जानू दा। पूरा नाम जमालुद्दीन खान। मिलकी पर के जमींदार। सांझी खा दलान पर जब बैठकी में बइठस त गाँव के हिन्दू मुसलमान सभे जुटत रहे। जुटे काहे ना, वेद कुरान से लेके रामायण महाभारत के संगे चरचा होखे। संप्रदायिक सौहार्द अउर छुआछूत के कवनो स्थान ना रहे जानू दा के जीवन में। ई उनके प्रभाव रहे कि उनका गाँव में हिन्दू मुसलमान के आपस में शादी बियाह तक में खान पिहान साथे चलत रहे। होली-ईद के त बात छोड़ीं गाँव के पूरब पोखरा पर छठ के मेला में दूनों समुदाय के लोग साथे घूम के खाली गुरही जिलेबीये ना खाय छठ के भोरे गमछा बिछा के मुसलमान भाई लोग प्रसाद भी माँगत रहे।
मंगल पहलवान। पूरा नाम मंगल नाथ पांडे। गाँव के सब से बड़ मिलकियत वाला धरीक्षण पांडे के एकलौता संतान। आजो डेढ़ सौ बिगहा के मालिक। लइकाई से पहलवानी के शौक के कारण समे मंगल पहलवान के नाम से जानत रहे। मंगल पहलवान अउर जानू दा में दाँत काटी दोस्ती रहे। जानू दा उमीर में मंगल से आठ दस बरीस बड़ रहन। शुरू शुरू काली माई त अखाड़ा में जानू दा मंगल के दाव पेंच सिखवले रहन। एह से मंगलो मन से उनका के गुरू मानत रहन अउर जानू दा के बड़ भाई समझत रहन। जानू दा अउर मंगल पहलवान के दोस्ती के आलम ई रहे कि दिन भर में दू घंटा साथे ना रही लोग त खाना ना पची। बजार होखे भा बारात दूनों के घोड़ा संगे संगे कसात रहे।
मिलकीपर जब से पंचायत बनल रहे तब से जानू दा पंचायत के मुखिया रहन। बराबर निर्विरोध चुनात आइल रहन। बाकी समय त परिवर्तनशील ह। समय के साथे मिलकीपर बदलाव स्पष्ट दिखाई पड़त रहे। पृथ्वी यादव, जेकर गिनती गाँव के नया धनिक में होत रहे, के लइका आग मृतत चलत रहे। पृथ्वी कुछ साल पहिले गाँव के बगल पियरो बाजार पर सिमेंट के दुकान खोलले रहन। बिजनेस बढ़िया चल निकलल। ब्लॉक में सीमेंट आपूर्ति के क्रम में बी.डी.ओ. साहब किहाँ उठे बइठे लागल रहन। बाद में कह सुन के आपने बेटा धनेसर के टिकेदारी में लगा देलन। धनेसर ठिकेदारी से बढ़िया पइसा त कमईबे कइलन साथे साथ राजनीति में भी पैर रख देले रहन। ओने जानू दा के बड़का बेटा करमू शहर से पढ़ के लौटल त गाँव के अउर अब्बा के रहन सहन भूला के दिन रात इस्लाम के प्रचार-प्रसार में गाँव शहर में दउड़ल चलत रहन।
धन बड़-बड़ के मती भ्रष्ट कर देला। मंगल पहलवान के बेटा मदन लइकाई में गलत संगत में पड़ गइलन। गांजा-ताड़ी त बचपन से चलत रहे, सयान होते शराब आ कोठा के चसका लाग गइल। बाप दादा के इज्जत के कहो जोगावल धन दुनो हाथे उड़ावत रहन। ई सब देखके जानू अउर मंगल माथा पिटत रहे लोग। आखिर उपायो त कुछ ना लउकत रहे।
एही बीच पंचायत चुनाव के एनाउंस हो गइल। जानू दा मंगल के दुआर पर गइले अउर कहले कि अबकी हम चुनाव में खाड़ ना होखब। मंगल चिहात कहलन काहे?
सुनला हा ना पृथ्वी के बेटा धनेसर खड़ा होता। अब का हम ओकरा हाथे आपन इज्जत गवाई। तू त जानत बाड़ जमींदारी चल गइला पर का बाचल रहे बाकिर आज ले इज्जत पर अँगुली ना उठे देनी।
रउवा चुपचाप रहीं। आज ले एहिजा चुनाव भइल बा जे अब होई। हम सांझ खा पृथ्वी के बोला के बात करब। रउवा जाके आराम करीं। काल भेंट होई।
हा। सांझ खा मंगल के दुआर पर आवते पृथ्वी कहले कइसे इयाद कइनी
ई का सुनतानी हो।
हम बुझनी ना।
गाँव में हाला बा कि धनेसर अबकी मुखिया में खाड़ होइहें। का ई सही बात बा?
हमरो से कहत रहे कि बाबूजी मुखिया के चुनाव में खड़ा हो तानी राउर आशीर्वाद चाहीं। हम साफ कहनी की जवन करताड़ उहे कर राजनीति के फेरा में मत रह। बाकी आजकल के लड़िका कहाँ सुनलन सं गार्जियन के चाहे ऊ राउर घर होखे चाहे हमार। ऊ ना मानी चुनाव लड़े खातिर अड़ल बा। रउवे बोला के समझइतीं।
तोहरे नइखे सुनत त हमार का सुनी। आपन इज्जत अपने हाथ में राखे के चाहीं। तू त जानत बाड़ एह गाँव के लोग भाईचारा खातिर जानल जात रहे आजतक। बाकिर गाँव में आज राजनीति अउर साम्पदायिकता दूनो घुसपैठ बना रहल बा आगे भगवाने मालिक बाड़न। असहू कहल गइल बा राजनीति अउर साम्प्रदायिकता भाईचारा के ताप जाला। हम कहब एक बे फेर धनेसर के समझाव।
ऊ ना मानी। हम बाप हई ओकर स्वभाव जानतानी।
ठीक बा त उनका के बता दिह हमरा से मदद के उम्मीद मत रखिहन। हमरा आ जानू दा के संबंध गाँव जानेला। इहो बता दिह जानू नइखन चाहत चुनाव लड़ल बाकी हमरा जिनगी में उनका रहते गाँव में दुसरा कोई मुखिया ना होई। धनेसर के बता दिह मंगल चा बरजले हा ना मनिहे त चुनाव में पता चल जाई।
राती खा जानू दा के दलान पर मंगल जाके सारा बात बतावत कहलन थनेसर ना मानी रउवा तइयारी करी हम रउवा साथे बानी। जानते बानी कहलो गइल बा नया धनिक के नया-नया शौख होला अउर केकरो कहला में ना रहे।
देख मंगल हमार उमीर अब पैतराबाजी के ना रहल। आज ले राजनीति ना आइल। गाँव के चहला से ढ़ोअत रहीं। गाँव एकमत ना रहल फेर काहे के फेरा में पड़े के बा।
ना राउर बनल रउवा हमरा खातिर ना गाँव खातिर जरूरी बा। जवन बीज रोपा रहल बा गाँव में ऊ संउसे गाँव के जरा दी। रउवे कहीं गाँव ना रही त इज्जत भा हमनी के बाचब जा? गाँव खातिर हमार बात मान जाई।
अब तोहरा अउर गाँव खातिर ना कइसे कहीं। ठीक बा। तैयारी कर लोग। होम करत हाथों जरेला। गाँव खातिर जियनी त अब ना कइसे कहीं।
लाख चहलो पर चुनाव ना टलल। जानू दा के विरोध में धनेसर डट गइलन। धनेसर के पीछे दस गो लुहेड़ा लइकन अउर उनकर जात, ओहिजे जानू दा के साथ सउसे गाँव एकवटल रहे। धनेसर धन के बल पर जातीयता अउर साम्पदायिकता के खूब हवा देलन। बाकिर गाँव के अभी पुरान दिन ईयाद रहे सभे जानू दा के ही चाहत रहे।
ई बात धनेसर समझत रहन। थन अउर प्रशासन में पैठ के बल पर प्रशासन के खरीद लेलन। प्रशासन भी उनका पक्ष में उतर गइल रहे। चुनाव के दिन बूथ कब्जा के प्रयास कइलन बाकिर मंगल के सामने आ जाये से मनसा ना पूरल।
चुनाव के गिनती के दिन प्रशासन उलट फेर क के धनेसर के जीतावे खातिर गलत गिनती कर चुनाव फलाफल धनेसर के पक्ष में देल चाहत रहे।
खबर मिलते मंगल राईफल के साथ गणना स्थल पर पहुंच के बी.डी.ओ. साहब के गरदन पर राईफल रखत कहले कि बीस बरीस ले राईफल रखले बानी बाकिर आज ले एगो चिरई नइखी मरले बाकिर गणना में हेरफेर करब त आज खून आपना माथे लेवे में पीछे ना रहब। स्थिति के नजाकत प्रशासन के बुझा गइल कि ऐहिजा दाल ना गली। हार पाछ के प्रशासन जानू दा के पक्ष में चुनाव फलाफल घोषित कर देलस। ई बात धनेसरे के ना उनका बाबूवोजी के ना पचल। धनेसर ठान
लेलन कि हार के बदला हम बरियार लेब। दिन-रात ऐकरे चक्कर में रहस।
धर्म, सम्प्रदायिकता के साथे साथ राजनीति के खेल गाँव में जे छुप के होत
रहे ऊ खुल के होखे लागल। एक तरफ धनेसर त दोसरा तरफ करमू। धनेसर
राजनीति के पेंच से परिचित हो गइल रहन। जान गइल रहन कि लोहे लोहा
के काटेला। ऊ मदन के अपना पक्ष में करके मंगल अउर जानू में फूट डाले
के प्रयास कइलन बाकी सफलता ना मिलल। तब मदन के मोहरा बना के
हिन्दू मुस्लिम में लड़ावे खातिर कूद पड़लन।
दाहा के जुलूस हर साल गाँव में निकलत रहे। गाँव के हिन्दू-मुस्लिम एकभाव से भाग लेत रहे। एह साल के जुलूस में हिन्दू के सक्रियता के अभाव स्पष्ट नजर आवत रहे। बाकी परंपरा, चलल आवत परिपाटी के कारण जुलूस पूरबारी टोला चौक पर रूकल। ओहिजा मंगल पहलवान अउर जानू दा लाठी खेलके जुलूस आगे बढ़वलन। जुलूस आगे बढ़ा के घरे आ के एक साथ नहात खात रहे लोग कि बधार से जोर के शोर आवे लागल। समझे के प्रयास करत रहे लोग तब तक ललन आ के कहलन।
बाबा गजब हो गइल।
का भइल रे?
जुलूस अभी काली माई त पहुंचे वाला रहे की मदन अउर धनेसर के कहला पर हिन्दू के लइकन के टोल जुलूस पर टूट परल हा। देखते देखत दुनो समप्रदाय के लोग आपस में कटे मरे प उतारू बा। एने से मदन, धनेसर त ओने से करमू नेता बनल बाड़े। मंगल राईफल उठाके जानू के साथ जुलूस के तरफ दउड़ गइलन। जगहा पर पहुंचते मंगल मुस्लिम अउर जानू हिन्दू के तरफ खड़ा हो गइलन। दूनो दल थोड़े देर खातिर शांत पड़ गइल। मंगल राईफल मदन के ओर करके कहले लौट जा ना त पहिला लाश तोहारे गिरी। एने जानू दा करमू के कहले कि हम जनतीं कि ई दिन देखइब त जनमते जहर दे दितीं। जहर से तू अकेले मुअत बाकिर सम्प्रदायिकता के जहर जवन तू बोवल ओकरा से गाँव मू जाई। खेल बिगड़त देख धनेसर ओहिजा से घसक गइलन। माहौल के शांत पड़त देख मंगल अउर जानू एक साथे कहले कि हिन्दू अउर मुस्लिम के खून एके लेखा होला फिर भी तू लोग खून के पियासल बाड़ त पहिले हमनी दुनो के लाश गिरा द लोग फेर एक दोसरा से फरिया लिह लोग। हमनी के साथे जीयल बानी जा साथे मर जाइब। बाकी जीयते जी गाँव ना जरे देब, साम्प्रदायिकता के जहर ना फैले देब अउर भाईचारा खतम ना होखे देब।
मदन के गलती के अहसास होते बाबूजी के गोड़ पर गिर गइलन। उठ के कहलन माफ कर दीं शराब बुद्धि मार देले रहे धनेसर के चाल ना समझ पइनीं। करमू के भी गलती के अहसास भइल। अब्बा के देह से लगत कहले घर के संस्कार अउर रउवा लोग के जीवन से सीख ना लेके धर्म-सम्प्रदाय के गलत सीख के अपना लेनी जे आज कहीं के ना छोड़ीत। करमू आगा बढ़के मदन के गला से लग गइलन। दुनों आदमी एक साथ कहल पाछे के भूला दूनो आदमी ओसही जीयब जा जइसे बाबूजी अउर अब्बा जियलन जा। गाँव से भाईचारा खतम ना होखे देब जा।
जानू दा सबके घरे जाये के आदेश देत कहलन इयाद रखिह लोग जहर से एक आदमी मुअला जेकरा के देल जाला बाकिर धरम के लबादा ओढ़ले साम्प्रदायिकत ऊ जहर ह जे गाँव, शहर के कहो देश के निगल जाला। आज जे भइल भविष्य में ना होखे के चाहीं।