कठपुतरी बाग बागिया में बजेल बाँसुरी, अबेरी चढ़ेल पे चढ़ेल बताई। चंदनी रात में, चाँदनी रात में, कईया जुगनु बोलेल छाई। पवन भरे बहुत सुहावनी, देखे लोगन बोलेल कईया लाजाई। भोजपुरी भाषा में रंगीन बोल, कहे बातें बड़ी ताजगी से हमराई। अनूदित भोजपुरी का है रंग, पढ़ेल जब तक, बढ़वाई भाषा की शोभा। उम्मीद है यह किताब भी, बढ़ाएगी भोजपुरी भाषा का प्यारा।
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