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विजेन्द्र अनिल
विजेन्द्र अनिल के गीतकार का रचनाकाल चौवालीस वर्ष (1960-2003) का है। इन चौवालीस वर्षों में उन्होंने सिर्फ भोजपुरी गीत लिखे, इसका कारण शायद यह रहा हो कि वे जिस आवाम से जुड़ना चाहते थे, भोजपुरी उसके लिए सहज थी। हॉलाकि बीच के कुछ वर्षों (1976 से 1994) में उन्होंने हिन्दी गजलें भी लिखीं। लेकिन चाहे वह भोजपुरी गीत हों या हिन्दी गजलें |
![हम कबीर के बानी](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fbook.0614cbf5.png&w=384&q=75)
हम कबीर के बानी
"हम कबीर के बानी" (Ham Kabir Ke Baani) एक उत्कृष्ट भोजपुरी गीत संग्रह है जिसके संगीतकार और गीतकार विजेन्द्र अनिल को अपना कार्य के माध्यम से समर्पित किया गया है। इस संग्रह के माध्यम से, विजेन्द्र अनिल ने भोजपुरी साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी मह
![हम कबीर के बानी](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fbook.0614cbf5.png&w=256&q=75)
हम कबीर के बानी
"हम कबीर के बानी" (Ham Kabir Ke Baani) एक उत्कृष्ट भोजपुरी गीत संग्रह है जिसके संगीतकार और गीतकार विजेन्द्र अनिल को अपना कार्य के माध्यम से समर्पित किया गया है। इस संग्रह के माध्यम से, विजेन्द्र अनिल ने भोजपुरी साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी मह
![विजेन्द्र अनिल की डायरी](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fbook.0614cbf5.png&w=384&q=75)
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