झरोखा बइटि देत बाड़ी गारी, जनकपुर के नारी जनक के अंगना दुआरी।
सीता सुकुवारी के बियहवा के बेरा चारों भाई बइठल जनक जी के डेरा दशरथ जी अंगना में अइले बरनेत गारी कढ़वली जनकपुर के नारी जनक के अँगना दुआरी।
बेरा पनढ़ारी जनक जी बिलखलन मड़वाा में रोअतारी सिया सुकुवारी गाँव-घर सुसुके, सुसुके नर-नारी रामो के मनवाँ ई देख भइल भारी जनक के अँगना दुआरी।
दशरथ मड़वा में खाये बइठवलन देवे लगली गारी जनकपुर के नारी दशरथ कहले कि धन्य भाग मोर बा मोर भइली जनक के दुलारी जनक के अँगना दुआरी।
बेरा विदाई जनक कहे दशरथ प्राण से बढ़के हई सिया सुकुवारी माफ करीं हम सब नर-नार के फेर आइब हमरे दुआरी जनक के अँगना दुआरी।