नया जन बन। तू जानेलू बाबू भइया आपस में एक दोसरा से कपड़ा हित नाता घरे जाये खातिर अदल बदल लेला बाकिर तोहरा के ना नू दी। मुँह ओहिजे खोले के चाही जहाँ बात रह जाय।
जइसे सब होता ओसही एगो मिरजई किना जाई त का बिगड़ जाई।
करजा लेके इज्जत त बचावल ठीक ह बाकिर घीव पीयल उचित ना ह। फाटल बा त का कवन हम मिरजई देह में डालीना सरिया के कंधा पर
लेब।
जइसन मर्जी रउवा भीरी माथा पटकल बेकार बा।
बारात लेके सरिखन कलीडीह समय पर पहुंच गइल रहन। दुआरे बारात लाग गइल रहे। माड़ो में भतखिआई के बेरा चारगो हित जोरे अंगना में पहुंचलन त समधी जी कहले गंजी पर मिरजइयो डालीं माड़ो में मेहरारू लड़की हित लोग रही नीक ना लागी। बियाह के घर ह हमरो इज्जत बा।
ना नकुर करत सरिखन अँगना में पहुंच गइलन। उनकर हित नाता भी समझवले कि रोज रोज समधी ना बनब तोहरे खातिर कहता लोग मान जा। कवनो उपाय ना देख कंधा पर रखल मिरजई उठा के देह में डाल माड़ो में बइठ गइलन। मिरजई जगह जगह से दरकले ना रहे पीठिया पर फाटल भी रहे।
अँगना में भरल हित नाता मेहरारू लड़की सब के एकाएक हँसी छूट गइल। सरिखन एह हँसी के कारण समझत मुड़ी गड़ले खाना खाये लगलन। मने मन सोचत रहन ई कवनो नया बात नइखे गरीबी पर त दुनिया हँसबे करेला। तबतक एगो मेहरारू पिछे से गीत उठा देलस
'सब दहेजवा खाइके सरिखन अइले अँगना हो बेटा बेचलन तबो मिरजई ना खरिदलन हो'साँचे कहल गइल बा सुख में सभे पूछे दुखवा में केहू ना। बाकिर गरीब खातिर का दुख का सुख। सरिखन साव गांव में गल्ला तउले के काम करत रहन। ओकरे से जे भेंटा जाय ओही से परिवार चलत रहे। उनके बेटा के बियाह रहे। जवन साधन उपलब्ध रहे ओही से बियाह के तैयारी चलत रहे। घर भर के लोग अपना खातिर नया कपड़ा बनवावल। सरिखन ब भी बक्सा में पहिले से जोगावल एगो नया साड़ी चउकावन खातिर निकाल लेले रही।
बियाह के दिन नियरा गइल बाकी सरिखन अपना खातिर नया धोती मिरजई ना खरिदलन त एक दिन सरिखन ब उनका से कहली काहे अभी तक चुप लगवले बानी धोतिये गंजी पर समधी बन बारात ले जाइब बा का?
सरिखन कहले तोहरा से का छुपल बा। लड़िका सब खातिर त मजबूरी बा। तू आपन जोगाड़ करिये लेले बाडू। हमरा कवन माथे मउर बांधे के बा।
रउवा जानत बानी एको ढ़ग के पूरानो मिरजई नइखे। एगो बा उहो फाटल बा। अगर ना किनब त बारात के दिन खातिर कवनो बाबू भइया से माँग लेीं।