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घर आँगनइया दुआर के आपन आपन रंग लोग बाग से महकत घर चहकत रहे चुरंग खेत में मंगरा बिरहा गावे सोमरा देवे तान सरसों फूलल मटर गदराइल देख, गउयाँ गावेला।
पहिन हरित चुनरी मन मोहे मिट्टी महके सौंध गली-गली में कजरी गूंजे चकुचंदा अनमोल ननदी के गारी देवरू के चउर कहाँ भुलाला बाबा के पगड़ी देख मन अगराला, गउयाँ गावेला।
आम मोजराइल देख महुआ फूलाइल देख ककरी के भतिया आ तरबुज लतराइल देख सौंह-सौंह चबेनिया पर गुड़ ना भुलाला अमवा डाली झूला देख मन मोहाला, गउयाँ गावेला।
कचर बचर जोन्हि रात भक भक अंजोर चंदा मामा घुमस सबके अँगना के कोर माई बोलावे रोज दूध भात बाबू ला मांगे रूसेला बाबू चाँद पकड़े के चाहेला, गड़वाँ गावेला।
एक दिन उहो रहे हित-नाता आपन बेटी सवासिन से आँगन रहे विहँसत देखते-देखत सब रिश्ता सेरा गइल सुन हो भाई हमार गउवाँ बिला गइल, गउयाँ रोवेला। 12
देख मुअत बा किसनवाँ पिसनवा ना मिली मुअब रोटी विन ललनवाँ पिसनवा ना मिली।
चाम जरावत धूप में बहावेला पसिनवाँ खेतवे में सुते जागे करेला बिहनवाँ अन्न उपजावे लेकिन मिले नाही दनवाँ जब किसनवे ना रही तब पिसनवा ना मिली।
खाद बीज करजे में डूबल धरती के ललनवाँ ओकरे वोट पर चाँदी काटे दिल्ली आ पटनवाँ कोई ना सुधिया लेवे ओकर बूझेला गरीबना अन्नदाता के मोल पहचान ना त पिसनवा ना मिली।
सड़क उतरल आज के दिनवा काहे ऊ किसनवाँ अबो त चिन्ह ताकत ओकर कर जन बहनवाँ आँख में ओकरा लहू लहकत सीना में जलनयाँ बुतावे ना पायी ओकरा पानी के बौछारवा। मुअब खइला बिन जवनवाँ पिसनवा ना मिली।