भोजपुरी के आचार्य कवि पं. धरीक्षण मिश्र एक सच्चे शब्द-साधक थे। एक सच्चे कवि थे। उनके कवित्व के कारण बड़े-बड़े विद्वानों के साथ तमकुहीराज के तत्कालीन राजा स्वनाम धन्य इंद्रजीत प्रताप साही भी बहुत आदर करते थे। पं. धरीक्षण मिश्र की प्रथम पुस्तक 'शिव जी के खेती' 1977 में प्रकाशित हुई थी। अब इस पुस्तक का पुनः प्रकाशन तमकुहीराज परिवार द्वारा किया जा रहा है। साहित्य-प्रिय तथा 'कर्ल्सरुहे इन्स्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, जर्मनी' के वैज्ञानिक डॉ. वैदूर्य प्रताप साही द्वारा यह पहल किया गया। यह राजपरिवार की ओर से कविजी का सम्मान ही है। 44 वर्ष बाद पुस्तक 'शिव जी के खेती' का पुनर्प्रकाशन हुआ है। Read more