बिदेस मंत्री एस. जयशंकर कहले हवें कि सीमा पर गतिरोध के बिच्चे चीन के अउरियो सम्बन्ध के सामान्य रूप से आगे बढ़ले क ओम्मेद नाही करे के चाही।
कूटनीति जारी रहे ला अउर कबो-कबो कठिन परिस्थितियन क समाधान जल्दबाजी में नाही आवे ला| उहां के आजु एगो कार्यक्रम में भू-राजनीति में भारत क उदय बिसय पर बोलत रहलीं, येह दौरान उहां के श्रोता लोगिन से सवाल लिहलीं।
उहां के कहलीं कि भारत अउर चीन के बिच्चे सीमा परस्पर सहमत नाही हौ अउर ई फैसिला कइल गइल कि दुन्नो पक्ष सैनिक नाही जुटाई अउर दुसरे के अपने गतिविधि के बारे में जनकारी देत रही, बाकिर पड़ोसी राष्ट्र दुइ हजार बीस में येह समझौता क उल्लंघन कइले हौ।
श्री जयशंकर बतवलें कि ई ढेरि संख्या में अपने सैनिकन के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ले आइल अउर गलवान क घटना भइल।
विदेश मंत्री कहलें कि उहां के अपने चीनी समकक्ष के समझा दिहले हई कि जबले सीमा पर कउनों समाधान नाही निकारल जाई तबले उन्हें अउरियो सम्बन्ध के सामान्य रूप से आगे बढ़ले क ओम्मेद नाही करे के चाही।
"ऊ असम्भव बा। एके साथे लड़ के व्यापार ना करे के चाहत बानी। येह बिच्चे कूटनीति चलि रहलि हौ अउर कबो-कबो कठिन परिस्थितियन क समाधान जल्दबाजी में नाही आवे ला| उहां के जोर दे के कहलीं कि येह बिच्चे कूटनीति जारी हवे।
मालदीव के साथे हाले में भइल दरार (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लक्षद्वीप यात्रा के बाद ओह राष्ट्र के कुछु अधिकारियन के आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद) के बारे में पूछल गइले पर श्री जयशंकर कहलें कि हमनी के जवन कइले क कोसिस कइ रहल हई, अउर पछिला दस सालि में ढेरे सफलता के साथे बहुते मजबूत सम्पक बनावल हउवे। उहां के कहलीं कि राजनीति भले ऊपर-नीचे जाई बाकिर ओह राष्ट्र के लोगिन के आम तौर पर भारत के प्रति अच्छा भावना होला अउर ऊ अच्छा सम्बन्ध बनवले के महत्व के समझे लें| उहां के कहलीं कि भारत सड़कि, बिजुली पारेसण लाइनि बनवले, ईधन क आपूर्ति, ब्यौपार पहुंच उपलब्ध करावे, निवेस कइले अउर लोगिन के अउरियो देसन में छुट्टी बितावे में सामिल रहे।