भोजपुरी में खूब लिखात बा। हर विधा पर कलम चल रहल बा। नीक जबून सब बा। रहबो करेला सब साहित्य में। ई कवनो नया नइखे। बाकिर समय के साथ-साथ साहित्य के मूल्यांकन होखे के चाहीं। कवनो नया चीज आवता त पाठकीय प्रतिक्रिया आवे के चाहीं। ऐकरा से हमार साहित्य कतना पा