मकर संक्रांति, जेकरा के फसल के पर्व भी कहल जाला, पूरा भारत में सुरुज के मकर राशि में संक्रमण के चिन्हित करे खातिर मनावल जाला। आमतौर पर जनवरी के 14 भा 15 तारीख के पड़े वाला ई शुभ दिन लंबा दिन के सुरुआत आ जाड़ा के संक्रांति के अंत के संकेत देला। एह परब के याद में लोग कई तरह के पारंपरिक भोजन में लिप्त होला आ अइसने एगो रमणीय व्यंजन बा "दही चुरा"। दही आ चपटा चावल के ई स्वादिष्ट संयोजन सांस्कृतिक महत्व के धारण करेला आ कई घरन में एकर आनंद उत्साह से लिहल जाला।
मकर संक्रांति के महत्व :
मकर संक्रांति के भारत में बहुत सांस्कृतिक आ धार्मिक महत्व बा, ई अलग-अलग राज्यन में बिबिध रीति-रिवाज आ संस्कार के साथ मनावल जाला। ई सुरुज के उत्तरी गोलार्ध के ओर शिफ्ट होखे के निशान हवे जे जाड़ा के अंत आ गरम दिन सभ के सुरुआत के प्रतीक हवे। ई परब फसल से भी जुड़ल बा आ ग्रामीण इलाका में एकरा के जोश से मनावल जाला जहाँ खेतीबाड़ी समुदाय भरपूर फसल खातिर आभार व्यक्त करेला।
दही चुरा : एगो पारंपरिक इलाज:
मकर संक्रांति के दौरान बनावल जाए वाला व्यंजन के भरमार में दही चुरा एगो साधारण लेकिन स्वादिष्ट इलाज के रूप में उभर के सामने आवेला। बिहार, झारखंड, अवुरी उत्तर प्रदेश जईसन राज्य में इ पकवान खास तौर प लोकप्रिय बा। दही चुरा में अनिवार्य रूप से दू गो मुख्य सामग्री होला – दाही (दही) आ चुरा (चपटा चावल)। हालाँकि, एकर आकर्षण एह बिबिध तरीका सभ में बा कि लोग एकर स्वाद आ बनावट के बिबिध टॉपिंग आ संगत के साथ बढ़ावे के चुने ला।
दही चुरा खातिर सामग्री:
चपटा चावल (चूरा): 1 कप
दही (दही): 1 कप के बा
गुड़ भा चीनी: 2-3 चम्मच (वैकल्पिक)
कटल फल: केला, सेब, या मौसमी फल (वैकल्पिक)
अखरोट आ बीज : बादाम, काजू, किशमिश, आ तिल के बीज
इलायची पाउडर : एगो चुटकी
घी (स्पष्ट मक्खन): 1 चम्मच (वैकल्पिक)
तइयारी के तरीका :
चपटा चावल (चुरा) के बहत पानी के नीचे कुल्ला क के कुछ मिनट तक भिगोवे दीं जब तक कि उ नरम ना हो जाए।
एगो कटोरी में भिगोवल चपटा चावल के दही में मिला लीं।
मिठास खातिर गुड़ भा चीनी डाल दीं, स्वाद के हिसाब से।
मिश्रण में कटल फल, नट्स, आ बीज के शामिल करीं।
सुगंध बढ़ावे खातिर इलायची के पाउडर के एक चुटकी छिड़कीं।
वैकल्पिक रूप से, समृद्धि आ स्वाद खातिर एक चम्मच घी के बूंदाबांदी करीं।
सभ सामग्री के बढ़िया से मिला लीं, जवना से संतुलित अवुरी मलाईदार स्थिरता सुनिश्चित होखे।
ऊपर से अतिरिक्त फल आ नट्स के साथ सजाईं।
परोसल आ आनंद लिहल:
दही चुरा परंपरागत रूप से माटी के बर्तन भा पीतल के कटोरा में परोसल जाला जेवना से उत्सव के अनुभव में देहाती स्पर्श मिले ला। परिवार एकजुट होके एह रमणीय इलाज के साझा करेला, जवन एकता आ एकजुटता के भावना के प्रतीक ह। ठंडा दही, चपटा चावल के कुरकुरापन आ फल आ गुड़ के मिठास के संयोजन से स्वाद के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण बने ला, जेकरा चलते ई त्योहार के मौसम में स्वाद लेवे खातिर एकदम सही पकवान बनावे ला।
अंतिम बात:
मकर संक्रांति आनन्द, कृतज्ञता, आ प्रचुरता के उत्सव के समय ह। दही चुरा अपना सादगी आ बहुमुखी प्रतिभा से एह परब के सार के समेटले बा. जइसे-जइसे परिवार एह पारंपरिक इलाज के आनंद लेवे खातिर एकट्ठा होखेले, उ लोग ना सिर्फ एगो स्वादिष्ट व्यंजन के स्वाद लेवेले बालुक परंपरा अवुरी संस्कृति के बंधन के मजबूत करेले। त, ई मकर संक्रांति, दही चुरा के रमणीय स्वाद में लिप्त होके आपन उत्सव के ऊंचा बनाईं, जवन एह शुभ त्योहार के गर्मजोशी आ समृद्धि के समेटले पकवान ह।