कथाकार आशुतोष मिसिर के जेकरे हाथे भोजपुरी गद्य के सुभाव बचल बा।
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सुग्गी अइली-सुग्गी अइली' कहत गाँव के लइका दउरल आके ईया के घेरि लिहलें सं। बूढ़ा के चेहरा अँजोर हो गइल। पूछली 'कहाँ बाड़ी रे ? कइसे आवत बाड़ी ?' रेक्सा पर आवत बाड़ी, गँउवे के रेक्सा ह, 'बस पहुँचते बाड़
एतनी बेरा रउवाँ कहानी सुनल चाहत बानीं ? आच्छा, त बताई की आपबीती सुनाई कि जगबीती ? ई तऽ रउवाँ अजगुत बाति फुरमावत बानीं कि हम एगो एइसन कहानी सुनाईं जवना में आपबीती त रहबे करे, जगबितियों रहे ! आच्छा, त स
'गजब हो गइल भाई ! अब का होई। का कइल जाव ?' अपनही में बुदबुदात परधान जी कहलें। उनका अन्दाज नाहीं रहल कि केहू उनके बात सुनत बा। 'का गजब भइल हो ? कवन उलटनि हो गइल ? कवने फिकिर में परि गइल बाड़ऽ?' पाछे त
सबेरे मुँहअन्हारे डुगडुगी बजावत खुल्लर गाँव में निकलि गइलें। जवन मरद मेहरारू पहिलही उठि के खेत बारी कावर चलि गइल रहे लोग, ओह लोगन के बहरखें से डुगडुगी सुनाइल त सोचे लगले कि ई का भईल? कवने बाति पर एह स
आजु कंगाली के दुआरे पर गाँव के लोग टूटि परल बा। एइसन तमासा कब्बो नाहीं भइल रहल ह। बाति ई बा कि आजु कंगाली के सराध हउवे। बड़मनई लोगन क घरे कवनो जगि परोजन में गाँव-जवार के लोग आवेला, नात-हीत आवेलें, पौन
राज का चारू कोना में आन्दोलन होखे लागल। सूतल परजा के जगावे खातिर नेता लोग फेंकरे लगलें। ऊ लोग परजा के बतावता के फेचकुर फौक दीहल लोग कि तोहन लोगन केतना दुख बिपत में परल बाड़ऽजा। परजा का ई बुझाइल कि जब
आईं, मास्टर जी बइठीं। कहीं, आप डाक बंगला में कइसे चलि अइनीं।' कहि के लुटावन मनबोध मास्टर के बइठवले। मास्टर बइठि के पुछलें, 'का हो लुटावन, दिल्ली से कुछ लोग आवे वाला रहलन। ओह लोग के कुछ अता पता बा।' लु
'देखऽ एक बाति तू समुझि लऽ कि आगे से गाँव के एक्को पइसा हम तहरे हाथ में नाहीं जाए देबि ।' कहि के मुनरी उठि परलि। सवेरे उठते रमधन ओके समुझावे लागल रहलें कि चेक पर दसखत कऽ के उनके दे देव, ऊ बलाके पर जाके
साहेब के गाड़ी दुआर पर आके खाड़ भइलि। डलेवर उतरि के पछिला फाटक खोलि के खाड़ हो गइलें, तब साहेब धीरे धीरे उतरलें। तबले गाँव के लइकन के झोंझ पहुँच के गाड़ी घेरि के जमकि गइल। रजमन उनहन के घुड़के लगलें 'ज
गाँव के सगरी पढ़वड्या लइका एकवटि के मीटिंग कइलें सन। मीटिंग में एह बात पर विचार भइल कि परधान आ पंच लोगन के जवन चुनाव होखे जात बा, ओमे परचा भरे वाला लोग के योग्यता के परख कइसे होखे। आजु ले ता जे जे परध