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हम कबीर के बानी

विजेन्द्र अनिल

58 भाग
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3 रीडर्स
4 December 2023 पर पूरा भइल
मुफ्त

"हम कबीर के बानी" (Ham Kabir Ke Baani) एक उत्कृष्ट भोजपुरी गीत संग्रह है जिसके संगीतकार और गीतकार विजेन्द्र अनिल को अपना कार्य के माध्यम से समर्पित किया गया है। इस संग्रह के माध्यम से, विजेन्द्र अनिल ने भोजपुरी साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान को प्रस्तुत किया है। विजेन्द्र अनिल का रचनाकाल 1960 से 2003 तक चौवालीस वर्ष का है, जिसमें उन्होंने भोजपुरी गीतों का अद्भुत संसार बनाया। इसका उदाहरण है कि उन्होंने इन चौवालीस वर्षों में केवल भोजपुरी गीतों का संगीत नहीं लिखा, बल्कि इसके माध्यम से अपने श्रोता समृद्धि और आत्मविश्वास में वृद्धि करने का प्रयास किया। विजेन्द्र अनिल ने अपनी कला के माध्यम से विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा की और लोगों को उन मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। 

hm kbiir ke baanii

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भाग के

1

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28 November 2023
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जानऽ तानीं हम सभ कर पूरा इतिहसवा हो रोअऽ जनि सबुर से काम लऽ किसनवा। जानऽ तानीं गरमी में खूनवा जराई आपन पेटवा के आगि ना बुझवलऽ किसनवा। बरखा के दिनवां में गोड़वा जराई आपन खेतवा में हरवा चलवलऽ किसनवा।

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28 November 2023
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सुनि के रोअइया मजूरवन के पूतवन के, फाटे ला करेजवा हमार, भोरहीं मचेला कोहराम रोज घरवा में, लड़ेलन स रोजे चारि बार। गुरवा-मिठइया त सपने में लउकेला, मिलेला न उहनीं के भात, सतुआ के लिवरी फजिरहीं खा चाटेल

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28 November 2023
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हो गइल विहान, जागि गइल जहान कबले सुते के भइया हमनीं के बोलऽ आपन चदरिया तान? राति के पखेरून भागल परतिया, कुच-कुच अन्हरिया के बिसरल सुरतिया, खोलीं जा आखि, पॉखि लउकत बा सूरूज छान्ही प छितराइल घाम हो रहल

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28 November 2023
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हम केकरा पर करीं सिंगार? सावन बीतल, भादो बीतल बीति गइल संउसे बरसात टुटही मड़ई में ठिठुरत बीतल जाड़ा के लमहर रात बहे फगुनवा के बयार तबहूं ना अइलें पिया हमार अब तकले इहो ना जनली होला कइसन चढ़ल जवानी ढरक

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28 November 2023
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झर-झर-झर झहर झहर झंउसल बघरिया में बरिसत बा बरखा के पानी केकरा दो जादू से संउसे अकसवा में रूई के फाहा उघियाता छने-छने सगरे सरगवा में अपने से बिजुरी के दीया बराता पीपर पलासन के हियरा अगराइ रहल धरती के

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हम किसान के बेटा, धरती मइया हई हमार, हँसुआ-खुरपी, हल-कुदाल हउए हमार हथियार। चिरंइन के बोले के पहिले हम खटिया छोड़ी ला अपना माल-मवेसिन से हरदम नाता जोड़ी ला, बैल हमार हवन स बाजू, बछवा ह पतवार । खून-पसी

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28 November 2023
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जागऽ, जागऽ तू अबो मजूर भइया। तोहरे बनावल ह कल-करखनवां तूं ही निकाले लऽ माटी से अनवां तोहरे प सभके गुमान भइया। राजमहल-ताजमहल तोहरे बनावल मीना बजरवा ह तोहरे सजावल मेहनत करेलऽ भरपूर भइया। तोहरे लइकवा ब

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28 November 2023
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केकर ह ई देस अउर के काटत बडुए चानी ? केकर जोतल, केकर बोअल के काटेला खेत ? केकर माई पुआ पकावे केकर चीकन पेट ? के मरि-मरि सोना उपजावे, के बनि जाला दानी? ताजमहल केकर सिरजल ह केकर ह ई ताज? केकर ह ई माल ख

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28 November 2023
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पिया, हमरा के काहे भुलाइ गइलऽ? एक बरिस बीत गइल, ना आइल पतिया कइसे अकेले हम, काटीं बिपतिया, पिया, दुनिया से काहे डेराइ गइलऽ? गांव-घर हमरा प बोलेला बोलिया, काढ़े करेजवा कुहुंकके कोइलिया, पिया, नगरी में

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28 November 2023
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विधाता, दुखवा ना कहले कहाता। सन् सैंतालिस में मिलल अजदिया, अतने तरक्की कि वढ़ल अवदिया, सगरे अन्हरिया के चद्दर तनाता । साहेब बदलि गइलें, कुर्सी ना बदलल, संसद में अवो विछावल वा मखमल, हाकिम के कुकुरो के

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29 November 2023
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हमनी के हईं नचनिया-बजनिया ना बडुए घरवा, ना वा दुअरवा हमनीं के पेटवे बडुए पहड़वा नन्हीं-मुटी हमनीं के बडुए कहनियां जहां होला संझिया, ओहिजे बिहनवा ना खोजीं ओढ़ना, नाहीं बिछनवा अमरित अस लागेला हमनीं के

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29 November 2023
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संउसे देसवा मजूर, रउआ काम लिहीं जी, रउआ नेता हई, हमरो सलाम लिहीं जी। रउआ गद्दावाली कुरूसी प बइठल रहीं, जनता भेड़-बकरी ह, ओकर चाम लिहीं जी। रउआ पटना भा दिल्ली में बिरजले रहीं, केहू मरे, रउआ रामजी के

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29 November 2023
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आइल बा वोट के जवाना हो, पिया मुखिया बनिजा दाल-चाउर खूब मिली, खूब मिली चीनी फेल होई झरिया-धनबाद के कमीनी पाकिट में रही खजाना हो, पिया मुखिया बनिजा जेकरा के मन करी, रासन तू दीहऽ जेकरा से मन करी, घूस लेइ

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29 November 2023
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किसान भइया जनि लोरवा गिरावऽ। तोहरे संवरला से धरती सोहागिन तोहरे बंसुरिया प नाचेले नागिन अपना जिनिगिया के भार जनि बनावऽ । तोहरा के हेंगा के बैल के बनावल ? तोहरा मड़ड्या में आगि के लगावल? अनुभव से अ

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29 November 2023
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सुनऽ सुनऽ संघतिया हमार बतिया। पोथी आ पतरा ना हमरा बुझाला सगरे बिनाइल बा मकरी के जाला, पेटवे के फिकिर में बीते रतिया । घरवा में बानीं जा दुइए परानी दादा के छावल ह टुटही पलानी सांवग ना लागल कि बने खटिय

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29 November 2023
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रउआ खाये के ना लूर बा, जिआन करीला संउसे देसवा के काहे, परेसान करीला? करिया पइसा के बूता प दोकान खोलिके रऊआ कंठी लेके राम के घेयान करीला जेकर खूनवा पसेनवा बहेला हरदम, काहे जिनिगी के गाड़ी ओकर जाम करी

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29 November 2023
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सिपहिया, हमरा से भइल कवन चूक? खेत खरिहनिया में जिनिगी भ खटनीं टुटही मड़इया में दिन आपन कटनीं आठो पहर सहत रहनीं जाड़ अउर लूक। केहू भइल राजा हम मथवा नववनीं देसवा के खातिर आपन खुसिया गंववनीं सानत रहनीं स

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29 November 2023
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रउरा सासन के ना बडुए जवाब भाईजी, रउरा कुरूसी से झरेला गुलाब भाईजी रउआ भोंभा लेके सगरे अंवज करीला, हमरा मुंहवा प डलले बानीं जाब भाईजी हमरा झोपड़ी में मटियो के तेल नइखे, रउरा कोठिया में बरे मेहराब भाई

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29 November 2023
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ए बबुआ, टोपी बनालऽ चुनाव में टोपी बनालऽ खोंपी बनालऽ गली-गली झंडी उड़ालऽ चुनाव में धोती बनालऽ कुरता बनालऽ खद्दर के झोरा सिआलऽ चुनाव में झंडा उठालऽ डंडा उठालऽ माइक प मुंहवा बनालऽ चुनाव में गाँधी के

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29 November 2023
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ए बबुआ कोठी बना लऽ, अकाल में कोठी बना लऽ कोठा बना लड रासन के बोरा खपा दऽ, अकाल में चाउर छिपा लड गहुम छिपा लऽ कले-कले महंगी बढ़ा दऽ, अकाल में विडिओ से मिलिके ओसियर से मिलिके कागज प सड़क बना दऽ अ

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30 November 2023
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[उपन्यास-सम्राट् प्रेमचंद के इयाद में। तर्ज-विदेसिया ] गोरवन के राज रहे, बिगड़ल समाज रहे। मकरी बीनत रहे जाला मोरे सथिया। जनता तवाह रहे, सूझत न राह रहे, देसवा के निकले देवाला मोरे सथिया। पापी अंगरेजव

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[उपन्यास-सम्राट् प्रेमचंद के इयाद में। तर्ज-सोहर] सावन मास के अन्हरिया, त तिथिया दसमी रहे हो ए ललना, एकतिस जुलाई दिन सनीचर घर में अंजोर भइल हो। मुंसी अजायब के धनिया, त धनिया आनंदी देवी हो ए ललना तीनो

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[उपन्यास-सम्राट् प्रेमचंद के इयाद में। तर्ज-कजरी] हरि-हरि सावन के महिनवा मन-भावन ए हरी ॥ एही रे सवनवां में बरिसे बदरिया रामा, हरि हरि पेन्हेले घरतिआ हरिअर साड़ी ए हरी। एही रे सवनवां में हरखे किसनवां

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30 November 2023
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[एगो कलाकार के मौत के बाद लिखाइल गीत ] काहे आजु धरती बिलाप करे हो, होला केकर तलास? काहे कुम्हिलाइ गइल फुलवा हो, काहे तितिली उदास ? मनवा ना लागे कवनो कामवा हो, काहे विलखे बतास? कवना पिंजरवा के चिरई हो

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30 November 2023
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जागि गइल देस के किसनवाँ, बिहनवाँ में देर नइखे भइया, रखिया के ढेर से उड़ल चिनगारी सागर के पेटवा में दहकल अंगारी धघकल गाँव के सिवनवाँ, बिहनवाँ में देर नइखे भइया, बूढ़-दूढ़ फेंड़वन में लाल-लाल दूसवा, सह

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30 November 2023
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[छठ के लोकगीत- 'काँचहिं बाँस के बहंगिया...' के तरज पर] कबले सुतल रहबऽ भइया, देखऽ भइल भिनुसार, मुरूगा के बोलिया सुनाइल, जागल गंउआ तोहार, चिरई चुरूंग खोंता छोड़ले, चलले खेतवा के ओर जिनिगी के सुरू बा लड

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30 November 2023
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छिड़ल बा लमहर लड़इया, समइया गंवाव जनि भइया एक ओर धरम-करम सविधनवां दोसरा तरफ बा सहीद के सपनवां बिया मंझघरवा में नइया, समइया गंवाव जनि भइया देखऽ तोहरा संगे लड़े सगरे किसनवां छात्र-नौजवान लड़े, लड़े विदव

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30 November 2023
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छिड़ल देसवा में क्रांति के बा तान भइया, चलऽ गढ़े मिलि-जुलि नया हिन्दुस्तान भइया । सैंतालिस के आजादी, रहे नकली आजादी, अबहीं रतिये बा, भइल ना बिहान भइया । कबो 'कांगरेस' के राज, कचो 'जनता' के साज, देखऽ

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30 November 2023
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अवना करवि हम गुलमिया तोहार - भले भेजऽ जेहलिया 'हो सगरे छिंटाइल बा हमरे कमीनी, हमहीं कमाई, हमहीं अव कीनी, उड़ल हवा में झोपड़िया हमार- हँसे तोहरो महलिया हो हमहीं निकालीला सोना आ चानी, हमरे पसेनवा प टि

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30 November 2023
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हम तो से पूछीला जुलुमी सिपहिया, बतादे हमके ना काहे गोलिया चलवले वतादे हमके ना। हमरो बलमुआ न चोर-बटमारवा जांगर ठेठाइ आपन पाले परिवरवा केकरा हुकुमवा से खूनवा बहवले, बता दे हमके ना, काहे खूनवा बहवले, बत

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1 December 2023
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सुनऽ हो मजूर, सुनऽ हो किसान सुनऽ मजलूम, सुनऽ नौजवान मोरचा बनाव बरियार कि सुरु भइल लमहर लड़इया हो एक ओर राजा-रानी, सेठ-साहूकरवा पुलिस-मलेटरी अउर जमींदरवा दोसरा तरफ भूमिहीन बनिहरवा खेतवा-खदनवां के करे ज

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1 December 2023
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तोहरा खातिर बसंत आ गइल, हमरा मन के दिया बुता गइल। तोहरा गालन प बा फूल खिलल ओठ लाल टेसू अस हो गइल कंगन नीयन खनकत तरूनाई मक्खन अस चीकन बा देह भइल हम पिसान खातिर छिछिआईला, जिनिगी के साध सब धुआं गइल। त

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1 December 2023
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लाली हम भोर के गीत हम अँजोर के। हम शहीद के बाजू खून हम जवान के हम किसान के सीना फेंड़ हम सिवान के पांखि हई सतरंगी जंगल के मोर के । कविरा के साखी हम प्रेमचंद के कहानी टूटे ना अंधड़ में हम हई उहे टहनी

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1 December 2023
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आइल बा क्रांति के लहरा हो, चलऽ दिल्ली के ओर दिल्ली में राजा, दिल्ली में रानी, बहुए कनूनिया के पहरा हो, चलऽ दिल्ली के ओर दिल्ली में मस्ती, दिल्ली में हस्ती संसद में बोले पपिहरा हो, चलऽ दिल्ली के ओर हम

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1 December 2023
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परल अकलवा, बेहाल भइल मनवां, झुराई गइल ना, सालभर के सपनवां, झुराई गइल ना। खेतवा में धनवां के बियवा गिरवनीं सरग के आसरा प थतियो गँववनी वरिसल ना अदरा, विलाइ गइल बदरा, बुताई गइल ना, खरीहान के दिअनवां, बु

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1 December 2023
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जारी भइल नयका एलनवां, जवनवां प लागी अव ताला। बढ़वा में पंवरऽ अकलवा में नाचऽ जोजना के गीत लिखऽ ओकरे के बांचऽ महंगी के कर मत वखनवां, जबनवां प लागी अब ताला। कह जनि कि नेता लोग चोर बटमरवा कह जनि कि बरदी

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1 December 2023
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चली नाहीं जुलुमी ससनवां, जबनवां के टूटी अब ताला। सहर बजार जागल, जागल बधरिया जागि गइल अमवा महुइया, रहरिया तरनाइल सभकर बदनवां, जबनवां के टूटी अब ताला। चिरंइन के ठोरवा भइल हथियरवा वैला-बछरुआ, तूरावेला स

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1 December 2023
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पनरह अगस्तवा के दिनवां तिरंगा लहराये लागल हो, ए भइया हम नाहीं जननीं अजदिया, गुलमिया में दिन कटे हो। खेतवा में करीला रोपनियां, सोहनियां, कटनियां नू हो, ए भइया, घरवा में तयो ना अनजवा, करजवा में डूबि ग

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1 December 2023
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सूतल सागर में हलफी उठाई जा अब, चलऽ क्रांती के झंडा उड़ाई जा अव। गीत गाई जा आजाद, के भगत के देस खातिर कसम मिलि के खाई जा अब। राजधानी में कतना तिरंगा उड़ल चलऽ ललका निसान फहराई जा अब। आइल पनरह अगस्त, आई

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1 December 2023
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देस लहकत वा आंवा के माफिक आगि तोहरे लगावल हऽ रानी, खून जतना इहाँ तू बहवलू ऊ कहत बा जुलुम के कहानी। चोर गुंडन के राजा बनवलू घूसखोरन के आंचर ओढ़वलू जे खटत घाम में रात दिन बा, ना मिले ओकरा पीये के प

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2 December 2023
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बदलीं जा देसवा के खाका, बलमु लेइ ललका पताका हो। खुरपी आ हंसुआ से कइनीं इआरी जिनगी भर सुनलीं मलिकवा के गारी कवले बने के मुँह ताका, बलमु लेइ ललका पताका हो। ना चाहीं हमरा के कोठा-अंटारी ना चाहीं मखमल आ

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भइया किसनवा हो, सूतल रहव कवले चद्दर तान? भइया किसनवा हो... गद्दी प बइठल बा देखऽ कसइया चाभत बा हँसि-हँसिके खोआ मलइया; तोहरा के दुलम पिसान भइया किसनवा हो... छंवड़ा के भोरे बधारी पेठवलऽ छंउड़ी से रात-द

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राजा बाबू राजा भइलें रानी जी के बाद खानदानी रजवा के कइलन आबाद मिले लागल माफिया गिरोहवन के खाद जनता प बढ़ल अत्याचार SSS बनावे चलऽ अब तू आपन राज। रोज-रोज बनत बा नयका कानूनवा हक के लड़इया के करे खातिर ख

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2 December 2023
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बहल बसंती बेअरिया हो, पिया बान्हऽ पगरिया। घामा में दिन-दिन भ देहिया जरवलऽ बरखा के पानी में सपना घुलवलऽ जाड़ा में सेवलऽ बघरिया हो, पिया बान्ह पगरिया । महुआ के फूल नियन मातल जवानी हो गइल अचके में तीसी

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केकरा से करीं अरजिया हो, सगरे बंटमार । राजा के देखनीं, सिपहिया के देखनीं नेता के देखनीं, उपहिया के देखनीं, पइसा प सभकर मरजिया हो, सगरे बंटमार। देखनीं कलट्टर के, जजो के देखनीं राजो के देखनीं आ लाजो के

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राजा बेटा आवड रानी बेटी आवड के-के खेली चोर-सिपाही, हमरा के बतलावऽ चोर बने खातिर उज्जर कुरूता पैजामा चाहीं खाकी वर्दी जे-जे पहिनी ऊहे बनी सिपाही केकरा पासे कइसन टोपी, ई पहिले बतलावऽ राजा बेटा आवड

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अक्कड़-बक्कड़ बम्बू बोल खूँटी गाड़ल तम्बू गोल । धरती-सूरज चंदा गोल, मुजरिम हाजिर, फंदा गोल । आसन-डासन-बासन गोल भासन चालू, रासन गोल । लाल-पियर के अंतर गोल, मंतर चमकल, जंतर गोल । संविधान आ सासन गोल

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॥ गजल ॥ दउरत-दउरत जिनिगी भार हो गइल भोरहीं में देखिलऽ अन्हार हो गइल केकरा के मीत कहीं, केकरा के दुश्मन बदरी में सभे अनचिन्हार हो गइल पुरवा के झोंका में गदराइल महुआ अचके में पछुआ बयार हो गइल दरिया

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2 December 2023
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॥ गजल ॥ जिनिगी व्यापार हो गइल मौसम के मार हो गइल चढ़नीं जवने जहाज पर ऊहे मंझधार हो गइल गीत गजल कबले लिखीं चुप्पी बरियार हो गइल केकर-केकर करीं हिसाब तरकुल अनार हो गइल खुरपी के बेंट भुलाइल हंसुआ तर

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2 December 2023
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अइसन अनेत हो गइल हरियाली रेत हो गइल। सोना के चिरईं अस देस नेता के पेट हो गइल। पुरुब के लाल रजाई पच्छिम के भेंट हो गइल। गाड़ी के कवन बा कसूर घरहीं में लेट हो गइल। जिनिगी भर खटले महँगू मालिक के खेत

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अझुराइल अवशेष कव ले लोटा-थरिये में, पिया, चलीं चलल जाव अब रहीं जा सहरिये में। करत-करत घर के काम, जरल देहिया के चाम, रोज जागे के परेला भिनुसरिये में। घर में नइखे अनाज, तवो भरे के वा व्याज, लूट मचल बा

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जाई जरूरे अन्हरिया हो, जनि होखऽ उदास । देस अउर दुनिया में मचल बा हलचल टूटि गइल बान्ह, भइल एके बा जल-थल तेज बहुत बडुए लहरिया हो, जनि होखऽ उदास । पच्छिम से चलल बवंडर बा भारी ढहि रहल गढ़, मठ मंदिर पुजार

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काहे भइल बाड़ऽ अतना उतान बबुआ 'भारत' बनी नाहीं कबो 'हिन्दुस्तान' बबुआ। हिन्दू-मुस्लिम के लड़वलऽ सगरे दंगा फैलवलऽ गद्दी खातिर कइलऽ सभके हलकान बबुआ । जेकरा चिहिटी मोहाल, ओकरा खातिर बिनलऽ जाल, राज लेबे

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हम कवीर के वानी, हमरा पानी कहां मिली ? टापू में बइठल वानीं, रजधानी कहां मिली? सांप अउर सीढ़ी के खेला, होखत बा इहवां देस भइल माटी, अब सोना-चानी कहां मिली? भइल अन्हरिया अउर सघन, जोन्हिन से का होई प्रे

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काहे होखत वाडू अतना अधीर धनिया, लड़िके बदलीं जा आपन तकदीर धनिया। सहर कसबा भा गाँव, सगरे जुलुमिन के पाँव केहू हरी नाहीं हमनीं के पीर धनिया। सगरे होता लूट-मार, नइखे कतहीं सरकार ठाढ़ होखऽ पोंछ अँखिया क

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हम त हई खेत मजूर, हमरा आपन हिस्सा चाहीं नेता भइलन दगाबाज उनुका तनिको नइखे लाज केकरा पर हम करीं गरूर, हमरा आपन हिस्सा चाहीं केहू बांटत बा तिरसूल केहू लाठी में मसगूल आखि में झोंकत बा सब धूर, हमरा आपन हि

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तोहरा गठरी में लागल बडुए चोर बबुआ हो जा अवहूं से, तूहूं अंखफोर बबुआ मुंह से बोलत बा श्रीराम करत रावन के बा काम कुर्सी खातिर देखऽ लगवले बहुए जोर बबुआ भेख बनवले बा केसरिया भीतर बडुए बहुते करिया गहुंमन ख

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देसवा में अगिया लगवलस हो, ई अमेरिकी दलाल कुर्सी केसरिया बनवलस हो, ई अमेरिकी दलाल हमनीं के मिले ना रोजी आ रोटी सगरे बिछवले बा शतरंजी गोटी, भोट खातिर दंगा करवलस हो, ई अमेरिकी दलाल गजरा के मोल कारखाना बि

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एगो किताब पढ़ल जाला

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