1
चम चम चमकेला नभ में चनरमा पीहू पीहू पपिहा पुकार पुरवा पवनवा उड़ावेला अँचरवा देखि पिया करेला गोहार।
लचकत चलेले गुजरिया अँगनवा बीचे ना।
लाल पलाश जस ललकी चुनरिया धरती लोटेला केश जइसे नागिनिया लिलरा प चम चम चमके टिकुलिया देखि बाजे मन के सितार।
छलकत चलेला गगरिया गुजरिया माथे ना।
चढ़ल जवानी बल खायेले उमरिया झुमे नाचे अँगना आ बिहँसे दुअरिया देखी सरमाला तोहे चान के अँजोरिया देखि सिहराये पोरे पोर।
छमछम बाजे ला पायलिया बघरिया बीचे ना।
नशवा चढ़ल देखी तोहरी सूरतिया मास मधुमास हरलस मोर मतिया प्रेम में पागल किशोर सुने नाही बतिया देला देहिया झकझोर।
ननदी मारेली कनखिया सेजरिया देखी ना। 2
पालकी उठाई चलल चार रे कहरिया दुअरा सून लागेला, रोये थिया पुता दुअरा घर में सांवरिया दुअरा सुन लागेला।
जब ले रहनी केकरो ना बूझनीं दुनिया के मेला में अझुराइल रहनीं तोहरा के छोड़ि के हम सुखवा बँटोरनी नइखे जात साथे सुख संपत्तियां बधारो आज सून लागेला।
छोड़ते प्राण हम हो गइनी अकेला जारे चलल देहिया समझ के झमेला अइसन ई जग बा अइसन ई मेला धरल रह गइल नेह नाता के कहानियां बजारो आज सून लागेला।
कबीरा के सुननी बूझाइल ना बतिया कहाँ काम अइले कवनो संधतिया अचके इयाद पड़ल बाबा के ऊ बतिया रह जाई टोपरा ना साथ दी गुजरिया हजारों आज सून लागेला।
राम साथ जात बाड़न रामे साथे जइहन रामे के कमाई करिह बेड़ा पार लगइहन दुनिया के अझुरा सब रामे सुलझइहन हित-नाता, बेटा सब बनिहन कहरिया दुअरा सून लागेला। 3
चार कहार मिली सेजिया सजवलन लेके चललन सजना के द्वार सखी रे मोहे लागेला लाज।
आपन करम भूली माया में भूलइनी दुनिया के मेला में साजन बिसरइनी नाही देलस दुनिया ई साथ सखी रे मोहे लागेला लाज।
सेजिया प साजन जब घूंघटा हटइहें उनका के देख मोर नजर झुक जइहें कवन मुँहवा हम अब देखाई सखी ये मोहे लागेला लाज।
घरवा दुअरवा में रहनी भूलाइल हम राग-द्वेष में भूली बिसरइनीं बलमुवा तनिको ना सुध हम लिहनी सखी रे मोहे लागेला लाज।
साजन मिलते अपना अंग से लगइले तनिको ना मनवाँ में मोर बात रखले बरसे लागल प्रेम के फुहार सखी रे मोहे लागेला लाज। 4
दसो नोह जोड़ी मईया करिला विनितिया की जल्दी खोली ना आपन सोना के केवड़िया तनी जल्दी खोलीं ना।
एक हाथे ओढउल मलवा एक हाथे नरियर डलिया में लेले खाड़ लाली लाली चुनरी हो भगता देखेला असरवा तनी जल्दी खोली ना।
लाली लाली चुड़िया मइया हथवा के खातिर बिछिया, पायल, महावर मइया पउवां के खातिर नकिया के खातिर नकबेसर तनी जल्दी खोली ना।
एक लोटा पानी लेले पुआ पकवनवाँ हो भगतिन खाड़ बाड़ी तोहरी दुअरिया हो सुन ल तू उनकर विनितिया तनी जल्दी खोलीं ना
दुअरा पर बाजत बहुये बारह रंग बाजन हो लागता जयकारा मइया गली, घर, आँगन हो छतिया पर कलशा लेले भगता पुकारे तनी जल्दी खोलीं ना।
रूनझुन बाजत बा पायलिया मइया आवत बाड़ी ना खट से खुल गइल केवड़िया मइया बोलावत बाड़ी ना धन मोर भगिया तू देलू दरसनवाँ सफल भइल जिंदगनिया आजु के दिनवा ना। माई रखिह शरणिया तू सब दिनवाँ ना। 5
हाथ में मेंहदी पांव महावर, रचि रचि कइनी सिंगार पिया निरमोहिया पलटियो ना देखेला करेला सवतिया से प्यार।
बितल बसंत देख मन मउराइल हमरा के छोड़ परदेशे पराइल भेजे ना सनेस फगुआ नियराइल पूरल ना मनवाँ के आस।
कवन हरलस पिया के मतिया, हमके दिहलन ऊ बिसारा
रास्ता देखत मोर आँख पथराइल माई आ बाबू के अँखिया लोराइल झूठ असरा सुनी लइकन निनाइल तूही घर के करतार।
राखब साथे हम सवतिया, आव-आव हो इयार।
कर मत अनेति अब घर चली आव छोड़ हमके लइकन के असरा पुराव माई कहताड़ी अब छोड़ तू दूराव गंउवा पर बाबुओ बिमार।
नीक लागे ना घर अँगनवाँ, दुखी बाटे सब परिवार।
कहले 'किशोर' सुन घर धीरजवा लहर कोरोना बा बढ़ल परदेशवा खुदे पराइल अइहें जल्दी से देशवा सवत के करिके किनार।
मंगल गवाई अँगनवा, चइता गूंजी तब दुआर। 6
गाय जइसन बांधल रहनी हम तोहरी खूंटवा से काहे कइल काठ के करेजा मोरे बाबूजी !
जगवा के रीत कही शुरू ये से दूई कइल लागते सोलहवां हम भार भइनी मथवा के भइया के पढ़ावे भेजल दिल्ली कलकत्तवा से हमके तू गांव के स्कूलिया मोरे बाबूजी !
माई लड़े रात-दिन हमरी बियाह खातिर दिन-रात घूमताड़ लइका के फेरवा में जेकरा दुआरे दूगो बैलो ना बछड़वा बा उहो नइखे पूछत पानी पीये के मोरे बाबूजी !
अगुवा के फेरा में तू इज्जत गंवावताड़ दहेज के जोगाड़ में तू बेच दिहल खेतवा देखीं के चेहरा तोर फाटेला करेजा मोरे फॉटित धरतिया समाई जईती मोरे बाबूजी!
जेही काल तलुआ चटलस, धइल पगड़ियां तू पगड़ी के मोल नाहीं बूझलस ऊ बाबूजी ! खाये के ठिकान नइखे माँग ताटे बीस लाख हमरा अइसन रिश्ता ना चाहीं मोरे बाबूजी!
अबो बिसवास कर हमके पढ़ाई दऽ तू भइया से तनिको ना हमके तू पइब शिक्षा धन आज बाटे बढ़िके दहेजवा से बेटी के पढ़ाई ओकर गहना मोरे बाबूजी!
जहाँ देख तहाँ बेटी सबसे अगाड़ी बाड़ी पायलट, डाक्टर संग सीमओ पर खाड़ बाड़ी खेत-खलिहानवो संभालहूं में पिछे नाहीं पड़ला जरूरत तऽ जाली श्मशानवो मोर बाबूजी!
धन-धन बेटी तू हूं धन मोर भगिया रे लिहलू जन्म मोरे घरवा तू बचिया जेही तू हूं चहबू सब हम करब उहे तोहके पढ़ाई के बचाइब हम पगड़िया। 7
गोरिया तोहरे लिलरा पर टिकुलिया सुघर लागेला।
गोरे-गोरे लिलरा पर लाली रे टिकुलिया धानी रंग चुनरी सवुज रंग चोलिया ओकरा पर आँखी के कजरवा तऽ मन मोहेला।
कबो ऊ टिकुलिया चोरावे मोरा दिलवा कबो-कबो मुसकी गिरावेला बिजुरिया परदा के ओट से झांकी के बोलावलू तऽ आस जागेला।
कबो ऊ टिकुलिया सेजवा पर गिरेला कवो-कबो हमरो कपड़वा पर सटेला देखे ओके मोर गरदनवाँ तऽ लोग हँसेला।
कइसे हम बुझी कि ऊ तोर हऽ कि मोर हऽ कबो तोरा लिलरा तऽ कबो तोरा सेजिया कबो-कबो शोभेला सटल मोरा छतिया ओकर देखी खुरफतिया तऽ लग्न जागेला। 8
कागा उचरेला हमरी अटरिया मनवा उठेला हुलास
नाहीं मन लागेला कवनो रे कारजिया नाहीं बिसरेला तोहार प्यारी रे सुरतिया घरवा के दुअरा पर लागल बा नजरिया रही रही धड़के ला छतिया मतिया भरमाला ये पिया।
नाहीं भेजल खतवा ना कोई संवादवा कगवा के बोलिये बा दिहलस असरवा देखतानी रास्ता हम करीके सिंगरवा चली आइब सांझी ले भवनवाँ पुराइब असरवा ये पिया
माई जी बनवले बानीं बरवा फूलवरवा ननदों सजवली फूल लोढ़ी के सेजरिया हरसत वा जियरा आ चहकत भवनवाँ अचके से देब अवजिया आई के दुयरिया ये पिया।
मन बिसवास बाटे पूरी मोर असरवा काली माई अउर हम पूजब डीहवरवा सभ घरे बाँटब बायन साथे कचवनियाँ सजल बानी लाली चुनरिया रखब मोर लजिया ये पिया। 9
बाबा तोहरे नगरिया गगरिया फोड़लस ना कान्हा बडूये अवाटी ई माने के परी। माने के परी रउवा माने के परी कान्हा... माने के परी।
चलल फिरल घूमल मुश्किल बा छेड़े दिन अउर राती बात-बात पर ताना मारे रह-रह देला घाती ग्वाल बाल के बल पर आपन तोपेला सब करनी रउवा माने के परी कान्हा... परी।
मइया सुनस ना ओकर करनी देख धथाला आपन बरनी माखन चोर वस्त्र के हरनी लुकछिप देखे सबके घरनी उत्पाती के देख लजाला गोकुल के सब शरमी रउवा माने के परी कान्हा...।
जवन राह से जाई हमसब छुप-छुप ढ़ेला मारे कतनो हम करी करजोरी विनती कहाँ सुनेला मोरी बात-बात पे करेला बरजोरी रउवा माने के परी कान्हा...। 10
गउवाँ हमार विरान हो गइल।
भइया गइले नोकरी उहें के हो गइले माई-वावू-भूली के शहरे में भूलइले काल कहस बबुआ अब नामे से बुलावले झूठ-सांच बोल रोज हमके भरमावेले खूनवा के रिश्ता बीमार हो गइल।
नवही जवान सब गाँव छोड़ परइले सूरत बाम्बे दिल्ली में घरवा बसइले कहेला पूरविया ना कवनो आँख भावले कह प्रवासी सबके दुर्दिन में भगावले गउवाँ से रास्ता किनार हो गइल।
दाहा-ताजिया समिलात नाही होखेला गोतिया देयाद दुख सुख नाही बूझेला डीजे के बोल पर नाचे संउसे गउवाँ नाचत बहुरिया देख ससुर आज झुमेला देखि एह के गाँव परेशान हो गइल।
बैल गाय भैईस चरण से गायब हो गइल तीज, सवनपुरिया, खिचड़ी गायब हो गइल बेटी सवासिन सुहास ना कवनो आँख गउवों में दारू के दोकान हो गइल गउवाँ के बहरा बाजार हो गइल।
फैशन में आज गाँव शहरियो के कान काटे स्कूटी पर बहुरिया आज ससुर के घुमावेली दासे बाबा, सोखा बाबा आऊट ऑफ फैशन गाड़िये से जाके आज काली पूजवावेली डीह, टोला गायब अब वार्ड हो गइल।