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हरियर कुच कुच बधरिया सावन मनभावन हे सखी।
बलमा बधारी करावत पहिरोपना बारा फूलवरा बनेला मोरे अंगना भाई देयाद आज साँझि के खइहें मंगल गान आज होई मोर अँगना।
रिमझिम परेला फुहरवा सावन मनभावन हे सखी।
नीमीया त झूलवा, बधारी में रोपनी सखी सब मिली जुली गावे ली कजरी झुमेला धरती झुमेला असमनवा बेइमान पुरवा उड़ावे मोर अँचरवा।
नइहर से आवे सवनपुरिया सावन मनभावन हे सखी।
टप-टप बुनिया सुनावेला गीतवा मितवा बिना सुन लागे भवनवाँ गरजत बरसत बदरवा डेरावेला रही रही धड़के मोर करेजवा।
बदरा के देखी नाचे मन मोरवा सावन मनभावन हे सखी।
रची-रची हथवा में मेंहदी रचाइब पावें महावर आँखि कजरा लगाइब ननदी से कही हम सेज सजावाइब देखी पिया सेजिया खूब मुस्काइव।
सेजिया पर उनका देखाइव अंगुठा सावन मनभावन हे सखी।