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रजमतिया

20 November 2023

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रजमतिया ठेठ देहाती औरत। ओकर मरद उमेश पासवान कतरास कोलियरी में मजदूर के काम करत रहे। जीद क के गांवे से मरद के साथे कतरास आ गइल। दूगो लइकन के साथे परिवार के गाड़ी कसहूँ चलत रहे। कोलियरी ओह घड़ी निजी मलकियत में रहे। बलिया के बबन सिंह कतरास कोलियरी के मालिक किहा चौकिदारी करत रहन बाकी मालिक के खास लठईत भी रहन। मजदूरन के संभाले के काम उनके जिम्मा रहे। एक दिन राता राती कोलियरी के राष्ट्रीयकरण हो गइल। कोलियरी के मालिक, मनेजर अउर लठईत एके साथे चीत हो गइल लोग।

राष्ट्रीयकरण के बाद कोलियरी में मजदूरन के दिन फिर गइल रहे। ऊ सब के शोषण त कम होईये गइल रहे समय पर मजूरी भी मिल जात रहे। बाकिर बवन सिंह जे बेकार हो गइल रहन कबतक चुप बइठीतन। मुँहे खुन लाग जाला त बाघ आदमखोर हो जाला। मुफ्तखोर जेकरा बइठल खाये के आदत लाग जाला ऊ कमाइल ना चाहे। बबन सिंह भी फेर से कोलियरी में घुसपैठ कड़ल चहलन बाकिर प्रशासन के सामने दाल ना गलल। दू चार गो केस भी माथे लदा गइल।

बवन सिंह के बुद्धि अब जबाब दे देले रहे। एही बीच उनकर एगो दूर के हित कतरास कोलियरी में टिकेदार के रूप में निबंधित करवा के काम दिलवा देलन। देखत देखत प्रशासन के मदद से बबन सिंह आपन बर्चस्व

बढ़ावत मजदूर नेता बन गइलन। समय के साथ उनकर तूती बोले लागल।

प्रशासनों कबो व्यक्तिगत लाभ में कबो कोलियरी हित में उनकर गलत सही

सब काम में साथ देवे लागल। मजदूर के मजूरी में कमिशन, कोलियरी में

ठिकेदारी, कोयला ट्रांसपोर्ट के काम से अकूत संपत्ति बना लेलन।

मजदूर तरस्त रहन स। बाकी बबन सिंह अउर उनकर लठइत के आगे केहूँ मुँह खोले के हिम्मत ना करत रहे। उमेश के सीना में विरोध के आग धधकत रहे बाकिर चुप रहन। एक दिन ना अड़ाइल साफ कह देले आज से हम मजदूरन के मजूरी से कवनो चंदा भा कवनो कमिशन ना कटाई। कोलियरी में ई बात आग जइसन फैल गइल। बबन सिंह भी खदान में पहुंच गइलन। पहिले समझवलन बाकी उमेश ना सुनलन त हाथ चला देलन। आगा पिछा ना सोचके उमेश बगल में रखल बेलचा सिंह जी पर चला देलन। बबन सिंह आव देखलन ना ताव रिवाल्वर निकाल के उमेश पर गोली चला देलन। उमेश जगहे पर ढेर हो गइले।

उमेश के लाश घरे पहुंचते रजमतिया बेहोश हो गइल। होश अइला पर भी अपना आप में ना रहे। बड़ लड़िका पड़ोसी के मदद से उमेश के अंतिम संस्कार कर घरे लवट माई के कसहूँ संभाले में लागल रहले। समय के साथ घाव भर जाला बाकी दाग ना जाला। रजमतिया के लइकन अभी सयान ना रहन स एह से अनुकंपा पर खुदे कोलियरी में योगदान कर लेलस। घरे रहे चाहे खदान में उमेश के मौत इयाद आवते ओकरा आँख में खून उतर जात रहे अउर बदला के आग सुनगे लागत रहे। औरत जात मन मार के रह जात रहे।

समय के साथ राथमतिया मजदूर नेता के रूप में कोलियरी में स्थापित हो गइल। मजदूर के दुख दरद ही अब ओकर जिनगी हो गइल। बबन सिंह के एकाधिपत्य में सेंथ मार देले रहे। ई बबन सिंह के कइसे बरदास्त होइत। ऊ ओकरा के रास्ता से हटावे के फरमान आपन आदमियन के दे देलन। ई बात राजमतीया के कान में भी पहुंच गइल। बबन सिंह के कोलियरी में मीटिंग करत रहन ओही घड़ी राजमतिया आपन साथियन के साथ सभा स्थल पर पहुंच के स्टेज पर चढ़ गइल। बबन सिंह कुछ समझते तबतक काली रूप में उनका पर टूट पड़ल। रजमतिया सिंह जी के जमीन पर गिरते सीना पर सवार हो गइल। हाथ के कटार गरदन पर रखत कहलस आदमी ना समय बरियार होला तोहार जिनगी हमरा हाथ में बा बाकिर तोहार गंदा खून से आपन हाथ ना रंगव। तोहार सजाय इहे बा कि आज से एह कोलियरी तरफ ना तकब। ई कहत उनका के लात मारत गाड़ी पर बइठ चल देलस।

अब रजमतिया ठान लेलस कि बबन सिंह के उनकर चाहरदीवारी तक सिमित रखे के बा। बबन सिंह कहाँ माने वाला रहन। चुनाव के घोषना होते सत्ताधारी दल से टिकट लेके चुनाव में कूद पड़लन। रजमतिया से ना रहल गइल। मजदूरन से सलाह करके उहो निर्दलीय चुनाव में सिंह जी के विरुद्ध उतर गइल। सिंह जी सत्ता अउर धन बल के साथे जातिवाद, संप्रदायिकता के सहारा ले के चुनाव जीते खातिर रात दिन एक कर देलन। प्रशासन भी उनके साथ रहे। रजमतिया के खाली मजदूर अउर गरीब के भरोसा रहे। चुनाव के दिन सिंह जी के आदमी बूथ कब्जा में पिछे ना रहलन। सिंह जी जीत के जलशा के तैयारी पहिले से ही कइले रहन बाकी ई का चुनाव में रजमतिया जीत गइल। बबन सिंह के ई बिसवास ना रहे। पहिले त उनका दिमाग में रजमतिया के भी उमेश जइसन सदा खातिर रास्ता से हटावे के बात दिमाग में आइल बाकिर रजमतिया के काली रूप ईयाद आवते उनकर रूह काँप गइल। आज बुढ़ापा में उ घर के चाहरदीवारी में जीवन व्यतीत करे खातिर अभिशप्त बाड़े। रजमतिया राज्य के कोयला अउर कल्याण मंत्री के रूप में काम करत कोलियरी के मजदूरन के सुख दुख के साथी बनल आजो ओही पुरान छोट घर में रह रहल बिआ जवना से उमेश के याद भी जुड़ल बा।

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लेख
ठाकुर जी के मठिया
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लखन जस अनुज कंचन जेह पर हमारा नाज बा, उनके हाथ में सस्नेह!
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जानू दा। पूरा नाम जमालुद्दीन खान। मिलकी पर के जमींदार। सांझी खा दलान पर जब बैठकी में बइठस त गाँव के हिन्दू मुसलमान सभे जुटत रहे। जुटे काहे ना, वेद कुरान से लेके रामायण महाभारत के संगे चरचा होखे। संप्र

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ठाकुर जी के मठिया

20 November 2023
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संउसे गांव में मिठाई बंटात देख के ललन बिदेशी ठाकुर से पुछलन कि केकर बायन बंटाता हो। बिदेशी कहलन सुननी हा ना बड़का गउवाँ के बेटा अवधेश कलक्टर बनले हा ओकरे मिठाई बंटाता। रउवा त जानते बानी दिल्ली रह के त

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रजमतिया

20 November 2023
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रजमतिया ठेठ देहाती औरत। ओकर मरद उमेश पासवान कतरास कोलियरी में मजदूर के काम करत रहे। जीद क के गांवे से मरद के साथे कतरास आ गइल। दूगो लइकन के साथे परिवार के गाड़ी कसहूँ चलत रहे। कोलियरी ओह घड़ी निजी मलक

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फूलवा

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छूट्टी के दिन एतवार के ड्राइंग रूम में बइठल ललन पेपर देखत रहन कि कॉलबेल के आवाज कान में पड़ल। उठ के दरवाजा खोललन त गांव के रामदास कहार पर नजर पड़ल। बड़ा सबेरे सबेरे। आव आव भीतरिये चल आव। बोरवो भीतरए ढ

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सुनैना भउजी

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हरित नायिका

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सुमन मुंडा, परसाबाद ग्राम वन संरक्षण अउर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, सरायकेला जिला परिषद सदस्य, राष्ट्रीय वृक्ष मित्र 2018 पुरस्कार से पुरस्कृत, 'हरित भूमि' गैर सरकारी संगठन की अध्यक्षा। सुमन के आज इहे

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राधा

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राधा अउर सतीश साथे पढ़त रहे लोग। ऊ दूनों के दोस्ती कब प्रेम में बदल गइल ई दुनों के पता ना चलल। साँच भी ह प्रेम त आराधना ह जे आराध्य से कब एक कर देला ई पता कहाँ चलेला। दूनों साथे जीये मुये के कसम ले

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सुगिया गिरी मुरझाय

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सुगिया रामनाथ कँहार के चउथकी बेटी । उहे रामनाथ जे हमरा पटीदार कौशल भाई किहां बनिहार रहन। सुगिया के माई हमरो घर के गोबर गोइठा के साथे बरतन पानी के काम देखत रहे। रामनाथ उमिर में बड़ रहन एह नाता उनका के

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श्रद्धा के फूल

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रामचरन अपना गांव के हाई स्कूल के नउवा वर्ग के विद्यार्थी रहन। बात सन बहतर के ह। बड़ा गरीब घर के लड़िका बाकिर पढ़े में वर्ग के अउवल विद्यार्थी। वर्ग में सदा प्रथम आवत रहन। बलराम गुरूजी वर्ग शिक्षक रहीं

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ऊपरी कमाई

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राजनाथ ग्रेजुएशन कइला के बाद कम्पटीशन के तैयारी पटना रहके करत रहन। पढ़े में शुरू से बढ़िया रहन। साल बितत बितत एक्साइज इंस्पेक्टर के परीक्षा पास करके बम्बई पोर्ट पर योगदान दे देलन। नौकरी लागते उनकर

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दिवान जी

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झुनीलाल। संउसे गांवे ना जवारो दिवान जी के नाम से जानत रहे। केकरो घरे एक धुर जमीन नापे के होखे, दू भाई के बीच बँटवारा होखे भा केकरो जमीन के इतिहास जाने के होखे त ओकरा खातिर गांव के लोग दिवान जी के धरत

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गुरही जिलेबी

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अब कहाँ चलता? बाकी इयाद बा नू गांवे के छठ मेला होखे भा मस्जिद त के ईद मेला चाहे कचनथ के शिरात मेला हमनी के गुरही जिलेबी खातिर साथे जात रहीं जा। ललन पटना अपना डेरा पर रमेश, जे गांवही के लइकाई के इयार र

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फाटल मिरजई

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नया जन बन। तू जानेलू बाबू भइया आपस में एक दोसरा से कपड़ा हित नाता घरे जाये खातिर अदल बदल लेला बाकिर तोहरा के ना नू दी। मुँह ओहिजे खोले के चाही जहाँ बात रह जाय। जइसे सब होता ओसही एगो मिरजई किना जाई त

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कोरोना के कहर

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अजी सुनती हो कमलेशवा के माई। भोरे भोरे रउवा त कवनो काम नइखे हमरा नाक में काहे दम कइलेबानी। आरे मार बढ़नी कोरोना के रे एगो त ऊ आफत में जान डललही बा ऊपर से दिन भर रउवा आ कमलेशवा के टोपासी अलगे बा। अरे ई

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भूख

22 November 2023
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रमेसर बाबूजी के तबियत दिन प दिन बिगडत देख बजारी प जा के डॉक्टर से देखावे खातिर निकल गइलन। फिस खातिर डोमन साव से दू सै रूपया कर्जा दस रूपया सूद प लेके पाकिट में रख लेले रहन। लाकडाउन में सब अस्पताल बंद

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22 November 2023
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रोजी रोटी खातिर महेश गाँव छोड़ के चार बरिस पहिले सूरत चल गइल रहन। बाद में अपना विधवा माई के भी ओहिजे बोला लेले रहन। माई भी दू चार घर में चौका बरतन करत रही। महेश एगो सुता कारखाना में मजूरी करत रहन। केह

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जनार्दन सिंह बाहर से आवते अभी दुआर पर पैर रखले रहन कि घरवे के बगल में उनके बाप दादा के बसावल काशी कहार के घरे बड़ा हल्ला गुल्ला अउर अफरा तफरी के माहौल बुझाइल। कुछ समझ ना आइल त हाथ मुँह धो के खरास मिटव

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सुशीला के विदा करते रामनरेश घरे आ के चीताने धम से पड़ गइलन। माथा के लकीर साफ कहत रहे कि बेटी के हाथ पीयर करे अउर ओकरा के बड़का घर में भेजे के खुशी से अधिक गम दू बिगहा खेत बेचला के बादो डेढ़ लाख के माथ

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गांव प्रबंधन समिति

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गांव के पूरब दखिन के कोण पर थप थप ऊजर दू महल्ला कोठी। गजाधर चौधरी के निवास स्थल। नाम-सुख सागर। गजाधर बाबू मुखिया पति। नावाडीह पंचायत के मुखिया श्रीमती सुनीता देवी के पति। खुद अपने मुखिया पति के अलावा

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राम भरोसे

23 November 2023
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काली माई तर बइठल रामधन अउर बाबूलाल आपस में बात करत रहे लोग। रामधन बोलले बाबूलाल काका तूं त अब साठ के लपेट के भइल का कभी अइसन आपत बिपत के समय देखले रहला हा। अरे ना मरदे! आज ले खेलत कूदत जिनगी बितल रहे

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आफत

23 November 2023
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दिनेश अपना पलानी में खटिया पर परल कहरत सुखिया काका से कहले कब अइला हा? आँख लाग गइल रहे पता ना चलल हा। बा? चलले आवत बानी। आके अभी बइठबे कइनी हा। कइसन तबियत कइसन कहीं। तू त जानते बाड़। गरीबी आ बुढ़ापा

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हरियर गाछ

23 November 2023
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भोजपुर जिला में पोआर अउर बसौली दूगो गांव बा। दुनो गांव के सीवान एक दुसरा से मिलेला। पोआर भूमिहार अउर बसौली राजपूत बहुल गांव ह। दुनो गांव आपस में बड़ा मिलके रहत रहे। शादी बियाह में नेवता हँकारी चलत रहे

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नाक

23 November 2023
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छोटकी आ बड़की दूगो बहुरिया रही सं बड़का बाबा अँगना। दूनो के बियाह में गइल रहनीं बाराती। जयमाल के समय दूनो के बियाह के बेरा लोग कहत रहे कि ललनवा दूनो बेटन के बियाह खूबसूरती देख के कइले बा तिलक लेके ना।

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फागू भगत ससुरारी में

23 November 2023
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गाँव के बहरी निकले के पहिले बीचली गली के अंत में फागू भगत के किराना के दुकान। दुकान आज के मिनी मॉल। चुड़ी, कपड़ा, पूजा सामग्री, पारचून से आटा चुड़ा मिल तक एक छत के नीचे। फागू भगत दुकान के बहरी चबूतरा

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एगो किताब पढ़ल जाला

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