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ठाकुर जी के मठिया

20 November 2023

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संउसे गांव में मिठाई बंटात देख के ललन बिदेशी ठाकुर से पुछलन कि केकर बायन बंटाता हो। बिदेशी कहलन सुननी हा ना बड़का गउवाँ के बेटा अवधेश कलक्टर बनले हा ओकरे मिठाई बंटाता। रउवा त जानते बानी दिल्ली रह के तैयारी करत रहन।

अवधेश बबली ठाकुर के इकलौता बेटा रहन।

देखल गइल बा बड़का घर के लड़िका अकसरहा दुलारे बिगड़ जालन स बाकिर अवधेश पढ़े में त अउवल रहले रहन बाबू माई के देवता से बढ़के मानत रहन। घरे ना गांवो के उनका से काफी उम्मीद रहे जे आज ऊ पूरा कइलन।

बबली ठाकुर के घर गांव में बड़का घर के नाम से जानल जात रहे। दू कारण से। एगो त गांव के सबसे धनी मानी बड़का खेतिहर दुसरे गांव के भूमिहार दू नाम से एगो बड़का घर दूसरा छोटका घर के नाम से जानल जात रहे। बबली ठाकुर बड़का घर से रहन। बड़का घर छोटका घर के बांटे के आधार कवनो धन-संपत्ति ना रहे। 

ठकुराइन अंगना में बइठल बबली ठाकुर से कहली आज तक चुप

रहीं रउवा अउर बेटा के जीद के कारण बाकी अब अवधेश के नौकरी लाग गइल जल्दी से ओकर वियाह ठीक कर दीं। एही लगन में दुआरे बाजा बाज जाय। हमरो ढ़ेर सरथा बा। ओकरा के अवधेशे के बियाह में नू पुरावे के बा!

ठाकुर जी कहलन ठीक बा। तू जानतारू हमहूं ओह दिन के बेसब्री से इंतजार करतानी। अवधेश के बोलाव उनकर बिचार जानल जरूरी बा। हमनी के जमाना नइखे। ओसहू लड़िका जब अपना पैर पर हो जाला त कवनो काम ओकरा सलाहे से करे के चाहीं।

बात चलते रहे तब तक अवधेश अँगना में आ गइलन। ठाकुर जी आवाज देके नजदीक बोला के बइठा लेलन। ठाकुर जी अवधेश से कहलन माई के इच्छा जानते बाड़ अब ना मनीहें। ऊ चाहतारी एही लगन में तोहार बियाह होखे।

अवधेश कहलन कि रउवा जानतानी एक महीना बाद प्रशिक्षण में जाये के बा। प्रशिक्षण में छुट्टियों ना मिले एह से दू साल अउर रूक जाई।

सुनत बाडू नू हो। तू ही समझाव।

माई के हम मना लेब। रउवा आपन सहमती दे दीं।

जइसन तोहार इच्छा। तू जानताड़ तोहार खुशिये हमार जिनगी ह। माई के समझा दिह।

ठीक बा कहते माई के ले के अवधेश घर में चल गइलन।

अवधेश प्रशिक्षण में भी बढ़िया रिजल्ट कइलन। उनका होम कैडर मिल गइल। पहिला पोस्टिंग उपायुक्त के रूप में हजारीबाग भइल रहे। व्यस्तता

के कारण छुट्टी ना मिलल त बाबूजी माई के हजारीबाग बुलवा लेलन। माई बाबूजी के कहाँ उटाई, कहाँ बइठाई अवधेश दिन रात एही में लागल रहत रहन। 

ठाकुर जी अवधेश काल गांव पर निकल जाइब। जाके तोहार शादी फाइनल करे के बा। तोहार एह संबंध में कवनो अपने पसंद होखे त बता द।

ई का कहतानी बाबूजी। हमार पसंद उहे बा जे रउवा लोगीन के बा। हम खाली एतने कहब लड़की पढ़ल लिखल होखे के चाहीं।

आवे के पहिले विधायक जी अपना बेटी खातिर आइल रहन।

रउवा जानतानी उनकर बेटी के पढ़ाई-लिखाई। असहू नेता से दस गज दूरे रहे के चीज ह।

एगो अउर बढ़िया रिस्ता राघोपुर के मास्टर दिनानाथ के बेटी के आइल बा। लड़कियो दिल्ली रह के सिविल सेवा के तैयारी करतिया। सुघर भी बिया। लरिकाई में देखले भी बानी।

माई से बिचार कर अवधेश आपन सहमती दे देलन।

ओही साल अगहन में दिनानाथ मास्टर के बेटी सुषमा सिंह से अवधेश के बियाह हो गइल। मास्टर साहेब भी अपना औकात से बढ़-चढ़ के खरच कइलन जेसे बबली ठाकुर के इज्जत में कवनो कमी ना रह जाये। सुषमा ससुराल में नव दिन बड़ा बढ़िया से रहली। गांव के लोग बड़का घर के बहुरिया कहके बोलावत रहे। अवधेश काम पर जाये के बेरा बाबूजी के पास सुषमा जोरे जा के साथ में सुषमा के ले जाये खातिर आदेश मँगलन त ठाकुर जी कहलन कि एह में आदेश के का जरूरत बा। ओहिजा सुषमा के तैयारी के सुविधा भी मिली। तू ना रहब त उनकर मनो त ना लागी। बाकिर तोहरा अउर बहुरिया के अतना जरूर कहब कि घर अउर खानदान के इज्जत अब तोहनी लोग के हाथे बा बचा के रखिह लोग। माधव ब आजो हर परब त्योहार में पहुंच जाली अउर आज ले माथा से अंचरा ना गीरे देली। माधव कमिश्नर पटना में बाड़े जानते बाड़, बगल के बैसाडीह के हवन। देर मत कर निकल लोग रस्ता लमहर बा। रास्ता में शिवाला पर शिवजी के गोड़ लाग लिह जा। आवत जात रहिह जा, गांव से रिश्ता टूट जाला त जड़ से रिश्ता टूट जाला।

सुषमा अगला साल सिविल सेवा में चयनित होके प्रशिक्षण में चल गइली। अवधेश के छुट्टी के दिक्कत रहत रहे। ठाकुर जी दुनों बेकत दू तीन महीना पर अवधेश किहाँ चल जात रहे लोग। लहरा पर सुषमो सास ससुर के सेवा में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेत रही। ठकुराइन बहुरिया के बात व्यवहार से बड़ा खुश रहत रही। सुषमा के बड़ाई करत थाकत ना रही। ठाकुर जी कहत रहन कि हमार बाबा कहत रहन 'सराहले बहुरिया डोम घरे जाले' एह से ठोक ठेठा के जॅचला के बादे आदमी के पहचाने के चाहीं।

अवधेश के तबादला पटना सचिवालय में सचिव के पद पर हो गइल रहे। सुषमा प्रशिक्षण से लौटला के बाद पटना सचिवालय में संयुक्त सचिव के पद पर योगदान देले रही। सुषमा अवधेश के सरकारी क्वाटर में ही रहत रही बाकिर अपनो नाम से एगो बंगला आवंटित करा लेले रही। कभी कभी क्लब से लौटे में देरी हो जाय भा घर लौटे के स्थिति में ना रहस त अपना बंगला पर चल जास। अवधेश उनका लौटे में देरी होखे त समझ जास अउर खाना खाके सुत जास। ऊ थोरही दिन में मेमसाब के दिनचर्या देख के उनकर स्वतंत्र जीवन शैली से अवगत हो गइल रहन। अवधेश मेमसाब कहके उनका के संबोधन करत रहन बाकिर सुषमा ए. एन., अवधेश नाराय ठाकुर के शार्ट फार्म से काम चला लेत रही। आवास में दुनों व्यक्ति के बेड रूमों अलग अलग रहे। सुषमा कार्यालय से लौटला के बाद फ्रेस होके लॉन में बइठ जास। हर शाम शराव कवाव के दौर चले। अवधेश शनिवार छोड़ कभी साथ ना दे पावत रहन। रात के खाना साथ खाके सुषमा अपना बेड रूम में चल जास।

ठाकुर ठकुराइन पटना आवास पर आइल रहे लोग। चाय पानी सर समाचार के बाद सुषमा कहली ए एन इहवां त मां बाबूजी एडजस्ट ना हो पायी लोग अउर हमनी के प्राइवेसी ना रह पायी काशी के बगल के अर्दली आवास में व्यवस्था करा दे तानी। काशी खाना बनवला के बाद देख रेख करिहन साथ ही खाना पानी ओहिजे पहुंचा दिहन। बदलल परस्थिति अउर मेमसाब के स्वभाव से अवधेश अवगत रहन। उहो हुंकारी भर देलन, दोसर कवनो चारा भी ना रहे। अवधेश माई बाबूजी के समान अर्दली आवास में रखवा के दुनों आदमी के ओहिजा पहुंचा देलन। थोड़िका देर बइठ चले के बेरा कहलन रउवा लोग कष्ट मत करब काशी खाना पानी पहुंचा दिहन, भोरे भेंट होई।

ठाकुर साहब जहर के घूंट पी के चुप रह गइले। ठकुराइनो आपन दुख भीतरही राख कवनो प्रतिक्रिया चेहरा पर ना आवे देली। काशी खाना पूछे अइलन त ठाकुर जी कह देलन भूख नइखे जा आराम कर। दुनों आदमी सुत गइल। रास्ता के थाकल ठकुराइन के आँख लाग गइल बाकिर ठाकुर जी के आंख में निंद कहाँ। उनका इयाद पर गइल कि जब नयका कोठी बनत रहे त रमेसर काका, जे दरबार में बराहिल रहन, खातिर भी कोठी परिसर में एगो सुंदर घर बनवा देले रहीं। रमेसर खाली बराहिल ना रहन। बाबूजी अउर माई त लइकाई में छोड़ चल गइल रहे लोग। रमेसर काका के परिवारे हमरे ना अवधेशो के लालन पालन कइले रहे। का मालूम रहे हमरो एक दिन बेटा के कोठी के बगल के अर्दली आवास नसीब होई। इहे सोचत करवट बदललन त सुषमा के गाड़ी रात बारह बजे गेट में घुसला ठाकुर जी के खिड़की खुला रहे। नजर सुषमा पर गइल त काट त देह में खून ना। सुषमा खुद चले के स्थिति में ना रही। एगो गैर मर्द अर्धनग्न अवस्था में सुषमा के गाड़ी से उतार के आवास तक पहुंचवलस। ठाकुर जी बेटा बहू के स्थिति बढ़िया से समझ गइलन।

मुँह धोअला के बाद ठकुराइन से कहले अवधेश के लाचारी हमनी के समझे के होई। अवधेश से मिल के गांव पर निकल जाये के चाहीं। एहिजा के स्थिति देखते बाडू।

घूमत दूनों बेकत आवास पर चल गइल। सुषमा अवधेश जवरे चाय पियत रही। अवधेश खड़ा होके कहलन आईं जा चाय मंगावतानी। काशी के दुगो चाय खातिर आवाज दे देलन।

सुषमा के ई अच्छा ना लागल। चेहरा भभुका लाल। काशी चाय लाके रखलन त उनका से ना रहल गइल। तपाक से कहली ए. एन. स्वाट् नानर्सेस । वस्वाट् आई वॉन्ट यू नो बेटर देन मी। कहत टेबुल उलट देली। चाय ठाकुर ठकुराइन पर जा गिरल। अवधेश चुपचाप देखत रह गइलन। स्थिति के नाजुकता समझ ठाकुर जी कहलन कवनो बात ना बहुरिया आगे से शिकायत के मौका ना मिली अब ना आइब जा अवधेश के ध्यान रखिह। अवधेश किंकर्तुतव्यविमूढ़ खड़ा रहन। समझत रहन चुपे रहे में भलाई बा। उनका इयाद पड़ गइल दिल्ली के घटना। कवनो बैठक रहे दिल्ली में। सुषमा अउर अवधेश दुनों के जाये के रहे। विहार भवन में रूके के रहे। सुषमा अपना रूम खातिर रिक्वेस्ट भेज देले रही। बिहार भवन के प्रभारी पति पत्नी जान के एके रूम रख देले रहे। ई जानकारी मिलते अपना खातिर अलग रूम ना मिलला से बिहार भवन माथा पर उठा लेले रही। ई देख इंचार्ज अविलंब दूसर रूम के व्यवस्था कर माफी मँगलस। ठाकुर जी ठकुराइन साथे गांव खातिर निकल गइलन।

ठकुराइन गांव लौट के अइला के एक सप्ताह बाद खाट थ लेली। बेटा पतोह से सरथा का पुरी उल्टे जवन बेइज्जती भइल एकर सदमा उनका के भीतर ले तोड़ देलस। ना त ठाकुर जी के समझावल ना डाक्टर के दवाई काम कइलस। ठकुराइन एक महिना के भीतर दुनिया छोड़ देली। काम किरिया में अवधेश आइल रहन बाकी सुषमा ना। काम के दोसरे दिन अवधेश पटना लवट गइल रहन।

ठाकुर जी घाट घाट के पानी पियले रहन। सोरह बरिस के उमिर में कंथा पर दरबार के बोझ आ गइल रहे जे हर तरह के खाट मीठ अनुभव से एक करवले रहे। असहू 'भर मांग सेनुर ना त पट देनी रांड़' के सिद्धांत में विसवास करे वाला जीव रहन। बेटा पतोह से कवनो आशा ना रहल ठकुराइन छोड़ चलिये देले रही अब केकरा खातिर जीयब सोच कोठी अउर नीम त के बीस बिगहा जमीन रमेसर के नाम कर देलन। उनकर बहुत बड़ करज रहे उनका ऊपर ई ठाकुर जी मानत रहीं। बाकी सब जमीन एगो ट्रस्ट बना के गांव में महिला महाविद्यालय के स्थापना कर देलन। खाली रोड किनारे बर त के सावा बिगहा जमीन मठिया के नाम करके एगो कुटिया बनाके ओहिजे रहे लागल रहीं।

ई सुन अवधेश आके पुछलन ई का करतानी। ठाकुर जी कहलन पटना से लौटला के बाद से हम अपना आप में ना रहीं। तोहार माईयो के जान जाये खातिर तू लोग जिम्मेवार बाड़। हमरा जे करे के रहे कर देनी। अब लौटे के कवनो सवाल नइखे। अवधेश तू लौट जा। हमार आशीर्वाद तोहरा साथे बा। हम तोहारो स्थिति समझतानी। अतना खेयाल रखिह सुषमा घर के इज्जत हई उनकर गलती के नजरअंदाज कर रास्ता पर लावे के हरसंभव प्रयास करिह। हमार खानदान धन खातिर ना इज्जत खातिर जानल जाला। हमरा बारे में चिंता जन करिह।

ठाकुर जी साधु हो गइला के बाद मठिया पर पूरा जीवन व्यतीत कइनी। ठाकुर जी के मठिया पर हर साल एगो बड़ जग होत रहे। आज ठाकुर जी नइखी बाकिर मठिया अउर उनकर बनावल धर्मशाला जस के तस बा जे राहगीर के रात बिरात रूके के साथे गांव के कवनो धार्मिक आयोजन खातिर काम आवेला। रमेसर मालिक के अमानत समझ आजो 'ठाकुर जी के मठिया' के सेवा में लागल बाड़न।

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लेख
ठाकुर जी के मठिया
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लखन जस अनुज कंचन जेह पर हमारा नाज बा, उनके हाथ में सस्नेह!
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जहर

20 November 2023
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जानू दा। पूरा नाम जमालुद्दीन खान। मिलकी पर के जमींदार। सांझी खा दलान पर जब बैठकी में बइठस त गाँव के हिन्दू मुसलमान सभे जुटत रहे। जुटे काहे ना, वेद कुरान से लेके रामायण महाभारत के संगे चरचा होखे। संप्र

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ठाकुर जी के मठिया

20 November 2023
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संउसे गांव में मिठाई बंटात देख के ललन बिदेशी ठाकुर से पुछलन कि केकर बायन बंटाता हो। बिदेशी कहलन सुननी हा ना बड़का गउवाँ के बेटा अवधेश कलक्टर बनले हा ओकरे मिठाई बंटाता। रउवा त जानते बानी दिल्ली रह के त

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रजमतिया

20 November 2023
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रजमतिया ठेठ देहाती औरत। ओकर मरद उमेश पासवान कतरास कोलियरी में मजदूर के काम करत रहे। जीद क के गांवे से मरद के साथे कतरास आ गइल। दूगो लइकन के साथे परिवार के गाड़ी कसहूँ चलत रहे। कोलियरी ओह घड़ी निजी मलक

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फूलवा

20 November 2023
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छूट्टी के दिन एतवार के ड्राइंग रूम में बइठल ललन पेपर देखत रहन कि कॉलबेल के आवाज कान में पड़ल। उठ के दरवाजा खोललन त गांव के रामदास कहार पर नजर पड़ल। बड़ा सबेरे सबेरे। आव आव भीतरिये चल आव। बोरवो भीतरए ढ

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सुनैना भउजी

21 November 2023
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सुनैना बियाहे उतरली तऽ बियाह के घर भरल मिलल। कहीं तील धरे के जगह ना। हँसी ठिठोली के माहौल, काली पुजाई, चउठारी के रसम में दिन कइसे कट जात रहे पता ना चल पावत रहे। चार पांच दिन में सब हित नाता के जाते गा

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हरित नायिका

21 November 2023
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सुमन मुंडा, परसाबाद ग्राम वन संरक्षण अउर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, सरायकेला जिला परिषद सदस्य, राष्ट्रीय वृक्ष मित्र 2018 पुरस्कार से पुरस्कृत, 'हरित भूमि' गैर सरकारी संगठन की अध्यक्षा। सुमन के आज इहे

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राधा

21 November 2023
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राधा अउर सतीश साथे पढ़त रहे लोग। ऊ दूनों के दोस्ती कब प्रेम में बदल गइल ई दुनों के पता ना चलल। साँच भी ह प्रेम त आराधना ह जे आराध्य से कब एक कर देला ई पता कहाँ चलेला। दूनों साथे जीये मुये के कसम ले

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सुगिया गिरी मुरझाय

21 November 2023
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सुगिया रामनाथ कँहार के चउथकी बेटी । उहे रामनाथ जे हमरा पटीदार कौशल भाई किहां बनिहार रहन। सुगिया के माई हमरो घर के गोबर गोइठा के साथे बरतन पानी के काम देखत रहे। रामनाथ उमिर में बड़ रहन एह नाता उनका के

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नूर मियां

21 November 2023
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काल ढ़ेर दिन पर आरा से गांव गइल रहीं। भोरे बधार से फर फराकित होके लौटत खा रस्ता में ललन पांडे से भेट हो गइल। प्रणाम पंडित जी। कब आसन आइल हा जजमान। काल साँझी खा अइनी। ई का सुनतानी नूर मियां के बारे

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श्रद्धा के फूल

21 November 2023
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रामचरन अपना गांव के हाई स्कूल के नउवा वर्ग के विद्यार्थी रहन। बात सन बहतर के ह। बड़ा गरीब घर के लड़िका बाकिर पढ़े में वर्ग के अउवल विद्यार्थी। वर्ग में सदा प्रथम आवत रहन। बलराम गुरूजी वर्ग शिक्षक रहीं

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ऊपरी कमाई

21 November 2023
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राजनाथ ग्रेजुएशन कइला के बाद कम्पटीशन के तैयारी पटना रहके करत रहन। पढ़े में शुरू से बढ़िया रहन। साल बितत बितत एक्साइज इंस्पेक्टर के परीक्षा पास करके बम्बई पोर्ट पर योगदान दे देलन। नौकरी लागते उनकर

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दिवान जी

22 November 2023
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झुनीलाल। संउसे गांवे ना जवारो दिवान जी के नाम से जानत रहे। केकरो घरे एक धुर जमीन नापे के होखे, दू भाई के बीच बँटवारा होखे भा केकरो जमीन के इतिहास जाने के होखे त ओकरा खातिर गांव के लोग दिवान जी के धरत

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गुरही जिलेबी

22 November 2023
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अब कहाँ चलता? बाकी इयाद बा नू गांवे के छठ मेला होखे भा मस्जिद त के ईद मेला चाहे कचनथ के शिरात मेला हमनी के गुरही जिलेबी खातिर साथे जात रहीं जा। ललन पटना अपना डेरा पर रमेश, जे गांवही के लइकाई के इयार र

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फाटल मिरजई

22 November 2023
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नया जन बन। तू जानेलू बाबू भइया आपस में एक दोसरा से कपड़ा हित नाता घरे जाये खातिर अदल बदल लेला बाकिर तोहरा के ना नू दी। मुँह ओहिजे खोले के चाही जहाँ बात रह जाय। जइसे सब होता ओसही एगो मिरजई किना जाई त

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कोरोना के कहर

22 November 2023
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अजी सुनती हो कमलेशवा के माई। भोरे भोरे रउवा त कवनो काम नइखे हमरा नाक में काहे दम कइलेबानी। आरे मार बढ़नी कोरोना के रे एगो त ऊ आफत में जान डललही बा ऊपर से दिन भर रउवा आ कमलेशवा के टोपासी अलगे बा। अरे ई

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भूख

22 November 2023
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रमेसर बाबूजी के तबियत दिन प दिन बिगडत देख बजारी प जा के डॉक्टर से देखावे खातिर निकल गइलन। फिस खातिर डोमन साव से दू सै रूपया कर्जा दस रूपया सूद प लेके पाकिट में रख लेले रहन। लाकडाउन में सब अस्पताल बंद

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गाँव के सपना

22 November 2023
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रोजी रोटी खातिर महेश गाँव छोड़ के चार बरिस पहिले सूरत चल गइल रहन। बाद में अपना विधवा माई के भी ओहिजे बोला लेले रहन। माई भी दू चार घर में चौका बरतन करत रही। महेश एगो सुता कारखाना में मजूरी करत रहन। केह

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बेटी

22 November 2023
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जनार्दन सिंह बाहर से आवते अभी दुआर पर पैर रखले रहन कि घरवे के बगल में उनके बाप दादा के बसावल काशी कहार के घरे बड़ा हल्ला गुल्ला अउर अफरा तफरी के माहौल बुझाइल। कुछ समझ ना आइल त हाथ मुँह धो के खरास मिटव

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लोक लाज

23 November 2023
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सुशीला के विदा करते रामनरेश घरे आ के चीताने धम से पड़ गइलन। माथा के लकीर साफ कहत रहे कि बेटी के हाथ पीयर करे अउर ओकरा के बड़का घर में भेजे के खुशी से अधिक गम दू बिगहा खेत बेचला के बादो डेढ़ लाख के माथ

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गांव प्रबंधन समिति

23 November 2023
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गांव के पूरब दखिन के कोण पर थप थप ऊजर दू महल्ला कोठी। गजाधर चौधरी के निवास स्थल। नाम-सुख सागर। गजाधर बाबू मुखिया पति। नावाडीह पंचायत के मुखिया श्रीमती सुनीता देवी के पति। खुद अपने मुखिया पति के अलावा

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राम भरोसे

23 November 2023
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काली माई तर बइठल रामधन अउर बाबूलाल आपस में बात करत रहे लोग। रामधन बोलले बाबूलाल काका तूं त अब साठ के लपेट के भइल का कभी अइसन आपत बिपत के समय देखले रहला हा। अरे ना मरदे! आज ले खेलत कूदत जिनगी बितल रहे

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आफत

23 November 2023
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दिनेश अपना पलानी में खटिया पर परल कहरत सुखिया काका से कहले कब अइला हा? आँख लाग गइल रहे पता ना चलल हा। बा? चलले आवत बानी। आके अभी बइठबे कइनी हा। कइसन तबियत कइसन कहीं। तू त जानते बाड़। गरीबी आ बुढ़ापा

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हरियर गाछ

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भोजपुर जिला में पोआर अउर बसौली दूगो गांव बा। दुनो गांव के सीवान एक दुसरा से मिलेला। पोआर भूमिहार अउर बसौली राजपूत बहुल गांव ह। दुनो गांव आपस में बड़ा मिलके रहत रहे। शादी बियाह में नेवता हँकारी चलत रहे

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नाक

23 November 2023
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छोटकी आ बड़की दूगो बहुरिया रही सं बड़का बाबा अँगना। दूनो के बियाह में गइल रहनीं बाराती। जयमाल के समय दूनो के बियाह के बेरा लोग कहत रहे कि ललनवा दूनो बेटन के बियाह खूबसूरती देख के कइले बा तिलक लेके ना।

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फागू भगत ससुरारी में

23 November 2023
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गाँव के बहरी निकले के पहिले बीचली गली के अंत में फागू भगत के किराना के दुकान। दुकान आज के मिनी मॉल। चुड़ी, कपड़ा, पूजा सामग्री, पारचून से आटा चुड़ा मिल तक एक छत के नीचे। फागू भगत दुकान के बहरी चबूतरा

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एगो किताब पढ़ल जाला

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