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बिदेसिया

14 October 2023

17 देखल गइल 17

 बिदेसिया 

( सुधार मंच पर आके मंगलाचरण सुनावतारे ) 

श्लोक 

वामां के च विभातिभूधरसुता देवापगा मस्तके भाले बालविधुर्गलेच गरलंयस्वोरसि व्यालराट् सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवर: सर्वाधिपः सर्वदा शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्रीशंकरः पातु माम् अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् तत्पदंदर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवेनमः गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः हे रामपुरुषोत्तम नरहरे नारायण केशव गोविन्द गरुडध्वजगुणनिधे दामोदर माधव हे कृष्णकमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते वैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहि माम् मनोजवंमारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये 

चौपाई 

मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दसरथ अजिरबिहारी महावीर बिनवों हनुमाना जासु सुजस प्रभुआप बखाना धन्य धन्य गिरिराजकुमारी तुम समान नहिकोउ उपकारी नाच तमासा कीर्त्तन जेते होखत
बा सब जग मँह तेते नावत बानी सब कर माथा चित देइ सुनहु बिदेसिया काथा एह किताब के सब
बिस्तारी थोरही में सब कहत भिखारी 

आज विदेसी के तमासा होइन। बिदेसी के तमाता काहे
? दूर- दूर के लोगकहला जे विदेसिया केनाच देखे चले के। बिदेसिया के नाच नाहवन बिदेसिया के तमासा हवन। एह तमासा मेंचार आदमी के पाटबा-बिदेसी एक, प्यारी सुंदरीदू, बटोही तीन, रखेलिन चार। 

अथवा,
बिदेसी ब्रह्म, बटोही घरम, रखेलिन माया,
प्यारी सुंदरी जीव । ब्रह्मजीव दूनो जाना एहीदेह में बाड़न बाकीभेंट ना होखे ।कारन ? माया । एकराके काटे वाला बटोहीघरम । 

आत्मासे परमात्मा काहे कुरोख होगइलन ? देना का झंझटसे चाहे विरोध काझंझट से जइसे स्त्रीके पति छोड़ केपरदेस चल जालन तइसेझूठ-झंझट से आत्मासे परमात्मा कुरोख हो जालन। बीचमें कारन - रखेलिन स्त्री । झंझट सेछोड़ा के मिलाप करादेबे खातिर बटोही- उपदेश । एह चारोके संबाद होखे के चाहीं। कइसन ? प्यारी सुदरी के राधिका जीलेखा, बिदेसी के श्रीकृष्ण चन्द्रजी लेखा, रखेलिन के कुबरी लेखा,
बटोही के ऊधो जीलेखा । पातिव्रत धर्मस्त्री खातिर सब धर्म सेउत्तम धर्म है जइसे
– 

उत्तम के अस बसमन माहीं 

सपने आन पुरुषजग नाहीं 

पतिबरता सती सुलोचना कारामजी से बात भइल,
स्तुति कइली । कहलीहा जे हमरा पतिके सीस ना देवत- 

अब हम जाइमरब सत साधी मिलबहमहि जस मिलत समाधी 

- पतिबरताका ई दुख काहेभइल ? जइसे लरही धरन-
कमरबाला पर जतना भाररहेला ततना भार कोरोपर ना रहे। राजाहरिश्चन्द्र में पूरा सतभइल हा तव डोमकिहाँ बिका गइलन हाजेकर किरती आज ले गवातवा । ई केहूकहे जे बनउवा बातहै तेकरा खातिर बनउवा भी ह | कइसे
? जवना कुआ के जलऊख में पटावल जालाओही कुआ का जलसे मरिचा पाटेला, ऊहे जल ऊखके मीठ आ मरिचाके तींत कइ देला। जइसे - 

जिनकी रही भावना जैसीप्रभु मूरत देखी तिनतैसी 

विदेसीऊहे हवन । बिआहके के घर मेंजनाना के बइठा देलन। अपने चल गइलनकमाए। बहरा से नाएगो खत भेजतारन, नाखबर भेजतारन, ना खरख-बरचखातिर पाँच गो रोपेयामनीआडर से भेज- तारन।बाहर में जाके दोसरजनाना राखि लेतारन ।एहिजा घर में प्यारीसुदरी रोअतारी । 

बटोहीऊहे हवन जे गाँव-नगर से बहराजा तारन, आवतारन । ओह बाटके हाल जानतारन अथवाबिदेसी रामचन्द्र जी । भरतजी महाराज बटोही बनि के रामजी के बन सेफेरे खातिर गइले हो ।ऊ विदेसी त दोसर जनानाराखि लेलन तेहसे नालवटलन बाकी राम- चन्द्रजी काहे ना लवटलन

तापसभेस बिसेस उदासी । चउदह बरिसराम बनवासी । भादो केमहीना अन्हरिया तेरस का दिनआधा राति खानी प्यारीसुंदरी सोचतारी- 

भादो दरसावत आधाराति होइ जावत बदीतेरस परि जावता बूँदझम झम झम झमकतबा घेरत घनघोर, झींगुरदादुर मचावत सोर दामिनि दलसाजि-साजि चम चमचम चमकत बा 

पुरवापवन आवत, सनसनावेत, सरमावतमन 

भावतनइखे सरग, दम दमदम दम दमकत बाकहत भिखारी भारी जारी जनावतातम तरुनी के तबीयत भीतरबम बम बम बमकतबा ओ समय मेंप्यारी सुन्दरी का कहि केरोअतारी ? 

( लोरिकायन का लय में

जनियाँ मकनियाँ में हनि केकेवरिया पिया घरे रहितन,
जवन जवन चहितन मनवाँभवनवाँ अंगनवा में लागत नइखेकब मिलिहन समाचार ? कहत भिखारी नाई,
प्यारी के चरित गाइकाइ करिहन करतार ? 

डहकत बाड़ी बारम्बार 

कहितन करितीं तइयार 

( जतसारी के लय ) 

ए सामीजी, जवनाजूने भइल सुमंगली तजनलीं जे भाग जागलहो राम ए सामीजी,
नइहर से नाता तूरिदिहल 

त ससुरा सोहावनलागल हो राम एसामीजी, घरवा भीतरवा बइठाइकर गइलs कवना दोमुलुकवा भागल हो राम 

ए सामीजी, खतवामें पातावा पेठइतऽ त सुनि केअगरइती पागल हो रामए सामीजी हाथ-गोड़ चउरिके, लोहवा लाल कइके हेहवे देहिया दागल हो राम 

ए सामीजी, सुसुकसुसुकि लोरवा पोंछत बानीं केहू नइखे सुनतरागल हो राम एसामीजी, कहत भिखारी नाई,
पतइन खाइ के, गुनलs
ना, मिमिआली छागल हो राम 

( दोसरा तरह के जतसारीके लय) 

डगरिया जोहत ना, बीततबाटे आठ पहरिया होडगरिया जोहत ना नगरियादेखि जा ना ना 

धोती पटरिया धइके कान्हावा पर चदरिया होबबरिया झारि के ना,
होइबs कवना सहरिया होबबरिया झारि के ना 

एकऊ ना भेजवलऽखत कतहू से खबरियाहो नगरिया देखि जा ना,
नइखीं खोजत बटसरिया हो 

केइ हमरा जरियामें भिरवले बाटे अरिया होचकरिया दरि के ना,
दुख में होत बाजतसरिया हो चकरिया दरिके ना 

परोसि कर थरिया, दालतरकरिया हो लहरिया उठेलाना, रहितs करितऽ जेवनरिया हो लहरिया उठेलाभात - 

कहत भिखारी मनवाकरेला हर घरिया होउमरिया भरिया ना देखत रहतींभर नजरिया हो उमरिया भरियाना 

( सोरठी के लय ) 

पियाकहलन बहरा जाइबि, कुछदिन में घूमि केआइबि एकिया हो मोरे राम,
सुक्रवा उगल तब गइलनभागल हो राम 

जायेनाहीं दिहितों कबहूँ, लाखो तरहे कहितनतबहू एकिया हो मोरे राम,
पहिले से रहिती तनीभर जागल हो रामतब से ना नींदआवेला, घर ना अँगनवाँअँगनवाँ भावेला एकिया हो मोरे राम,
एही सोचे मनवाँ भइलबा पागल हो रामकहत भिखारी दास, दिअरा मेंघर ह खास एकियाहो मोरे राम, साँवलीसुरतिया बा मनवाँ मेंलागल हो राम कवनसाँवली सूरति ? 

जवनासाँवली सूरति खातिर विश्वामित्र जी तपस्या छोड़िके अयोध्या में पहुँचलीं हाँ।दसरथजी महाराज कहलीं हाँ जे अपनेके कहहीं में देरी बा.
हमरा करें में देरीनइखे । 

विश्वामित्रजी कहली हाँ - नीलबरनवारे, जिनिकर नीला रंग केकमल लेखा बदन बा,
हम उनुके खातिर अइलीं हाँ- 

असुरसमूह सतावत मोही। मैं जाचन आयउनृप तोही । दसरथजीमहाराज कहलीं हाँ कि राजमांगीं, धन माँगी, प्रान 

मांगींबाकी साँवली सूरत देल कबूलनइखे | विश्वामित्र जी महाराज कहलीहीं जे हम स्रापदेबि । 

दसरथजीमहाराज कहलीं हां - स्राप कवूल बा, दुनियाबदनाम करी सेहू कवूल,
बाकी साँवली सूरत दीहल कवूलनइखे | तब बसिष्ठ बहुविधिसमझावा । नृप सन्देहनास करि पावा ।झगरा बसिष्ठ जी महाराज छोड़वलीहाँ । अथवा, आजुके प्यारी मुन्दरी का कहि केरोअतारी- 

ए किया होमोरे रामs, जब से परदेसमें बाड़न रहल होराम 

ए किया होमोरे राम,तनी नासोहात बा कवनो टहलहो राम 

ए किया होमोरे राम, रहि रहिके मनवा जात वादहल हो राम 

ए किया होमोरे राम, कवनी बेयरियाआइ के बहल होराम 

ए किया होमोरे रामs, कवहूँ के नइखीं दुखवासहल हो राम 

एकिया हो मोरे राम,
सुनहट लागत बा दुअरामहल हो राम एकिया हो मोरे राम,
 

ओहिजाउड़त बा चहल-पहलहो राम ए कियाहो मोरे राम, एहिजाके लहकल - सहकल ढहल होराम ए किया होमोरे राम, नइखे भिखारीसे जात कहल होराम एगो हई ह
- अन-पानी के सवादरुचत नइखे, कबहू पेट नाभरलीं । मतलब मोरविधाता जनिहन, प्रेम का फंदा मेंपरलीं । छठ, एतवारएको ना छोड़ली, बरतसे काया के जरलीं। कहत भिखाती उपायनइखे लउकत, कोटिन जतन के केहरलीं । 

परदेसीका सोचे मरलीं । 

अन-पानी केसवाद रुचत नइखे, कबहूपेट ना भरलीं ।मतलब मोर विधाता जनिन,
प्रेम का फंदा मेंपरलीं । छठ, एतवारएको ना छोड़ली, बरतसे काया के जरलीं। कहत भिखाती उपायनइखे लउकत, कोटिन जतन क केहरलीं । 

( निरगुन ) 

हे राम, जोगिनियाँवनि के हम, 

करब मालिक केउदेस । हे राम 

तूरि के गलाके हार, देहब अगियामें जार 

छोड़ि के परइलन परदेस। हे राम 

टिकुली-सेनूर तजि, पिउ-पिउभजि भजि 

छूरा से छिलाइकेर केस । हेराम" गहना सोना-चानीके, लोढ़ा से खानि खानिके, 

एही सोचे बनबिअनभेस । हे रामतूमा लेके घूमब हरमेस। हे राम । 

कहत भिखारी नाई,
अंग में भभूत लगाई 

( बिरहा) 

मालिक चलि गइलन परदेस,
घर में छोड़ि केहमरा तनिको भर धरात भरधरात नइखे धीर ।तनिको भर धरात नइखेधीर, बटोही भइया ! कइक जनम केउदय भइल पाप केकमइया 

चढ़ल जवानी जोर परदेस गइलन कन्हइया बीचे
धार में दहत बाटे छेद कइल नइया पियऊ बिनु जगत में मा लउकत बा खेवइया कहत भिखारी पंच
लोग में देत बानीं दोहइया भर धरात नइखे धीर । हमरा तनिको फेरु बइसे कहाता— 

पियवा गइलन कलकातावा ए सजनी ! 

तूरि दिहलन पति-पत्नी नातावा ए सजनी,
किरिन भीतरे परातवा ए सजनी ! पिया गोड़वा में जूता नइखे, सिरवा पर छातावा ए सजनी, कइसे
चलिहन रहतवा ए सजनी ! पिया सोचत सोचत बीतत बाटे दिन रातवा ए सजनी, कतहू लागत नइखे पातावा
ए सजनी ! पिया लिखत भिखारी खोजिकर बही-खातावा ए सजनी, प्यारी सुन्दरी के बातवा ए सजनी
! पिया 

कबो ईहो- 

पिया निपटे नादानवाँ ए सजनी ! हमरा घोंटात
नइखे कनवाँ भर अनवाँ ए सजमी, चामत होइहें मगही पानवाँ ए सजनी ! पिया" भीतरे रोवत
बाड़न तनवाँ में मनवाँ ए सजनी, छोड़त होइहन मुसुकानवाँ ए सजनी ! पिया" लड़का नइखन,
भइल बाड़न मस्तानावाँ ए सजनी, जेकर हइसन बा जनानावाँ ए सजनी ! पिया" गावत भिखारी
हउए कुतुबपुर मकानवाँ ए सजनी, प्यारी सुन्दरी के गानावाँ ए सजनी ! पिया… 

चौपाई 

श्री गणेश महादेव महादेव दिनेसा 

जेहि सुमिरे सब मिटत कलेसा 

तेहि चरन में मैं सिर नाऊ चरचा कुछ बिदेसी
के गाऊँ जयति भागवत जय वाल्मीकी जयति रामायण श्री तुलसी की सन्त मण्डली पद सिर नाऊँ
विप्र चरन रज सीस चढ़ाऊँ कवि सज्जन सब के पद बन्दे करहु कृपा जो होखो अनन्दे गिरत बानी
चरना जो बिनु स्वारथ अघ सिर धरना विद्या से बानीं कमजोरा करहु माफ सब अवगुन मोरा बिचऊ
नाटक बानीं बनावत बिनु विद्या के नइखे आवत गावे लायक हम ना बानीं पत राखड अम्बिका भवानी
अब आगे के सुनहु बेयाना पयाना सकल 

करत बिदेसी बिदेस 

कहत पियारी से तुरते जाइब चतुर बानी हम
बहुत कमाइब पत्नी कहे पति जा मत बहरा केइ लगावल अइसन लहरा ?  

( सूत्रधार के प्रस्थान ) 

( नाटक प्रारम्भ ) 

चौपाई 

समाजी- 

बाल्मीकि महाभारत गीता 

 करहुकृपा जग जननी सीता 

 एहनाटक के विचऊ बाना 

 गावतबानीं बिदेसिया गाना. 

 पतिकहे पत्नी से बाता  

हम जाइब देखेकलकाता 

(बिदेसी आ प्यारी सुन्दरीके प्रवेश) 

 बिदेसी : हो प्रानप्यारी, सुनतारू 

प्यारीसुन्दरी का कहतानी एस्वामी जी ? 

बिदेसी
: एगो सलाह वा । 

प्यारी
: भला कवन सलाह बाटे

बिदेसी
: सलाह बा कि हमारमन करता जे तनीकलकाता से जाके होअइतीं । 

प्यारीए रवों, रउआ कलकाता जायेके कहत बानी, रउआकवना बात के तकलीफवाटे ? 

धिवेसी
: हमरा कवनो बात केदुख तकलीफ नइखे बाकी हमारदोस्त अइलन हा कलकातासे । कलकाता केसमाचार सुनि के हमसेतबियत कइले बा किहमहूँ जाइब । हमपन्द्रह दिन में लवटिके चल आइब । 

प्यारी
: ए रवों, रउआ पनरह दिनखातिर कहतानीं, हम घरियो छन्भर खातिर रउआ के अपनाआँखी का सोझा सेना जाये देव ।बिदेसी : हम जतरा कइलेबानीं त देखs, जतरापर ठकठेनि तू मत करऽ। 

प्यारी
: (गीत) 

दूनों के साथ रहेके परानी । 

 देसपरदेस में असाम- मुलतानी, 

 संगहीमें राखs चरनों केदासी जानी ।  

परानी" गवना करा केदेस जइबs बिरानी, 

 केकरापर छोड़ि केर टुटही पलानी
? परानी  

केकरा से आग माँगब
? केकरा से पानी ? 

 खालीऊँचा गोड़ परी चढ़लबा जवानी । 

 परानी०-
कहत भिखारी सून होई रजधानी, 

 पतिमति फेरि द बिधाचलभवानी । परानी०- 

विवेसी
: (चौबोला)  

मम हमार परदेसजाये के चाहत अबहींप्यारी जल्दी से तइयार करहुकुछ रास्ता के बटसारी फिरतीबार तोहरे पहिरन हित कीनब बंगलासारी कहे भिखारी खुसीरहऽ घरे, मत करसोच हमारी  

(चौबोला) 

हायनाथ, तोहें सौंप दीन्ह मोरभाई, बाप, महतारी सतके बन्धन तोड़ि के स्वामीजी मतिकरहू बरिआरी हम तोहे सम्बन्धविधाता जोड़ी रचेउ बिचारी कहेभिखारी कुसल करहू नितगनपति उमा त्रिपुरारी 

प्यारी
: बिदेसी 

 (चौबोला)  

परदेसजाइब हे प्रिये, घरमें रह तनी धीरसे आँखों से आँसू जारहे कपड़ा भिजत है नीरसे तन- मन- जिगरसे कहत हूँ भगवानरखिहें सरीर से कहतेभिखारी तोहि सँगे आके फगुआ खेलब अबीरसे हे प्रानप्यारी, देखs,
आउर महीना में कहूँ रहजाइब लेकिन फगुआ के दिनतहरा सँगै आ केरंग-मसाला जरूर होई। 

  (चौबोला) 

हायनाथ, तोहें सौंप दीन्ह मोरभाई, बाप, महतारी सतके बन्धन तोड़ि के स्वामीजी मतिकरहू बरिआरी हम तोहे सम्बन्धबिधाता जोड़ी रचेउ बिचारी कहेभिखारी कुसल कर नितगनपति उमा त्रिपुरारी 

प्यारीपरदेस जाये कर कहिके जीव मत तरसाइये। कछु भूल-चूकजो होय हमसे तदपिमत बिसराइये ॥ एह सोक
- सागर-धार में कहुँछोड़ि हमें मत जाइये। कहते भिखारी घरहिरहिकर प्राणनाथ ! बचाइये ॥ 

 बिदेसी :अनेरे गोड़ पर फुट-फुट गिरतारू । 

 प्यारी : (कबित्त) अंगना आनन्द लागत, दुअरा बधावा बाजत, जाये के विदेसरउआ कबहू मत भाखिये। धोती आ कमीज,
टोपी आसकोट सिलाइ देहब, इतर के बासतेल विबिध मिठाई, पकवान, तरकारी, दध्री, निमिकी, मोराबा, पापड़, घरहीं सब चाखिये ।कहत भिखारी पिया हिया मेंछमा करिके हम गरीबनी परदया नित राखिये ।बिदेशी हम जाइब परदेसके घर में करऽबहार । बरिस दिनपर आइब सुनिल, छैलछबीली नार ॥ 

 प्यारी : चलि जइबs परदेसके घर में रहबअकेल । कहत भिखारीकइसे चलिहें, बिन अँइजन केरेल? बिदेसी जतरा भइल बिदेसके धरहु राम परध्यान । करिहें जानकि-जीवन प्यारी ! तोरमोर कल्यान ॥ 

 प्यारी : त्राहि-त्राहि अबला कर स्वामी
! मत करा परिसान ।सीता-राम गइलन काननसँग, जानत सकल जहान॥ 

(गोड़पर गिरतारी ) 

विदेशीसंघत के फल तुरतेमीलल, हरन भइल प्रियनारि । आजु तलकले सुनिल प्यारी, गावत बेद पुकारि॥ 

प्यारीधन संघत, धन-धन करनी,
जो जानत सकल जहान। धन पतनी जोपति मुख पंकज, करतमधुप इव पान ॥ 

जातप्यारी, देस तनी देखेद हम के ।आवत में देरी नालागी, 

- - जइसेघोड़ा के रेस ।देस तनी बल बुद्धिसे रोजे कमाइव, नगदमाल हरमेस । देस तनी-
कहत भिखारी तू सोच दूरकर करिहन कृपा महेस ।देस तनी 

बिदेसी

(गीत) 

कहनामानs करब ना देरी,
जल्दी से भेजव सनेस। देस तनी 

(गीत) 

प्यारी
: पिया मोर, मति जाहो पुरुबवा । पुरुब देसमें टोना बेसी बा, 

पानीबहुत कमजोर । मोर, मतिजा हो सुनत बानींआँख पानी देत बा,
सारी भइल सरबोर ।मोर एक नाथ बिनुमन अनाथ रही घुसीमहल में चोर ।मोर कहत भिखारी हमारीओर देखs कतिना करींनिहोर ? मोर 

( गोड़पर गिरतारी ) 

बिदेसी
: तू त अनेरे नूफूट-फूट गोड़ परगिरतारू । अच्छा ल,
अतना रोअतारू त हम नाजाइब । अच्छा एहिजेरहS, हम तनी स्नानक के आवतानीं । 

प्यारी
: ए वों, हम बाल्टीमें पानी आन देतानीं,
रउआ एहीजो स्नान करीं । 

बिदेसी
: स्नाने कइला ले बा
? जाइब त स्नान करब,
मंदिल में शंकरजी केपूजा पाठ करे केहोई, जल चढ़ावे केहोई । 

प्यारी
: ए रवों, हम जातानी फुलवाड़ीमें से फूल तूरके आन देत बानी;
रउआ मंतर पढ़ देहबहम जाइब त शंकरजीपर चढ़ा आइब । 

विदेसी
: जब सब काम घरमें मेहरारुए करी त मरदघर में रहि केका करो ? हटी जी, हमराके जाये दीं। कतनादेरी से पेसाब लागलबा । पेसाब कामारे पेट फूलि केनर-गर भइल आवता। 

प्यारी
: एगो कँटिया आन देत बानी,
पेसाब क लेब ।हम फेंक देब | 

बिदेसी
: आरे बउराहिन कहीं के, नीमनआदमी कँटिया में पेसाब करेले?
इहे अनगुन मनावत बाड़ कि बेमारपरस, परले- परल पेसाब करस

प्यारी
: रावा वरतन में पेसाबना करब त चलींजहाँ पेसाब करब तह हमखड़ा रहव । 

बिदेसी
: आरे पागल, पेसाब उतरी कि टीकप चढ़ जाई ? 

प्यारी
: अच्छा त जाई, रउआकर आई। जाई, हमखड़ा बानीं । बाकी हमरासे छल मत करब। (बिदेसी पेसाब करे के बहानेजातारन ।) (चौपाई) 

समाजी

पिउके प्यारी राखन लागे ।करि छल कछुक धीरदेइ भागे ।। बिदेसी
: ( एगो दोस्त से ) राम रामदोस्त ! 

दोस्त
: राम राम, बड़ा चंचलबाड़s | 

बिदेसी
: हमरा घर के समाचारनइख नू जानत ? 

दोस्त
: कवन ममिला लागल, कहीं पिटइलs हा

विदेसी
: ना दोस्त राम ! कलकाता जाये के मनभइल बा । औरतसे सलाह लेबे लगनीहाँ त ऊ अठानकठान डाल देली हा। हम खुदे चलदेलीं हाँ। दोस्त सेतनी सलाह लेबे खातिरअइलीं हाँ । 

वोस्तहमार राय लेबे अइलहा ? 

विदेशी
: हँ । 

दोस्तहम राय न देव 

बिदेसीकाहे ना राय देब

दोस्त
: तू' काल्हे गवना करवल होआ आजे जतरा कदेलs ? तहरा लेखा चपाटसर्वांग खोजलो पर ना मिली। 

विदेसी
1 का दोस्त राम, गवना करावेवालाबिदेस ना जाय ? 

दोस्त
: रह सह के जाला। तू एके बेरापावदान पर लात घदेलs | (विदेसी चार डेग आगेबढ़ि के लवटतारे) 

बिदेसी
( दोस्त से ) दोस्त राम,
जतरा ठीक रहे किभेंट हो गइल ।चाभी छूटले जात रहे ।हई चाभी लीं । 

दोस्त
: चाभी कहाँ के ह

विदेसी
: ई चाभी तीसरा अॅगनईमें कोनिया घर में अलमारीबा ओकरे ह । 

दोस्त
: जवन सोनपुर में किनाइल रहे

बिदेसीहॅ, ओही अलमारी मेंकपड़ा लत्ता, गहना-गुरिया, सबकुछ बाजाप्ते राखल बा ।कह देव खूब पेन्हिहें,
कुछ चिन्ता मत करिहें ।खाये खातिर रबड़ी मलाई जतना खाइलपार लागे खाइल करिहेंजे में मस्त रहिहें। रामजी कथी के कमीदेले बानीं ? 

दोस्त
: (मुह फेरि के) काबड़ले बा ? (सोझा ) गाय हव ? 

त्रिवेसी
: हैं, एगो गाय बिआ।कोराई, चोकर, भूसी राखल वा,
खूब खिअइहें । 

दोस्त
: जवन ससुरारी दहेज मिलल रहे

बिदेसी
: हँ हँ । एगोसलाह बा हमार घरराउर घर तनी दूरबा । 

: हईचाभी लः । जुगजबाना खराब बा ।लोग का कही ? 

बिदेसी
: जब हमार राउर मनसाफ बा त केहूका करी ? 

बोस्त
: अच्छा ठीक बा, जा। 

http://bhojpurisahityangan.co 

( २४

बिदेसी
: राम राम दोस्त ! 

बोस्त
: राम राम भाई ! (बिदेसीबाहर जातारन प्यारी सुन्दरी मंच पर आवतारीबिदेसी के दोस्त मंचेपर बाड़न ।) 

प्यारो
: ( बिदेसी का दोस्त से)
ए रवों, उहाँ के देखलींहाँ ? 

दोस्त
: केकरा के ? 

प्यारी
: रउआ अपना दोस्त के

वोस्तहूँ, देखली हाँ । 

प्यारी
: कहाँ देखली हाँ, तनी बताईना । 

दोस्त
: टीसन पर देखलीं हाँ,
टिकठ कटा के रेलमें बइठल | 

प्यारीए रवों, जाई, भेंट होजाई ? 

दोस्त
: आरे मोहिजे बाड़न ? झाझा निअरवले होइहें। 

प्यारी। कुछ कह गइलनहा ? 

बोस्त
: कहल छोड़ हमरा केपक्का पहचान दे गइलन हा। हई ल चाभी। देखि, रिंग ढीला वादवा के रखिह जानतबाड़ ू चाभी कहाँके ह ? तीसरा अंगनईमें कोनियाँ घर बड़हू नू
? ओह में अलमारी बा

दोस्तहैं। 

बोस्त
: ओही में लूगा सारीबा, खूब पेन्हिह ।गाय हव ? 

प्यारी
: हैं, बिआ । 

दोस्त
: गाय के अतना खिअइहकि कबज जाय । 

प्यारी
: अच्छा । 

दोस्त
: खूब रबड़ी, मलाई आ अनारकलीबिसकुट चामल करिह । 

प्यारी
: का हमरा से मजाककरतानी ! 

दोस्तदोस्त का जनाना सेमजाक कइल जाला ? : 

प्यारी
: अब का करीं होदादा ! 

समाजी

( चौपाई) 

- तेहिछन हो गई पागलभेसा याद परे जबपती पेयाना साँस लेत लागेजनु बाना रोवन लागेधुनि घुनि छाती सूझेतनिक दिन ना राती 

प्यारो

सूनिप्यारी पिउ गये परदेसा 

( प्यारीघनी बिलाप करतारी ) 

(गीत-
१) 

करिके गइलन बलमुआँ निरासा
! गवना करा के सइयाँघरे छोड़ि दिहलम, गइलन विदेस हमेकरि के बेकासा ।निरासा .. सइयाँ के सुख हमकुछुओ ना जनलीं, बिचहींबिधाता बितवलन तमासा । निरासा सतदेवसत राखs अरज करतहूँ, दुख में दयाकरS शंकर जरा सा। निरासा कहत भिखारी भगवतीसहाय होख सँइयाँ मिलाके पुरा देहु आसा। निरासा 

( गीत-२ ) 

घरवा के नातनिको उदेस कइलन, जबसे बिदेस गइलन साजन मोर। गवना करा केसँइयाँ घरे छोड़ि दिहलन,
गइलन पुरुबवा के ओर ।जबसे- खत खबर एकोना हो गइलन निपटेकठोर । भेजलन, 

भगलन दाढ़ी धरतरहीं, पंइयाँ परत रहीं कहिकहि लाख - कड़ोर । जबसे
" दया तनिक उनुका नाहिलागल बहियाँ झकझोर । 

संइयों के सुख हमकुछुओ ना जनलीं 

देखली ना काला चाहेगोर । जबसे" 

चहुँ दिसि चितवतबीतत रात-दिन कतना लउके अंजोर । 

कहत भिखारी अबजिअल कठिन बा 

नयना से ढरकतबा लोर । जबसे 

(गीत-३ ) 

कवनअवगुनव पियवा हमें बिसरवलन, पियआहमें बिसरवलन हो, किया पियाके मतिया बउराइल हो राम ।जइसे सपनव अपना पियाजीके देखली, अपना पियाजी केदेखली हो, जिउवा मेंसनाक देना समाइल होराम । जब हमजनितीं अपना पिया कापाछा लगतीं अपना पिया कापाछा लगती हो, जरियेके हउवे हमार भुलाइलहो राम । कहतभिखारी पिया फाँसी देकेभगलन, पिया फाँसी देकेभगलन हो, अधजल मेंजिउआ बा गाइल होराम । 

समाजी 

(चौपाई ) 

तेहिअवसर बटोही एक आये ।तासो प्यारी दुख सुनाये ॥पति गुन कहि कहिरोवन लागी । सुनिबटोही के धीरज भागी॥ (बटोही पूछ रहल बाड़ेबाजा बजनिहार सजवहिया से ) 

बटोहीए बबुआ ढब-ढब

समाजीका है बाबा ? 

बटोहीहम टीसन पर जाइबए बबुआ ! 

समाज
: ए बाबा हइहे रास्तासीधे टीसन पर चलजाई । 

बटोही
: अच्छा ए बबुआ, ईबतावs कि कलकाता केमसूल कतना बा । 

समाजी
: कलकाता के मसूल एहघरी तीस रुपया लागी। बटोही : (चिहा के) तीसपया लागी ? सवा रुपया मेंना फरिआई ? 

समाजी
: सवा रुपया में त टिकठेना मिली महराज ! 

बटोही
: बबुआ, कम सुने लका ?हम कहतानी रेल,
तू कहतारः टिकठ । समाजोटिकठे ना कटइब तरेल प कइसे चढ़वs

बटोही
: का बबुआ टिकठ पचढ़ा के रेल मेंधसोर दिआई ? 

समाजीना महाराज, तीस गो रोपेयादेवs त एगो टिकठमिली। बटोही टिकठ कथी के

समाजीकागज के । 

बटोहीकती मूटी के ? समाजीहती मूटी के । 

बटोही
: हमरा के बुरबके समझतार
? तीस गो रोपेया लागेजात बा त नान्ह-बार के सूतेबइठे लायक ना होईत लेके का होई
? - 

समाजी:
कवनो घर दुआर ह्

बटोहीअच्छा ए बबुआ, तीसरोपेया टिकठ में लागगइल । रेल में 

कतनालागी बबुआ ? 

समाजी:
रेल में एको पइसाना लागी । 

वटोही
: अच्छा ए बबुआ रेलमें हमार एको पइसाना लागी त टिकठके कवन काम बा
? हम रेल में बइसके दमदमवले चल जाइब ।समाजी ए बाबा, बिनाटिकठ लेले रावा रेलमें चढ़ब त दोबरीचार्ज लाग जाई ।ना त छव महीनाजेहल के खिचड़ी खायेके परी । 

बटोहीए बबुआ, ई त घरोछोड़ला के बड़ा भारीरोग भइल । 

समाजी
: ए बाबा, त खरचे-बरचेरावा पास में नारहे त कलकाता काचल देलीं ? पगरी बन्हा के,
लाठी लेके, सेरवानी झारि के चलदेले बानीं । 

बटोहीहम का जानत बानीकि रेल में आटिकठ में एके हालीदाम बुकनी हो जाई हो

समाजीए बाबा, आज कल मसूलबढ़ गइल बा । 

बटोही
: बढ़ जाला अघेली सूकाकि एके हाली दहानाके दहाना ? (प्यारी सुन्दरी खड़ा हो जातारी) 

प्यारीसुन्दरी ए बाबा ! 

बटोहीका बबुआ, कुछ कहब का
? समाज: हम रावा सेकुछ नइखीं कहत होने बाड़ीभगतिन । 

प्यारी०
: ए बाबा ! 

बटोहीका बबुआ, कुछ कहबू का

प्यारी
: हम पूछतानी जे रावा कहाँजाइब । 

बटोही
: हमरा से ? कलकाता होबबुआ । ओह बबुआसे रेल के भाड़ाबूता पूछतानी, तोहरा से कुछ नाहो, तू जा । 

प्यारी०ए बाबा, हम रउआ सेएगो आपन दुख कहब। 

बटोही
: का भइया, हम कवनो ओझा-गुनी हुई ? 

प्यारी
: ओझा-गुनी के बातनइखे ए बाबा ! जबसे हमार पती परदेसचल गइलन तब सेएगो चोठी चपाठी नाभेजलन हा ए बाबा

बटोही
: ओ, पाठी भुलाइल बा। खूटी में गाड़के बरही में बाँधदेला, ओही पर भलामचत रहिती । 

प्यारी
: पाठी नइखे भुलाइल ।हम रावा से पूछतानीकि रावा कहाँ जाइब। गइलन तब सेएको चोठी ना आइल

बटोही
: ओ, मालूम भइल, पेट बथतवा । का खइलूहा, फुलवरी ? 

प्यारी
: कुछुओ ना ए बाबा

बटोही
: ओ, एक ढेवुआ भरआदी खा लीह । 

प्यारी०ए बाबा ! 

बटोही
: जतना अयगुन होई सब पचादी । 

प्यारी०
10 : ए बावा, रावा सुनात नइखे

बटोहीआ रे पागल, हमरासुनाते नइखे ? ई जुलुमी दवाहै, जुलुमी । 

प्यारी०:
हमार पेट नइखे बथतए बाबा ! जब से हमारपती जी परदेस मेंगइलन तब से एकोचीठी आ चपाठी नाभेजलन हां हो बाबा

बटोहीमालूम भइल। ओ, पाठीसियार ले गइल बा। एगो कि दूगो रे ? दू गोले गइल होई तएह अकाला में राजे बुरुजभइल । 

प्यारी०
: हे? पाठी सियार नइखेले गइल । जबसे हमार स्वामी जीपरदेस गइलन तब सेएको जोह-जाह नामिलल ह ए बाबा

बटोहीओ ? स्वामी कवन चीज रे
? प्यारी० ए बाबा, हमराघर के सर्वांग | 

बटोहीत हइसे नू फरिआके कहेला। तब से तँबीस गो भवता काकइले बासि ? के, ससुर ? 

प्यारीना । 

बटोहीभसुर ? 

प्यारी०
: ना । 

बटोही
: देवर ? 

प्यारो०ना। 

बटोही
: जाउत ? 

प्यारीना 

बटोहीफेर दूर होले किना एक हाली कहेलीकि हमरा घर केसर्वांग हवन, एक हालीकहेले कि केहुए ना।ई बाबा के बुरबकसमझ लेले बाड़ी ।अब बुरबक का साथे बुरबकलेखा बतिअवला से फरिआई ।ई बताउ जे नातामें केहू लागे लहू। 

प्यारी०
: हँ ए बाबा ! 

बटोही
: के ? 

प्यारी०ए बाबा, पुरुष । 

बटोही
: ओ बुझ गइलीं- भतार 

प्यारी
: हॅ ए बाबा ! 

बटोही
: तब, तँ, प्यारी : एबाबा, रउआ ओनिये कावरजातानी, तनी खोज ढूंढ़के पता लगा केरउआ तनी लिअवले आइबए बाबा ! हमरा से .... 

प्यारी
: ए बाबा, रउआ ओनिये कावरजातानी, तनी खोज ढूढ़के पता लगा केरउभा तनी लिअवले आइबए बाबा ! 

त बटोही आउर बनल रेपागल, भला हम तोरदेह देख के काकरब ए ? केकरा घरके ना सर-सवगदेस परदेस कमाये जाला ? का घर केबेकत आपन प्रान त्यागदेली ? हमहूँ त अपना घरके एगो सर-सर्वांगहुईं जे दम दमवलेचलल बानीं बहरा कमाये खातिर। 

बटाहीई बताउ कि हमचलल बानीं नगद नारायन दामकमाये कि 

देसादेसी तुम्हारा भतार खोजता है
? प्यारी० ए बाबा, रउआहमार देह नइखीं देखतका ? 

प्यारी
: ए बाबा, पाव भर बनावलहमरा से ना घोंटाय। बटोही ना हमार बाबू
! का खाइल जात होई
? ना ढुकते होई ना घसतेहोई । बूढ़ होगइल बानीं, हमार अकिलो कतहूँहेराइल बा ? (समाजी का ओर बबुआरे, हमरा बुझात नइखेकि एह उमर केजनाना के आँख कासोझा सर्वांग जो ना रहेत मन करत होईकि कुआ में गिरजाईं। 

प्यारी
: ए बाबा, चलीं कुछ अन-जल के लीं। 

बटोही
: का अन-जल करोंरे ? तोरा दुख केमारे ओटा खिआइ गइलबा । 

( बटोहीबइठतारे । ) 

समाजी

(पूर्वी) 

सिरिगनपति के चरन केसरन गहि, कहि केसुनावत बानी गीत मेंबिदेसिया । 

मचियाऊपर धनि, छतिया मेंहनि हनि पति केधेयान ध के रोवेप्यारी धनियाँ । 

भारी०

(गीत-
तेवड़ा) 

अब पत राखs श्रीभगवान ! 

करिगवन मोहि छोड़ि भवन,
पिया 

कइलनपुरुब 

पेयान। अब पत 

ना मालूम केहि देस गइलन, 

तनीना मिलत ठेकान ।अब पत…. 

रामना बिसरत एक छन, मोर 

भइलबा बयस जवान ।अब पत 

अब ले कसहूँ धीरधरी, हम करिके छातीपखान । अब पत 

कहेभिखारी पिया का पदमें रहत निसि-दिनध्यान । अब पतगीत (पूर्वी) 

करिके गवनवाँ भवनवाँ में छोड़ि करअपने परइलs पुरुबवा बलमुआँ | अँखिया से दिन भरगिरे लोर ढर-दरबटिया जोहत दिन बीतेलाबलमुआँ | 

बटोही
: आरे हमार बाबू, चुपरह5 | गइल बाड़न तओतहीं रहिहन ? अइहन नू । 

प्यारी०

( गीत ) 

गुलमा के नतिया, आवेलाजब रतिया त, तिल भरकल ना परत बाबलमुआँ | 

बटोही आ का कलपरो हो दादा ! 

समाजी तू काहे रोअतारs
ऐ बाबा ? 

बटोही : बेचारी के दुख देखिके जीव ब्याकुल बा। 

प्यारी० : तोहरे कारनवाँ परानवाँ दुखित बाटे दया केके दरसन दे दहो बलमुआँ | | काइ कइली चूकवाकि छोड़ल मुलुकवा तू ? कहलs नादिलवा के हलिया बलमुआँ

साँवलीसुरतिया सालत बाटे छतियामें 

एकोनाहीं पतिया 

भेजवलबलमुआँ | 

कवनानगरिया डगरिया में पिया मोर 

करतःहोइबs घर-बास होबलमुआँ । 

घर में अकेले बानी,
ईसवर जी राखs पानीचढ़ल जवानी माटी मिलता बलमुआँ

बिरहके कूपया में, जोगिनी कारूपवा में तोहरे केअलख जगाइब हो बलमुआँ | मदनसतावत बाटे, छतिया फाटत बाटे 

अनवाँजहर लेखा लागत बाबलमुआँ | जनितीं त ध केहाथ, छोड़ितीं ना तनी साथ 

दिन-रात सँगही मेंरहितीं में रहितीं बलमुआँ
| ताकत बानी चारू ओर,
पिया आ के करs
सोर लवटो अभागिनी केभगिया बलमुआँ | 

मोरालेखा दुखिया के मुखिया नाजग केहू भुखिया बातोहरे दरस के बलमुआँ

निजहाथे तेगा धरि, गरदनकाटि करि माटी मेंमिलाइ के परइलs बलमुआँ

कहतभिखारी नाई, आस नइखेएको पाई 

हमरासे होखे के दीदारहो बलमुआँ | 

( रोवत-
रोअत बटोही के देह परगिर जातारी) 

बटोहीकहब, कहब । 

प्यारी०
(बटोही से) 

गीत
(पूर्वी) 

कहाँजइबs भइया ? लगावs पार नइया तूमोर दुख देखि लनेतर से बटोहिया । 

बहरवामें 

सब जइबs तू ओहीदेस, देखि लः नीकेकलेस, हलिया सुनइहs बटोहिया । 

सुनs
हो गोसइयाँ, परत बानी पइयाँ, 

रचि-रचि कहिह‍ बिपतियाबटोहिया। 

छोड़िकर घरवा में बीचमहधारावा में 

पियवा 

गइलनबटोहिया । 

नइहरईयवा, तियागि देलन पियवा असमनजनिहs जे धियवा बटोहिया। 

कइसेके कहीं हम, नइखेधरात दम सरिसो फुलातबाटे आँख में बटोहिया। कहत भिखारी, नीकेमन में बिचारि देखs
चतुर से बहुत काकहीं हो बटोहिया । 

(पूर्वी) 

बटोही
: कइसन पिया तोर ? करियाकि हवन गोर ? 

सचमुचरूपवा बता द प्यारीधनियाँ । जाइ केकहब हम तोहरा लेनाहीं कम अधिका बुझाईजहाँ तक प्यारी धनियाँ। मन में सबुरकरs, जयs शिव, हरिहर 

कहतभिखारी कारज होई प्यारीधनियाँ । प्यारी : करियाना गोर बाटे, लामानाही हउवन नाटे, 

मझिलाजवान साम सुन्दर बटोहिया। घुठी प लेधोती कोर, नकिया सुगाके ठोर । सिरपर टोपी. छाती चाकर बटोहिया। पिया के सकलके तू मन मेंनकल लिख‍ हुलिया केपुलिया बनाइ ल बटोहिया। 

   

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लेख
भिखारी ठाकुर ग्रंथावली
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भिखारी ठाकुर (1887-1971) एक भारतीय भोजपुरी भाषा के कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्हें भोजपुरी भाषा के सबसे महान लेखकों में से एक और पूर्वांचल और बिहार के सबसे लोकप्रिय लोक लेखक के रूप में माना जाता है. भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के सारण (छपरा) जिले के कुतुबपुर (दियारा) में हुआ था. उनके पिता का नाम दल सिंगार ठाकुर और माता का नाम शिवकली देवी था. उनके पिता लोगों की हजामत बनाते थे. भिखारी ठाकुर ने सामाजिक समस्याओं और मुद्दों पर बोल-चाल की भाषा में गीतों की रचना की. उन्होंने भोजपुरी गीतों और नाटकों की रचना की. 1930 से 1970 के बीच भिखारी ठाकुर की नाच मंडली असम, बंगाल, नेपाल आदि कई शहरों में जा कर टिकट पर नाच दिखाती थी. भिखारी ठाकुर को "भोजपुरी का शेक्सपियर" भी कहा जाता है. महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उन्हें "भोजपुरी का शेक्सपीयर" की उपाधी दी. अंग्रेज़ों ने उन्हें "राय बहादुर" की उपाधि दी. हिंदी के साहित्यकारों ने उन्हें "अनगढ़ हीरा" जैसे उपनाम से विभूषित किया.
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बिदेसिया

14 October 2023
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 बिदेसिया  ( सुधार मंच पर आके मंगलाचरण सुनावतारे )  श्लोक  वामां के च विभातिभूधरसुता देवापगा मस्तके भाले बालविधुर्गलेच गरलंयस्वोरसि व्यालराट् सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवर: सर्वाधिपः सर्वदा शर्वः सर्वगतः

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बिदेसिया - 2

15 October 2023
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 आवेलाआसाढ़ मास, लागेला अधिकआस, बरखा में पियाघरे रहितन बटोहिया ।  पियाअइतन बुनियाँ में, राखि लिहतनदुनियाँ में अखड़ेला अधिकासावनवाँ बटोहिया ।  आई जब मास भादों, सभे खेली दही- कादो, कृस्न के जनम बीतीअ

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भाई बिरोध नाटक

17 October 2023
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समाजी: सिरि गनेस महादेव भवानी, रामा हो रामा रामा, भरत लखन रिपुसूदन रामा रामा हो रामा रामा, लघु नाटक चाहत मन करना, रामा हो रामा रामा, देहु कृपा करि, राखहु सरना, रामा हो रामा । रामा, सब सज्जन से बिनय है

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बेटी वियोग

18 October 2023
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समाजी : ( चौपाई श्री गणेश पद नाऊ माथा । तब गाऊ कुँवरी कर काथा ।। गावत बानीं लोभ के लीला । जेहि से होत जगत में गीला ॥ बेचत बेटी मन हरखाई । छोटत ज्ञान ना परत लखाई ॥ सो सब हेतु कहब करि गाना । सुनहु कृपा

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कलियुग प्रेम

18 October 2023
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दुलहारिन निसा खा के पिया मोर, निसा खा के पिया मोर दिहलन कपार फोर, (से) परल बानी तिसइन का पालवा हो लाल (से) परल बानी बेंचि के चौकठ केवारी, बेंचि के चौकठ केवारी तन पर के हमरा सारी, (से) सेतिहे में व

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राधेश्याम बहार

19 October 2023
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बंदना (चौपाई ) श्री गणेश के लागी पाँव । जगत जपत वा जिनिकर नाँव || विप्र चरन में नाऊ सीस जे वा दुनियाँ भर में बीस !! सन्त चरन में नाऊँ माथ । जिन्ह परगट कइलन रघुनाथ ॥ बासुदेव देवकी पद लागू । बार-बार अत

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एगो किताब पढ़ल जाला

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