आदरणीय बरमेश्वर सिंह जी द्वारा लिखित हिंदी और भोजपुरी निबंध, समीक्षा और संस्मरणों का संग्रह 'बट-वृक्ष' का कुशल सम्पादन डॉ विष्णुदेव तिवारी जी और दिलीप कुमार जी द्वारा किया गया है। पुस्तक का आवरण आदरणीया अपाला वत्स जी ने तैयार किया है। Read more
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Noon-Tail (Bhojpuri Play Collection) by Rajesh Kumar Manjhi is all about the sufferings of the down trodden section of the society especially the women of the society who are cheated & exploited at all places sometimes forcefully and sometimes emotio
'मकई के लावा' छोटी-छोटी व्यंग्यात्मक भोजपुरी कविताओं का संग्रह है. व्यग्य विधा में "भोजपुरी छिउंकी" एक नई विधा है जिसकी शुरुआत डॉ.रमाशंकर श्रीवास्तव जी ने किया है. डॉ.रमाशंकर श्रीवास्तव द्वारा रचित हास्य एवं व्यंग्य से सराबोर इस संग्रह को एक बार जरुर
कथाकार आशुतोष मिसिर के जेकरे हाथे भोजपुरी गद्य के सुभाव बचल बा।
बलभद्र जी के आलोचनात्मक आलेख भोजपुरी आ हिंदी के पत्र-पत्रिकन में समय-समय पर छपत रहल बा। भोजपुरी साहित्य प भोजपुरी में लिखल आलेखन के एह किताब ‘भोजपुरी साहित्य: हाल-फिलहाल’ में पढ़ल जा सकेला। ‘भोजपुरी साहित्य: हाल-फिलहाल’ में लेखक के ओर से प्रस्तुत तथ्य
"भोजपुरी लोक गीत में करुण रस" (The Sentiment of Compassion in Bhojpuri Folk Songs) एक रोचक और साहित्यपूर्ण विषय है जिसमें भोजपुरी भाषा और सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से लोक साहित्य का अध्ययन किया जाता है। यह विशेष रूप से भोजपुरी क्षेत्र की जनता के बी
भोजपुरी के प्रमुख साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन अपना सम्मोहक रचना से साहित्यिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ले बाड़न. अपना अंतर्दृष्टि वाला कहानी खातिर विख्यात ऊ अइसन कथन बुनत बाड़न जवन भोजपुरी भाषी क्षेत्रन के समृद्ध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री से गुंजायमान बा.
लखन जस अनुज कंचन जेह पर हमारा नाज बा, उनके हाथ में सस्नेह!
This is a book of poems. These all poems are depends on life of the common man. This book consist entire emotions of humanity, as well these poems are quietly imagination of struggling life. This book ignite all positive waves which through us toward
छठ पूजा सूर्य भगवान के धन्यवाद आ आभार अर्पित करे खातिर मनावल जाला। लोग सूर्य देव के बहिन छठी मईया के भी पूजा करेला। छठ पूजा में कवन-कवन संस्कार मनावल जाला? छठ पूजा चार दिन तक चलेला।
हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
भोजपुरी के नयकी पीढ़ी के रतन 'मयंक' आ 'मयूर' के जे अमेरिको में भोजपुरी के मशाल जरवले आ अपने गाँव के बचवले बा
कठपुतरी बाग बागिया में बजेल बाँसुरी, अबेरी चढ़ेल पे चढ़ेल बताई। चंदनी रात में, चाँदनी रात में, कईया जुगनु बोलेल छाई। पवन भरे बहुत सुहावनी, देखे लोगन बोलेल कईया लाजाई। भोजपुरी भाषा में रंगीन बोल, कहे बातें बड़ी ताजगी से हमराई। अनूदि
"हम कबीर के बानी" (Ham Kabir Ke Baani) एक उत्कृष्ट भोजपुरी गीत संग्रह है जिसके संगीतकार और गीतकार विजेन्द्र अनिल को अपना कार्य के माध्यम से समर्पित किया गया है। इस संग्रह के माध्यम से, विजेन्द्र अनिल ने भोजपुरी साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी मह