एगो मील के पत्थर वाला फैसला में सुप्रीम कोर्ट के पांच जज के संविधान पीठ केंद्र सरकार के 2019 में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 के तहत दिहल गईल विशेष दर्जा के निरस्त करे के फैसला के वैधता के कायम रखले बिया।सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला में एह बात प जोर देले बा कि अनुच्छेद 370 के तहत दिहल गईल 370 एगो "अस्थायी प्रावधान" हवे, जवन एह क्षेत्र के संवैधानिक स्थिति पर लंबा समय से चलत बहस के निपटारा करे ला।
पृष्ठभूमि:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष स्वायत्तता दिहल गईल। एह प्रावधान में राज्य के आपन संविधान आ आंतरिक मामिला पर स्वायत्तता होखे के अनुमति दिहल गइल, सिवाय रक्षा, संचार, आ विदेश मामिला के जवन भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में रहल। सालन से ई लेख गहन राजनीतिक आ कानूनी प्रवचन के बिसय बन गइल, एकरे प्रासंगिकता आ जरूरत पर बिचार बिभाजन भइल।
सुप्रीम कोर्ट के फैसला :
अनुच्छेद 370 के निरस्त के कायम राखे के सुप्रीम कोर्ट के फैसला से एह क्षेत्र आ समग्र रूप से राष्ट्र पर बहुते असर पड़त बा. पीठ सरकार के फैसला के ना सिर्फ पुष्टि कईलस बालुक अनुच्छेद 370 के "अस्थायी" प्रकृति प भी रेखांकित कईलस, सुप्रीम कोर्ट के इ स्वीकृति से ए बहस के निपटारा हो गईल बा कि का अनुच्छेद 370 के संविधान के स्थायी विशेषता बने के इरादा रहे।
एह फैसला से एह क्षेत्र के कानूनी दर्जा साफ हो गइल बा आ जम्मू-कश्मीर के शासन में नया दौर के राह खुल गइल बा. सुप्रीम कोर्ट के रुख एह सिद्धांत के मजबूत करेला कि संविधान एगो गतिशील दस्तावेज ह जवना में राष्ट्र के बदलत जरूरत आ परिस्थिति के जवाब में संशोधन कइल जा सकेला.
राजनीतिक आ सामाजिक निहितार्थ :
एह फैसला के जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य पर दूरगामी असर पड़त बा. अनुच्छेद 370 के रद्द करे के केंद्र के कदम के विरोध करे वाला राजनेता अवुरी कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट के फैसला प पूरा नजर राखत रहले। एह फैसला से कुछ लोग के निराशा भइल बा बाकिर एहसे एह क्षेत्र के संवैधानिक कथ्य में एगो खास बदलाव आइल बा.
सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव करावे के अदालत के निर्देश विकसित होखत राजनीतिक परिदृश्य में एगो अवुरी परत जोड़ता। चुनाव के आह्वान एह क्षेत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बहाल करे खातिर अदालत के प्रतिबद्धता के संकेत देत बा जवना से जम्मू कश्मीर के जनता अपना राजनीतिक भविष्य के आकार देबे में सक्रिय रूप से भाग ले सकेले.
भविष्य के दृष्टिकोण:
अनुच्छेद 370 प सुप्रीम कोर्ट के फैसला से जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एगो नाया अध्याय के मंच तैयार हो गईल बा। प्रावधान के "अस्थायी" प्रकृति के स्वीकार कईल सरकार के कार्रवाई के कानूनी आधार देवेला अवुरी अतीत से हटला के संकेत देवेला। आवे वाला चुनाव क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य के आकार देवे अवुरी ओकरा लोग के आकांक्षा तय करे में अहम भूमिका निभावी।
अंतिम बात:
अनुच्छेद 370 प सुप्रीम कोर्ट के फैसला से लंबा समय से चलत संवैधानिक बहस में अंतिमता के एहसास होखता। निरस्तीकरण के कायम राखत आ प्रावधान के अस्थायी प्रकृति पर जोर देत अदालत भारतीय संविधान के विकसित प्रकृति के स्वीकार करत कानूनी स्पष्टता दिहले बिया. जइसे-जइसे जम्मू-कश्मीर आगे बढ़त जाई, आवे वाला चुनाव एह क्षेत्र के राजनीतिक भाग्य के आकार देवे में एगो प्रमुख मील के पत्थर साबित होई, जवना से जनता के लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेवे के मौका मिली।