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मै क्रान्तिराज पटना बिहार के निवासी हुँ ,हमे बचपन कविता ,कहानी पढने और लिखने का शौक रहा और अब कविता ,कहनी भी सरस्वती माँ की कृपा हिन्दी भाषा में लिख रहा हुँ ,अब भोजपुरी भाषा में भी लिखने की क्रोशिश करूगा ! सधन्यवाद दिनांक-23-10-2023

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तोहरा देखली प्यार हो गइल बा

तोहरा देखली प्यार हो गइल बा

पहली नजरीया हमरा घायल कर दिहले बा सपनों में भी तोहर चेहरा उतर गइल बा अब सकुन ना हमरा के तोहरा देखली प्यार हो गइल बा -२ . ना चैन दिल में हमरा के निंद भी बेवफा चल गइल बा जितना भुलाइल चाह

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तोहरा देखली प्यार हो गइल बा

तोहरा देखली प्यार हो गइल बा

पहली नजरीया हमरा घायल कर दिहले बा सपनों में भी तोहर चेहरा उतर गइल बा अब सकुन ना हमरा के तोहरा देखली प्यार हो गइल बा -२ . ना चैन दिल में हमरा के निंद भी बेवफा चल गइल बा जितना भुलाइल चाह

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तोहर सुघरल जवानी हमरा के भा गइल हो .

तोहर सुघरल जवानी हमरा के भा गइल हो .

तोहर सुघरल जवानी हमरा भा गइल हो तु जब मुस्कुरालु दिल में छा जइली हो मन के कैसे मनाई दिल उतर गइल हो हमरा आंगन की खुशी बन के कब अइवु हो . चांद तारो से कहां मत देख हमरा के रातरानी की जैसे मन के

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तोहर सुघरल जवानी हमरा के भा गइल हो .

तोहर सुघरल जवानी हमरा के भा गइल हो .

तोहर सुघरल जवानी हमरा भा गइल हो तु जब मुस्कुरालु दिल में छा जइली हो मन के कैसे मनाई दिल उतर गइल हो हमरा आंगन की खुशी बन के कब अइवु हो . चांद तारो से कहां मत देख हमरा के रातरानी की जैसे मन के

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तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे

तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे

तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे ससुरा न जैबे हो ,ससुरा न जैबे तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे बचपन में खेलली माई आंगनमा बचपन से रहली एक ही सपनवां अपनी कर्म से गंगा नेहइवे तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे अंगुली पकड के चलेल सिखइले रात भर जागी

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तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे

तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे

तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे ससुरा न जैबे हो ,ससुरा न जैबे तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे बचपन में खेलली माई आंगनमा बचपन से रहली एक ही सपनवां अपनी कर्म से गंगा नेहइवे तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे अंगुली पकड के चलेल सिखइले रात भर जागी

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अइलन भगवन अंगनमा

अइलन भगवन अंगनमा

चौदह वर्ष वनवास काटी अइलन अपनी भवनमा राम अइलन भवनमां हो अइलन भवनमां देखी देखी खुश भइलन सारा जहनमां राम अइलन अमगनमां खुश भइल हमरो मनवां राम अइलन भवनमां माता कौशिल्या के सीता सुकुमारी जनक की बेटी राजदुलारी हमार खुश भइल मनवां राम अइलन भवनमां घर

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अइलन भगवन अंगनमा

अइलन भगवन अंगनमा

चौदह वर्ष वनवास काटी अइलन अपनी भवनमा राम अइलन भवनमां हो अइलन भवनमां देखी देखी खुश भइलन सारा जहनमां राम अइलन अमगनमां खुश भइल हमरो मनवां राम अइलन भवनमां माता कौशिल्या के सीता सुकुमारी जनक की बेटी राजदुलारी हमार खुश भइल मनवां राम अइलन भवनमां घर

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