छूट्टी के दिन एतवार के ड्राइंग रूम में बइठल ललन पेपर देखत रहन कि कॉलबेल के आवाज कान में पड़ल। उठ के दरवाजा खोललन त गांव के रामदास कहार पर नजर पड़ल। बड़ा सबेरे सबेरे। आव आव भीतरिये चल आव। बोरवो भीतरए ढुका ल। अतना सबरे कइसे।
रामदास जमीन पर बइठत कहले, बड़की मलकिनी एक हप्ता से उदबेगले रही कि पटना जा के ललन के चाउर-गेहूं पहुंचा आव। खेती के दिन फुरसत कहाँ बा। साँसो लेवे के समय नइखे मिलत। घामी पड़ल बा देखते बानी। नहरो में भरपूर पानी नइखे आवत। दोन से पटाके जजात बचावत बा आदमी। कसहूं आज समय मिलल हा त पंच बजिया इंटरसिटिया धके भागल आवतानी। सांझ के तीन बजिया शटलवा से लवट जाइब।
ई का करतानी। उठ के ऊपर चउकिया पर बइठीं। गांव घर के हाल चाल बताई।
सब ठीकठाक बा।
कवनो नया समाचार?
नया का कहीं एगो गड़बड़ समाचार बहुवे। हमरे टोला के धनेसर भाई के बेटी सुनीतावा पटना एम.ए. में पढ़त रहे एगो आन जात के साथे पढ़ेवाला लड़िका से बियाह कर लेलस हिया। संउसे गांव थू थू करता।
कवना दुनिया में रहत बाड़ लोग। अब जात-पाँत से उठे के जरूरत बा। पढ़ल लिखल लड़की अपना पसंद से बियाह कइलस ई कवनो जुलूम के बात नइखे। ई कवनो गुनाह ना ह।
रउवा ठीक कहतानी बाकिर गांव में केकर केकर मुँह रोकब। दस मुँह दस बात। धनेसर के गांव में निकलल आफत भइल बा।
पहिले पानी पी ल अभी तक भूखे होखब ना त खरास मार दी। रामदास नास्ता क के कहलन। खा के दू बजे ले निकल जाइब।
ना। आज रूक जा। काल टेशन छोड़ देब पांच बजे । दस बजे ले गांवें पहुंच जइव। आपन नन्हकी के हाल कह। उहो त कवलेज में चल गइल होई। पढ़े में बड़ी तेज रहे। हमरा से पढ़त रहे जब गांवे रहत रहीं। हम जानत बानी।
फूलवा रउवा के आजो इयाद करे ले। बिक्रमगंज से ग्रेजुएशन एही साल कइलस हिया। टीचर ट्रेनिंग कइल चाहतिया बाकिर धनेसर घर के घटना देख के ओकर माई बाहर भेज के पढ़ावल नइखे चाहत। हमरो से कहत रहे काफी पढ़ाई भइल अब फूलवा के बियाह खातिर दउड़ धुप शुरू करीं अगला वैशाख में वियाह कर दियाय। छोटको मालिक से विचार कइनी उहों के कहनी लइकिन के ढ़ेर मन बढ़ावे के ना ह बियाह कर के अपना घरे बिदा कर द जमाना देखते बाड़।
तू का सोचल। तोहार का विचार बा।
पहिले के समय ना रहल। फूलवा से पूछनी त उ अभी शादी खातिर तैयार नइखे। हमहूं चाहतानी टीचर ट्रेनिंग कर लिहित त आगे खातिर ठीक रहित बाकिर पिछले साल बड़की के बियाह कइले रहीं अभी ले माथ पर करजा बा एह से फूलवा के आगे पढ़ावे के हिम्मत नइखे होत। रउवा त जानते बानी फूलवा गांवे में सिआई फड़ाई क के आपन खरचा निकाल लेले। कहत रहे चार-पांच हजार हाथ में बड़हिस बाकिर बीस हजार अउर एडमिशन में लागी। पहिले से माथ पर करजा बा रउवे बताई बेटी पढ़ावे खातिर करजा उचित होई, बेटा रहित त सोचबो करती। राउर का सलाह बा।
रामदास जमाना बदल गइल। बेटा बेटी में अंतर ना रहल। आज बेटी सब ऊ काम करतारी स जे बेटा करेला। खेत बधार, राजनीति, प्रशासन, युद्ध के मैदान कहाँ बेटी नइखी स। देखला हा नू बबन पांडे के बेटी आगे ना देली हा स कंधों देली हा स। रहल बात फूलवा के पढ़ावे खातिर करजा लेवे के त करजो लेवे के पड़े त हरजा नइखे। देख हम आपन बेटी कंचन के अमेरिका पढ़े खातिर भेजनी हा ओकरा खातिर दस लाख लोन लेनी हा। जानते बाड़ सचिवालय में बाबू बानी कसहूं बढ़िया से घर चल जाला। बेटा-बेटी के पढ़ाई खातिर लोन सरकारो देत बिया ना त हमरो औकात ना रहे। फूलवा खातिर चिंता मत कर पढ़े वाली लइकी बिया ओकरा पर विसवास कर। दू पुसुत से साथे बाड़, दुख सुख, कारज परोजन में चौबीस घंटा खाड़ रहेल हमरो कुछ फर्ज बनेला। ल हई बीस हजार रूपेया पटने टीचर ट्रेनिंग में नाम लिखा द ओकर। पटना में हम बानी घटल बढ़ल देखब। ई करजा ना ह, तोहार ढ़ेर करजा बा हमरा परिवार पर जेकरा के चुकावल संभव नइखे। फूलवा हमरो बेटी ह, कुछ फर्ज हमरो त बनेला।
रामदास भोरे गांवें लवट अइलन। फूलवा के चुनाव टीचर ट्रेनिंग खातिर हो गइल रहे। पटना जाके नाम लिखवा देलन। समय जात देर ना लागे। फूलवा ट्रेनिंग में टोप कइलस अउर गांव के हाई स्कूल में आज टीचर बिया। बढ़िया नौकरी के कारण रामदास के ओकरा बियाहो खातिर ना दउड़े के पड़ल। एक से एक रिश्ता आवत रहे ओकर बियाह खातिर। रामदास बिना तिलक दहेज के फूलवा के बियाह बगल के गांव कचनथ के सुदामा सिंह के लड़िका, जे डिप्टी कलेक्टर रहे, से बड़ा धूमधाम से कइलन। फूलवा में पढ़े के बढ़े के लगन अभी बाचल रहे। पति ओकरा के समझलन अउर जे सुविधा चाहीं उपलब्ध करवले। फूलवा डिप्टी कलेक्टर के परीक्षा उत्तीर्ण कर गइल। आज सचिवालय में उप सचिव, सिंचाई विभाग में बिया जहाँ ललन सेक्सन अफसर बाड़े। बाकिर फूलवा जान तिया आज ऊ जे बिया ओकरा पिछे ललन बाड़न। ललन के प्रति पिता से बढ़के श्रद्धा आजो ओकरा मन में बा। रामेदास के ना आज संउसे गांव के फूलवा पर गर्व बा।
फूलवा अउर ललन साथे गांव आइल रहे लोग। गांव में ललन के माई के नाम से गर्ल हाई स्कूल खुलत रहे ओकरे उद्घाटन समारोह के अवसर रहे। ललन अध्यक्ष अउर फूलवा मुख्य अतिथि रहे एह अवसर पर। ललन गांव के बतवलन कि एह स्कूल के खोले में फूलवा के अहम योगदान बा। ऊ ना रहती त अतना जल्दी मान्यता ना मिलित। फूलवा एह अवसर पर पांच लाख के चेक देत ललन से कहली कि स्कूल में हमरो बाबूजी रामदास के नाम से एगो पुस्तकालय खोल दियाय जेकरा से ओह लड़की के भी किताब उपलब्ध हो सके जे खरीद के ना पढ़ सके। ऊ कहली ललन बाबू के माई हमनी घर के बड़की माई रहली। बाबू के जिनगी उनके छत्रछाया में गुजरल रहे। एह स्कूल में बाबूजी के नाम जुड़े से बड़की माई के आशीष हमरो मिलत रही। अंत में गांव के लड़की लोग के स्टेज पर बुला के कहली कि आज लड़की खातिर शिक्षा सब धन से बढ़के बा। युग बदलल तू हूं लोग बदल।