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भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर

भिखारी ठाकुर

7 भाग
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"भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर" एगो महत्वपूर्ण भोजपुरी साहित्यिक रचना ह जवन भारतीय साहित्य में आपन खास पहचान बनवले बा। ई रचना भोजपुरी के चर्चित कवि आ नाटककार भिखारी ठाकुर के जीवनी आ कला के समर्पित बा। भिखारी ठाकुर अपना लेखनी के माध्यम से सामाजिक समस्या, सांस्कृतिक द्वंद्व आ लोकप्रिय विषय प लगातार ध्यान देत रहले। एह रचना में उनकर भाषा सादगी आ लोकप्रियता के साथे साहित्यिक उत्कृष्टता के प्रतिबिंब बा। 

bhojpurii naattyrng aa bhikhaarii tthaakur

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भाग के

1

लोकधर्मी परम्परा आ भोजपुरी नाट्यरूप

21 October 2023
1
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लोकधर्मी परम्परा आ भोजपुरी के नाट्य रूप - नाटक के लिखित प्रमाण के खोज में ऋग्वेद के कुछ सूक्तन पर हमार ध्यान पहिले जाई, जेकर हामी मैक्यूलर, ओल्डनवर्ग, विण्टरनिब्ज आ प्राध्यापक लेवी जइसन विद्वानो भरले

2

भोजपुरी लोक नाटक

21 October 2023
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अइसे नाटक के जनम त आदमी के साथ ही मानल उचित कहाई जवन पहिले ओकर मनोरंजन आ नकल के कौतुक रहे बाकी आस्ते आस्ते जब ई संदेश देवे आ सुधार करेवाला हथियार मतिन चले लागल त कुछ लोगन से एकर टकराव स्वाभाविक रहे ।

3

डोमकछ ( टीका सहित नाटक )

21 October 2023
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'जट जटिन' आ 'डोमकछ' मा 'डोमकच' मुख्य रूप से नारी कौतुक हिय जे बेटा के गइल बरियात के रात मरद ना रहला पर सुनसान पड़ल घर में गाँव के औरतन द्वारा रात भर धमा चौकड़ी, मनोरंजन आ आपन आजादी के एहसास का रूप में

4

नाटक के एगो सबल शैली: नौटंकी

22 October 2023
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नौटंकी सर्वसाधारण में नाट्य विधा के एगो जानल- पहिचानल नाम ह, जेकर प्रदेशन काल्ह ले गाँव के धनियन के बरियात में दहेज के रूप में मोट रकम लेवेवालन का ओर से अपना बड़प्पन के धाक जमावे, पूजा भा पर्व त्योवहा

5

भोजपुरिया संस्कृति के कुछ बिसरत बात

22 October 2023
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1 भोजपुरिया संस्कृति के कड़ी में महेन्दर मिसिर, भिखारी ठाकुर, रसूल अन्सारी नियन एगो अउर कलाकार के नाम ओती घरी उमरल रहे ऊ नाम रहे- बनारस के नर्तक आ नाट्यकर्मी मुकुन्दी भांड़ के बाकिर आज ई नाम इतिहास के

6

भोजपुरी खदान में दबाइल एगो हीरा रसूल

22 October 2023
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महेन्दर मिसिर आ भिखारी ठाकुर के काल, भोजपुरी - लेखन कला लेके अबले तीन मूर्तियन गुने स्वर्णकाल लेखा बा। ईहो संयोगे बा कि तीनों जना पुरनका सारने जिला के रहे लोग दूगो के त लोग खूबे जनलन बाकी तिसरका, उत्त

7

नाटक- सड़क पर सरमेर सफर

22 October 2023
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कला के क्षेत्र में आदमी सबसे पहिले नाचे के, फेर बजावे के आ तब गावे के सिखले होई । काहें कि गतिमान होके नाच में आ नाच थिर होके कथा में बदल जाले । कथा के मौन भइले नाटक के शुरूआत है। संवाद वाला नाटक त बा

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