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फगुआ

25 November 2023

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बहे फगुनहटा बयार, बहे फगुनहटा बयार विहँसत अंग-अंग गोरी के, विहँसेला अँगना दुआर बहे फगुनहटा बयार हो।

काँवा के हरदी, कहाँ के चूनरिया काँवा से रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो।

पटना के हरदी, बनारस के चूनरी ससुरा के रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो।

के तोहे छेड़े गोरी, के गरिआवेला के रंगे गाल तोर लाल हो बहे फगुनहटा बयार हो।

देवरा छेड़ेला मोहे, गारी देवे ननदी हो पिया रंगे गाल मोरे लाल हो बहे फगुनहटा बयार हो।

काहे जरे मन तोर, दुखे पोर पोर काहे काहे तोर आँखि रतनार हो बहे फगुनहटा बयार हो।

फागुन के थाहे जरे मन, दुखे पोर पोर राति के जगलका से आँखि रतनार हो बहे फगुनहटा बयार हो। 2

फागुन भइल गुलजार फागुन भइल गुलजार पिया मोरा संगही त बाटे।

खूब खेलब होरी करब बरजोरी पहिनी चुनरिया करब हरहोरी कजरी नयन के कटार फागुन...।

देवरा बेदर्दी मरमियो ना बूझे ससुर भसुरवा के कुछ नाही सूझे फगुआ में करे तकरार फागुन...।

लाल फूले सेमर, लाल ही पलाशवा पीयर सरसों से शोभेला बधार बहे फगुनहटा बयार फागुन...।

लाल लाल अंगिया, लाले बा चूनरिया लाले गोटादार बा ओढ़नी हमार ओकरा पे सोलहो सिंगार फागुन...।

लाल पीयर हरियर उड़ेला अबीरवा अंगना में फगुआ के मुँजेला लहरिया चूनरी भइल सराबोर फागुन...। 3

गौरा कहे शिव अबहूं सुधर जा भंगेड़ी नाहीं देह बस्तर ना जगवा के सुथ बा करम तोहार देखि औघड़ झूठ बा मतियो बा सब से अलग हो। गौरा कहे...।

फूटल हमार करम माथे बन्हइल तू रहल बेहोश कहियो सुचियो ना लिहल जगवा के रीत से प्रीत तोहार अलगा देखी मोरा जरेला कपार हो। गौरा कहे...।

देख तू नारायण के लछिमी जी साच में सीता संगे रामचन्द्र रहस बनवास में भूतया प्रेतवा के संगे बीते दिन तोर हम रहीं अलगा किनार हो। गौरा कहे...।

फागुन इयाद कर भइल विवाह आपन रंग भरल दिन नइखे हमरो इयाद हो सखी सब लाल पीयर हरियर बैंगनी हमारा अंगे अंग भभूत हो। गौरा कहे...। 4

पुरवड्या उड़ावे अंचरवा फगुनहटा बयार अँगनड्या उड़ेला गुलाल साथे रंग के फुहार फगुआ के गोल संगे ढोलक मृदंग गूंजे बुढ़वा बनल रंग रसिया नाचे अँगना दुआ।

भंग के तरंग में मलंग मउलत गोरी देखी ताना देत ननदी हंसले देखी सब सखी धम-थम धमकेला विहँसत मन मोरा सर से सरक जाला चूनरी हमार सखी।

होली के बहाने छेड़े अंग-अंग देवरा पियवा अनाड़ी ना बुझे ई सब अनुरा अंग-अंग टूटेला दुखाला पोर-पोर मोर पियवा सुतल देखी पिटी आपन कपरा। 5

फागुन के बयार, मनभावन ह इयार मन में गुदगुदी, दिल में भरे प्यार। आ रहल बा होली, रंग भरल त्योहार भूल के सब बोली, गले मिल तू यार।

होली के हुड़दंग, संग में भंग तरंग मलपुआ पकवान, खाके नाचे मलंग। रंग अबीर गुलाल, एगो अलगे उमंग झाल के ताल बजे, एके लागे सब रंग।

फगुआ के गोल ह, गजबे के बा शोर भउजी ननदी आज, रंग से सराबोर। गांव के शिवाला, रंगल बा सब ओर ससुरा में सरहज, नाचेली बन मोर।

घर घर वृन्दावन, हर नार राधा बन गली गली गमकता, जइसे मन मधुवन। देखिके बसंत ऋतु, अगरा गइल उपवन होली के हुलास, आज धरती कण कण। 6

हई हई हई... हई, हई।

फगुआ के ताल पर गोरी मारे मुसकी देख नवहीन सब मारे लागल सुसकी पुरवा उत्पाती उड़ा गइल अँचरवा नवही भइले धरसाई जोगीरा सारा...रा...रा।

लाल गाल, लाले गुलाल लाले चूनर, अंग सब लाल लाले बरिसे फुहार, सब गोरी लागे ली लाल खोजत रहनी जब धनिया तोके भउजी पड़ली कपार जोगीरा सा... रा...रा।

उड़त गुलाल देख गोरी नाचे फगुआ ताल पर बुढ़ओ नाचे लइका सयान सब एक, भंग के रंग कपार चढ़ि बोले डोलले गोरिया त बुढ़वो डोले देख बुढ़िया लिहलस लखेद जोगीरा... सा...रा...रा।

ना माने लइका ना सुनेला बुढ़वा नवही मातल बा जवानी के जोर अबीर गुलाल रंग डालेला छेड़ेला अंग अंग होली के बहाने देखी बरजोरी बलमुआ चिहाला पिटेला आपन कपार जोगीरा सा ...रा...रा। 7

केसरिया रंग लहंगा-चोली, ओढ़के चूनर लाल गोरिया खेले फाग।

दुलरा देवरा भंग पिलाके, रंग से करे चहबोर ननदी बेदर्दी पीरवा ना बूझे, नाली में देवे धसोर फगुआ खूब ठिठोली भावे, झूमेला अँगना दुआर गोरिया खेले फाग।

खूब उड़ेला रंग हरियर पियर, खूब उड़ेला लाल मोहनी सूरत लाज में डूबल, गालो हो गइल लाल अंगना में नाचे गुजरिया, दुअरा पर फगुआ गोल गोरिया खेले फाग।

ताक में कबसे बइठल पियवा, पिटे आपन कपार कइसे रंग डालीं गोरिया के, कइसे लूटीं बहार श्यामल सुघर सरीर गोरिया के, संग में ओकर यार गोरिया खेले फाग।

रंग नहाई गोरी नाचत गावत, ओह पर भंग तरंग ना चिन्हे अब ससुर भसुर के, नाचे बनिके मलंग बलम के मन हुये के तरसे, खूब उड़ावत रंग गोरिया खेले फाग। 8

लाल गाल प गुलाल, लाल गाल प गुलाल अंगना में डोलेली गुजरिया।

नाही गोरी पीयली शिवजी के बुटिया नाही कवनो नसा के निसान हो, रही रही तिकवलि बलम के ओरिया बलमा के देखी के नादान हो।

लाल गाल प गुलाल...।।

बलमा अनारी कुछुवो ना बुझेला नाही बुझे फगुआ के राग हो, बहे फगुनहटा पोर-पोर जरावेला संभरे ना जोबना के भार हो।

लाल गाल प गुलाल...।।

फूलवा पलास जइसन गोरी के चूनरिया उनकर अंगिया बा गोटेदार हो, अंग - अंग बिहसत फूलवा गुलाब जस बिहँसत घरवा दुआर हो।

लाल गाल प गुलाल...।।

गोरिया झूमेले जवानी के मातल नाही अपना बस में आज हो, नाही चिन्हे बड़ जेठ, नाही भसुरवा फगुआ से करे सराबोर हो।

लाल गाल प गुलाल...।। 9

कवनो रंग ना चढ़ी, कवनो रंग ना चढ़ी तोहे विन होली में साँवरिया।

बजर परो नोकरी आ आगि लागो रूपिया के पिया बिन सून संसार, काटे धावेला सेजरिया नोकरी भइल मोर सवतिया। कवनो...।

कहले रह तूं फगुआ में आइब, काहे दिहल तूं बिसार बैरी रेलिया कि बैरी सवतिया, बैरी बनल तोहार दुलार के तोहार मरलस मतिया। कवनो...।

वैरी बसंत आ फागुन महीना, ऊपर से फगुआ के राग बहे पुरवइया पिराला बदनिया, जागेला बिरह के आग काहे बिसरइल संघतिया। कवनो...।

अमवाँ के मोजरा मदन रस टपके, मनवा गइल बउराई मनवा अंगना में पिया ना पाई के, मनवा गइल मउराई काहे ना समझल पिरितिया। कवनो...।

सुन किशोर तूं सुन मोर बतिया, तोहे बिन फगुआ सून हो काहे ना अइल आसरा दिया के, कवन हम कड़नी कसूर हो रंग नाही भावेला साँवरिया।

कवनो...। 

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लेख
गाँव गाव गीत
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हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
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बसंत

25 November 2023
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बीत गइल मधुमास सखी! मोर साजन अइले ना। भावे ना भवनवाँ ना खनके कंगनवाँ ना नीक लागेला मोहे सूनी रे सेजरिया कइसे के कटी दिन रतिया सखी! मोर साजन अइले ना। कोइली के बोलिया भइल वैरनियाँ तनिको ना नीक लागे पा

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सनेरयु

25 November 2023
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बसंत के आगाज धरती झूमे सुन्दर उपवन। 1। मधुप मंडरात मधु के खोज बगियन के फूल। 21 पुरवाई बहत आम के डाढ़ि मोजर के सुगंध। 3। बसंत आ गइल सरसों खेत बधार खूब झूमें। 4। मदमस्त पवन पागल मन बिरहिन सतावे । 5।

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फगुआ

25 November 2023
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बहे फगुनहटा बयार, बहे फगुनहटा बयार विहँसत अंग-अंग गोरी के, विहँसेला अँगना दुआर बहे फगुनहटा बयार हो। काँवा के हरदी, कहाँ के चूनरिया काँवा से रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो। पटना के हरदी, बनारस के च

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हाइकु

25 November 2023
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का कहीं हम दोषी हम नइखीं दोषी फागुन । 1। फगुनहटा चढ़ी कपार बोले मन बेहाल। 21 लाल गुलाल लाल भयो बादर गोरियो लाल। 3। गाँव के गली झूठ वृन्दावन बा फगुआ आज । 41 जोगिरा बोल ठुमकेला बुढ़वा फगुआ गोल।5। भ

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चइता

25 November 2023
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1 चइत मासे कुटुंकेले बगिया कोइलिया ए रामा कोइली के बोली सुनी हियया में उठेला दरदिया पिया परदेशिया बुझे ना मरमिया ए रामा चौत मासे...। भोरे भोर कोइलर, सँझिहा का ननदी बोली रतिया में पुरवा बयार रे अंगे

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गीत

26 November 2023
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1 चम चम चमकेला नभ में चनरमा पीहू पीहू पपिहा पुकार पुरवा पवनवा उड़ावेला अँचरवा देखि पिया करेला गोहार। लचकत चलेले गुजरिया अँगनवा बीचे ना। लाल पलाश जस ललकी चुनरिया धरती लोटेला केश जइसे नागिनिया लिलरा

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गउवाँ गावेला

26 November 2023
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11 घर आँगनइया दुआर के आपन आपन रंग लोग बाग से महकत घर चहकत रहे चुरंग खेत में मंगरा बिरहा गावे सोमरा देवे तान सरसों फूलल मटर गदराइल देख, गउयाँ गावेला। पहिन हरित चुनरी मन मोहे मिट्टी महके सौंध गली-गली

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माई

26 November 2023
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तोहार अँचरा के छंहिया भुलाई कइसे माई। रगे रगे बसेला तोहारे खून देहिया में सब सुख पवनी हम तोहरे बहियाँ में रात भर जागि जागि हमके सुतवलू तू हमरो गलतिया के सबसे छुपवलू तू साँच ह ई बतिया सुन मोर बिपतिया

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धनिया

26 November 2023
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बड़ कहे कनिया आ हम कहीं धनिया तनी धीरज धर ना, बहुरी हमनी के दिनवाँ तनी...। नाही माँग झूलनी, ना माँग तूहूँ कंगना मिली जूली रहे सभे आज एक अँगना दूरी ये बचाई जान भागी ई कोरोना जरूरी ब मारक के चलनवा, तनी

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जनक के अँगना दुआरी

26 November 2023
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झरोखा बइटि देत बाड़ी गारी, जनकपुर के नारी जनक के अंगना दुआरी। सीता सुकुवारी के बियहवा के बेरा चारों भाई बइठल जनक जी के डेरा दशरथ जी अंगना में अइले बरनेत गारी कढ़वली जनकपुर के नारी जनक के अँगना दुआरी।

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तनि बढ़त चल

26 November 2023
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जिनिगी के कवन बा ठेकान, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल। महल के सुखवा में गउँवा भूलइल अपना के छोड़ के शहर बसि गइल मटिया पुकरलस तबो नाहि अइल असिया ना पूरल आ तूहूं बिसरइल। छोड़ दिहल नइया मझधार, स

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संवरको गोरको पर भारी

26 November 2023
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संवरको गोरको पर भारी कुचु-कुचु करिया केश, गुलाबी रंग सारी संवरको...। सांवर कृष्ण रामो त सांवर सांवर शिव त्रिपुरारी, श्याम वरण आकाश सोभेला सांवर सब पर भारी। संवरको...। गोर सिया गोर राधा रहली खोजली रा

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मुक्तक

26 November 2023
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पुरवड्या उड़ावे अँचरवा फगुनहटा अँगनइया उड़ेला गुलाल साथे रंग के फुहार फगुआ के गोल संगे ढोलक मृदंग गूंजे बुढ़वा बनल रंग रसिया नाचे अँगना दुआर। भंग के तरंग में मलंग मउलत गोरी देखी ताना देत ननदी हंसले द

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गजल

27 November 2023
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1 गाँव-गाँव अब ना रहल हम का कहीं हर अंगना बाजार बनल हम का कहीं। काका चाचा सब प्रवासी हो गइलन भाई-भउजाई सब अलगा हम का कहीं। दुअरा पर चौपाल अब कहाँ बइठत मदर्दी अँगने में बइठल हम का कहीं। गाय बैल दुअ

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कजरी

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1 आरे रामा पियवा गइले परदेश सवनवाँ ना भावे ए रामा। भावे ना कजरी, ना भावेला झूलवा डहकत हियवा में टीसेला बदरवा बरसे बदरवा त काटेला सेजरीया भवनवाँ सुना ए रामा। ना भेजे खतवा, नाही रे सनेसवा नाचत मोर दे

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सावन मनभावन से सखी 2

27 November 2023
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2 हरियर कुच कुच बधरिया सावन मनभावन हे सखी। बलमा बधारी करावत पहिरोपना बारा फूलवरा बनेला मोरे अंगना भाई देयाद आज साँझि के खइहें मंगल गान आज होई मोर अँगना। रिमझिम परेला फुहरवा सावन मनभावन हे सखी। नीम

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दाँव-पेंच

27 November 2023
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3 दाँव-पेंच अब बहुत भइल शाम दंड अब छोड़ी, हम किसान के जात ह सीधा मुड़ी जन हमार मुरेड़ीं। दिल्ली ढाका सुनत रहनी रउवा आज देखइनीं, रंग में भंग पड़ल फगुआ के होरी हम बिसरइनीं। कवन कसुरिया हमसे डहनीं रउव

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सनेरयु

27 November 2023
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परिवार के साथ जिनिगी रहे सदाबहार। 1। राख नेह अटूट सबसे फले फुलेला गाँव। 2। पावे निश्चित जीत मानव समय पहचान SI 31 बरसत अँखिया प्रेम में मनवाँ बा अधीर। 4। भारी करे चुनाव माहौल आपसी तकरार। 5। अनुचित

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हाइकु

27 November 2023
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पिया अनाड़ी वृझे कहाँ बतिया सूते पोथानी। 1। मन मातल छछनत हियरा बथे कपार। 2। देह के बोल अँखिया रतनार पिया ना बूझे। 31 का कहीं हम कइसन फगुआ काटे गुलाल।4। गोरी उदास बलम परदेशी होली के दिन ।5। रंग अब

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