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आरे रामा पियवा गइले परदेश सवनवाँ ना भावे ए रामा।
भावे ना कजरी, ना भावेला झूलवा डहकत हियवा में टीसेला बदरवा बरसे बदरवा त काटेला सेजरीया भवनवाँ सुना ए रामा।
ना भेजे खतवा, नाही रे सनेसवा नाचत मोर देख नाचे मोर मनवा कड़के बिजुरिया त फाटेला छतिया नयनवाँ बरसे ए रामा।
ना चाहीं चुनरी, ना चाहीं चुड़िया बिरह जगावे ननदी के गीतिया झुठो के जनि दऽ तू हमके दिलसवा सवनवाँ बोलावे ए रामा।
नीक नहि लागेला खनवा पनिया देवरा अबाटी के बिगड़ल चलनिया केकरा से कहीं दिलवा के बतिया समझवाँ ना आवे ए रामा।
मतिया मरलस शहर में सवतिया सुग्गा बनाके रखलस परबतिया झूठ जनि बोल तू आव संघतिया मनवाँ जुड़ाव ए रामा।