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बसंत

25 November 2023

1 देखल गइल 1

बीत गइल मधुमास सखी! मोर साजन अइले ना।

भावे ना भवनवाँ ना खनके कंगनवाँ ना नीक लागेला मोहे सूनी रे सेजरिया कइसे के कटी दिन रतिया सखी! मोर साजन अइले ना।

कोइली के बोलिया भइल वैरनियाँ तनिको ना नीक लागे पाँव पैजनियाँ मन देखे के ना करे दरपनवाँ सखी! मोरा साजन अइले ना।

कड़नी सोरहो सिंगार पिया बिना सब बेकार आँखिया में भरल लोर दुखतारे पोर पोर अंग अंग बिरह से दहके सखी! मोरा साजन अइले ना।

पिया परदेशिया पठावेला ना पतिया हियरा उठेला पीर सारी सारी रतिया मतिया मरलस कवन सवतिया सखी! मोर साजनअइले ना।                                                                                                                                      
2

अंगे अंगे रिसेला बदनिया, कइसन बसंती बयार नीक नाही लागे भवन हो।

नाही नीक लागेला ननदी के बोलिया देवरा अवाटी खिंचे छत पर कगरिया कतनो संभारी नाही संभले ला साड़ी पुरवा उत्पाती उड़ा ले जाला अँचरिया।

पोर पोर टभकेला बदनिया, बहे पुरवइया बयार कंत हमार परदेश हो।

मदवा के मातल मोर नयन सखी एने ओने तिकवत मनवा अधीर सखी कवना सवतिया के नेह में भूला गइले कंत परदेशिया ना भेजले सनेस सखी।

रसे रसे बथेला बदनिया, देहिया भइल भार रंग से रंगाईल अंग हो।

कइल करार सइयाँ फगुआ में आइब जयपुर के चूनरिया साथ में लेआइब सोना के नथुनिया के आस देके गइल ना पूरी असरा त हमहूं ठेंगा देखाइब।

मस मस मसकेला बदनियाँ, बहे फगुनहटा बयार भंग में सनाइल फाग हो।                                                         
3

हरियर चुहचुह पियर बधार सब गोरी थरी चलली डॅड़ार, बघरिया सुहावन लागेला।

हाथ में हसुआ कोरा में लइका सखी संग साग खोटस रधिका सखी देवे ताना ना लागे नीमन पवन बसंती लागे मोहे तीतिका।

तीसिया के फूल मटर संग लहसत पटवन करत किसान, बधरिया सुहावन लागेला।

आलू-पियाज के तींत तरकारी गोरी मुँहे मीठ लागे हमरा गारी अगहन के रहे एगो सुंदर बादा चाहियो के ना घर पइनी अँकवारी।

आम के डलिया मंजर से लदरल पवन के संगे आँचर फहरत, बघरिया सुहावन लागेला।

रूनझुन बाजे गोरी के पायलिया सरसों के जूड़ा, तीसी कनबलिया नाक के नथुनी मटर के फूलवा सुंदर लागे आँखी के कजरिया।

थथमल बसंत आज गोरी के अँचरा झूमेली गोरी झूमे बधार संग, बघरिया सुहावन लागेला।                                     
4                     

पियासल वा नयन अब दरश के दिलाशा दिआई मत सगुन वा बनल बड़ी देर से, दीयना आस के बुझाई मत जिनगी प्रेम के उपवन, झुलस जाई पटवला बिन चलि आव गली में प्रेम के, अब अंगूठा दिखाई मत।

चइत बा खूब मातल आज, मनवा खूब बा बहकत पवन पुरवा छेड़े अँचरा, गजरा खूब बा महकत सपना भोर के कहलस पिया परदेश से आवत सजल गोरिया निहारत राह, सेजिया खूब बा चहकत।

बहकल चल रहल पुरवा, बधरिया खूब गमगम बा गेहूं खेत में पाकल, धरती सोना जस चमकत बा पिया जब खेत से लौटे, टिकोरा हाथ में संउपे ननद कनखी से देखले, मन में आस लहसत बा।

थथमल बसंत आज गोरी के अँचरा झूमेली गोरी झूमे बधार संग, बघरिया सुहावन लागेला। 4ल बा नयन से लोर ढ़रकत बा, पिया फरदेश संग सौतन सेजरिया आग जस थधक्त, तपन से मन बउराइल बा।                                              
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फागुन अगराइल बसंत बउराइल देख गोरिया उदास सजन के ना आइल देख छेड़े ननदोसिया ननदियो गावेले गीत बह गइल कजरा सेज मउराइल देख।

कवनो सनेसिया ना पिया तू पेटवल फागुन के असरा आज तक दियवल बैरिन सवतिया नोकरिया बनल विया काहे के रोज रोज सपनवा देखवल।

नेहिया के बंधन ह रेशम के गाँठ ना गठबंधन सात फेरा कुछ त इयाद ना कवने सवतिया के नेहिया में मतल पहिला फगुनवाँ के तनिको इयाद ना।

सरसों के खेतवा से उढ़त सुगंधवा मोजरा महुअवा के मातल पवनवाँ पीपरा के गछिया पपिहरा के बोली सुनी देखि रहेला ना बसे मोर मनवा।

नेहिया के नेवता बसंत संग पेंठाइब असरा में रउरे हम पीयरी रंगाइब बात मानी चली आई छोड़ के नोकरिया साथे मिली-जुली हम फगुआ मनाइब।                                                                                                                6

बसंती सुरहुरी पोर पोर में समाइल हरियर बधार गेहूं चना से लदाइल ना बोलऽ पपिहा दरदिया जगाव जन पी परदेशी केकरा नेहिया भूलाइल।

सरसों फूलाइल देख मन अगराला कोइलि के बोलिया ना तनिको सुहाला बहे फगुनहटा जरावेला पोर-पोर सइयाँ बेदर्दी ना तकनिको मोहाला।

आम मोजरइला से बगिया सुहावन बाग बगइचा लागे बड़ा मनभावन बहे पुरवइया उड़ावे मोर चूनरिया पागल मन आ अंग-अंग सिहरावन।

महुआ के गाँछी मदन रस टपके हियरा के भीतर इयाद तोहार टसके वैरी बसंत नाही बूझे मोरा मनवा रे पिया परदेशिया त तबहूं ना टसके।                                                                                                                     
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आइल ऋतु बसंत केर, बाग में खिलल फूल। सरसों फूले खेत में, मौसम बा अनुकूल।।

गेहूं सरसों एक संग, गावे झूमत गीत। दर्द बढ़ावे बिरह के, मन हो जाये तींत।

पियर चूनर पहीर के, धरती विहँसे आज। पवन चले बसंत केर, मन बउराइल आज।।

मद में मातल लोग सब, ना उनकर बा दोष। महुआ मद टपका रहल, कहाँ रही तब होश।।

गोरी निरखत बाग के, भँवर फूल मड़राय। याद दिलावत पिया के, हँसते मन मुरझाय।।

लहसत खेत बधार सब, लहसत मन में प्रीत। पिया बिना घर सून जब, काटे थावे गीत।।

आहट देत बसंत सुन, मोजर महके आम। हवा बसंती बहि रहल, मनवा मातल काम।।                                          
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गजल कहलस कि फागुन ह, लगा दऽ रंग माथे पर आइल चइत, गाव चीता, अभी मधुमास बाकी बा।

कोइलिया बाग में कुहूके, बघरिया सोना सा चमके मदन रस आम से टपकत, अभी मधुमास बाकी बा।

ई मादक गंध महुआ के, बिखरल आज बा चहुंओर मनवा मीत खोजता, अभी मधुमास बाकी बा।

चीता रोज गूंजता, दुआरे पर, शिवाला पर ननदिया प्रेम गीत गावे, अभी मधुमास बाकी बा।

कहीं सेमर फूलाइल बा, कहीं पालाश बा महकत चोरालीं मन करे लाली, अभी मधुमास बाकी बा।

चढ़ल पीपर नया पतई, सखुआ खूब फूलाइल बा जंगल ले रहल अंगड़ाई, अभी मधुमास बाकी बा।

ई कनक किशोर के अनुभव, बसंत अब प्रौढ़ बा पहुंचल किशोरी राह तिकवेले, अभी मधुमास बाकी बा।

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लेख
गाँव गाव गीत
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हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
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बसंत

25 November 2023
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बीत गइल मधुमास सखी! मोर साजन अइले ना। भावे ना भवनवाँ ना खनके कंगनवाँ ना नीक लागेला मोहे सूनी रे सेजरिया कइसे के कटी दिन रतिया सखी! मोर साजन अइले ना। कोइली के बोलिया भइल वैरनियाँ तनिको ना नीक लागे पा

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सनेरयु

25 November 2023
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बसंत के आगाज धरती झूमे सुन्दर उपवन। 1। मधुप मंडरात मधु के खोज बगियन के फूल। 21 पुरवाई बहत आम के डाढ़ि मोजर के सुगंध। 3। बसंत आ गइल सरसों खेत बधार खूब झूमें। 4। मदमस्त पवन पागल मन बिरहिन सतावे । 5।

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फगुआ

25 November 2023
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बहे फगुनहटा बयार, बहे फगुनहटा बयार विहँसत अंग-अंग गोरी के, विहँसेला अँगना दुआर बहे फगुनहटा बयार हो। काँवा के हरदी, कहाँ के चूनरिया काँवा से रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो। पटना के हरदी, बनारस के च

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हाइकु

25 November 2023
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का कहीं हम दोषी हम नइखीं दोषी फागुन । 1। फगुनहटा चढ़ी कपार बोले मन बेहाल। 21 लाल गुलाल लाल भयो बादर गोरियो लाल। 3। गाँव के गली झूठ वृन्दावन बा फगुआ आज । 41 जोगिरा बोल ठुमकेला बुढ़वा फगुआ गोल।5। भ

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चइता

25 November 2023
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1 चइत मासे कुटुंकेले बगिया कोइलिया ए रामा कोइली के बोली सुनी हियया में उठेला दरदिया पिया परदेशिया बुझे ना मरमिया ए रामा चौत मासे...। भोरे भोर कोइलर, सँझिहा का ननदी बोली रतिया में पुरवा बयार रे अंगे

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गीत

26 November 2023
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1 चम चम चमकेला नभ में चनरमा पीहू पीहू पपिहा पुकार पुरवा पवनवा उड़ावेला अँचरवा देखि पिया करेला गोहार। लचकत चलेले गुजरिया अँगनवा बीचे ना। लाल पलाश जस ललकी चुनरिया धरती लोटेला केश जइसे नागिनिया लिलरा

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गउवाँ गावेला

26 November 2023
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11 घर आँगनइया दुआर के आपन आपन रंग लोग बाग से महकत घर चहकत रहे चुरंग खेत में मंगरा बिरहा गावे सोमरा देवे तान सरसों फूलल मटर गदराइल देख, गउयाँ गावेला। पहिन हरित चुनरी मन मोहे मिट्टी महके सौंध गली-गली

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माई

26 November 2023
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तोहार अँचरा के छंहिया भुलाई कइसे माई। रगे रगे बसेला तोहारे खून देहिया में सब सुख पवनी हम तोहरे बहियाँ में रात भर जागि जागि हमके सुतवलू तू हमरो गलतिया के सबसे छुपवलू तू साँच ह ई बतिया सुन मोर बिपतिया

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धनिया

26 November 2023
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बड़ कहे कनिया आ हम कहीं धनिया तनी धीरज धर ना, बहुरी हमनी के दिनवाँ तनी...। नाही माँग झूलनी, ना माँग तूहूँ कंगना मिली जूली रहे सभे आज एक अँगना दूरी ये बचाई जान भागी ई कोरोना जरूरी ब मारक के चलनवा, तनी

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जनक के अँगना दुआरी

26 November 2023
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झरोखा बइटि देत बाड़ी गारी, जनकपुर के नारी जनक के अंगना दुआरी। सीता सुकुवारी के बियहवा के बेरा चारों भाई बइठल जनक जी के डेरा दशरथ जी अंगना में अइले बरनेत गारी कढ़वली जनकपुर के नारी जनक के अँगना दुआरी।

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तनि बढ़त चल

26 November 2023
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जिनिगी के कवन बा ठेकान, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल। महल के सुखवा में गउँवा भूलइल अपना के छोड़ के शहर बसि गइल मटिया पुकरलस तबो नाहि अइल असिया ना पूरल आ तूहूं बिसरइल। छोड़ दिहल नइया मझधार, स

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संवरको गोरको पर भारी

26 November 2023
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संवरको गोरको पर भारी कुचु-कुचु करिया केश, गुलाबी रंग सारी संवरको...। सांवर कृष्ण रामो त सांवर सांवर शिव त्रिपुरारी, श्याम वरण आकाश सोभेला सांवर सब पर भारी। संवरको...। गोर सिया गोर राधा रहली खोजली रा

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मुक्तक

26 November 2023
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पुरवड्या उड़ावे अँचरवा फगुनहटा अँगनइया उड़ेला गुलाल साथे रंग के फुहार फगुआ के गोल संगे ढोलक मृदंग गूंजे बुढ़वा बनल रंग रसिया नाचे अँगना दुआर। भंग के तरंग में मलंग मउलत गोरी देखी ताना देत ननदी हंसले द

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गजल

27 November 2023
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1 गाँव-गाँव अब ना रहल हम का कहीं हर अंगना बाजार बनल हम का कहीं। काका चाचा सब प्रवासी हो गइलन भाई-भउजाई सब अलगा हम का कहीं। दुअरा पर चौपाल अब कहाँ बइठत मदर्दी अँगने में बइठल हम का कहीं। गाय बैल दुअ

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कजरी

27 November 2023
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1 आरे रामा पियवा गइले परदेश सवनवाँ ना भावे ए रामा। भावे ना कजरी, ना भावेला झूलवा डहकत हियवा में टीसेला बदरवा बरसे बदरवा त काटेला सेजरीया भवनवाँ सुना ए रामा। ना भेजे खतवा, नाही रे सनेसवा नाचत मोर दे

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सावन मनभावन से सखी 2

27 November 2023
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2 हरियर कुच कुच बधरिया सावन मनभावन हे सखी। बलमा बधारी करावत पहिरोपना बारा फूलवरा बनेला मोरे अंगना भाई देयाद आज साँझि के खइहें मंगल गान आज होई मोर अँगना। रिमझिम परेला फुहरवा सावन मनभावन हे सखी। नीम

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दाँव-पेंच

27 November 2023
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3 दाँव-पेंच अब बहुत भइल शाम दंड अब छोड़ी, हम किसान के जात ह सीधा मुड़ी जन हमार मुरेड़ीं। दिल्ली ढाका सुनत रहनी रउवा आज देखइनीं, रंग में भंग पड़ल फगुआ के होरी हम बिसरइनीं। कवन कसुरिया हमसे डहनीं रउव

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सनेरयु

27 November 2023
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परिवार के साथ जिनिगी रहे सदाबहार। 1। राख नेह अटूट सबसे फले फुलेला गाँव। 2। पावे निश्चित जीत मानव समय पहचान SI 31 बरसत अँखिया प्रेम में मनवाँ बा अधीर। 4। भारी करे चुनाव माहौल आपसी तकरार। 5। अनुचित

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हाइकु

27 November 2023
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पिया अनाड़ी वृझे कहाँ बतिया सूते पोथानी। 1। मन मातल छछनत हियरा बथे कपार। 2। देह के बोल अँखिया रतनार पिया ना बूझे। 31 का कहीं हम कइसन फगुआ काटे गुलाल।4। गोरी उदास बलम परदेशी होली के दिन ।5। रंग अब

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