लेखक आ शोधकर्ता के रूप में काम कइले बानी : एह किताब के तइयारी शोधकर्ता श्री दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह कइले बाड़न. किताब के सामग्री : १. एह किताब में भोजपुरी के कवि आ कविता के चर्चा कइल गइल बा, जवना में भारतीय साहित्य में ओह लोग के योगदान पर जोर दिहल गइल बा. एह में उल्लेख बा कि भारत के भाषाई सर्वेक्षण में जार्ज ग्रियर्सन रोचक पहलु के चर्चा कइले बाड़न, भारतीय पुनर्जागरण के श्रेय मुख्य रूप से बंगाली आ भोजपुरियन के दिहल। एह में नोट कइल गइल बा कि भोजपुरिया लोग अपना साहित्यिक रचना के माध्यम से बंगाली के रूप में अइसने करतब हासिल कइले बा, जवना में ‘बोली-बानी’ (बोलल भाषा आ बोली) शब्द के संदर्भ दिहल गइल बा। भोजपुरी साहित्य के इतिहास : १. एह किताब में एह बात के रेखांकित कइल गइल बा कि भोजपुरी साहित्य के लिखित प्रमाण 18वीं सदी के शुरुआत से मिल सकेला. भोजपुरी में मौखिक आ लिखित साहित्यिक परम्परा 18वीं सदी से लेके वर्तमान में लगातार बहत रहल बा। एह में शामिल प्रयास आ काम: 1.1. प्रस्तावना में एह किताब के संकलन में शोधकर्ता श्री दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह जी के कइल महत्वपूर्ण प्रयास, धैर्य, आ मेहनत के जिक्र बा। एहमें वर्तमान समय में अइसन समर्पित शोध प्रयासन के कमी पर एगो विलाप व्यक्त कइल गइल बा. प्रकाशन के विवरण बा: "भोजपुरी कवि और काव्य" किताब के एगो उल्लेखनीय रचना मानल जाला आ बिहार-राष्ट्रभाषा परिषद के शुरुआती प्रकाशन के हिस्सा हवे। पहिला संस्करण 1958 में छपल, आ दुसरा संस्करण के जिकिर पाठ में भइल बा।
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