित्य: हाल-फिलहाल’ में पढ़ल जा सकेला। ‘भोजपुरी साहित्य: हाल-फिलहाल’ में लेखक के ओर से प्रस्तुत तथ्य
भोजपुरी के प्रमुख साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन अपना सम्मोहक रचना से साहित्यिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ले बाड़न. अपना अंतर्दृष्टि वाला कहानी खातिर विख्यात ऊ अइसन कथन बुनत बाड़न जवन भोजपुरी भाषी क्षेत्रन के समृद्ध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री से गुंजायमान बा.
कठपुतरी बाग बागिया में बजेल बाँसुरी, अबेरी चढ़ेल पे चढ़ेल बताई। चंदनी रात में, चाँदनी रात में, कईया जुगनु बोलेल छाई। पवन भरे बहुत सुहावनी, देखे लोगन बोलेल कईया लाजाई। भोजपुरी भाषा में रंगीन बोल, कहे बातें बड़ी ताजगी से हमराई। अनूदि
हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
"हम कबीर के बानी" (Ham Kabir Ke Baani) एक उत्कृष्ट भोजपुरी गीत संग्रह है जिसके संगीतकार और गीतकार विजेन्द्र अनिल को अपना कार्य के माध्यम से समर्पित किया गया है। इस संग्रह के माध्यम से, विजेन्द्र अनिल ने भोजपुरी साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी मह
लेखक आ शोधकर्ता के रूप में काम कइले बानी : एह किताब के तइयारी शोधकर्ता श्री दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह कइले बाड़न. किताब के सामग्री : १. एह किताब में भोजपुरी के कवि आ कविता के चर्चा कइल गइल बा, जवना में भारतीय साहित्य में ओह लोग के योगदान पर जोर द
कथाकार आशुतोष मिसिर के जेकरे हाथे भोजपुरी गद्य के सुभाव बचल बा।
"भूषण हनुमत गाथा" हिन्दी साहित्य के एगो महाकाव्य कथा ह जवना में हिन्दू पौराणिक कथा के पूज्य हस्ती हनुमान जी के वीरकर्म के बखान बा। एह काव्य रचना में हनुमान जी के ताकत, भक्ति, आ अटूट निष्ठा के जश्न मनावल गइल बा, खास कर के महाकाव्य रामायण में उनुकर अहम
बाबू जी (स्व० फुलेना सिंह) का कीर्तन भजन के छाप हमरा बालक-मन पर खूब पड़ल। लड़िकाइएँ से कविता, गीत-गवनई आ कथा-कहानी में मन रमे लागल। विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम होखे त, खुलके भाग लीं। विद्यार्थिये जीवन से कुछ-कुछ लिखके दोस्तन के सुनाई । आगे चलके