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फागू भगत ससुरारी में

23 November 2023

2 देखल गइल 2

गाँव के बहरी निकले के पहिले बीचली गली के अंत में फागू भगत के किराना के दुकान। दुकान आज के मिनी मॉल। चुड़ी, कपड़ा, पूजा सामग्री, पारचून से आटा चुड़ा मिल तक एक छत के नीचे। फागू भगत दुकान के बहरी चबूतरा पर तिरछी टोपी पहिरले विराजमान। मुँह एक घड़ी खातिर बंद ना। कबो कामगार पर झंझुआत, कबो ग्राहक से दुआ-सलाम, कबो राह चलत राहगीर, मरद, मेहरारू से चउल। सुबह से शाम ले इहे दिनचर्या।

फागू भगत के जन्म फगुआ के दिन भइल रहे। ऐही से माई बाबू नाम रखलन फगुनी। विद्यालय में नाम लिखाइल फगुनी साव। मेट्रिकुलेट फगुनी आगे चलके आपन नाम फागू भगत कर लेले। फगुआ अइसन रंगीन फागू के जीवनो रहे। रंगीन मिजाज फागू भगत गाँव के होरी, चइता, रामायण, कीर्तन में बढ़ चढ़ के हिस्से ना लेत रहन, आयोजन के खर्चा उठावत रहन। गाँव के फगुआ त फागू के बिना फगुआ लागते ना रहे। गोल में फागू के ना रहला पर लागत रहे जइसे गमी हो गइल होखे मोहल्ला में।

फागू भगत के कहानी लिखाय त एगो पोथा तइयार हो जाइ। अब शुरूआत भइल बा दू-चार गो होइए जाय। फागू के बियाह नया-नया भइल रहे। सुसुराल गाँव के नजदीके दू कोस पर धनपुरा रहे। अभी गवना ना भइल रहे। मेहरारू से भेंटो ना रहे। फगुआ में सार आ गइल लिआवे खातिर। कवनो तइयारी रहे ना। ससुरारी के होरी के ढ़ेर किस्सा सुनले रहन। मन में गुदगुदी आ दिमाग में फूलझरी छूटत रहे। घर से जब जाये के आदेश भइल त समस्या आइल कि पहिला बेर ससुरारी जाये के बा कवनो सवारी त चाहीं। गाड़ी छकड़ा के समय ना रहे। धनपुरा के बबन साव के दामाद साइकिल भा बैलगाड़ी से त जा ना सकत रहन, दूनों घर के इज्जत के सवाल रहे। विकल्प रहे घोड़ा भा हाथी। फागू के लइकाई के घटना इयाद पड़ गइल। उनका जीद कइला पर बाबू पोखरा पर चरत मोहना धोबी के खचड़ पर चढ़ा देले रहन। खचड़ दसो कदम ना गइल होई फागू के पाछा उलट देलस। भागे के क्रम में बरियार दुलत्ती देलस जे आज ले फागू भूलाइल नइखन। घोड़ा के नाम सुनते विदक गइलन। तय भइल पधेया जी के हाथी से जइहन। सवारी के व्यवस्था त भऽ गइल। अब समस्या एगो अटैची आ धराऊ कुर्ता के रहे। संउसे घर जोगाड़ में लाग गइल। राजिंदर चा किहां के सुबासो फुआ के अटैची आ बबन माहटर साहेब से कुर्ता त मिल गइल बाकिर माहटर साहेब के शर्त रहे कि कवनो हालत में कुर्ता में रंग ना लागे के चाहीं ना त कुर्ता के दाम देवे के पड़ी। मरता क्या न करता, कवनो उपाय ना देख फागू कहलन खाली अटैची में रखल रही पहिरब ना, इज्जत खातिर ले जा तानीं।

फागू हाथी से, संगे-संगे सार साइकिल से धनपुरा पहुंचलन सांझ के बेरा। हाथी लवट गइल पहुंचा के। कहाँ उठाई, कहाँ बइठाई में सभे लागल रहे। हाथ मुँह थोवला के बाद शरबत पानी भइल दुआर पर। सब कोई पाहुन-पाहुन के रट लगवले रहे। अइसन बूझात रहे कवनो आन देश के अजूबा आइल होखे। टोला महल्ला में शोर हो गइल शंतिया के पाहुन आइल बाड़न। फागूओ चिहाइल अपना के संयमित करे के प्रयास करत रहन कि घरे से बोलाहट आ गइल। एगो साली बोला के घरे ले गइल। सबसे परिचय करावत जात रहे जे भेंटात रहे सेकरा से बाकिर अबतक मेहरारू से ना भेंट भइल। घंटा दु घंटा बितल त फागू से ना अड़ाइल कहले माथा बथता हम तनी आराम करव। एगो घर में ले जा के आराम करे के कहल गइल। बाकिर ई का छत दिवार के अलावा कवनो जीव ना लउकल जेकरा खातिर माथ पीरात रहे। फागू मन मार मने मन सपना में खो गइलन। बार-बार घड़ी देखस, कवनो आहट आ पायल के आवाज पर जान में जान आवे बाकिर कबो सरहज त कबो साली। खाना खइला के बाद ना अड़ाइल त कहले छोट साली उर्मिला से उनका के भेजीं ना। सब समुझत कहली केकरा के। फेर हँसत कहली अइसे ना नेग चाहीं। वादा करा फागू से कहली तनी धीरज धरी अबे बुलावत बानीं। आधा घंटा बाद उर्मिला अपना साथे एगो औरत के घूंघट में छोड़त आँख मारत निकल गइली। फागू के मन में लडू फूटे लागल रहे। घूंघट वाली औरत एक गिलास दूध टेबुल पर रख एगो कोना में खाड़ हो गइल। फागू हाथ खींचत मनुहार करत पलंग पर लाके बइठा देलन। घूंघट हटावल चहलन त ना नुकुर सुनाय। आपन हाथ के अँगूठी उनका हथेली पर रखत कहलन अब त मान जा। त इठलात कहली अब हमहीं घूंघट उठाई। फागू बड़ा सहियार के घूंघट उठवलन त काट त खून ना, उनका सामने घूंघट में मुन्नवा नोकरवा बइठल रहे। चप्पल उठवले मारे चललन तबतक फुर्र...। माथ पकड़ले पलंग पर थड़ाम। उर्मिला आ के कहली माफ करब होली ह, अइसे त अंगूठी रावा दितीं ना। लीं, आपन अमानत संभालीं, हम चलनीं, दीदी के मुँह देखाई का देब रउवा सोंचीं।

भोरे दुआर पर बइठ्ठल फागू रात के बात में अझुराइल रहन कि नवही के दल आ गइल। कुछ बूझतन तली ले पनरोह में डूबा देलस। खींच तान में कुर्ता तार-तार। जान छोड़ा घरे भगलन। साली सरहज एक साथे टूट पड़ली सं। भागम भागी में फागू के गोड़ फिसल गइल। पांव में मोच आ गइल, धावा धाई दिनानाथ कँहार के बुलावल गइल मोच बइठवलन ना त होली बदरंग होखल चाहत रहे। नहा थो के पैजामा आ गंजी पहिर अँगना में बइठ गइलन। मेहरारू कहली कुर्ता पहिर लिहीं गाँव घर अब जुटी। एगो कोना में ले जा मेहरारू से कुर्ता के शर्त वाला बात बतवलन आ कहलन कि कवनो कुर्ता ऐहिजे से व्यवस्था कर द। सार ससुर के कुर्ता काम ना आइल त कवनो उपाय ना देख हार पांछ के माहटर वाला कुर्ता पहिर लेलन। सबका से निहोरा कइलन धूरखेली से तबियत गड़बड़ा गइल बा रंग मत लगाइब जा अबीरे  हम होली खेलब। फागू खइला के बाद एक गिलास भांग मिश्रित ठंढई ले लेलन। भंग के तरंग चढ़ल त उर्मिला के छेड़ देलन। उर्मिला कहाँ चुप रहे वाली रही छोटकी भउजाई से मिल पाहुन के अइसन रंगली कि कुर्ता के कहो लंगोट तक भींग गइल। फागू बिदक के खाड़, छान पगहा तुड़ होली के सांझिये गाँव जाये पर अड़ल। कसहु ससुर जी समझवलन त फागू शांत त पड़लन बाकिर चेहरा के हवाई उड़ गइल। मेहरारू समझवली ई सब होला कुर्ता के कवनो उपाय होई, रउवा चिंता जन करी ना त पहिला होरी ह बदरंग हो जाई। बात होते रहे कि बड़की सरहज आके एक गिलास ठंढई दे गइली जे फागू गटक गइलन। भांग के नशा में कुर्ता के दुख भूला गइलन। दुआर पर पछेआरी टोल के गोल आ गइल। पाहुन के दुआर पर बोलाहट भइल। पाहुन के देखते गोल होरी कढ़ा देलस

पाहुन माथे पाग, पाहुन हाथे फाग हम आज खेलब होरी होरी होऽऽऽऽ।

एही बीच मदन बाबा आपन टोपी तिरछे फागू के पेन्हा के कहलन पाहुन एगो होरी रउवो गावे के होई। ना नुकुर करत फागू कढ़वलन

केकर कुर्ता, के खेले होरी ससुरा के होरी बरजोरी हो पहुना के सुझे ना रंग अबीर कुर्ता में अटकल प्राण हो भूललो ना आइब ससुराल, गाँव ही खेलब होरी हो।

ओह होली के बाद फागू आज ले होली में ससुराल ना गइले बाकिर तिरछी टोपी आ भंगिया होली में उनकर साथ ना छोड़लस।

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लेख
ठाकुर जी के मठिया
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लखन जस अनुज कंचन जेह पर हमारा नाज बा, उनके हाथ में सस्नेह!
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जहर

20 November 2023
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जानू दा। पूरा नाम जमालुद्दीन खान। मिलकी पर के जमींदार। सांझी खा दलान पर जब बैठकी में बइठस त गाँव के हिन्दू मुसलमान सभे जुटत रहे। जुटे काहे ना, वेद कुरान से लेके रामायण महाभारत के संगे चरचा होखे। संप्र

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ठाकुर जी के मठिया

20 November 2023
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संउसे गांव में मिठाई बंटात देख के ललन बिदेशी ठाकुर से पुछलन कि केकर बायन बंटाता हो। बिदेशी कहलन सुननी हा ना बड़का गउवाँ के बेटा अवधेश कलक्टर बनले हा ओकरे मिठाई बंटाता। रउवा त जानते बानी दिल्ली रह के त

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रजमतिया

20 November 2023
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रजमतिया ठेठ देहाती औरत। ओकर मरद उमेश पासवान कतरास कोलियरी में मजदूर के काम करत रहे। जीद क के गांवे से मरद के साथे कतरास आ गइल। दूगो लइकन के साथे परिवार के गाड़ी कसहूँ चलत रहे। कोलियरी ओह घड़ी निजी मलक

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फूलवा

20 November 2023
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छूट्टी के दिन एतवार के ड्राइंग रूम में बइठल ललन पेपर देखत रहन कि कॉलबेल के आवाज कान में पड़ल। उठ के दरवाजा खोललन त गांव के रामदास कहार पर नजर पड़ल। बड़ा सबेरे सबेरे। आव आव भीतरिये चल आव। बोरवो भीतरए ढ

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सुनैना भउजी

21 November 2023
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सुनैना बियाहे उतरली तऽ बियाह के घर भरल मिलल। कहीं तील धरे के जगह ना। हँसी ठिठोली के माहौल, काली पुजाई, चउठारी के रसम में दिन कइसे कट जात रहे पता ना चल पावत रहे। चार पांच दिन में सब हित नाता के जाते गा

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हरित नायिका

21 November 2023
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सुमन मुंडा, परसाबाद ग्राम वन संरक्षण अउर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, सरायकेला जिला परिषद सदस्य, राष्ट्रीय वृक्ष मित्र 2018 पुरस्कार से पुरस्कृत, 'हरित भूमि' गैर सरकारी संगठन की अध्यक्षा। सुमन के आज इहे

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राधा

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राधा अउर सतीश साथे पढ़त रहे लोग। ऊ दूनों के दोस्ती कब प्रेम में बदल गइल ई दुनों के पता ना चलल। साँच भी ह प्रेम त आराधना ह जे आराध्य से कब एक कर देला ई पता कहाँ चलेला। दूनों साथे जीये मुये के कसम ले

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सुगिया गिरी मुरझाय

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सुगिया रामनाथ कँहार के चउथकी बेटी । उहे रामनाथ जे हमरा पटीदार कौशल भाई किहां बनिहार रहन। सुगिया के माई हमरो घर के गोबर गोइठा के साथे बरतन पानी के काम देखत रहे। रामनाथ उमिर में बड़ रहन एह नाता उनका के

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काल ढ़ेर दिन पर आरा से गांव गइल रहीं। भोरे बधार से फर फराकित होके लौटत खा रस्ता में ललन पांडे से भेट हो गइल। प्रणाम पंडित जी। कब आसन आइल हा जजमान। काल साँझी खा अइनी। ई का सुनतानी नूर मियां के बारे

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श्रद्धा के फूल

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रामचरन अपना गांव के हाई स्कूल के नउवा वर्ग के विद्यार्थी रहन। बात सन बहतर के ह। बड़ा गरीब घर के लड़िका बाकिर पढ़े में वर्ग के अउवल विद्यार्थी। वर्ग में सदा प्रथम आवत रहन। बलराम गुरूजी वर्ग शिक्षक रहीं

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ऊपरी कमाई

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राजनाथ ग्रेजुएशन कइला के बाद कम्पटीशन के तैयारी पटना रहके करत रहन। पढ़े में शुरू से बढ़िया रहन। साल बितत बितत एक्साइज इंस्पेक्टर के परीक्षा पास करके बम्बई पोर्ट पर योगदान दे देलन। नौकरी लागते उनकर

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दिवान जी

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झुनीलाल। संउसे गांवे ना जवारो दिवान जी के नाम से जानत रहे। केकरो घरे एक धुर जमीन नापे के होखे, दू भाई के बीच बँटवारा होखे भा केकरो जमीन के इतिहास जाने के होखे त ओकरा खातिर गांव के लोग दिवान जी के धरत

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गुरही जिलेबी

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अब कहाँ चलता? बाकी इयाद बा नू गांवे के छठ मेला होखे भा मस्जिद त के ईद मेला चाहे कचनथ के शिरात मेला हमनी के गुरही जिलेबी खातिर साथे जात रहीं जा। ललन पटना अपना डेरा पर रमेश, जे गांवही के लइकाई के इयार र

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फाटल मिरजई

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नया जन बन। तू जानेलू बाबू भइया आपस में एक दोसरा से कपड़ा हित नाता घरे जाये खातिर अदल बदल लेला बाकिर तोहरा के ना नू दी। मुँह ओहिजे खोले के चाही जहाँ बात रह जाय। जइसे सब होता ओसही एगो मिरजई किना जाई त

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कोरोना के कहर

22 November 2023
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अजी सुनती हो कमलेशवा के माई। भोरे भोरे रउवा त कवनो काम नइखे हमरा नाक में काहे दम कइलेबानी। आरे मार बढ़नी कोरोना के रे एगो त ऊ आफत में जान डललही बा ऊपर से दिन भर रउवा आ कमलेशवा के टोपासी अलगे बा। अरे ई

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भूख

22 November 2023
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रमेसर बाबूजी के तबियत दिन प दिन बिगडत देख बजारी प जा के डॉक्टर से देखावे खातिर निकल गइलन। फिस खातिर डोमन साव से दू सै रूपया कर्जा दस रूपया सूद प लेके पाकिट में रख लेले रहन। लाकडाउन में सब अस्पताल बंद

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22 November 2023
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रोजी रोटी खातिर महेश गाँव छोड़ के चार बरिस पहिले सूरत चल गइल रहन। बाद में अपना विधवा माई के भी ओहिजे बोला लेले रहन। माई भी दू चार घर में चौका बरतन करत रही। महेश एगो सुता कारखाना में मजूरी करत रहन। केह

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बेटी

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जनार्दन सिंह बाहर से आवते अभी दुआर पर पैर रखले रहन कि घरवे के बगल में उनके बाप दादा के बसावल काशी कहार के घरे बड़ा हल्ला गुल्ला अउर अफरा तफरी के माहौल बुझाइल। कुछ समझ ना आइल त हाथ मुँह धो के खरास मिटव

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सुशीला के विदा करते रामनरेश घरे आ के चीताने धम से पड़ गइलन। माथा के लकीर साफ कहत रहे कि बेटी के हाथ पीयर करे अउर ओकरा के बड़का घर में भेजे के खुशी से अधिक गम दू बिगहा खेत बेचला के बादो डेढ़ लाख के माथ

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गांव प्रबंधन समिति

23 November 2023
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गांव के पूरब दखिन के कोण पर थप थप ऊजर दू महल्ला कोठी। गजाधर चौधरी के निवास स्थल। नाम-सुख सागर। गजाधर बाबू मुखिया पति। नावाडीह पंचायत के मुखिया श्रीमती सुनीता देवी के पति। खुद अपने मुखिया पति के अलावा

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राम भरोसे

23 November 2023
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काली माई तर बइठल रामधन अउर बाबूलाल आपस में बात करत रहे लोग। रामधन बोलले बाबूलाल काका तूं त अब साठ के लपेट के भइल का कभी अइसन आपत बिपत के समय देखले रहला हा। अरे ना मरदे! आज ले खेलत कूदत जिनगी बितल रहे

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आफत

23 November 2023
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दिनेश अपना पलानी में खटिया पर परल कहरत सुखिया काका से कहले कब अइला हा? आँख लाग गइल रहे पता ना चलल हा। बा? चलले आवत बानी। आके अभी बइठबे कइनी हा। कइसन तबियत कइसन कहीं। तू त जानते बाड़। गरीबी आ बुढ़ापा

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हरियर गाछ

23 November 2023
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भोजपुर जिला में पोआर अउर बसौली दूगो गांव बा। दुनो गांव के सीवान एक दुसरा से मिलेला। पोआर भूमिहार अउर बसौली राजपूत बहुल गांव ह। दुनो गांव आपस में बड़ा मिलके रहत रहे। शादी बियाह में नेवता हँकारी चलत रहे

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नाक

23 November 2023
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छोटकी आ बड़की दूगो बहुरिया रही सं बड़का बाबा अँगना। दूनो के बियाह में गइल रहनीं बाराती। जयमाल के समय दूनो के बियाह के बेरा लोग कहत रहे कि ललनवा दूनो बेटन के बियाह खूबसूरती देख के कइले बा तिलक लेके ना।

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फागू भगत ससुरारी में

23 November 2023
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गाँव के बहरी निकले के पहिले बीचली गली के अंत में फागू भगत के किराना के दुकान। दुकान आज के मिनी मॉल। चुड़ी, कपड़ा, पूजा सामग्री, पारचून से आटा चुड़ा मिल तक एक छत के नीचे। फागू भगत दुकान के बहरी चबूतरा

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