बीत गइल मधुमास सखी! मोर साजन अइले ना।
भावे ना भवनवाँ ना खनके कंगनवाँ ना नीक लागेला मोहे सूनी रे सेजरिया कइसे के कटी दिन रतिया सखी! मोर साजन अइले ना।
कोइली के बोलिया भइल वैरनियाँ तनिको ना नीक लागे पाँव पैजनियाँ मन देखे के ना करे दरपनवाँ सखी! मोरा साजन अइले ना।
कड़नी सोरहो सिंगार पिया बिना सब बेकार आँखिया में भरल लोर दुखतारे पोर पोर अंग अंग बिरह से दहके सखी! मोरा साजन अइले ना।
पिया परदेशिया पठावेला ना पतिया हियरा उठेला पीर सारी सारी रतिया मतिया मरलस कवन सवतिया सखी! मोर साजनअइले ना।
2
अंगे अंगे रिसेला बदनिया, कइसन बसंती बयार नीक नाही लागे भवन हो।
नाही नीक लागेला ननदी के बोलिया देवरा अवाटी खिंचे छत पर कगरिया कतनो संभारी नाही संभले ला साड़ी पुरवा उत्पाती उड़ा ले जाला अँचरिया।
पोर पोर टभकेला बदनिया, बहे पुरवइया बयार कंत हमार परदेश हो।
मदवा के मातल मोर नयन सखी एने ओने तिकवत मनवा अधीर सखी कवना सवतिया के नेह में भूला गइले कंत परदेशिया ना भेजले सनेस सखी।
रसे रसे बथेला बदनिया, देहिया भइल भार रंग से रंगाईल अंग हो।
कइल करार सइयाँ फगुआ में आइब जयपुर के चूनरिया साथ में लेआइब सोना के नथुनिया के आस देके गइल ना पूरी असरा त हमहूं ठेंगा देखाइब।
मस मस मसकेला बदनियाँ, बहे फगुनहटा बयार भंग में सनाइल फाग हो।
3
हरियर चुहचुह पियर बधार सब गोरी थरी चलली डॅड़ार, बघरिया सुहावन लागेला।
हाथ में हसुआ कोरा में लइका सखी संग साग खोटस रधिका सखी देवे ताना ना लागे नीमन पवन बसंती लागे मोहे तीतिका।
तीसिया के फूल मटर संग लहसत पटवन करत किसान, बधरिया सुहावन लागेला।
आलू-पियाज के तींत तरकारी गोरी मुँहे मीठ लागे हमरा गारी अगहन के रहे एगो सुंदर बादा चाहियो के ना घर पइनी अँकवारी।
आम के डलिया मंजर से लदरल पवन के संगे आँचर फहरत, बघरिया सुहावन लागेला।
रूनझुन बाजे गोरी के पायलिया सरसों के जूड़ा, तीसी कनबलिया नाक के नथुनी मटर के फूलवा सुंदर लागे आँखी के कजरिया।
थथमल बसंत आज गोरी के अँचरा झूमेली गोरी झूमे बधार संग, बघरिया सुहावन लागेला।
4
पियासल वा नयन अब दरश के दिलाशा दिआई मत सगुन वा बनल बड़ी देर से, दीयना आस के बुझाई मत जिनगी प्रेम के उपवन, झुलस जाई पटवला बिन चलि आव गली में प्रेम के, अब अंगूठा दिखाई मत।
चइत बा खूब मातल आज, मनवा खूब बा बहकत पवन पुरवा छेड़े अँचरा, गजरा खूब बा महकत सपना भोर के कहलस पिया परदेश से आवत सजल गोरिया निहारत राह, सेजिया खूब बा चहकत।
बहकल चल रहल पुरवा, बधरिया खूब गमगम बा गेहूं खेत में पाकल, धरती सोना जस चमकत बा पिया जब खेत से लौटे, टिकोरा हाथ में संउपे ननद कनखी से देखले, मन में आस लहसत बा।
थथमल बसंत आज गोरी के अँचरा झूमेली गोरी झूमे बधार संग, बघरिया सुहावन लागेला। 4ल बा नयन से लोर ढ़रकत बा, पिया फरदेश संग सौतन सेजरिया आग जस थधक्त, तपन से मन बउराइल बा।
5
फागुन अगराइल बसंत बउराइल देख गोरिया उदास सजन के ना आइल देख छेड़े ननदोसिया ननदियो गावेले गीत बह गइल कजरा सेज मउराइल देख।
कवनो सनेसिया ना पिया तू पेटवल फागुन के असरा आज तक दियवल बैरिन सवतिया नोकरिया बनल विया काहे के रोज रोज सपनवा देखवल।
नेहिया के बंधन ह रेशम के गाँठ ना गठबंधन सात फेरा कुछ त इयाद ना कवने सवतिया के नेहिया में मतल पहिला फगुनवाँ के तनिको इयाद ना।
सरसों के खेतवा से उढ़त सुगंधवा मोजरा महुअवा के मातल पवनवाँ पीपरा के गछिया पपिहरा के बोली सुनी देखि रहेला ना बसे मोर मनवा।
नेहिया के नेवता बसंत संग पेंठाइब असरा में रउरे हम पीयरी रंगाइब बात मानी चली आई छोड़ के नोकरिया साथे मिली-जुली हम फगुआ मनाइब। 6
बसंती सुरहुरी पोर पोर में समाइल हरियर बधार गेहूं चना से लदाइल ना बोलऽ पपिहा दरदिया जगाव जन पी परदेशी केकरा नेहिया भूलाइल।
सरसों फूलाइल देख मन अगराला कोइलि के बोलिया ना तनिको सुहाला बहे फगुनहटा जरावेला पोर-पोर सइयाँ बेदर्दी ना तकनिको मोहाला।
आम मोजरइला से बगिया सुहावन बाग बगइचा लागे बड़ा मनभावन बहे पुरवइया उड़ावे मोर चूनरिया पागल मन आ अंग-अंग सिहरावन।
महुआ के गाँछी मदन रस टपके हियरा के भीतर इयाद तोहार टसके वैरी बसंत नाही बूझे मोरा मनवा रे पिया परदेशिया त तबहूं ना टसके।
7
आइल ऋतु बसंत केर, बाग में खिलल फूल। सरसों फूले खेत में, मौसम बा अनुकूल।।
गेहूं सरसों एक संग, गावे झूमत गीत। दर्द बढ़ावे बिरह के, मन हो जाये तींत।
पियर चूनर पहीर के, धरती विहँसे आज। पवन चले बसंत केर, मन बउराइल आज।।
मद में मातल लोग सब, ना उनकर बा दोष। महुआ मद टपका रहल, कहाँ रही तब होश।।
गोरी निरखत बाग के, भँवर फूल मड़राय। याद दिलावत पिया के, हँसते मन मुरझाय।।
लहसत खेत बधार सब, लहसत मन में प्रीत। पिया बिना घर सून जब, काटे थावे गीत।।
आहट देत बसंत सुन, मोजर महके आम। हवा बसंती बहि रहल, मनवा मातल काम।।
8
गजल कहलस कि फागुन ह, लगा दऽ रंग माथे पर आइल चइत, गाव चीता, अभी मधुमास बाकी बा।
कोइलिया बाग में कुहूके, बघरिया सोना सा चमके मदन रस आम से टपकत, अभी मधुमास बाकी बा।
ई मादक गंध महुआ के, बिखरल आज बा चहुंओर मनवा मीत खोजता, अभी मधुमास बाकी बा।
चीता रोज गूंजता, दुआरे पर, शिवाला पर ननदिया प्रेम गीत गावे, अभी मधुमास बाकी बा।
कहीं सेमर फूलाइल बा, कहीं पालाश बा महकत चोरालीं मन करे लाली, अभी मधुमास बाकी बा।
चढ़ल पीपर नया पतई, सखुआ खूब फूलाइल बा जंगल ले रहल अंगड़ाई, अभी मधुमास बाकी बा।
ई कनक किशोर के अनुभव, बसंत अब प्रौढ़ बा पहुंचल किशोरी राह तिकवेले, अभी मधुमास बाकी बा।