तोहर सुघरल जवानी हमरा भा गइल हो तु जब मुस्कुरालु दिल में छा जइली हो मन के कैसे मनाई दिल उतर गइल हो हमरा आंगन की खुशी बन के कब अइवु हो . चांद तारो से कहां मत देख हमरा के रातरानी की जैसे मन के भा गइलु हो तोहरा के जब देखी दिल मचल जाल : हो दिल की बगीयां हमर हरिया गइल हो. हवा की झोके की जैसे घर कइलु हो अब तुही बताव हम कहां जाई हो हो न जाइये हमरा से कही यदि दुर हमरा के जरूर याद करीह हो कोई रास्ता की सफर में मिली तोहरा के हमरा के कभी न भुलैह हो जान हमरा के हऊ हमर ही रहीह हो चाही जान से भी ज्यादा हमरा न भुलइह हो रहीह सातो जन्म के सात फेरा निभइह तु आजद पंक्षी की तरह न उड जइह हो सात लिहल वचन न भुलइह हो प्यार की सागर में हमरा नेहइह हो ! कवि-क्रान्तिराज दिनांक-24-10-2023