का कहीं हम दोषी हम नइखीं दोषी फागुन । 1।
फगुनहटा चढ़ी कपार बोले मन बेहाल। 21
लाल गुलाल लाल भयो बादर गोरियो लाल। 3।
गाँव के गली झूठ वृन्दावन बा फगुआ आज । 41
जोगिरा बोल ठुमकेला बुढ़वा फगुआ गोल।5।
भउजी लाल ननदोई बेहाल ससुरारी ह।6।
साली कुंआर सरहज बेहाल तोहरे फाग। 7।
रंग रसिया ससुरारी के फाग काट तूं चानी। 8।
भंगिया बोले अंग अंग डोलेला लाज ना आवे । 91