सूर्य देव के पूजा में समर्पित प्राचीन हिन्दू पर्व छठ पूजा बिहार के लोग खातिर सांस्कृतिक आधारशिला के रूप में खड़ा बा। बेजोड़ भक्ति आ जोश से मनावल जाए वाला चार दिन के ई परब बिहारी लोग खातिर अपार महत्व राखेला, खाली धार्मिक अनुष्ठान के रूप में ना बलुक ओह लोग के सांस्कृतिक पहचान आ गहिराह जड़ जमा चुकल परंपरा के जश्न मनावे के रूप में भी।
ऐतिहासिक आ पौराणिक जड़:
छठ पूजा के जड़ प्राचीन वैदिक काल से लगावल जा सकेला। मानल जाला कि छठ पूजा के संस्कार पांडव के रानी द्रौपदी द्वारा अपना परिवार के भलाई आ समृद्धि खातिर आशीर्वाद माँगे के साधन के रूप में शुरू कइल गइल रहे। एह परब के उल्लेख महाभारत में मिलेला, जवन एकरा ऐतिहासिक टेपेस्ट्री में पौराणिक समृद्धि के परत जोड़ देला।
सूर्य पूजा आ प्रकृति के जीवंतता :
छठ पूजा के विशिष्ट विशेषता बा सूर्य देव सूर्य आ उनकर पत्नी उषा आ प्रत्युष के पूजन। भक्त लोग सूरज के जीवनदायी शक्ति के प्रति आभार व्यक्त करेला, अपना परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि, आ दीर्घायु खातिर प्रार्थना करेला। एह संस्कार में उपवास, पवित्र डुबकी, आ पारंपरिक प्रसाद के तइयारी होला, ई सभ कड़ा अनुशासन आ पवित्रता के साथ कइल जाला।
सांस्कृतिक पहचान आ सामाजिक सौहार्द:
बिहारी लोग खातिर छठ पूजा धार्मिक पालन से बेसी बा; ई राज्य के सामाजिक ताना-बाना में गहिराह जड़ जमा चुकल सांस्कृतिक पहचान ह. परिवार एकजुट होके संस्कार करेला, बंधन के मजबूत करेला आ एकता के भावना के पोषण करेला। ई परब जाति, पंथ, आ सामाजिक बाधा सभ के पार क के सामाजिक सौहार्द आ साझा बिरासत के भावना के बढ़ावा देला।
प्रकृति आ पर्यावरण चेतना से जुड़ाव:
नदी के किनारे अवुरी जल निकाय प मनावल जाए वाला छठ पूजा बिहार के लोग अवुरी प्रकृति के बीच के घनिष्ठ संबंध के रेखांकित करता। विस्तृत संस्कार में पानी में लंबा समय तक खड़ा रहे के काम होला, सूरज के उदय आ डूबे के साथ प्रार्थना कइल जाला। प्रकृति से ई जुड़ाव पर्यावरण के चेतना के बढ़ावा देला, प्राकृतिक संसाधन सभ के संरक्षण के महत्व पर जोर देला।
महिला सशक्तिकरण आ संस्कार नेतृत्व के काम : १.
छठ पूजा नारी के सक्रिय सहभागिता खातिर विशिष्ट बा, जे संस्कार नेता के भूमिका निभावेली। "व्रती" के नाम से जानल जाए वाली महिला भक्त व्रत के नेतृत्व करेली अवुरी बहुत समर्पण के संगे संस्कार करेली। ई परंपरा महिला लोग के सशक्त बनावेले, ओह लोग के आपन धार्मिक नेतृत्व देखावे खातिर एगो मंच पेश करेले आ लैंगिक समानता के सांस्कृतिक महत्व के मजबूत करेले।
आर्थिक बढ़ावा आ पर्यटन के:
स्थानीय अर्थव्यवस्था के बढ़ावा देवे अवुरी पर्यटन के बढ़ावा देवे में भी छठ पूजा के अहम भूमिका बा। एह महोत्सव में खाली बिहार के निवासी ना बलुक देश भर से आ ओकरा से बाहर के लोग आवेला. उत्सव के बाजार, पारंपरिक शिल्प, आ जीवंत सांस्कृतिक आयोजन एह इलाका के आर्थिक जीवंतता में योगदान देलें।
अंतिम बात:
ऐतिहासिक जड़, सांस्कृतिक महत्व, आ गहिराह आध्यात्मिक भक्ति वाला छठ पूजा एगो अइसन उत्सव ह जवन बिहार के सार के समेटले बा. धार्मिक अर्थ से परे ई महोत्सव एकता, पर्यावरण चेतना, आ लैंगिक सशक्तिकरण के बढ़ावा देला। जइसे-जइसे दुनिया भर के बिहारी लोग छठ पूजा मनावे खातिर एकजुट होके आवेला, उ लोग ना खाली अपना परंपरा के सम्मान करेला बलुक ओह बंधन के मजबूत करेला जवन ओह लोग के अपना समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से बान्हेला। बिहार के त्योहारन के टेपेस्ट्री में छठ पूजा एगो चमकदार धागा के रूप में चमकत बा, एह जीवंत धरती के अतीत, वर्तमान, आ भविष्य के जोड़त बा।