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भिखारी ठाकुर (1887-1971) एक भारतीय भोजपुरी भाषा के कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्हें भोजपुरी भाषा के सबसे महान लेखकों में से एक और पूर्वांचल और बिहार के सबसे लोकप्रिय लोक लेखक के रूप में माना जाता है. भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के सारण (छपरा) जिले के कुतुबपुर (दियारा) में हुआ था. उनके पिता का नाम दल सिंगार ठाकुर और माता का नाम शिवकली देवी था. उनके पिता लोगों की हजामत बनाते थे.

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भिखारी ठाकुर ग्रंथावली

भिखारी ठाकुर ग्रंथावली

भिखारी ठाकुर (1887-1971) एक भारतीय भोजपुरी भाषा के कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्हें भोजपुरी भाषा के सबसे महान लेखकों में से एक और पूर्वांचल और बिहार के सबसे लोकप्रिय लोक लेखक के रूप में माना जाता है.

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भिखारी ठाकुर ग्रंथावली

भिखारी ठाकुर ग्रंथावली

भिखारी ठाकुर (1887-1971) एक भारतीय भोजपुरी भाषा के कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्हें भोजपुरी भाषा के सबसे महान लेखकों में से एक और पूर्वांचल और बिहार के सबसे लोकप्रिय लोक लेखक के रूप में माना जाता है.

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भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर

भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर

"भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर" एगो महत्वपूर्ण भोजपुरी साहित्यिक रचना ह जवन भारतीय साहित्य में आपन खास पहचान बनवले बा। ई रचना भोजपुरी के चर्चित कवि आ नाटककार भिखारी ठाकुर के जीवनी आ कला के समर्पित बा। भिखारी ठाकुर अपना लेखनी के माध्यम से सामाजिक सम

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भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर

भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर

"भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर" एगो महत्वपूर्ण भोजपुरी साहित्यिक रचना ह जवन भारतीय साहित्य में आपन खास पहचान बनवले बा। ई रचना भोजपुरी के चर्चित कवि आ नाटककार भिखारी ठाकुर के जीवनी आ कला के समर्पित बा। भिखारी ठाकुर अपना लेखनी के माध्यम से सामाजिक सम

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नाटक- सड़क पर सरमेर सफर

22 October 2023
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कला के क्षेत्र में आदमी सबसे पहिले नाचे के, फेर बजावे के आ तब गावे के सिखले होई । काहें कि गतिमान होके नाच में आ नाच थिर होके कथा में बदल जाले । कथा के मौन भइले नाटक के शुरूआत है। संवाद वाला नाटक त बा

भोजपुरी खदान में दबाइल एगो हीरा रसूल

22 October 2023
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महेन्दर मिसिर आ भिखारी ठाकुर के काल, भोजपुरी - लेखन कला लेके अबले तीन मूर्तियन गुने स्वर्णकाल लेखा बा। ईहो संयोगे बा कि तीनों जना पुरनका सारने जिला के रहे लोग दूगो के त लोग खूबे जनलन बाकी तिसरका, उत्त

भोजपुरिया संस्कृति के कुछ बिसरत बात

22 October 2023
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1 भोजपुरिया संस्कृति के कड़ी में महेन्दर मिसिर, भिखारी ठाकुर, रसूल अन्सारी नियन एगो अउर कलाकार के नाम ओती घरी उमरल रहे ऊ नाम रहे- बनारस के नर्तक आ नाट्यकर्मी मुकुन्दी भांड़ के बाकिर आज ई नाम इतिहास के

नाटक के एगो सबल शैली: नौटंकी

22 October 2023
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नौटंकी सर्वसाधारण में नाट्य विधा के एगो जानल- पहिचानल नाम ह, जेकर प्रदेशन काल्ह ले गाँव के धनियन के बरियात में दहेज के रूप में मोट रकम लेवेवालन का ओर से अपना बड़प्पन के धाक जमावे, पूजा भा पर्व त्योवहा

डोमकछ ( टीका सहित नाटक )

21 October 2023
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'जट जटिन' आ 'डोमकछ' मा 'डोमकच' मुख्य रूप से नारी कौतुक हिय जे बेटा के गइल बरियात के रात मरद ना रहला पर सुनसान पड़ल घर में गाँव के औरतन द्वारा रात भर धमा चौकड़ी, मनोरंजन आ आपन आजादी के एहसास का रूप में

भोजपुरी लोक नाटक

21 October 2023
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अइसे नाटक के जनम त आदमी के साथ ही मानल उचित कहाई जवन पहिले ओकर मनोरंजन आ नकल के कौतुक रहे बाकी आस्ते आस्ते जब ई संदेश देवे आ सुधार करेवाला हथियार मतिन चले लागल त कुछ लोगन से एकर टकराव स्वाभाविक रहे ।

लोकधर्मी परम्परा आ भोजपुरी नाट्यरूप

21 October 2023
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लोकधर्मी परम्परा आ भोजपुरी के नाट्य रूप - नाटक के लिखित प्रमाण के खोज में ऋग्वेद के कुछ सूक्तन पर हमार ध्यान पहिले जाई, जेकर हामी मैक्यूलर, ओल्डनवर्ग, विण्टरनिब्ज आ प्राध्यापक लेवी जइसन विद्वानो भरले

राधेश्याम बहार

19 October 2023
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बंदना (चौपाई ) श्री गणेश के लागी पाँव । जगत जपत वा जिनिकर नाँव || विप्र चरन में नाऊ सीस जे वा दुनियाँ भर में बीस !! सन्त चरन में नाऊँ माथ । जिन्ह परगट कइलन रघुनाथ ॥ बासुदेव देवकी पद लागू । बार-बार अत

कलियुग प्रेम

18 October 2023
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दुलहारिन निसा खा के पिया मोर, निसा खा के पिया मोर दिहलन कपार फोर, (से) परल बानी तिसइन का पालवा हो लाल (से) परल बानी बेंचि के चौकठ केवारी, बेंचि के चौकठ केवारी तन पर के हमरा सारी, (से) सेतिहे में व

बेटी वियोग

18 October 2023
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समाजी : ( चौपाई श्री गणेश पद नाऊ माथा । तब गाऊ कुँवरी कर काथा ।। गावत बानीं लोभ के लीला । जेहि से होत जगत में गीला ॥ बेचत बेटी मन हरखाई । छोटत ज्ञान ना परत लखाई ॥ सो सब हेतु कहब करि गाना । सुनहु कृपा

एगो किताब पढ़ल जाला

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