1
चइत मासे कुटुंकेले बगिया कोइलिया ए रामा
कोइली के बोली सुनी हियया में उठेला दरदिया पिया परदेशिया बुझे ना मरमिया ए रामा चौत मासे...।
भोरे भोर कोइलर, सँझिहा का ननदी बोली रतिया में पुरवा बयार रे अंगे अंग डहकत बिरह के आग सखी! सेजिया पर लोटेला नाग ए रामा चौत मासे...।
काठ के करेजा करी फागुन बितवनीं चइत के थाह ना सहाय पियवा अनाड़ी नोकरिये के सब बूझे चइत के चढ़ल बा खुमारी ए रामा चइत मासे...।
नाहीं अइले पियवा ना भेजले सनेसवा झर झर बहेला आँखी के कजरवा तन नाही बस में आ मनवाँ बा मातल उतपतिया ए रामा चइत बड़ा चइत मासे...। 2
पीयर रंग चोलिया प लाली रंग चूनरी हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प खूब फबेला लहंगवा हो रामा।
चाँदी के पयजनिया अउर सोना के नथनिया हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प करघनिया हो रामा।
लाली लाली बिंदिया अउर मुँह ओठलाली हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प करिया कजरवा हो रामा।
हरी हरी चूड़िया सबुज रंग दुपटवा हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प सतरंगी कुरतिया हो रामा।
एक त चुनरिया लाली दूजा चाल मतवाली हो रामा बड़ा नीक लागे गोरको प फूल के गजरवा हो रामा। 3
हम हई जड़िया किसनवाँ ए रामा हमें जनि काट, हम हई देश के आतमवाँ ए रामा हमें जनि मार। ए रामा...।
सपनों में सोचनी ना अइसन करब तू दिहल तू हमके डूबाय हो, काठ के करेजा कइल बतिया ना सुन तू के फेरलस मतिया तोहार हो। ए रामा...।
खेत में परान बसे करी हम मजूरिया हो जुड़े नाही भर पेट अन्न हो, करज में डूबी हम रोटिया खियवनी हो करज में मुअला किसान हो। ए रामा...।
धन-धन बाबूजी धन सरकार तू हो धन बाड़े तोहार सलाहकार हो, बड़-बड़ बात कर नया-नया नाटक हो बेचलऽ धरती आसमान हो। ए रामा...।
कतनो धीराइब तुहू मानब ना बतिया नाहीं हम बेचब घर बार खेतिया, जहर से बढ़के बा नवका कानूनिया अटकल बा सांस आ परान हो। ए रामा...। 4
हेराइ गइल जिनगी एही ठड्यां ए रामा
कूटत पिसत दिन बितल आज ले करी खुद खेत में मजूरी, भर पेट भोजन मिलल ना कहियो ना मिलल जे बा जरूरी।
जूड़ाइल नाही हियरा कहियो ए रामा।
अंग पर ना बस्तर देहिया उघार बा बचवन के लोर ना सूखात, माई बाबू जिनगी अन्हरिये में बितल मेहरी के सुसुकी सुनात।
करम में लिखल दुरगतिया ए रामा।
करमे ह जिनगी करमे धरम बाटे करमो के फल ना भेटाय, दइब के दोष नाही लूट लेलस रजवा हमरा ना कुछुवो बुझात।
कइसे कटी मोर जिनगनिया ए रामा।
बड़-बड़ बात करी हमरा के ठगलस करी देल हमके किनार, बेच ताड़ हमनी के सेठवा के हाथे तू कइल ना कवनो बिचार।
छछनत बा मोर परनवाँ ए रामा। 5
तनिको सहूर नाही अटपट बोलेला बड़ छोट केकरो के कुछ नाही बुझेला हमारो से करे तकरार ए रामा पियवा...।
बाड़े बेरोजगार दोष बाबूजी के देवेला माई के आज ऊ त लउँड़ी ना बुझेला हमरा के कडेला देहातिन ए रामा पियवा...।
गाँव छोड़ि बसल आके शहर के किनारा कवनो अलम नइखे ना कवनो सहारा ऊपर से करोना के कहरिया ए रामा पियवा...।
पंडित जी के गारी देवे धरम नाहीं बुझेला कांधे लाल झंडा लेके आगा आगा घूमेला कुफूत में परल बा परनिया ए रामा पियवा...।
कबो कहे किस मी कबो किसमिस कहेला गाल छू के ओकरा टोमेटो जइसन कहेला डोंट डिस्टर्ब मी सुन फाटेला कपरिया ए रामा पियवा......।
नशवा में डार्लिंग कहि माथ पर चढ़ावेला होत भिनसार हमके रोज गरिआवेला कइसे कटी हमरो जिनिगिया ए रामा पियवा ......। कहेले 'किशोर' पढ़ प्रेम के तू पटवा लबर-लवर करत फिरे आज देख लवरा लबरा के बिगड़ल चलनिया ए रामा पियवा...। 6
तू मत पिघल, दिल के पिघला द तू आशिकी बजारू ना ह, ई त समझा द तू।
चइत ह, प्यार के ऊमस जोर मारता बसंत के दोष ना, ई ओहके बता द तू।
फाग बीत गइल, रंग ना बरसल आँगन मन छिछुआइल बा, मीत के बता द तू।
देह लहकत बा, तपिश माथे चढ़ल घरे आव साजन, तन के सहला द तू।
भोर में कोयल कुक, संग खुमारी चौत के अंग-अंग टूटता, आके तनी दबा द तू।
तूही मलहम, तुही दवा, तूही वैद हमरा ला सटऽ पंजरा में आके आज, सेज महका द तू।
किशोर प्रेम में पागल, तोहके निहारत बा चली आव अब दऊड़त, असरा पूरा द तू।