बहे फगुनहटा बयार, बहे फगुनहटा बयार विहँसत अंग-अंग गोरी के, विहँसेला अँगना दुआर बहे फगुनहटा बयार हो।
काँवा के हरदी, कहाँ के चूनरिया काँवा से रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो।
पटना के हरदी, बनारस के चूनरी ससुरा के रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो।
के तोहे छेड़े गोरी, के गरिआवेला के रंगे गाल तोर लाल हो बहे फगुनहटा बयार हो।
देवरा छेड़ेला मोहे, गारी देवे ननदी हो पिया रंगे गाल मोरे लाल हो बहे फगुनहटा बयार हो।
काहे जरे मन तोर, दुखे पोर पोर काहे काहे तोर आँखि रतनार हो बहे फगुनहटा बयार हो।
फागुन के थाहे जरे मन, दुखे पोर पोर राति के जगलका से आँखि रतनार हो बहे फगुनहटा बयार हो। 2
फागुन भइल गुलजार फागुन भइल गुलजार पिया मोरा संगही त बाटे।
खूब खेलब होरी करब बरजोरी पहिनी चुनरिया करब हरहोरी कजरी नयन के कटार फागुन...।
देवरा बेदर्दी मरमियो ना बूझे ससुर भसुरवा के कुछ नाही सूझे फगुआ में करे तकरार फागुन...।
लाल फूले सेमर, लाल ही पलाशवा पीयर सरसों से शोभेला बधार बहे फगुनहटा बयार फागुन...।
लाल लाल अंगिया, लाले बा चूनरिया लाले गोटादार बा ओढ़नी हमार ओकरा पे सोलहो सिंगार फागुन...।
लाल पीयर हरियर उड़ेला अबीरवा अंगना में फगुआ के मुँजेला लहरिया चूनरी भइल सराबोर फागुन...। 3
गौरा कहे शिव अबहूं सुधर जा भंगेड़ी नाहीं देह बस्तर ना जगवा के सुथ बा करम तोहार देखि औघड़ झूठ बा मतियो बा सब से अलग हो। गौरा कहे...।
फूटल हमार करम माथे बन्हइल तू रहल बेहोश कहियो सुचियो ना लिहल जगवा के रीत से प्रीत तोहार अलगा देखी मोरा जरेला कपार हो। गौरा कहे...।
देख तू नारायण के लछिमी जी साच में सीता संगे रामचन्द्र रहस बनवास में भूतया प्रेतवा के संगे बीते दिन तोर हम रहीं अलगा किनार हो। गौरा कहे...।
फागुन इयाद कर भइल विवाह आपन रंग भरल दिन नइखे हमरो इयाद हो सखी सब लाल पीयर हरियर बैंगनी हमारा अंगे अंग भभूत हो। गौरा कहे...। 4
पुरवड्या उड़ावे अंचरवा फगुनहटा बयार अँगनड्या उड़ेला गुलाल साथे रंग के फुहार फगुआ के गोल संगे ढोलक मृदंग गूंजे बुढ़वा बनल रंग रसिया नाचे अँगना दुआ।
भंग के तरंग में मलंग मउलत गोरी देखी ताना देत ननदी हंसले देखी सब सखी धम-थम धमकेला विहँसत मन मोरा सर से सरक जाला चूनरी हमार सखी।
होली के बहाने छेड़े अंग-अंग देवरा पियवा अनाड़ी ना बुझे ई सब अनुरा अंग-अंग टूटेला दुखाला पोर-पोर मोर पियवा सुतल देखी पिटी आपन कपरा। 5
फागुन के बयार, मनभावन ह इयार मन में गुदगुदी, दिल में भरे प्यार। आ रहल बा होली, रंग भरल त्योहार भूल के सब बोली, गले मिल तू यार।
होली के हुड़दंग, संग में भंग तरंग मलपुआ पकवान, खाके नाचे मलंग। रंग अबीर गुलाल, एगो अलगे उमंग झाल के ताल बजे, एके लागे सब रंग।
फगुआ के गोल ह, गजबे के बा शोर भउजी ननदी आज, रंग से सराबोर। गांव के शिवाला, रंगल बा सब ओर ससुरा में सरहज, नाचेली बन मोर।
घर घर वृन्दावन, हर नार राधा बन गली गली गमकता, जइसे मन मधुवन। देखिके बसंत ऋतु, अगरा गइल उपवन होली के हुलास, आज धरती कण कण। 6
हई हई हई... हई, हई।
फगुआ के ताल पर गोरी मारे मुसकी देख नवहीन सब मारे लागल सुसकी पुरवा उत्पाती उड़ा गइल अँचरवा नवही भइले धरसाई जोगीरा सारा...रा...रा।
लाल गाल, लाले गुलाल लाले चूनर, अंग सब लाल लाले बरिसे फुहार, सब गोरी लागे ली लाल खोजत रहनी जब धनिया तोके भउजी पड़ली कपार जोगीरा सा... रा...रा।
उड़त गुलाल देख गोरी नाचे फगुआ ताल पर बुढ़ओ नाचे लइका सयान सब एक, भंग के रंग कपार चढ़ि बोले डोलले गोरिया त बुढ़वो डोले देख बुढ़िया लिहलस लखेद जोगीरा... सा...रा...रा।
ना माने लइका ना सुनेला बुढ़वा नवही मातल बा जवानी के जोर अबीर गुलाल रंग डालेला छेड़ेला अंग अंग होली के बहाने देखी बरजोरी बलमुआ चिहाला पिटेला आपन कपार जोगीरा सा ...रा...रा। 7
केसरिया रंग लहंगा-चोली, ओढ़के चूनर लाल गोरिया खेले फाग।
दुलरा देवरा भंग पिलाके, रंग से करे चहबोर ननदी बेदर्दी पीरवा ना बूझे, नाली में देवे धसोर फगुआ खूब ठिठोली भावे, झूमेला अँगना दुआर गोरिया खेले फाग।
खूब उड़ेला रंग हरियर पियर, खूब उड़ेला लाल मोहनी सूरत लाज में डूबल, गालो हो गइल लाल अंगना में नाचे गुजरिया, दुअरा पर फगुआ गोल गोरिया खेले फाग।
ताक में कबसे बइठल पियवा, पिटे आपन कपार कइसे रंग डालीं गोरिया के, कइसे लूटीं बहार श्यामल सुघर सरीर गोरिया के, संग में ओकर यार गोरिया खेले फाग।
रंग नहाई गोरी नाचत गावत, ओह पर भंग तरंग ना चिन्हे अब ससुर भसुर के, नाचे बनिके मलंग बलम के मन हुये के तरसे, खूब उड़ावत रंग गोरिया खेले फाग। 8
लाल गाल प गुलाल, लाल गाल प गुलाल अंगना में डोलेली गुजरिया।
नाही गोरी पीयली शिवजी के बुटिया नाही कवनो नसा के निसान हो, रही रही तिकवलि बलम के ओरिया बलमा के देखी के नादान हो।
लाल गाल प गुलाल...।।
बलमा अनारी कुछुवो ना बुझेला नाही बुझे फगुआ के राग हो, बहे फगुनहटा पोर-पोर जरावेला संभरे ना जोबना के भार हो।
लाल गाल प गुलाल...।।
फूलवा पलास जइसन गोरी के चूनरिया उनकर अंगिया बा गोटेदार हो, अंग - अंग बिहसत फूलवा गुलाब जस बिहँसत घरवा दुआर हो।
लाल गाल प गुलाल...।।
गोरिया झूमेले जवानी के मातल नाही अपना बस में आज हो, नाही चिन्हे बड़ जेठ, नाही भसुरवा फगुआ से करे सराबोर हो।
लाल गाल प गुलाल...।। 9
कवनो रंग ना चढ़ी, कवनो रंग ना चढ़ी तोहे विन होली में साँवरिया।
बजर परो नोकरी आ आगि लागो रूपिया के पिया बिन सून संसार, काटे धावेला सेजरिया नोकरी भइल मोर सवतिया। कवनो...।
कहले रह तूं फगुआ में आइब, काहे दिहल तूं बिसार बैरी रेलिया कि बैरी सवतिया, बैरी बनल तोहार दुलार के तोहार मरलस मतिया। कवनो...।
वैरी बसंत आ फागुन महीना, ऊपर से फगुआ के राग बहे पुरवइया पिराला बदनिया, जागेला बिरह के आग काहे बिसरइल संघतिया। कवनो...।
अमवाँ के मोजरा मदन रस टपके, मनवा गइल बउराई मनवा अंगना में पिया ना पाई के, मनवा गइल मउराई काहे ना समझल पिरितिया। कवनो...।
सुन किशोर तूं सुन मोर बतिया, तोहे बिन फगुआ सून हो काहे ना अइल आसरा दिया के, कवन हम कड़नी कसूर हो रंग नाही भावेला साँवरिया।
कवनो...।