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मुक्तक

26 November 2023

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पुरवड्या उड़ावे अँचरवा फगुनहटा अँगनइया उड़ेला गुलाल साथे रंग के फुहार फगुआ के गोल संगे ढोलक मृदंग गूंजे बुढ़वा बनल रंग रसिया नाचे अँगना दुआर।

भंग के तरंग में मलंग मउलत गोरी देखी ताना देत ननदी हंसले देखी सब सखी धम-थम धमकेला विहँसत मन मोरा सर से सरक जाला चूनरी हमार सखी।

होली के बहाने छेड़े अंग-अंग देवरा पियवा अनाड़ी ना बुझे ई सब अनुरा अंग-अंग टूटेला दुखाला पोर-पोर मोर पियवा सुतल देखी पिटी आपन कपरा।

फागुन के बयार, मनभावन ह इयार मन में गुदगुदी, दिल में भरे प्यार। आ रहल बा होली, रंग भरल त्योहार भूल के सब बोली, गले मिल तू यार।

होली के हुड़दंग, संग में भंग मलपुआ पकवान, खाके रंग अबीर गुलाल, एगो झाल के ताल बजे, नाचे अलगे तरंग मलंग। उमंग एके लागे सब रंग।

फगुआ के गोल ह, गजबे के बा शोर सराबोर। भउजी ननदी आज, रंग से                                                                        गांव के शिवाला, रंगल वा सब ओर ससुरा में सरहज, नाचेली बन मोर।

घर घर वृन्दावन, हर नार राधा बन गली गली गमकता, जइसे मन मधुवन। देखी बसंत ऋतु, अगरा गइल उपवन होली के हुलास, आज धरती कण कण।

हम गँवार हई ई रउवे ना दुनिया कहेला मत भुलाई गँउवे से सारी दुनिया चलेला सांच-झूठ के फेरा में आज ले ना रहनी तवो हमार सपना के मुंगेरीलाल कहेला। 1।

भाव आ भाषा बराबर में साथ ना चलेला भाव जेकर नाँव ह भाषा पर चढ़ दउड़ेला अब भाव बचाई कि भाषा बुझात नइखे सांच ह भावे प्रधान ह ई सब लोग कहेला। 2।

किसान आ जवान देश में इहे दूगो महान मूअता दूनों आज तबो आपन भारत महान भुला गइल दूनों के त्याग ई देश आज अबो ना जगब त सूना हो जाई ई जहान। 3।

लागल बा खउरा गाँव शहरे ना दिमाग में अझुराइल बा सब केहू आपन पहचान में अर्थ के खेल ह बाबू सब केहू ना बूझी रिश्तो परेशान बा आज दुनिया जहान में।4।

मद के चूरे मदमातल बा हर इंसान आज लउके ना हित-नाता अउर परिवार आज करनी ना आपन देखे हँसता सब लोगवा कहाँ जाता दुनिया ई नइखे बूझात आज । 5।                                                                                           माई आ माई भाषा के करज ना उत्तरे दूनों के इज्जत कइल सभका से ना सपरे उहे त त्रूनो पहचान ह, ओह के माथे धरी ऊ दूनोन आँख लगवले बाड़े तोहरे आसरे ।6।

गिरजा, मस्जिद, मंदिर हमरा एके लेखा लागे सगरो बइठल उहे एके जे हमरो नीक लागे दुनिया के मेला झमेला ह अबो रेलिये भाग रहल विया गाछ वृक्ष त तू बूझ ना भागे। 7।

एके भाषा पंडित, मुल्ला, सूफी, संत सब बोले उहे एक जे सबके अंदर करेला सब तमाशा आपन आपन किरदार निभा रहल सब लोग जिनगी त तमाशा हऽ जे में भरल आशा निराशा ।8।

नया खेल ह बँटवारा के नया-नया ई रीत माई-बाबू के बखरा लागल ई कइसन ह प्रीत? खून खून के समझत नइखे समय के देवे दोष प्रीत बढ़ाव, प्रेम पढ़ाव इहे ह देश के रीत। 91

दिल दुखाय आन के मत कर अइसन काम बात जे दिल पर लगे आ करे नाम बदनाम नाम काम सब राम के मत ल अपने हाथ चार दिन के मेहमान तू राम में कर विश्राम। 10।

हर हाथन के काम मिले, मिले किसान के दाम गाँव बने खुशहाल जब, देश के आवे काम विकास के झंडा जब घर-घर में फहराई जयकारा राजा के होई, नाची सब आवाम। 11।

सोना जस गेहूं के बाल, देख किसान अगराय

लचकत चले डांड पे गोरी देख बलम मुस्काय                                                                                         नून-रोटी पियाज थाली में, हाथ में लोटा पानी अंचरा के हवा जय लागे, खेते स्वर्ग बुझाय। 121

मानव महादेव के रूप, सत्यं शिवं सुन्दरम पूज मानव पूज खुद के, कर तू नीक करम प्रेम के पूंजी बाँटऽ खुद से, बँटले ना ऊ ओराय सांचे प्रेम ईश्वर के रूप ह, उहे ह करम धरम।13।

गाँव छोड़ि गौहाटी गइल, करमवो गइल साथ बात साँच ह बहरा में, कोई ना देला हाथ पैर खींच गड़हा में घसोरे, मौका करे तलाश गंउवाँ आपन गैर ना कोई, माई बाबू के साथ। 141

आमे मोजर, महुआ कोइन, गेहूं के खरिहान नया फसल आइल जब, सब मनावे सतुआन राम जन्म उत्सव के दिनवाँ नवमी के पूजाई गाँवें जाई, देवी पूजीं, इहाँ ना कुछ बबुआन। 15।

भरच ब भऊजी चिट्टी पेठावस आब दुनों भाई बबुआ के अगुआ आवता, के उनसे बतियाई एगो बेटा बड़ा बा ललसा, लगन बा थोड़े दिन के करब बियाह, जलसा होई, भले एक बिगहा बिकाई। 161

Dou

ना हम कविता जानिला ना हम गीत जानीला थोड़े-थोड़े प्रीत आ जग के रीत जानीला जिनगी का ह कहाँ बुझाइल आज ले हमरा बाकिर जतना सपरेला जिनगी के गीत गाईला। 17।

जिनगी फूल ह, काँट ह, अन्हरिया आ अंजोर ह सुख-दुख त लागले रहेला सांच पुछीं त गुलाब ह ई अब रउवा हाथे बा का चुनब का बिछब राह में जिनगी भाग रहल बा ई भगवान के सुंदर उपहार है। 181                                        ई मत समझिह जिनगी तोहार ह, कुछ हमरो ह नफरत के लासा में मत सट, प्रेमवे सबकुछ ह हजार के बाजार इहवे रह जाई, साथे ना जाला सत् चित् आनन्दे जिनगी ह, परमार्थे जिनगी है। 19।

अपना के छोड़ जिनगी में दूसर जन खोज, ना भेंटाई अगर भेंटाइयो गइल त साथे ना जाई, ई कब बुझाई? डोली आ कहार के खेल आ आवा जाही कबले चली? जिनगी के ना बुझब त चौरासी के चक्कर ऊ लगवाई। 201

जिनगी ओरात जाता अवहूं तू चेतऽ बेंवत बताव मत अपना जहंवा मन के देखऽ करे फरिया लिह भाई बूझ जा अबहूं ना त देहब दवाई। 201

हई भोजपुरिया अंग्रेजी ना बुझाला सोझे चले जानी हम टेढ़ का कहाला ज्यादा टरटरइब जुल्फी कबार लेब देख आपन रास्ता ना त करब पिटाई। 211

तोहरा शहरिया से सुघर बा गॅउवाँ काकी चाची ईया दादी कहेली बउवा नेहिया के नाता में जुड़ल बाबा के कोरवा के कइसे बा सभे भूलाई। 221

भइनी प्रवासी तबो मन बसे गँउवाँ कहँवा भूलाला छठी घाटी के मेलउवा गँउवाँ के याद पोरे पोर सिहरावेला फगुआ आ छठ हम कइसे भूलाई। 231

ना आपन गँउवें ह आपन तू कहियो ना आपन दिहनी जवानी तबो भइल मतलब के यार तू साँच ह दुखवा ई आपन हम केकरा ई बतिया सुनाई। 241                                                                                                                                                                                            

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लेख
गाँव गाव गीत
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हमार गाँव 'नोनार' के जहवाँ के लोग आ माटी में रचल बसल गीत, 'गाँव गावे गीत' के गंवई गंध प्रदान करे में योगदान तऽ देबे कइल साथ ही गाँव से दूर बसल ई मनई के हृदय में गाँव बसा देलख जे आज ले आपन गंध में सराबोर कइले बा।
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बसंत

25 November 2023
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बीत गइल मधुमास सखी! मोर साजन अइले ना। भावे ना भवनवाँ ना खनके कंगनवाँ ना नीक लागेला मोहे सूनी रे सेजरिया कइसे के कटी दिन रतिया सखी! मोर साजन अइले ना। कोइली के बोलिया भइल वैरनियाँ तनिको ना नीक लागे पा

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सनेरयु

25 November 2023
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बसंत के आगाज धरती झूमे सुन्दर उपवन। 1। मधुप मंडरात मधु के खोज बगियन के फूल। 21 पुरवाई बहत आम के डाढ़ि मोजर के सुगंध। 3। बसंत आ गइल सरसों खेत बधार खूब झूमें। 4। मदमस्त पवन पागल मन बिरहिन सतावे । 5।

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फगुआ

25 November 2023
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बहे फगुनहटा बयार, बहे फगुनहटा बयार विहँसत अंग-अंग गोरी के, विहँसेला अँगना दुआर बहे फगुनहटा बयार हो। काँवा के हरदी, कहाँ के चूनरिया काँवा से रूप के निखार बहे फगुनहटा बयार हो। पटना के हरदी, बनारस के च

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हाइकु

25 November 2023
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का कहीं हम दोषी हम नइखीं दोषी फागुन । 1। फगुनहटा चढ़ी कपार बोले मन बेहाल। 21 लाल गुलाल लाल भयो बादर गोरियो लाल। 3। गाँव के गली झूठ वृन्दावन बा फगुआ आज । 41 जोगिरा बोल ठुमकेला बुढ़वा फगुआ गोल।5। भ

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चइता

25 November 2023
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1 चइत मासे कुटुंकेले बगिया कोइलिया ए रामा कोइली के बोली सुनी हियया में उठेला दरदिया पिया परदेशिया बुझे ना मरमिया ए रामा चौत मासे...। भोरे भोर कोइलर, सँझिहा का ननदी बोली रतिया में पुरवा बयार रे अंगे

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गीत

26 November 2023
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1 चम चम चमकेला नभ में चनरमा पीहू पीहू पपिहा पुकार पुरवा पवनवा उड़ावेला अँचरवा देखि पिया करेला गोहार। लचकत चलेले गुजरिया अँगनवा बीचे ना। लाल पलाश जस ललकी चुनरिया धरती लोटेला केश जइसे नागिनिया लिलरा

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गउवाँ गावेला

26 November 2023
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11 घर आँगनइया दुआर के आपन आपन रंग लोग बाग से महकत घर चहकत रहे चुरंग खेत में मंगरा बिरहा गावे सोमरा देवे तान सरसों फूलल मटर गदराइल देख, गउयाँ गावेला। पहिन हरित चुनरी मन मोहे मिट्टी महके सौंध गली-गली

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माई

26 November 2023
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तोहार अँचरा के छंहिया भुलाई कइसे माई। रगे रगे बसेला तोहारे खून देहिया में सब सुख पवनी हम तोहरे बहियाँ में रात भर जागि जागि हमके सुतवलू तू हमरो गलतिया के सबसे छुपवलू तू साँच ह ई बतिया सुन मोर बिपतिया

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धनिया

26 November 2023
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बड़ कहे कनिया आ हम कहीं धनिया तनी धीरज धर ना, बहुरी हमनी के दिनवाँ तनी...। नाही माँग झूलनी, ना माँग तूहूँ कंगना मिली जूली रहे सभे आज एक अँगना दूरी ये बचाई जान भागी ई कोरोना जरूरी ब मारक के चलनवा, तनी

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जनक के अँगना दुआरी

26 November 2023
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झरोखा बइटि देत बाड़ी गारी, जनकपुर के नारी जनक के अंगना दुआरी। सीता सुकुवारी के बियहवा के बेरा चारों भाई बइठल जनक जी के डेरा दशरथ जी अंगना में अइले बरनेत गारी कढ़वली जनकपुर के नारी जनक के अँगना दुआरी।

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तनि बढ़त चल

26 November 2023
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जिनिगी के कवन बा ठेकान, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल। महल के सुखवा में गउँवा भूलइल अपना के छोड़ के शहर बसि गइल मटिया पुकरलस तबो नाहि अइल असिया ना पूरल आ तूहूं बिसरइल। छोड़ दिहल नइया मझधार, स

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संवरको गोरको पर भारी

26 November 2023
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संवरको गोरको पर भारी कुचु-कुचु करिया केश, गुलाबी रंग सारी संवरको...। सांवर कृष्ण रामो त सांवर सांवर शिव त्रिपुरारी, श्याम वरण आकाश सोभेला सांवर सब पर भारी। संवरको...। गोर सिया गोर राधा रहली खोजली रा

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मुक्तक

26 November 2023
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पुरवड्या उड़ावे अँचरवा फगुनहटा अँगनइया उड़ेला गुलाल साथे रंग के फुहार फगुआ के गोल संगे ढोलक मृदंग गूंजे बुढ़वा बनल रंग रसिया नाचे अँगना दुआर। भंग के तरंग में मलंग मउलत गोरी देखी ताना देत ननदी हंसले द

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गजल

27 November 2023
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1 गाँव-गाँव अब ना रहल हम का कहीं हर अंगना बाजार बनल हम का कहीं। काका चाचा सब प्रवासी हो गइलन भाई-भउजाई सब अलगा हम का कहीं। दुअरा पर चौपाल अब कहाँ बइठत मदर्दी अँगने में बइठल हम का कहीं। गाय बैल दुअ

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कजरी

27 November 2023
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1 आरे रामा पियवा गइले परदेश सवनवाँ ना भावे ए रामा। भावे ना कजरी, ना भावेला झूलवा डहकत हियवा में टीसेला बदरवा बरसे बदरवा त काटेला सेजरीया भवनवाँ सुना ए रामा। ना भेजे खतवा, नाही रे सनेसवा नाचत मोर दे

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सावन मनभावन से सखी 2

27 November 2023
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2 हरियर कुच कुच बधरिया सावन मनभावन हे सखी। बलमा बधारी करावत पहिरोपना बारा फूलवरा बनेला मोरे अंगना भाई देयाद आज साँझि के खइहें मंगल गान आज होई मोर अँगना। रिमझिम परेला फुहरवा सावन मनभावन हे सखी। नीम

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दाँव-पेंच

27 November 2023
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3 दाँव-पेंच अब बहुत भइल शाम दंड अब छोड़ी, हम किसान के जात ह सीधा मुड़ी जन हमार मुरेड़ीं। दिल्ली ढाका सुनत रहनी रउवा आज देखइनीं, रंग में भंग पड़ल फगुआ के होरी हम बिसरइनीं। कवन कसुरिया हमसे डहनीं रउव

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सनेरयु

27 November 2023
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परिवार के साथ जिनिगी रहे सदाबहार। 1। राख नेह अटूट सबसे फले फुलेला गाँव। 2। पावे निश्चित जीत मानव समय पहचान SI 31 बरसत अँखिया प्रेम में मनवाँ बा अधीर। 4। भारी करे चुनाव माहौल आपसी तकरार। 5। अनुचित

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हाइकु

27 November 2023
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पिया अनाड़ी वृझे कहाँ बतिया सूते पोथानी। 1। मन मातल छछनत हियरा बथे कपार। 2। देह के बोल अँखिया रतनार पिया ना बूझे। 31 का कहीं हम कइसन फगुआ काटे गुलाल।4। गोरी उदास बलम परदेशी होली के दिन ।5। रंग अब

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