तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे ससुरा न जैबे हो ,ससुरा न जैबे तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे बचपन में खेलली माई आंगनमा बचपन से रहली एक ही सपनवां अपनी कर्म से गंगा नेहइवे तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे अंगुली पकड के चलेल सिखइले रात भर जागी के माई सोलैले पापा हमरा के गोदीयां खेलैले तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे बचपन के छोडम न संग के सहेलिया हँसी हँसी खेलली घर के बहरीया प्रेम की हर दिन अलख हम जगैले तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे जैसे जैसे हो गइली हमहु सेयनीया दुनिया की नजरो में कहे न बबुनिया शादी विवाह कर द गंगा नेहइले तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे दुनिया की नजरो की करू मै सलामी घर की बेटी हुई कैसे पराई समाज की कद्र करू या मै विवादित तोहार किरिया हम न ससुरा में जैबे ! कवि-क्रान्तिराज बिहारी दिनांक-9-11-23