बड़ कहे कनिया आ हम कहीं धनिया तनी धीरज धर ना, बहुरी हमनी के दिनवाँ तनी...।
नाही माँग झूलनी, ना माँग तूहूँ कंगना मिली जूली रहे सभे आज एक अँगना दूरी ये बचाई जान भागी ई कोरोना जरूरी ब मारक के चलनवा, तनी वीरज थर ना। बहुरी हमनी...।
धीरे-धीरे खरिचिह तू अन्न, धन, सोनवाँ आजे कामे आई तोहार अरजल धनवा बाबूजी के सीख देल आई आज कमवाँ पूरी तोहरो सपनवा, तनी धीरज धर ना। बहुरी हमनी...।
साड़ी मिली चुनरी आ साथ में नगीनवाँ चलबू खनक के त बिहँसी अँगनवाँ हाथ शोभी कंगना आ हार गरदनवाँ पूरी सब अरमनवा, तनी धीरज धर ना। बहुरी हमनी...।
नीके सुखे रह आज घरही दुअरवा होखे जरूरी तवे जइह तू बजरवा माई आज पूछत ई कइसन आफतवा काहे दइब भेजल ई दुश्मन कोरोनवाँ साँसों लेल भइल दुलमुवा, तनी धीरज थर ना। बहुरी हमनी 3...3...1