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चइता

25 November 2023

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चइत मासे कुटुंकेले बगिया कोइलिया ए रामा

कोइली के बोली सुनी हियया में उठेला दरदिया पिया परदेशिया बुझे ना मरमिया ए रामा चौत मासे...।

भोरे भोर कोइलर, सँझिहा का ननदी बोली रतिया में पुरवा बयार रे अंगे अंग डहकत बिरह के आग सखी! सेजिया पर लोटेला नाग ए रामा चौत मासे...।

काठ के करेजा करी फागुन बितवनीं चइत के थाह ना सहाय पियवा अनाड़ी नोकरिये के सब बूझे चइत के चढ़ल बा खुमारी ए रामा चइत मासे...।

नाहीं अइले पियवा ना भेजले सनेसवा झर झर बहेला आँखी के कजरवा तन नाही बस में आ मनवाँ बा मातल उतपतिया ए रामा चइत बड़ा चइत मासे...। 2

पीयर रंग चोलिया प लाली रंग चूनरी हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प खूब फबेला लहंगवा हो रामा।

चाँदी के पयजनिया अउर सोना के नथनिया हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प करघनिया हो रामा।

लाली लाली बिंदिया अउर मुँह ओठलाली हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प करिया कजरवा हो रामा।

हरी हरी चूड़िया सबुज रंग दुपटवा हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प सतरंगी कुरतिया हो रामा।

एक त चुनरिया लाली दूजा चाल मतवाली हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प फूल के गजरवा हो रामा। 3

हम हई जड़िया किसनवाँ ए रामा हमें जनि काट, हम हई देश के आतमवाँ ए रामा हमें जनि मार। ए रामा...।

सपनों में सोचनी ना अइसन करब तू दिहल तू हमके डूबाय हो, काठ के करेजा कइल बतिया ना सुन तू के फेरलस मतिया तोहार हो। ए रामा...।

खेत में परान बसे करी हम मजूरिया हो जुड़े नाही भर पेट अन्न हो, करज में डूबी हम रोटिया खियवनी हो करज में मुअला किसान हो। ए रामा...।

धन-धन बाबूजी धन सरकार तू हो धन बाड़े तोहार सलाहकार हो, बड़-बड़ बात कर नया-नया नाटक हो बेचलऽ धरती आसमान हो। ए रामा...।

कतनो धीराइब तुहू मानब ना बतिया नाहीं हम बेचब घर बार खेतिया, जहर से बढ़के बा नवका कानूनिया अटकल बा सांस आ परान हो। ए रामा...। 4

हेराइ गइल जिनगी एही ठड्यां ए रामा

कूटत पिसत दिन बितल आज ले करी खुद खेत में मजूरी, भर पेट भोजन मिलल ना कहियो ना मिलल जे बा जरूरी।

जूड़ाइल नाही हियरा कहियो ए रामा।

अंग पर ना बस्तर देहिया उघार बा बचवन के लोर ना सूखात, माई बाबू जिनगी अन्हरिये में बितल मेहरी के सुसुकी सुनात।

करम में लिखल दुरगतिया ए रामा।

करमे ह जिनगी करमे धरम बाटे करमो के फल ना भेटाय, दइब के दोष नाही लूट लेलस रजवा हमरा ना कुछुवो बुझात।

कइसे कटी मोर जिनगनिया ए रामा।

बड़-बड़ बात करी हमरा के ठगलस करी देल हमके किनार, बेच ताड़ हमनी के सेठवा के हाथे तू कइल ना कवनो बिचार।

छछनत बा मोर परनवाँ ए रामा। 5

तनिको सहूर नाही अटपट बोलेला बड़ छोट केकरो के कुछ नाही बुझेला हमारो से करे तकरार ए रामा पियवा...।

बाड़े बेरोजगार दोष बाबूजी के देवेला माई के आज ऊ त लउँड़ी ना बुझेला हमरा के कडेला देहातिन ए रामा पियवा...।

गाँव छोड़ि बसल आके शहर के किनारा कवनो अलम नइखे ना कवनो सहारा ऊपर से करोना के कहरिया ए रामा पियवा...।

पंडित जी के गारी देवे धरम नाहीं बुझेला कांधे लाल झंडा लेके आगा आगा घूमेला कुफूत में परल बा परनिया ए रामा पियवा...।

कबो कहे किस मी कबो किसमिस कहेला गाल छू के ओकरा टोमेटो जइसन कहेला डोंट डिस्टर्ब मी सुन फाटेला कपरिया ए रामा पियवा......।

नशवा में डार्लिंग कहि माथ पर चढ़ावेला होत भिनसार हमके रोज गरिआवेला कइसे कटी हमरो जिनिगिया ए रामा पियवा ......। कहेले 'किशोर' पढ़ प्रेम के तू पटवा लबर-लवर करत फिरे आज देख लवरा लबरा के बिगड़ल चलनिया ए रामा पियवा...। 6

तू मत पिघल, दिल के पिघला द तू आशिकी बजारू ना ह, ई त समझा द तू।

चइत ह, प्यार के ऊमस जोर मारता बसंत के दोष ना, ई ओहके बता द तू।

फाग बीत गइल, रंग ना बरसल आँगन मन छिछुआइल बा, मीत के बता द तू।

देह लहकत बा, तपिश माथे चढ़ल घरे आव साजन, तन के सहला द तू।

भोर में कोयल कुक, संग खुमारी चौत के अंग-अंग टूटता, आके तनी दबा द तू।

तूही मलहम, तुही दवा, तूही वैद हमरा ला सटऽ पंजरा में आके आज, सेज महका द तू।

किशोर प्रेम में पागल, तोहके निहारत बा चली आव अब दऊड़त, असरा पूरा द तू। 

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लेख
गाँव गाव गीत
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हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
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बसंत

25 November 2023
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बीत गइल मधुमास सखी! मोर साजन अइले ना। भावे ना भवनवाँ ना खनके कंगनवाँ ना नीक लागेला मोहे सूनी रे सेजरिया कइसे के कटी दिन रतिया सखी! मोर साजन अइले ना। कोइली के बोलिया भइल वैरनियाँ तनिको ना नीक लागे पा

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सनेरयु

25 November 2023
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बसंत के आगाज धरती झूमे सुन्दर उपवन। 1। मधुप मंडरात मधु के खोज बगियन के फूल। 21 पुरवाई बहत आम के डाढ़ि मोजर के सुगंध। 3। बसंत आ गइल सरसों खेत बधार खूब झूमें। 4। मदमस्त पवन पागल मन बिरहिन सतावे । 5।

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फगुआ

25 November 2023
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बहे फगुनहटा बयार, बहे फगुनहटा बयार विहँसत अंग-अंग गोरी के, विहँसेला अँगना दुआर बहे फगुनहटा बयार हो। काँवा के हरदी, कहाँ के चूनरिया काँवा से रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो। पटना के हरदी, बनारस के च

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हाइकु

25 November 2023
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का कहीं हम दोषी हम नइखीं दोषी फागुन । 1। फगुनहटा चढ़ी कपार बोले मन बेहाल। 21 लाल गुलाल लाल भयो बादर गोरियो लाल। 3। गाँव के गली झूठ वृन्दावन बा फगुआ आज । 41 जोगिरा बोल ठुमकेला बुढ़वा फगुआ गोल।5। भ

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चइता

25 November 2023
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1 चइत मासे कुटुंकेले बगिया कोइलिया ए रामा कोइली के बोली सुनी हियया में उठेला दरदिया पिया परदेशिया बुझे ना मरमिया ए रामा चौत मासे...। भोरे भोर कोइलर, सँझिहा का ननदी बोली रतिया में पुरवा बयार रे अंगे

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गीत

26 November 2023
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1 चम चम चमकेला नभ में चनरमा पीहू पीहू पपिहा पुकार पुरवा पवनवा उड़ावेला अँचरवा देखि पिया करेला गोहार। लचकत चलेले गुजरिया अँगनवा बीचे ना। लाल पलाश जस ललकी चुनरिया धरती लोटेला केश जइसे नागिनिया लिलरा

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गउवाँ गावेला

26 November 2023
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11 घर आँगनइया दुआर के आपन आपन रंग लोग बाग से महकत घर चहकत रहे चुरंग खेत में मंगरा बिरहा गावे सोमरा देवे तान सरसों फूलल मटर गदराइल देख, गउयाँ गावेला। पहिन हरित चुनरी मन मोहे मिट्टी महके सौंध गली-गली

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माई

26 November 2023
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तोहार अँचरा के छंहिया भुलाई कइसे माई। रगे रगे बसेला तोहारे खून देहिया में सब सुख पवनी हम तोहरे बहियाँ में रात भर जागि जागि हमके सुतवलू तू हमरो गलतिया के सबसे छुपवलू तू साँच ह ई बतिया सुन मोर बिपतिया

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धनिया

26 November 2023
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बड़ कहे कनिया आ हम कहीं धनिया तनी धीरज धर ना, बहुरी हमनी के दिनवाँ तनी...। नाही माँग झूलनी, ना माँग तूहूँ कंगना मिली जूली रहे सभे आज एक अँगना दूरी ये बचाई जान भागी ई कोरोना जरूरी ब मारक के चलनवा, तनी

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जनक के अँगना दुआरी

26 November 2023
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झरोखा बइटि देत बाड़ी गारी, जनकपुर के नारी जनक के अंगना दुआरी। सीता सुकुवारी के बियहवा के बेरा चारों भाई बइठल जनक जी के डेरा दशरथ जी अंगना में अइले बरनेत गारी कढ़वली जनकपुर के नारी जनक के अँगना दुआरी।

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तनि बढ़त चल

26 November 2023
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जिनिगी के कवन बा ठेकान, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल। महल के सुखवा में गउँवा भूलइल अपना के छोड़ के शहर बसि गइल मटिया पुकरलस तबो नाहि अइल असिया ना पूरल आ तूहूं बिसरइल। छोड़ दिहल नइया मझधार, स

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संवरको गोरको पर भारी

26 November 2023
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संवरको गोरको पर भारी कुचु-कुचु करिया केश, गुलाबी रंग सारी संवरको...। सांवर कृष्ण रामो त सांवर सांवर शिव त्रिपुरारी, श्याम वरण आकाश सोभेला सांवर सब पर भारी। संवरको...। गोर सिया गोर राधा रहली खोजली रा

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मुक्तक

26 November 2023
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पुरवड्या उड़ावे अँचरवा फगुनहटा अँगनइया उड़ेला गुलाल साथे रंग के फुहार फगुआ के गोल संगे ढोलक मृदंग गूंजे बुढ़वा बनल रंग रसिया नाचे अँगना दुआर। भंग के तरंग में मलंग मउलत गोरी देखी ताना देत ननदी हंसले द

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गजल

27 November 2023
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1 गाँव-गाँव अब ना रहल हम का कहीं हर अंगना बाजार बनल हम का कहीं। काका चाचा सब प्रवासी हो गइलन भाई-भउजाई सब अलगा हम का कहीं। दुअरा पर चौपाल अब कहाँ बइठत मदर्दी अँगने में बइठल हम का कहीं। गाय बैल दुअ

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कजरी

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1 आरे रामा पियवा गइले परदेश सवनवाँ ना भावे ए रामा। भावे ना कजरी, ना भावेला झूलवा डहकत हियवा में टीसेला बदरवा बरसे बदरवा त काटेला सेजरीया भवनवाँ सुना ए रामा। ना भेजे खतवा, नाही रे सनेसवा नाचत मोर दे

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सावन मनभावन से सखी 2

27 November 2023
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2 हरियर कुच कुच बधरिया सावन मनभावन हे सखी। बलमा बधारी करावत पहिरोपना बारा फूलवरा बनेला मोरे अंगना भाई देयाद आज साँझि के खइहें मंगल गान आज होई मोर अँगना। रिमझिम परेला फुहरवा सावन मनभावन हे सखी। नीम

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दाँव-पेंच

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3 दाँव-पेंच अब बहुत भइल शाम दंड अब छोड़ी, हम किसान के जात ह सीधा मुड़ी जन हमार मुरेड़ीं। दिल्ली ढाका सुनत रहनी रउवा आज देखइनीं, रंग में भंग पड़ल फगुआ के होरी हम बिसरइनीं। कवन कसुरिया हमसे डहनीं रउव

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सनेरयु

27 November 2023
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परिवार के साथ जिनिगी रहे सदाबहार। 1। राख नेह अटूट सबसे फले फुलेला गाँव। 2। पावे निश्चित जीत मानव समय पहचान SI 31 बरसत अँखिया प्रेम में मनवाँ बा अधीर। 4। भारी करे चुनाव माहौल आपसी तकरार। 5। अनुचित

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हाइकु

27 November 2023
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पिया अनाड़ी वृझे कहाँ बतिया सूते पोथानी। 1। मन मातल छछनत हियरा बथे कपार। 2। देह के बोल अँखिया रतनार पिया ना बूझे। 31 का कहीं हम कइसन फगुआ काटे गुलाल।4। गोरी उदास बलम परदेशी होली के दिन ।5। रंग अब

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