जिनिगी के कवन बा ठेकान, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल।
महल के सुखवा में गउँवा भूलइल अपना के छोड़ के शहर बसि गइल मटिया पुकरलस तबो नाहि अइल असिया ना पूरल आ तूहूं बिसरइल।
छोड़ दिहल नइया मझधार, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल।
कवने करनवाँ तू छोड़ के परइल नेहिया के डोरिया कहाँ उझरइल जात घरी बड़े-बड़े सपना देखइल आस के बदुरि के जीयते जरइल।
शहरी सौतिन से आँख भइल चार, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल।
सेनुरा भरोसा करे जल्दी से आइब कागा मुंडेर बोले आजु रउवा आइब मनवाँ ई सोचत बा का का खियाइब अदरा ह खीर पुड़ी आम नूं खियाइब।
चार बजे रेलिया से अइल इयार, समइया त हवे बलवान कि भाई तनि बढ़त चल।
बाबू माई के देखिके हियरा जुड़ाइल बुचिया आ बबुआ के खुशी भेंटाइल नाचे मन मोर गते गीतिया सुनाइल साजन देखि मोर अँखियाँ जुड़ाइल।
प्रेम होला सबसे बरियार, समइयो के देला हराय कि भाई तनि बढ़त चल।