मकर संक्रांति एगो हिन्दू परब हवे जवन भारत के कई गो हिस्सन में मनावल जाला। एह परब के मकर संक्रांति के नाम से जानल जाला काहे कि एह दिन सूर्य आपन गति बदल के मकर राशि में प्रवेश करेला। ई परब भारत के अलग-अलग हिस्सन में अलग-अलग नांव से जानल जाला। जइसे- उत्तर भारत में एकरा के मकर संक्रांति के नाम से जानल जाला जबकि दक्षिण भारत में एकरा के पोंगल भा संक्रांति के नाम से जानल जाला।
मकर संक्रांति दुइ हजार चउबिस क तिउहार पनरह जनौरी के मनावल जाई। येह दिन के मौका पर लोगि अपने घरन के सजावे लें अउर येह तिउहार के खुसी के साथे मनावे लें। एह दिन लोग एक दूसरा के गुड़ आ तिल के लड्डू खिआवे ला आ एक दूसरा के शुभकामना देला। येह तिउहार के दौरान लोगि मकर संक्रांति क गीत गावत हवें अउर खेतन में पतंग उड़त देखत हवें।
फसल कटाई के मौसम के सुरूआत अउर मकर में सूर्य के पारगमन के चिन्हित करे बदे हर सालि संक्रांति मनावल जाला, जवन गरम दिनन के आगमन अउर कड़ेर ठंडी के खतम भइले क संकेत देला। मकर संक्रांति के बाद दिन लमहर होखे लागे ला आ उत्तरायण के ई अवधि करीब छौ महिन्ना ले चले ला। संक्रांति क मतलब हवे सुरूज क आवाजाही अउर मकर संक्रांति एक सालि में पड़े वाले सज्जो बारह संक्रांति में सबसे महत्वपूर्ण हवे।
फसल कटाई क तिउहार पूरा देस में ढेरे उछाह के साथे मनावल जाला हलांकि एकर अनुस्ठान अउर नांव अलगि-अलगि होला। पश्चिम बंगाल में पौषा संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू, गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी, असम में माघ बिहू ई उत्सव पूरा भारत में फइलल बा। मकर संक्रांति ऊ समय हवे जब लोगि अपने घर के पुरान चीजन से छुटकारा पा के नया चीज खरीदत हवें, ओम्मेद बाटे कि पूरा सालि सफलता, सौभाग्य अउर समृद्धि से भरल रहे। उत्सव क सुरुआत घरन के सफाई अउर भोरे भोरे नहइले के बाद पारम्परिक कपड़ा में सजले से होला। बरखा क देवता भगवान इन्द्र अउर भगवान सूर्य, दुन्नो क आजु के दिन्ने पूजा कइ के आवे वाला सालि में बड़हन फसल अउर खुसहाली खातिर आसीर्वाद लिहल जाला। पतंग उड़ावे से ले के खिचड़ी चाहे दही-चूड़ा खइले ले मकर संक्रांति मजेदार गतिविधियन अउर पारम्परिक भोजन क आनन्द लेवे वाला दिन हवे। चाउर, गुड़, गन्ना, तिल, मक्का, मूंगफली के सथहीं अउरियो से बनल खाद्य पदार्थ बनावल जाला। गुड़ की चिक्की, पॉपकॉर्न, तिल कुट, खिचड़ी, उंधियु, अउर गुड़ खीर अइसन कुछु खाद्य पदार्थ हउवे जवन तिउहार के दौरान परम्परागत रूप से सेवन कइल जाला।
मकर संक्रांति क इतिहास देस में कृषि के महत्व के देखि के प्राचीन काल क हवे। ई अवधि उत्तर की ओरि सूर्य के यात्रा क सुरूआत करे ला अउर आगे के गरम अउर शुभ समय क प्रतीक हौ। हिन्दू लोगि येह दौरान गंगा अउर जमुना जइसन नदियन में पवित्र डुबकी लगवलें अउर बारह बरिस में एक बेरि कुंभ मेला क आयोजन कइल जाला। हिन्दू धरम में अइसन मानल जाला कि उत्तरायण के शुभ काल में जे मर जाला ओकरा मृत्यु आ जनम के चक्र से मोक्ष मिलेला। कहल जाला कि भीष्म पितामह कुरुक्षेत्र के महाकाव्य युद्ध के दौरान जानलेवा रूप से घायल हो गइल रहले आ अपना पिता के दिहल वरदान के सौजन्य से ऊ अपना मृत्यु के क्षण के चुन सके आ धरती पर आपन आखिरी क्षण के एक दू दिन तक देरी कइ सके ताकि उत्तरायण काल में उनकर मउति हो सके।