जाई जरूरे अन्हरिया हो, जनि होखऽ उदास । देस अउर दुनिया में मचल बा हलचल टूटि गइल बान्ह, भइल एके बा जल-थल तेज बहुत बडुए लहरिया हो, जनि होखऽ उदास ।
पच्छिम से चलल बवंडर बा भारी ढहि रहल गढ़, मठ मंदिर पुजारी उड़सत बा लागल बजरिया हो, जनि होखऽ उदास । पूँजी के दंइत बा
पंजा गड़वले
जादू के छड़ी बा सगरे घुमवले टेढ़ भइल सभकर नजरिया हो, जनि होखऽ उदास । कब तक ले सूरूज के बदरी छिपाई भइल भुंडडोल केहू कहंवा लुकाई गूँजि रहल नयकी कजरिया हो, जनि होखऽ उदास । जाई जरूरे अन्हरिया हो, जनि होखऽ उदास ।