भोजपुर जिला में पोआर अउर बसौली दूगो गांव बा। दुनो गांव के सीवान एक दुसरा से मिलेला। पोआर भूमिहार अउर बसौली राजपूत बहुल गांव ह। दुनो गांव आपस में बड़ा मिलके रहत रहे। शादी बियाह में नेवता हँकारी चलत रहे। बाकी दूनो गांव के सिवान पर स्थित दूगो शीशम के गाछ काटे के लेके बड़ा तनाव हो गइल। बसौली के लोग काटल चाहत रहे अउर पोआर के लोग अड़ल रहे कि ना काटे देव।
एक दिन बसौली के लोग तैयारी से लाठी, भाला, टांगा साथे दूनो गाछ काटे पहुंच गइल। जानकारी मिलते पोआर गांव के लोग भी गोजी, बरछी, भाला के साथ पहुंच गइल। दूनो गांव एक दूसरा के जान लेवे प तुलल रहे। हल्ला गुल्ला सुन के पोआर के जमींदार नथुनी सिंह पहुंच गइलन। उनका देख के दूनो गांव के लोग दू देने खाड़ हो गइल।
होता? भीड़ से अलगे तुफानी सिंह के बोला के पूछले तोहरा रहते ई का
तूफानी सिंह कहले ई दूनो गाछ सिवान पर जरूर बा बाकी एकरा के हमरे गांव के लोग लगवले रहे। आज काटतानी जा एकरा खातिर रउवा लोग के आपत्ति ना होखे के चाहीं। हमार गांव कबो ओह गाछ के आपन नइखे कहत। सीवान पर बा दूनो गांव के लोग उपयोग करेला। बाल जमीन बा। दुपहरिया में तपला त इहे छाह के एगो अलम बा। हरियर पेड़ काटल असहू पाप ह। हमनी के संस्कृति एकरा के मना करेला। हमनी के, जे गाछ वृक्ष के पूजा करेला, ओकरा के जिंदा काटल कसहू उचित नइखे। अब अपना गांव के तू ही समझाव।
नइखे। हमरा मान के अब ई बात नइखे रह गइल। गांव माने के तैयार
त का दूगो गाछ खातिर सब संबंध भूला के लाश गिरावल ठीक रही? ना मनब लोग त तू चल जगदीशपुर जे राजा जी के आदेश होई उहे कइल जाई। आज जा लोग हमार बात मानल।
दूनों गांव में तय भइल कि एतवार के जगदीशपुर साथे चलल जाई। बाकिर बसौली के लोग पहिलहीं जाके राज दरबार में आपन दुखड़ा रोवत पोआर के शिकायत कर देलस। राजा साहब भी बाबू साहब लोग के प्रभाव में पोआर गांव पर चढ़ाई के निर्णय लेले। ई बात नथुनी सिंह के कान में पड़ल त धावा धाई जगदीशपुर पहुंचलन। दरबार में खबर गइल। बुलवला पर दरबार में गइला पर दुआ सलाम के बाद नथुनी सिंह कहले बुझाता कहीं के तैयारी बा हुजूर के।
ह हो बसौली के लोग आइल रहल हा। पोआर के लोग के मन बढ़ गइल बा। सेना ओहिजे बढ़ल बा। हमहू निकलब। केने चलला हा?
अब कहे के का बाकी रह गइल? चलीं पोआरे भेंट होई। ई का कह ताड़? हम बुझनी ना। साफ साफ खोलके बताव।
रउवा राजा हई। बिना दूनो पक्ष के सुनले कवनो निर्णय लेल कइसे उचित होई। हमरा के बोला के सच्चाई जान लेतीं फिर जे बूझाइत ऊ करतीं। ठीक बा। का बात बा? कवना चीज के लड़ाई नथले बा लोग? राजा साहब सब बात सुन के दंग रह गइनी। तुफानी सिंह के बोला के कहनीं बउरा गइल बाड़ लोग। बाप दादा गाछ लगवले रहे जे आज लउकत बा। कवगो अपना हाथे गाछ लगवले बाड़। बाप दादा के धरोहर ह। हरियर गाछ काटल पाप ह। अपना माथे त पाप लेते रह हमरो के भागी बना लेले रह। ई त समय पर साँच सामने आ गइल कि हमरो इज्जत बाचल।