जगदेव का पवाँरा जो बुन्देलखण्ड में गाया जाता है, जिसका संकेत भूमिका के पृष्ठों में हो चुका है-
कसामीर काह छोड़े भुमानी नगर कोट काह आई हो, माँ।
कसामीर को पापी राजा सेवा हमारी न जानी हो, माँ।
नगर कोट धरमासन राजा कर कन्या विलमाई हो, माँ।
कन्या कर विलमावेवारी राजा पलना डार झुलाई हो, माँ।
पलना डार झुलावे वारी राजा मृतियन चौक पुराये हो, माँ।
मुतियन चौक पुरावे वारी राजा कंचन कलश धराये हो, माँ।
देवी जालपा राजा घरमासन खेले पासासार हो, माँ।
कौना के पाँसे रतन संवारे कौना के पांसे लाल हो, माँ।
देवी के पाँसे रटन संवारे घरमासन के पाँसे लाल हो, माँ।
पैले पासें हारे घरमासन परी न एकऊ दाँव हो, माँ।
दूजे पाँसे डारे मुमानी परे पचीसऊ दाँव हो माँ।
हंस हंस पूछै मइया लगैरवा को हारी को जीती हो, माँ।
हार चलो धरमासन राजा जीती मोरी आद भुमानी हो, माँ।
मनसे चली मोर आद भुमानी सात समुद खा जाय हो, माँ।
मनसे चली मोरी आदि भुमानी डोलै डोलै बरन छिपाये हो, माँ।
मलिहा मलिहा टेरे भुमानी मलहा ने नाव लिआबो हो, माँ।
आज बसा लियों बारु रेत में भोरई उतारी पैले पार हो माँ।
पांच टका गांठी के खोले जवई उतारी पैले पार हो, माँ।
गर्भ न कर मलहा के बारे गर्भ ई हो विनास हो, माँ।
गर्भ करो लका के रावन सोने के लंका विनासी हो, माँ।
गर्भ करो बन की गुमचू ने लाल बदन भी कारे हो माँ ॥
गर्भ करो चकई चकवा ने सोने की रैन विछोई हो, माँ।
गर्भ करो रतनाकर सागर जल खारे कर डारो हो, माँ।
पहली चुरु जल अचये भुमानी समुद गये खलयाये हो, माँ।
दूजी चुरु जल अचये भुमानी समुदा कीच गिलाये हो, माँ।
तीजी चुरु जल अजये भुमानी समुदा घूर उड़ाये हो, माँ।
उठ राजो मछ चिनतो करत है जिया जन्त मर जाये हो, माँ।
जैसे तैसे समुद भरा दो अवई उतारो पैले पार हो, माँ।
कारी घटा उर पीरी बदरिया जे दोऊ उनई जाये हो, माँ। माँ।
सात समुद पे जल बरसाये बरसे घोरा घोर हो,
भरे समुद में सिगा नचाबें जलऊ न डूब पाँव हो, माँ ।
मनसे चली मोरी आद भुमानी जगदेव जू के रावरन जाय हो, माँ। आवत देखी जगदेव जू की रानी मन में गई मुसकाय हो, माँ ।
काये पटरन डारो बैठका काये पखारों दोइ पाँव हो, माँ ।
चन्दन पटरी डारों बैठका दूधा पखारों दोई पाव हो,
ताते से माड़े माई सीमइ बनालो और सुरअन दूध हो, माँ।
जगदेव देवे इक दो हथिया में हथसार हंकाओ हो, माँ।
मनसे चली आद भुमानी हूला नगर खाँ हूला नगर में डोले भुमानी लेवे सब के जाय हो, माँ। भाव हो, माँ। आव आव री मोरी आद भुमानी जीयरा के परम अधार हो, माँ । माँ। सोने के थार परोमो वारी रानी रूपे का थुल्लन दूध हो, माँ । पांच गिरास करे जग तारन थार दये सरकार हो, माँ। उठ उठ दैख्ने मोरी आद भुमानी जगदेव जू कुँवर न दिखाय हो, माँ । टका को चाकर कहिये पुंवारों घर आवे तीसरे पार हो माँ। मनसे चली मोरी आद भुमानी दल पॅगरे रावरन जाय हो, माँ। सीस डगारे माई लटै फिकारे कैसी आई माज डपारी हो, माँ। तोरी सभा में की है ऐसो राजा जो मोरे माथे ढाके हो, माँ। थान दमक मंगवाये दल पॅगरे माथे ढकन न होय, माँ। कै मोरे माथे हाकै जगादेव के उलहई के रइया राव हो, माँ। जो काछू देले राजा जगादेव जो सी चौगुनी दियो हो, माँ। जगदेवे देवे देस परगनों मैं दिवों राज तिहाई हो, माँ। जगदेव देवे इक दो घुड़ला मैं घुड़सार हंकाओ हो, माँ।
जगदेव देवे मोरे रुपइया मैं दियों खिचरा भराय हो, माँ। वाचा हराय चली जगतारन जगदेव जू की रावरन जाय हो, माँ। आवत देखों आद भुमानी जगदेव जू मन में गये मुसकाय हो, माँ।
जगदेव देवे खीर पंवरिया में दियों डला भराय हो, माँ। तामे के पत्र मँगाये जगतारन लिखवाये चौगुने दान हो, माँ।
आव आव री मोरी आद भुमानी कानी ढार दये पांव हो, माँ।
तोई लो आई धारा नगरी के दै दे हमारे दान हो, माँ।
आठ दार राजा गुभन चढ़ावे नमये दियो प्रगट चढ़ावे हो, माँ।
धरियक बिलमो मोरी आद भुमानी मैं रनवासे का रनियन के लेव बुलउआ करे दान में नारी कमऊँ न निदरी माता, नारी कंचन जाव हो, माँ ? माँ। हान हो, खान हो, माँ।