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बिदेसिया - 2

15 October 2023

4 देखल गइल 4

 आवेलाआसाढ़ मास, लागेला अधिकआस, बरखा में पियाघरे रहितन बटोहिया । 

पियाअइतन बुनियाँ में, राखि लिहतनदुनियाँ में अखड़ेला अधिकासावनवाँ बटोहिया । 

आई जब मास भादों,
सभे खेली दही- कादो,
कृस्न के जनम बीतीअसहीं बटोहिया । आसिन महीनवाँके, कड़ा घाम दिनवाँके, 

लूकवासमानवाँ बुझाला हो बटोहिया। कार्तिकके मासवा में, पियऊ काफसवा में हाड़ मेंसे रसवा चुअत बाबटोहिया । अगहन पूसमासे, दुख कहीं केकरासे ? बनवाँ सरिस बा भवनवाँबटोहिया । मास आईबाघवा, कॅपावे लागी माघवा तहाड़वा में जाड़वा समाईहो बटोहिया । पलंग वासूनव का कइलीं अयगुनवासे भारी ह महिनवाँफगुनवा बटोहिया । अबीर केघोरि-घोरि, सब लोग खेलीहोरी रंगवा में भगवा परलहो बटोहिया । कोइलि केमीठी बोली, लागेला करेजे गोली पिया बिनुभावे ना चइतवा बटोहिया। चढ़ी वइसाख जब,
लगन पहुँची तब जेठवा दबाईहमें हेठवा बटोहिया । मंगल करीकलोल, घरे-घरे बाजीढोल कहत भिखारी खोजऽपिया के बटोहिया ।
( प्यारी सुन्दरी आपन बिपति गावतेजात बाड़ी ) 

गति 

प्यारी०
: पिया मोर गइलन परदेस,
ए बटोही भइया ! रात नाहीं नींददिन तनी ना चएनवाँए बटोही भइया, सहतानी बहुते कलेस, ए बटोही भइया
! रोवत- रोवत हम भइलींपगलिनियाँ, ए बटोही भइया,
एको ना भेजवलन सनेस,
ए बटोही भइया ! नाह के जवानीहम के दिहलन बिधाता,
ए बटोही भइया, कुछ दिन मेंपाकि जइहन केस, एबटोही भइया ! कहत भिखारी तोहरागोड़ के लउडिया, एबटोही भइया, करs पिया केकसहूँ उदेस, ए बटोही भइया

गीत-२ (बिरहा) 

चढ़लजवानी जोर 

पियऊहो गइलन कठोर, 

हमेंछोड़ के लोभइलन परदेस
! छोड़ के लोभइलन परदेसबटोही भाई गवना कराकेदिहलन घरवा में बइठाईका कइली कसूर जेपरदेस गइलन पराई एकरकुछुओ हालत बालम नादेहलन सुनाई पियऊ का बियोगमें प्रान छूटि जाई हमरेसिरवे बीतत बा, नादोसरा का बुझाई लहकतबा करेज आ केअगिया के बोताई ? कहेभिखारी तनिक पिया केदरसन द कराई हमेंछोड़ के लोभइलन 

परदेस। 

गीत- ३ 

करउप्रनाम, काम अड़बड़ बा, 

सुनहुबटोही मोर भाई ! 

छल करिके पिया पुरब देसमें 

चलिगइलन 

बिसराई॥ 

प्रानपिया बिनु कुछ नासोहाता 

उर में दाह अधिकाता। 

बाटचलत में गोड़ भहराता, 

बसिगइलन 

कलकाता॥ 

अपनेचलत ना अब लगिकेहु के, 

कुछुओकइलीं बुराई । 

ना जाने केहि हेतुविधाता 

दिहलन 

धरमके भाई, होख सहाई,
का का - दुख सुनाई? 

डबल 

सजाई॥ 

नया 

अब 

स्वामीजीके चरन देखब तव 

जनमहोइ जाई ॥ 

पियापिया रटि-रटि प्रानतेजब हम, 

ना विपति 

विपतिसहाई । 

कहेभिखारी पिया प्रेम केफाँसी 

दिहलन 

गले 

लगाई॥ 

समाजी
: (पूर्वी) 

चलिभइलन राहे राही, बनिके अधिक दाही 

पुरुबका देसवा में पहुचे बटोहिया। 

- परलनगर सहरिया वो हाटवा बजरियामें करत बिदेसी केउदेस हो बटोहिया ।लोग से भरल मेला,
कतहूँ ना लउकेला माथपर हाथ धके झंखेलाबटोहिया । रामजी केदया भइले, एक ओरि चलिगइले, खुलि गइले पलकदइव के बटोहिया ।बइठि के सलोनी पास,
खेलत रहलन तास सनमुखनजरिया बटोहिया । चीन्हि करमने मन, होइ गइलनधने-धन, प्यारी केखबर कहे लगलन बटोहिया। 

बटोही
(विवेसी से) : सुनि लs विदेसीबात, कइलs तू बहुतघात अबहू से चेतs
दीन-दुनियाँ दीन-दुनियाँ बिदेसिया। तोर कुलवंती नारी,
रोअतारी पूका फारि काटिके तू डालि दिहलs
कुआ में बिदेसिया | ध्यानधके पति पर, फेंकरिफेंकरि कर मनि बिनुफनिक बेहाल वा बिदेसिया | खेलतारऽजूआसार, छोड़िकर घरनी लोटत बिआधरनी बिदेसिया । जल्दी सेघर चेतs, दुखित नारी के हेतअतने गरज के बाबिदेसिया | कहत भिखारी फुलवारीके उजारि देलs पूत होकेभइलऽ जमदूत तू बिदेसिया ।घर द्वार - अरज 

बटोही

बोहा 

सुनहुतात एक बात तुम,
जुआसार को त्याग कहनामान नाहीं त कुल मेंलागी दाग 

( चोबोला

कुलमें लागी दाग जोगयह मानहु बचन हमार आगिलगावहु एह नोकरी में,
बजर परहु जुआसार तोरीघनी भइली जस बनके कोइलिया करे पिउ पिउतोहि के पथर केछाती तोहार हउवे बिदेसी नात फाटत तुरत दरारके पुकार 

( गीत-लोरिकायन के लय ) 

बटोही
: अइल, कलकातावा त खतवा भेजइतःताबर हो तोर | रोपेयाभेजइतs मनीआर्डर से, गँइयाँ मेंहोइत हो सोर ।रोपेया खोइछवा में लेई कर,
गुनवाँ गइती हो तोर। दुअरा पर रहित तकेहू नाहीं देखित करिया गोर । सुनरीका लोरवा से चूनरी होखतबा सर हो बोर। कहत भिखारी चेतःअबहू से, करत बानींनिहोर । 

( गीत-लय कुवर बिजईके ) 

बटोही
: बबुआ राम नाम करs
सुमिरनवाँ हो ना ।बबुआ लागि गइल नीमनलगनवाँ हो ना ।बबुआ खोजि कर भइलींहरानवीं हो ना ।बबुआ सहजे भइल दरसनवहो ना । घरमें रोवत वहू भीतरेजनानावाँ हो ना ।तेज देले बाड़ी सभआभरनव हो ना ।नइखे गतर पर एकहूगहनव हो ना ।लूंगा पहिरत वाड़ी फाटल- पुरानव हो ना ।बबुआ कहियो कहियो करेली भोजनवाँ हो ना ।लवले बाड़ी तोहरा सूरतमें परानव हो ना । 

बाहरचाभत बाड़s पाकल पाता पानावाँहो ना। बबुआ बाँवनाहीं जाई कलपानवाँ होना । बबुआ जलदीसे चलि जा मकानवाँहो ना । सीखs
गानावाँ के करे केरचनवाँ हो ना। तनीकइले जइहs नीके पहचानवाँहो ना । बबुआमानिलः भिखारी के कहनवाँ होना । 

( बल्हाके लय ) 

7 बटोहीभजि ल रामचन्द्र केनाम, तुरत विदेसी चलजा घर के ।देरी करे के नइखेकाम, दिन-रात चाहेघरी पहर के ।देखत नइखs निमन जबून,
बहुत दिनन से रहलेफरके । लडकी तबहींहोई दिदार, लगिहन नैना से लोरढरके । मन मेंअचरज बाटे बुझात, लकड़ीसंघत करी लहर के। काहे ना जरिके होइबs छार, बीगs प्यालाभरल जहर के ।पद अनहद के करs
बिचार, पदवी पवलs ऊँचादर के । विद्यासे भइल भरपूर, काहेलगल नीचा खरके ।लगन महूरत पहुं चल ठीक,
दहिना अंग लागल अबफरके । पिउ प्यारीसे होई मिलाप, कहतभिखारी दीअर पर के। 

( लयपचरा ) 

बटोहीबात एक सुनिल बिदेसीभइया, घरवा से चलिअलहू । तोहार जनानाके दुखवा देखि के सुनिके पतिअलहू ! टीसन पर आइबिदेसी भइया रेल परचढ़ि गलहू । दिन-रात लागल बिदेसीकलकत्ता में में उतरलहू। खोजत- खोजत बिदेसी कतहूँपता तनिको ना पलहू ।प्यारी का कारनव पाँचगो रोपेआ अबले ना कमलहू। 

झूठका फेर में मतपरिह, असले कहल कहलहू। कहत भिखारी आजुहम भेजब कसहूँ बबुआबलहू 

( लयपचरा ) 

बटोहीदुलहा बनि के गइलs
बिआह करे बान्हि केमाथवा पर मउरिया | हथवाधइके लेइ अइल बनाइलेल बहुरिया । करा केछोड़ि के परइलs अइलs
बबुआ देस दूरिया ।खाये के ना घरमें हवहिस जब मटर मसूरिया। हमरा से कहलीजे जाके कहिहs, कवनकइली हम कसूरिया ।दुखवा सुनि के बरतनखहू देह में तनिकोसुरबुरिया । दुअरा पररहितs विदेसी, प्यारी बनइती खइत पूरी-जउरिया,
घर के टहल करितs
चाहे करितs केहू के मजूरिया। मिलिजुलि के रहितs बिदेसीकइले रहिती मनवों में सबुरिया ।खुसी से पहिरती प्यारीसारी चोली गहना गुरियाचुरिया । पचरा केलइया विदेसी हउए पद हउएभोजपुरिया । कहत भिखारीनाई हम हई कानकुबजकुरिया । 

ए बबुआ, हम तोहरा घरसे आवत बानीं ।ए बबुआ तोहार बेकतके दुख ना देखलगइल हा त दुगोमजदूरा लगा के रोअवलेआवतानीए बबुआ ! 

( पूर्वी

बिदेसी
: वान्हि के पगरिया रगरियामचावतार कवना नगरिया केहवs तू बटोहिया ।हमरी जनानाव मकानावाँ भीतरवा में 

साधिकर रहेली भवनवाँ बटोहिया । 

चीन्हिले ल कइसे, बताकरहमें जइसे तू 

जनियाँमकनियाँ भीतर के बटोहिया। 

बटोही
: कायापुर घर उए, पानीसे बनावल गउए 

अचरजअकथ ह नाम होबिदेसिया । 

चललीबहरवा से कानव परलमोरा 

सतीका विपति के मोटरिया बिदेसिया। 

हउईबटोहिया, लागल जब मोहियात 

जोहियालगाइ कर अइली बिदेसिया। 

तोहराजनानावाँ के आसरा लागलबाटे 

कब आइ के देब'
दरसनवाँ बिदेसिया । 

मोरवामचावे जइसे सोरवा गरजसुनि 

प्यारीछपटाली राही देखि केबिदेसिया । 

छोड़िकरघरवा के बहरी ओसरवामें 

जल बिनु मछरी केहलिया बिदेसिया । 

बीसवाबरिसवा के, अबहीं नाकेस पाके 

साँवरबरन प्यारी धनियाँ बिदेसिया | 

माथवाके बारवा भँवरवा समान बाटे 

मुँहवाँदीपकवा बरत बा बिदेसिया। 

फूलवासरिस जगदीस जी बनाइ कर 

पतिके बियोग देइ दिहलन बिदेसिया। सुनिकर कानव में, गुनिकरमनवाँ में कहत भिखारीघरे चलि जा बिदेसिया। 

पूर्वीसमाजी, अतना सुनत बात,
मुरुछा बिदेसी खात गिरि गइलेधरती धड़ाम से बिदेसिया | 

जोंसनइखे तनवाँ में, होस नइखेमनव में प्यारी-दुखसुनि के बेहोस बाबिदेसिया । पतरी तिरियवा,
लपकि ध के पियवाके अँचरा से करेली बेयारहो बिदेसिया । ताकतारन आँखखोलि, मुँह से नाआवे बोली धिरिजा धराके पूछे रंडिया बिदेसिया

बटोही
: एके हाली हइसे हड़बड़ाके गिर गइल ? ल,
सब कपड़ा लेटा गइल, काथीसे झारी, ना ईंटा बा,
ना पथल बा ।कहना, बबुआ के ताखी'
लोघड़ा के हेइजा भागलबा । बड़ ताखीबनवले बाड़s बबुआ ! जूना कुजूना पावभर सतुआ घोर केखा सकेलs | 

बिदेसीए बाबा, रावा तनी बइठीं। 

(बटोहीबइठतारे आ विदेसी घरका भीतर जातारे) 

चोपाई 

रंडी
: मन में तन कछुपीर कि घर कादाहे ? 

कष्टभइल कह काहे ? 

बोहा 

बिदेसीतन के पीर कछुकनहीं, लागी घर केआह । प्यारी केदुख समुझ के, होतकलेजा दाह । 

रंडी
: प्यारी कवन ? 

बिदेसीघरवाली । 

रंडीहम हईं बनवाली ? 

बिबेसी
: हाँ-हाँ तुम भीहो 

रंडी:
हम हैं कि वह

बिदेसी
: दोनों । 

१. टोपी। 

रंडी
: क्या आप यहाँ रहनाचाहते हैं कि घरजाना ? बिदेसी । घर जानाचाहते हैं । 

रंडीए रवों, जब रावा घरहींजाये के रहे तहमार हाथ-बाँह काहेके घइलीं ? 

बिदेसीतहरा के कवनो हमछोड़ देतानी ? (बटोही से) ए बाबा

बटोही
: का बबुआ, आ गइल ? कवनोप्रकार से अपना घरेदुआरे जइवे करs | 

विदेसीए बाबा, हम त अपनाघरे जइबे करव, रउआबहुत देरी भइल ।रउवा कुछ अन-जलकरों । 

बटोही
: हमार त अन-जलकइल ओही दिन बिसरगइल, जवना दिन 

ओकरदुख देखली । तीन दिनत हमरा झाड़ा फिरलाभइल । 

बिदेसीका कहीं ए बाबा

बटोहीका बबुआ, मिजाज ठीक बा नू

विदेसीजीव त ठीक बारउआ से कहे मेंकुछ लाज लागता । 

बटोही
: कवन अइसन बात बाकि तोहरा कहे में लाजलागता ? 

बिदेसी
: ए बाबा, हम एही सेनइखीं कहत कि रावाकहीं कह देनी देनी
- 1 

बटोहीका बबुआ, हमरा के एकेहाली पुरान लुभुकी समझ गइल ? पावभर अन पचावतनी, एकलोटा जल पचावतानी, एगोबात हमरा से नापची हो ? का जाने,
मने ह कहला बिनुना रहाई त उहोएकांत में कहब बबुआ। उहो एकांत जगहाटिपा लेले बानीं ।एतवार के दिन हबड़ापुल पर बइठ केकहब जे ना केहूरही, ना केहू सूनी। 

विदेसीए बाबा, घरे से परदेसअइलीं त आउर एगोसादी एहिजा क लेलीं । 

बटोहीए बबुआ, ईहे नीमन कामकइलs | लायेक बेटा के इहेकाम ह 

कि जहाँ जाये तहाँकुछ हाथे लगा लेवे। कवनो प्रकार सेतु 

अपनाघरे दुआरे चल जा । 

रंडीए रवों, ई के ह

बिबेसी
: ना तू घर मेंरहबू ? 

बटोहीए बबुआ, ई के ह
? बिदेसी ए बाबा, उहेजनाना ह जवना सेहम सादी कइले बानीं। 

बटोही
: खुद कहे हइले हुई
? हट बउराह, तनी हमरो केदेखे द । 

रंडी
: एरवों चलीं घरे, लड़िकारोअत होइहें स । 

बिबेसीना ओनहीं रहबू ? 

बटोहीका बबुआ, इनका देह सेलड़िका-फड़िका बाडन स ? 

बिदेसीहॅ ए बाबा ।बटोही । क गोबबुआ ? 

बिदेसीदू गो ए बाबा। 

बटोहीखास इनका देह सेदूगो ? 

बिदेसीहैं ए बाबा । 

बटोहीतहरा देह से अभीएको ना ह 

बिदेसी
: आ एके बातवा नूभइल बाबा ! 

बटोहीहम उनुका के बड़ा फरहरदेखतानीं ए बबुआ ।खास टटुआनी के कान कटलेबिआ आ फरहरे लेना ए बबुआ, बड़ारहनदार देखतानी । 

बिदेसीहैं ए बाबा, रहन-सुभाव देख के हममोहा गइली हां । 

बटोहीहॅ ए बबुआ, देसपरदेस सगरो घुमलीं बाकीअइसन मेहरारू से भेंट नाभइल रहे। बाकी आजसुजनी ह आ संजोगहै तब भेंट भइल। ना त हइसेभला कवन मेहरारू होईजे मरद के कपारपर चढ़ल चले हो
? : 

बिदेसीए बाबा, तनी बइठीं । 

( रंडीके गाना) 

रंडीनाहीं कहब जाये के,
हम रहब केकरा पास?
राजा ! : जहाँ-जहाँ जइबs
तहाँ जवरे लिभवले चलs 

बटोहीतू का जइबू सहबाला

रंडी
: माई-बाप छूटल, आखिरभइल उपहास, राजा ! नाहीं. 

बटोहीउपहास के करी हो
? उपहास करी से अपनाघरे रहे। (विदेसी से) बबुआ, जवनासती के तूं हाथ-बाँहि बइलऽ ओह सतीके तू छोड़ देलs,
एह में अभुराइल बाड़।ई जादू जानेले | कवनोप्रकार से घरे चलजा । 

(रंडीखड़ा होतिआ) 

बटोही
: बबुआ, मुँह पर केबड़ाई कइल नीमन है।इनकर सारी कइसन बा,
बेलाउज कइसन बा, सिंगारपटारकइसन बा । 

रंडी
: जिअते हमें ना पइबर,
पाछे खानी मोह खइबप्रान तेजब अबहीं लाकेगरदन में फांस, राजा
! नाहीं... 

बटोही
1 फाँसी काहें लगइबू हो ? तू होसियारहो के गंवार भइलबाड़ू ? (विदेसी से) बबुआ, बिआहमें एगो कलसा घराला। कलसा का नीचेबालू बिछावल जाला से मालूमहोला कि जलवामयी हवन। तवना पर जबबिछावल जाला । ऊकच्छप नारायन हवन । तवनापर से कलसा घइलजाला। मालूम होला कि समुद्रहवन । छीर समुद्रमें बिस्नू भगवान रहेले। एह से ओहमें कसली डाल दिआइल। बिस्नू भगवान के साथ लछिमीरहेली एहसे ओह मेंपइसा डाल दिआइल ।बिस्नू भगवान के नाभी सेकमल । आम केपलो कलसा में, नीचेडंटी क दिआला ।तवना पर से चारमुंह वाला दिया घराइजाला । ऊ ब्रह्माहवन । अतना गवाहके सामने जवना सती केहाथ-बाँहि तू घइलs ओहसती के छोड़ देल,
एकरा में आके अझुरागइलs | एकरे जामल तोहरामुँह में आग दी
? कवनो प्रकार से तू घरेचल जा । 

रंडी
: तिरिया के बध होई,
पातक से धर्म खोई, 

सुनिललिखल बा, एकर मानबिसवास, राजा ! नाहीं 

बटोहीजाये द, बीस दिनमें लवट के चलअइहें । 

बिदेसी:
तू रोअते-रोते आपन प्रानदेवू ? 

बटोहो
: आ हा हा ! तूओकरा गोड़वा पर गिर परकहा हो, तोहरे अइसनआदमी देस परदेस मेंअसथिर नइखे रहे देत। ( रंडी से ) गजबेबाड़ू भाई ? तनी भर जायेदेला त । 

: रंडीकहत भिखारी चुगला (साबसी) जनावत बाटे कहाँ केदो पगला बटोही बदमास,
राजा । ( रंडी बटोहीके माथ पर हाथचला देतारी) 

बटोही
: (विदेसी से) ए बबुआ,
तनी हमरो के मारलेवे द । विदेशीना ए बाबा ! 

बटोही
: मेहरारू हो के मरदपर हाथ चलवले बिआ। एकरा मारहों केरहल हा त ईंटाचला के मारित, पथलचला के मार दीत,
चाहे गड़ासी से काटि केभाला से भोंकि दीत। ई हमरा केमाथ पर मरले बिआ। तू नइखs जानतजे हाथ से माथपर मारला से आदमी परलेपेसाब करेला ऊ ढेर मरलेबिआ, हम थोर हूँमारब जरूर । नादादा, गुंडा से हमार नामकटि जाई । पगरीहमार हलुक हो जाईभाई ! 

बिदेशी
: आहा, जाये ना दीं। 

रंडी

(गीत) 

पियापिरितिया लगाइ के, दूरदेस मति जाहु ।कहे भिखारी भीख माँगि के,
हम लाइब तुम खाहु॥ प्रातकाल में दरसन करिके, भिक्षा माँगकर लाऊँगी । अपने हाथसे सुन्दर भोजन, नितहीं तुझे कराऊँगी | आहा,
हे प्रान प्यारे, नैना के तारे,
कहाँ जा मत बिसारेकेवल आसरा है तिहारे। 

: बसीकही बात तुम साँचकामिनी ! हम से कहतबने ना । परएक कारन अहे ताहिमें कहे बिनु जातरहे ना । बानसमान चोट मोहि लागतघरनी प्रान तजे ना । 

कहेभिखारी यह दुख भारीहम से जात सहैना । 

रंडी

पूर्वी 

सुनिकर बतिया काँपत बाटे छतिया, तूदोसरा का मतिया मेंपरल बलमुआँ | 

बटोहीफेन हमार नाम धराएलागल । 

रंडीघरे चलि जइबs लवटिके ना अइवs तूआस तूरि के सबनास कइलs बलमुआँ | जइबS
भवनवाँ परानवां तेयागि देहब पाका जानजनिह कहनवाँ बलमुआँ | असल के हईबेटी, इरिखे फँसल बा नेटीकर तूरि घर जनिजइह‍ बलमुआँ | अइसन रहिया उपहियाके बात सुनि मनवाँउदास मति करिह बलमुआँ
| कहत भिखारी नाई, तेजि देलींबाप-माई कवन उपाइहम करीं हो बलमुआँ

बटोही
: (बिदेसी से ) । 

रंडीमें ना कुछ बाटे,
कुत्ता जइसे हाड़ चाटे,
एको नाहीं घाट तूह लगबs
बिदेसिया । छोड़ि दअधरम, मिजाज के के नरमतू मनव में करिलेहु सरम बिदेसिया ।धरम का नाव परचढ़ि के मउज करs
हरs बिरहिनियाँ के दुख होबिदेसिया । 

बा आवतानी घर देखि, चलिजाई सान सेखी डूबिमर घूठी भर पानीमें बिदेसिया । तोहरी तिरियवाकिरियवा के खाइ करकहतारी पति बिनु गतिना बिदेसिया । बिनु देखेचैन ना दिन चाहेरैन ना मैन बेचैनकरत बिदेसिया | बोलिया कोइलिया के गोलिया लागतबाटे, होलिया समान फूकि दिहलबटोहिया । आगि लागेधन में, पिलेग होखेतन में ओ मतिकेहू परे रंडी फनमें बिदेसिया । जाके प्यारीधनियाँ के, हर लड़हरनियाँ के छोड़ि दs
कुचलिया रहनियाँ बिदेसिया । कहत भिखारीसरदारी अतने में बाटेपनियाँ बहाने बोधऽ जनियाँ बिदेसिया। 

रंडी

तोहेजाने ना देह पियारा
? जो तुम चाहो कतहुँको जाना, हति देहु प्रानहमारा । तोहे " अबहींउमर के मैं कांचाबहुत हूँ, मन मेंतू करिलs बिचारा । तोहे " गाना 

निसदिन प्रेम के प्यासी रहतिहूँ, 

ललचतआँख बिचारा । तोहे " 

रसिकपिया मोहे त्यागि नजाओ, 

इतनाकरो उपकारा । तोहे " 

कहतभिखारी अनते कहूँ मतिजा, 

प्रीतमप्रान अधारा ! तोहे " 

बिबेसी

गाना 

मानमानs तू प्यारी हमारकहना । मुलुक मेंजाइब, जलदि फिर आइब, 

हमरात घर बा इहेअंगना | मान* जाइब तभर पेट दाना नाखाइब इहव लागल बाबहुत लहना । मानराति के कवनो भाँतिसे ना सूतब तोहरेमें अधिक लागल चहना। मान चाहे भिखारीखराब होइ जाइब तोहरेत प्रेम के पेन्हब गहना। मान 

रंडी

गाना 

हमराके पिया बिसरइहs मतिहो । बहुत दिननसे आसा लागल पिया,
आसा निरासा करइह मति हो। हमरा अँखिया केमोर तरसइहs मति हो ।हमरा " 

मन में धीरज धरछाड़ फिकिर पिया, झूठहू के जिया हहरइहमति हो । हमरा 

एहीअरजी पर मरजी करहुपिया, 

जियराके मोर तड़पइहs मतिहो । हमरा " 

तोहरेसुरतिया में नैना लागलपिया, 

कहतभिखारी सुन सँइया रसिया,
उढ़री के नाँव धरवइहमति हो । हमरा 

बटोही
: मान बतिया बिदेसी, तू चल जाघर के । प्यारीके दुख मो सेकहलो ना जात बाटे 

कवनोबिधि राखतीया जीव जर मरके मान नयना मेंनींद परत एक छननाहीं, रात से बिहानकरेली कहर के ।मान कहि कहि केरोवत बिया एको केना भइलीं, पास के नासास के ना ससुरानइहर के । मानकहत भिखारी अरज मोर अतनेबा, अबहू से चेतs
दीन दुनियां से डरके ।मान 

रंडी
: माता, पिता, भाई, भउजाई तोहरेकारन राजा ! गेह-नेह सबसखी जाति-कुल, तेजलींसकल समाजा ॥ नीति बिचारिके देख धीरज धरिप्र ेम में होतअकाजा । कहे भिखारीराखः प्रानपति, बाँह गहे करलाजा ॥ बटोही तनीबोल बिदेसी, तू जइब किना ? 

बहुतदिनन से कुमति कमइलs
सुमति के सुपथ चलइबs
कि ना ? तनी परतिय संग रति कुंभनरक मान 

धरमका कुंड में नहइबS
कि ना ? तनी पापिनगिधिनियों के सोझा सेदूर कर 

गाढ़में नइया बचइबS किना ? तनी कहत भिखारीतू' कहला के लाजराख पुरुखन के नइयाँ बढ़इबs
कि ना ? तनी... 

( रंडीसे ) बाड़ी वालीवतिया तूमानल हो मत करबे-बिचार | थोड़े कहे से तूपूरा समुझिह‍ 

नीमनबना ल रहनियाँ होतू त खुदे होसियार। 

हमराकहे से बिदेसी केजाये द मिलि जइहनछैला चिकनियाँ हो तोहार बनलबा बजार । 

दयाकरके कुछ पुण्य कमाल 

बड़ीतोहार हउए सवतिनियाँ हो,
ओकर कर उपकार कहतभिखारी मरत बिया बिरहासे सुन्दर बाड़ी प्यारी धनियाँ हो जिनकर हउअनभतार । 

रंडी
: हट जा फजीहत करादेहबि तोहि के। (बटोहीके घसोरत) कुहरी - कुहर पेठवनियाँ पेठवलसबुरबक बटोही के । 

बटोहीढेर पर हेजल जीवके काल हो गइल। देखs बिदेसी, रेसमीचादर फाटल कि हाथेगोड़े सीकर भर देव। 

रंडी

रंडी
: हमरा से ज्यादा चटाकाना होइब, सिखाबड़ मत मोहि के। सइयाँ के सेवा सेसुन्दर बना दिहली तेलघीव से बोहिके ।
(बिदेसी के बटोही हटादेतारे बिदेसी मंच पर सेजातारे) चोटही बेसरमी का लाज नइखेलागत, पढ़ाव जा के ओहिके। कहत भिखारी तूजाइ के कहिह भतारकरिहें जोहि के । 

समाजी
: बड़ धोबिया पेंच मरलींहा बाबा
! बटोही : तोहरा भूभुन फूटे से डेरइनींहा बबुआ ! 

( गीत

कहाँगये मोर खेलवना छोड़िके ? 

पियवापिरितिया काहें बिसार दिया नान्हें सेजोर के ? 

बटोही
: का बबुआ, बिदेसी चल गइलन ? साफा

समाजीहै, चल गइले । 

बटोही
: इहे कइल चाहत रहे
? तनी हंसी मजाक कइलीहाँ । जाये केबेरा बोल बतिमा लेला। ओह पर खखनलबाड़ी। ( रंडी से ) तोहारभलाई छोड़ के बुराईना कइलीं हीं । अइसनलंगा-लूचा से देहबचा के राखे केचाहीं । अच्छा, गइलनत हम बानी नू
? (समाजी से) ए बाजावाला

समाजका बाबा ? 

1 बटोहीहमरा अइसन बूढ़ केनोकरी कलकाता में ना मिलीका खाटा- खट हप्ता मिलतेचूड़ीदार कुरता सिआई, सेनगुप्ता धोती लिआई ।गोड़ के मोजो भउजीके अइसनके ठाट रही ।साया किनाई पीअर दगदग ।कुरती लिआई करिया कुचकुच । साड़ी किनाईलाल भभूका किरपिन रहलन, हम पूछ केखिआइब, डबल कि सिंगल

(बटोहीबइठ जातारे) 

रंडी
: चलती बार पिया हमसेना बोला, चला मुख मोरके । 

बटोही
: ए बाजा वाला ! 

समाजी
: का रे बुढ़वा ? कारे बुढ़वा ? 

बटोही
: इहे बोली ह? मुँहसे 'जी' नइखे आवत

समाजी
'जी' के रउआ कामेकरत बानी । 

बटोहीकवन जबुन काम देखतबाड़s ? 

समाजी
: देखतानी मेहरारू खींच-खींच केभारत बिना । 

बटोहीए बुरबक ! पढ़ले नइख, देवता परकुत्ता पेसाब क देला ।लोग लीप-पोत केअकुरी-पूरी चढ़ा केबाँट के खा जाला। तोहरा अइसन गँवार केके कहल करी ? 

समाजीखूब कुटा । 

बठोहीहमरा बीच में बोलोमत । 

रंडी
: हम उनुका बिनु जीअब नाहींपिअब बिस घोर के। (बटोही के घसकल) 

समाजीबाबा भगलन हो । 

बटोही
(फिरि के) वबुआ हमराके डेराभूत मत समझऽ ।एह मोटरिया में तरुआर पिजाके धइल बा ।हई देखतार नू लाठी ? सादे- 

सादीनइखे, गुप्ती बा । उहोमहुरावल बा । एहसे कालो से डरना लागे । (एहीबीचे बटोही चल जातारन ।रंडी को बिलाप 

चलता। बिदेसी मंच पर आवतारन।) 

रंडी
: नाहक नेह सँइया हमसेलगाया, खराब किया तोरके । कहत भिखारीसवतिन किहाँ भगलन करेजा खखोरके । 

विबेसी
: काहे रोअत बाड़ 5 ? 

(विदेसीरंडी के समुझावतारे) 

तू खायेक बनावs तले हम आवतबानीं । (कहि कोजातारन) 

समाजी
: (रंडी से) ऊ गइलन। बुढ़वा का दो सिखादेलस हा । 

रंडी
: ठीके कहतानीं, बुढ़वा आइल तब सेमन उचटल लागत रहेअच्छा, हमहूँ चल जात बानीं। ( रंडी अपना लइकनको साथै सामान कोपेटी लेको निकलतारी) 

बाड़ीवाला
: का हो, चल देलू

रंडीहूँ चल देलीं ।बाड़ीवाला हमार घर भाड़ाके दो ? 

रंडी
: हमरा रउआ कवनो बातबा ? 

( बाड़ीवालाजाये के मना करताबाकी रंडी अपना सरसामान का साथै बिदेसीको घर खातिर चलदेत बाड़ी राह में उनुकरसब सामान डाकू ले लेतबाड़न स । दोसराओर से बिदेसी मंचपर आ जातारे आसमाजी से अपना घरवाली को पूछतारे।) 

बिसीबगल से हमरा घरवालीके बोला दीं। 

समाजी
: गइली, एहिजा नइखी । 

बिवेसी
: कहाँ तक गइल होइहें

समाजा! 

तक । 

बिसीभेंट हो जाई ? 

(बाड़ीवालाआसाहूकार आ को घरभाड़ा आ कर्जा केतगादा करत बाड़े। घाड़ाआ कर्जा ना चुकवला खातिररक-झक, तोर मोरहोता । बाड़ीवाला आसाहुकार बिदेसी के कपड़ा उतरवालेत बाड़े। बिदेसी एक गमछी पेन्हको घर जातारे ।) 

बिसी
(रो-रो को गावतारे) 

का बहाना करब घर जाके ? 

पातुरके धन चातुर देकेआप रोवत पछताके ।बहुत कथा इतिहास सिखावलना कइलीं बुढ़वा के । हालतकाइ भइल पिया तोरीपुछिन जब जोरू धाके,
कवन जबाब देहब प्यारीसे, मन में रहबसरमा के । कहतभिखारी भिखार होइ गइली दौलतबहुत कमा के ।
(गावत गावत मंच सेबाहर गइला पर दोसराओर से रंडी अपनालड़का का साथै फाटल-चीटल रूप मेंगावत आ रहल बाड़ी। 

रंडी- 

गाना
- १ 

रास्ताकवन बिदेसी का घर के

दुखके हालत बड़ सवतिनसे रोअब कहब गोड़पर के । प्यारीविदेस, देस पिया भगलन,
अब हमार लीही खबरके ? करब टहल महलके निसि दिन देखबनजर भर-भर के। कइसे प्रान रहीप्रीतम बिनु छोड़ि दिहलनबाँह घर के ।लुगरी पहिरब, सतुआ खाइब निजेमजूरी कर के ।कहत भिखारी सारी धन लुटलसडाकू नतीजा कर के । 

गाना
- २ 

अब मन करबs तूकवन जतन ? सब दिन केबरबाद भइल धन, चलगइलन घर छोड़ि केसजन । 

ना कइला आज तलककुछ कइसे पोसइहन सबलरिकन । ना, भूसनबसन रहल कुछुओ नाहींरहल एकऊ बरतन ।राम नाम कहऽ कहतभिखारी नाहीं त भइल चउथआ के पन ।गाना - ३ 

ए किया हो रामs,
पियऊ के मतिया केइहरल हो राम । 

ए किया हो राम,
कहिया के पापवा आके फरल हो राम। 

ए किया हो राम,
मुदई के मनसा खूबतरे फरल हो राम। 

ए किया हो रामs,
एह से बा नीमनहमार मरल हो राम। ए किया होराम, आजुए से उढ़रीनइयाँ परल हो राम। 

ए किया हो रामs,
कहत भिखारी उपजल झरल होराम । 

(बेटाके रो-रो केगाना) 

बेटा- 

गाना-
१ 

अब ना जीअब हमारमहतारी । दाल-भात,
घीव, पापड़, रोटी, सपना भइल तरकारी। जमपुर हेतु काल सिरऊपर भइलन बटोही सवारी। पहिरे के तन परबस्तर नइखे खाये केलोटा ना थारी ।जागs दाता केहू भोजनकरा दs, हम बानीमूरत चारी । कहतभिखारी हमार देखि दुखकब ढरिहन गिरिवरधारी । गाना - २ 

अब हमनी के कटाइलगला । ना फुफहरना ममहर गोतिया नाबहनोई ना ससुर साला 

समयपाइ हित मुदई भइलन 

घर से निकाल देलनबाड़ी वाला । 

बड़अनरीत गीत लागत बाबेटा से बाबूजी कइलनकला । दास भिखारीकहत मन चेतs 

रामराम कह लेके माला। 

( रंडीअपना लइकन का साथेमंच पर से हटतारी। ) 

( मंचपर प्यारी सुन्दरी के आगमन ) 

प्यारीसुन्दरी 

गाना
- १ (विलाप ) 

हमराके सासत करि के 

परदेसेगइलन बेइमान । 

साँवलीसूरत हमरा दिल सेना बिसरत लागल सुरतिया केबान । हमरा के 

पानखात मुसुकात रहत 

नित 

हरिके ले गइलन परान। हमरा के दुनियाँमें 

दुखितकेहू नइखे लउकत 

एह घरी हमरा समानहमरा के कहत भिखारीनाहक बाँह धइलन, 

तनिकोना कइलन गेयान ।हमरा के गाना - २
(सोरठी) 

कवनेअयगुनव पियवा हमें बिसरवलन, 

पियाहमें बिसरवलन हो, 

कियापिया के मतिया बउराइलहो राम । जइसेसपनवाँ अपना पियाजी केदेखली अपना पियाजी केदेखली हो, 

जिउआमें सनाक देना समाइलहो राम । 

जब हम जनतीं तबपिया का पाछा लगतीं, 

हम पिया का पाछालगती हो, 

जरियेके हउए हमार भुलाइलहो राम । कहतभिखारी पियवा फाँसी देके भगलन, पियवाफाँसी देके भगलन हो, 

अधजलमें मनवा बा गाइलहो राम । 

( दोहा

तन,
धन, धाम, धरनि, पुर,
राजू, झूठे सकल जवाल। चरन पादुका पियाके लेके, सती होखब तत्काल॥ समाजी : 

( चौपाई

इहाँके बात इहाँ रहिगयऊ। बिचहीं में कुछ लीलाभयऊ । दोस्त बिदेसीके घर आये ।प्यारी से कुछ हालसुनाए । 

( मंचपर बिदेसी के दोस्त देवरके रूप में आवतारे
) भउजी काहे रोवत बाड़
? चुप रहा । भइयापरदेस गइलन त हमबानी तू ? हमरा सेरुपइया, गहना, कपड़ा जे कुछ खोजs
से हम देव ।देवर : 

देवर

( सर्वया

भउजीअफसोस तेजो मन से,
कुछ हुकुम देहु सबे करडारी । काहू बिधिमत कष्ट सह जबले दुनियां में हमार बजारी। झूठ एको रत्तीमैं न कहूँ, जसतोर हृदय तस मोरबिचारी । कहे मानहुबात हमारी भिखारी सुलच्छनि साजहु भूसन - सारी । प्यारी०

(atgr) 

प्यारीके मन लागल बाटे,
जहवाँ बाड़न राम । माड़ोमें सतबन्ध भइल बा, कहतभिखारी हजाम ॥ 

देवर 

( कवित्त

प्यारो

देवर 

भउजीतू जइसन अलवेली कटीलीबाड़ तइसन हम तनके मस्तामा तइयारी हई । 

जइसेतू चाह करबू तन-मन से हमराके 

तइसेहम धन-जन सेसबसे तुम्हारी हुई । जइसेतू छल-कपट, अयगुनके त्याग देलू 

तइसेहम लोभ, मोह, मदसे निरधारी हई । 

मन में बिचारs, अबसे रोदन बिसारs 

दयाकरके विचार कहत दियरा केभिखारी हुई । 

( दोहा

देवरजी दया करs, पति-पत्नी में मेल ।कसहू जाके जल्दी बोलाके, नीमन देखा दखेल ।। भउजी सुनहुबात एक, भइया गयेपरदेस । ना जानीकेहि हेतु से भेजतनाहीं सनेस ॥ ( चौबोला

भेजतनाहीं सनेस, भेस तव लागतनिपट उदासा । कहूँ सेजतन करब हम अबहीं,
पाका मानs बिसवासा ॥ 

प्यारी
: बिसवास केहू के करबकइसे धोखा देके पिउगये । विसवास सुखसोहाग पिउ के साथसाथ चले गये ।देवर भउजी तनिक अफसोसदिल में झूठे करतीतू अबे । खानावो गहना पहनना चाहनानहीं है जीउ की।। देवर देह प्रानते प्रिय नाहीं जग कछु, सुनलेभउजी कान से ।हठ करके दुख काबोझ से आखिर तूमरबू सान से ।।
( हाथ घ लेत बाड़न
) - हल्ला मत करऽ । 

जिन्दगीतलक सुख देब तुमकोजानि हो हमके तबे।। प्यारी : जिन्दगी के आसा हैनहीं, हमको तो आसापीउ की । 

देवर

प्यारी०मरना तो बेहतर वहीजो मर जाय अपनासान से । दसरथजी के पुत्र सेप्रिय सुनिलs देवर कान से

( चोपाई

भउजीमान कहल हमारी ।नाहीं त करब तुरतबरियारी ॥ बाप केहई बेटा । तेना सहवे एक चमेटा॥ असल ना कुछपइव मरवऽ जान ।पाछे होइबs खूब हलकान ॥सोच समझ के चलs
देवर | चाहे लेलs तनके - जेवर ॥ 

देवर

 जेवर फेवर कुछना चाहीं । गोटे बातसमुझ मन माँहीं ॥अबहीं हमरा बस मेंआ जा । तबदेखs कइसन बा माजा॥  

प्यारी०

माजाराम भेजवलन पार । सुनिलs देवर बात हमार॥ जीउ के पीउमें लागल आस ।चाहे परी गला मेंफाँस ॥ हे पिया
! कहाँ लगवलs देरी । भइजस हालत बाझ बटेरी॥ हे विधि-बिस्नू
! भइल बाँव । अबहम कवनी ओर पवि
? हे गंगाजी राखड लाज ।हमें बा अपना पीउसे काज ॥ 

- शंकरसे विनऊ करजोर ।पीउ चरन में लागोडोर ॥ देवी दुर्गातोहे मनाऊँ । जल्दी दरसपिया के पाऊँ । 

( एगोमेहरारू अवतारी ) मेहरारू - ए बहिन, केवाड़ीखोल, तनी आग द। 

समाजी

( चौपाई

- आइपहुँचल मोसकिल भारी । अबका प्यारी करे बिचारी ॥तेहि अवसर परोसिन एकआयी । आग आगकहि के गोहराई ॥सुनते देवर निकल पराई। सत के पतरखलन रघुराई ॥ अब आगेलीला लीला जे होई। सो सब कबसुन सब कोई ॥जेहि बिधि से विदेसीघर आई । पिउप्यारी भेंटे हरखाई ॥ धन मालिकके बड़का माया । कहेभिखारी करिहें दाया ॥ 

प्यारी०

( पूर्वी

दिनबहु बीति गइलें, तबहूना पिया अइले मनवमें गुतलs से कइलs बलमुआँ
| रचि के चिता बनाऊ,
लेके स्वामी के खराऊ, जरिकर हरि से मिलबहो बममुआँ | 

- शंकरसे विनऊ करजोर ।पीउ चरन में लागोडोर ॥ देवी दुर्गातोहे मनाऊँ । जल्दी दरसपिया के पाऊँ । 

( एगोमेहरारू अवतारी ) मेहरारू - ए बहिन, केवाड़ीखोल, तनी आग द। 

समाजी

( चौपाई

- आइपहुँचल मोसकिल भारी । अबका प्यारी करे बिचारी ॥तेहि अवसर परोसिन एकआयी । आग आगकहि के गोहराई ॥सुनते देवर निकल पराई। सत के पतरखलन रघुराई ॥ अब आगेलीला लीला जे होई। सो सब कबसुन सब कोई ॥जेहि बिधि से विदेसीघर आई । पिउप्यारी भेंटे हरखाई ॥ धन मालिकके बड़का माया । कहेभिखारी करिहें दाया ॥ 

प्यारी०

( पूर्वी

दिनबहु बीति गइलें, तबहूना पिया अइले मनवमें गुतलs से कइलs बलमुआँ
| रचि के चिता बनाऊ,
लेके स्वामी के खराऊ, जरिकर हरि से मिलबहो बममुआँ | 

(विलापगीत - ३) 

हाय,
सइयाँ कइ देव सूनखटोला । सइयाँ 

घर में बिछाई किअँगना बिछाई, 

दुअराबिछाई कि कोला ? सँइयाँकेकरा से कहीं हमदिलवा के बतिया देवरावा निपटे भकोला । सइय 

आम के डारी 

कोइलियाकुहुके 

ओसहींकुहुकत बा चोला ।सइयाँ बालम के बहरासे जल्दी बोला दs पारवतीबमबम भोला । सँइयाँ 

कहतभिखारी भयावन लागत बा हमराकुतुबपुर के टोला ।सँझ्या 

(विलापगीत - ४) 

ए किया हो राम,
स्वामीजी के पोसाक वाघर में धइल होराम । 

ए किया हो राम,
चमकत ना होइहन, भइलवा मइल हो राम। 

ए किया हो राम,
सोचते-सोचत दिनवाँ गइलहो राम । एकिया हो राम, मनवमें गुतलीं सेहू ना मनवमें गुतली सेहू ना भइलहो राम । 

ए किया हो रामकहत भिखारी केहू जादू कइलहो राम । (विलापगीत- ५ लय आल्हा

रामरसायन तोहरे पास, देरी होतवा महाबीर जी । जाइके अहिरावन दरवार, काली- कवर से रामचन्द्रके, लिहलन छन में जानबचाय, खुसी भइल बाबानर दल में | ओसहीपति के मति दफेर, अभी मिला दघर-घरनी से ।कहत भिखारी दोउ कर जोर,
श्यामसुन्दर में सुरत लागलबा । (विलापगीत - ६लय लोरिकायन) 

स्वामीके सुरतिया, बतिया सालत बा दिनहो-रात । ऊपरसे कहत बानी भीतरासे नइखे पूरा कहात। 

कवनादो देसवा में वाड़न केहूनइखे आवत हो जात। 

केहूनइखे देखत मकनियाँ मेंजनियाँ के बिल हो-खात । कुतुबपुरदिअरा के कहत भिखारीनाई हो जात ।
(विलाप गीत ६ लयसोरठी) 

ए किया हो राम,
कहिया हम स्वामीजी केदरसन पाइब हो राम। 

ए किया हो राम,
दुअरा बधइया कब बजवाइब होराम । 

ए किया हो राम,
जथा सकती दरब कबलुटाइव हो राम ।ए किया हो राम,
गरदन में माला कबपहिराइब हो राम । 

ए किया हो राम,
स्वामीजी से कहिया बतिआइबहो राम । एकिया हो राम, तरसलनयना जब जुड़वाइब होराम । 

ए किया हो राम,
कहत भिखारी जनम-फल पाइबहो राम । 

(विलापगीत - ७) 

उड़िके तू चलि जाजिया पियऊ का देसवामें, 

अहोमोरे राम, मोर मनवाँपिउ का रंग मेंरंगल हो राम । 

सूतलरहली राति के, पिउसँग में नींद सेमाति के 

अहोमोरे राम, बोलते मुरुगवाचिहु कि के जागलहो राम । कहलनजे बहरा जाइब, कुछदिन में घूमि केआइब 

अहोमोरे रामs, हाथ झटकारि केबेदरदा भागल हो राम। तब से नानिंदिया आवेला, घर ना अँगनयाँभावेला 

अहोमोरे राम, एही सोचेमनवाँ भइल बा पागलहो राम । कहतभिखारी ठाकुर, पिया बिनु भइलीभाकुर 

अहोमोरे रामs, साँवली सुरतिया बा हर छनलागल हो राम । 

( बिलापगीत - ८) 

सँइयाँगँइयां छोड़ल, धइल कवनी ओरडगरवा ? 

कइसेलांघत होइबs कतिना नदिया नारवा ? बहुत मिलत होइहनपरबत जंगल झारवा कहवाँबइठलऽ जाइ के केकरादुआरवा ? 

चिठियाभेजावत रहितः लिखि के बारमबारवातनिको ना अखड़ित मिलतरहित समाचारवा । कत भिखारीरहि रहि उठत बाटेलहरवा देखत वानी कहियाले लवटि के अइबs
घरवा । ( विलाप गीत
- ९ ) 

चलनेका बेरिया कहलs ना पियऊएको बतिया हो । हमराके छोड़ि कर गइल पुरुबवाकेई मारल तोहार मतियाहो । कवनो सहरसे संवाद भेजलs ना लिखलऽ एकोपतिया हो । राहचलत रूप देखि केभोरवलसि कि कहूँ चतुरसवतिया हो ? चरन कमलभगवान के देखब कबकहत भिखारी नाई जतिया हो। समाजी (धुन पूर्वी ) 

एक दिन धनियाँ मकनियाँभीतरवा में रोवतारी भरिके केवरिया बिदेसिया । बीति गइलें,
दुअरा बिदेसी अइले 

रातकुछ कहलन " खोलि द केवारीप्यारी धनियाँ !" 

चोरवासमुझि कर, लोखा गिरनलागे 

रोइरोइ सोरवा करेली प्यारी धनियाँ । 

"दइबकठोरवा भेजवलन चोरवा के 

बिपतिपरल घनघोरवा बलमुआँ ! पिया में बामोर जिया, कसहू के बारेदिआ ? 

हउआलागी त बूति जाईहो बलमुआँ ! आगा पाछा केहूनाहीं, रोअतानी घर माँहीं, 

कवनजुगुतिया चलाई हो बलमुआँ
!" 

प्यारीसुन्दरी : 

(चौबोला) 

हायदइव अव केहि गोहराऊअइले महलिया में चोर ।संइयाँ घरे रहितन, धइबान्हि मरितन, केकरा से कहीं करिसोर ? 

प्रीतमपिउ बिनु प्रान छूटतनइखे, हिरदय बा बहुत कठोर। त्राहि रमापति त्राहि उमापति, अव धरम बचावहुमोर । विदेसी : (पूर्वी) 

खोल-खोलु धनिया ! सेबजर केवरिया हो हम हईपियवा तोहार रे संवरिया ! नाहींहम हईं राम ठगबटवारवा से नाहीं हमहई डाकू चोर रेसंवरिया ! पूरब से आवतानी,
करड पहिचान वानी 

मुदितना बहरे बोतल प्यारीधनियाँ ! 

समाजी:
अतना सुनत धनी, खोललीकेवरिया से दुअरा परदेखे पिया ठाढ़ रेसंवरिया | तुरते खोलि के पट,
प्यारी ताके पति झटपपिहा का स्वाती बूँदमिललन बलमुआँ ! 

धन ह आजू केरात, पिया से भइलबात हिया मोर देखिके जुड़इलन बलमुआँ ! प्यारी० : 

आजुएके रोज सन, तिथिवो महीना धन कहत भिखारीकर जोरि के बलमुआँ
! कुतुबपुर मोर ग्राम, बेड़ापार ला द राम,
जाति के हजाम जिलाछपरा बलमुआँ ! 

(चौबोला) 

प्रेममगन मन बहुत होतहै देखि के चरनतुम्हारे ! सोक धार मेंबहत जात रहीं खींचिके कइलीं किनारे । बहुत दिननपर दरसन दिहल हेप्रभु प्रान अधारे । कहे भिखारीजय गंगाजी बहुरल सेन्दुर हमारे । ( रंडी बिदेसीके गाँव पहुंचत बाड़ीलइकन के लेले ।ओहिजा पूछतारी । ) 

: रंडीएह गाँव में कोईबहरा से आइल हा

समाजीहॅ, बिदेसी अइले हा । 

रंडी
: उनका घरे कवन राहूजाई ? 

समाजीहइहे गली धइले चलजा । 

बिदेसी
( देखि के चिहात ) - तोहारका दसा भइल । 

रंदी:
रउआ छोड़ के चलअइली । लइकन साथैसामान लेके आवव रहींकि डाकू सब लूटलेलन स । 

विदेसीअच्छा जाये द | हमारतोहार जिनिगी रही त घरभर जाई । 

रंडी
: एहिजा केहू के चीन्हतनइखीं । 

बिदेसीकइसे चिन्हबू ? देखs दूमुहा मेंसर्वातिन खड़ा हवः ।
( रंडी सवतिन के गोड लागतारी

रंडी
: ( लड़का से ) - ए बबुआ, माईबाड़ी, गोड़ लागऽ ।
( लइका माई के गोड़लागत बाड़न । सकलपरिवार के मिलन होजाता । ) 

समाजी:
बोलिए वृन्दावन बिहारी लाल की जय। 

 समाप्त   

6
लेख
भिखारी ठाकुर ग्रंथावली
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भिखारी ठाकुर (1887-1971) एक भारतीय भोजपुरी भाषा के कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्हें भोजपुरी भाषा के सबसे महान लेखकों में से एक और पूर्वांचल और बिहार के सबसे लोकप्रिय लोक लेखक के रूप में माना जाता है. भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के सारण (छपरा) जिले के कुतुबपुर (दियारा) में हुआ था. उनके पिता का नाम दल सिंगार ठाकुर और माता का नाम शिवकली देवी था. उनके पिता लोगों की हजामत बनाते थे. भिखारी ठाकुर ने सामाजिक समस्याओं और मुद्दों पर बोल-चाल की भाषा में गीतों की रचना की. उन्होंने भोजपुरी गीतों और नाटकों की रचना की. 1930 से 1970 के बीच भिखारी ठाकुर की नाच मंडली असम, बंगाल, नेपाल आदि कई शहरों में जा कर टिकट पर नाच दिखाती थी. भिखारी ठाकुर को "भोजपुरी का शेक्सपियर" भी कहा जाता है. महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उन्हें "भोजपुरी का शेक्सपीयर" की उपाधी दी. अंग्रेज़ों ने उन्हें "राय बहादुर" की उपाधि दी. हिंदी के साहित्यकारों ने उन्हें "अनगढ़ हीरा" जैसे उपनाम से विभूषित किया.
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बिदेसिया

14 October 2023
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 बिदेसिया  ( सुधार मंच पर आके मंगलाचरण सुनावतारे )  श्लोक  वामां के च विभातिभूधरसुता देवापगा मस्तके भाले बालविधुर्गलेच गरलंयस्वोरसि व्यालराट् सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवर: सर्वाधिपः सर्वदा शर्वः सर्वगतः

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बिदेसिया - 2

15 October 2023
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 आवेलाआसाढ़ मास, लागेला अधिकआस, बरखा में पियाघरे रहितन बटोहिया ।  पियाअइतन बुनियाँ में, राखि लिहतनदुनियाँ में अखड़ेला अधिकासावनवाँ बटोहिया ।  आई जब मास भादों, सभे खेली दही- कादो, कृस्न के जनम बीतीअ

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भाई बिरोध नाटक

17 October 2023
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समाजी: सिरि गनेस महादेव भवानी, रामा हो रामा रामा, भरत लखन रिपुसूदन रामा रामा हो रामा रामा, लघु नाटक चाहत मन करना, रामा हो रामा रामा, देहु कृपा करि, राखहु सरना, रामा हो रामा । रामा, सब सज्जन से बिनय है

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बेटी वियोग

18 October 2023
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समाजी : ( चौपाई श्री गणेश पद नाऊ माथा । तब गाऊ कुँवरी कर काथा ।। गावत बानीं लोभ के लीला । जेहि से होत जगत में गीला ॥ बेचत बेटी मन हरखाई । छोटत ज्ञान ना परत लखाई ॥ सो सब हेतु कहब करि गाना । सुनहु कृपा

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कलियुग प्रेम

18 October 2023
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दुलहारिन निसा खा के पिया मोर, निसा खा के पिया मोर दिहलन कपार फोर, (से) परल बानी तिसइन का पालवा हो लाल (से) परल बानी बेंचि के चौकठ केवारी, बेंचि के चौकठ केवारी तन पर के हमरा सारी, (से) सेतिहे में व

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राधेश्याम बहार

19 October 2023
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बंदना (चौपाई ) श्री गणेश के लागी पाँव । जगत जपत वा जिनिकर नाँव || विप्र चरन में नाऊ सीस जे वा दुनियाँ भर में बीस !! सन्त चरन में नाऊँ माथ । जिन्ह परगट कइलन रघुनाथ ॥ बासुदेव देवकी पद लागू । बार-बार अत

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एगो किताब पढ़ल जाला

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