सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्रान बसे हिम-खोह रे बटोहिया एक द्वार घेरे राम हिम कोतवलवा से तीन द्वार सिधु घहरावे रे बटोहिया जाहु जाहु भैया रे बटोही हिन्द देखि आउ जहवाँ कुहकि कोइलि बोले रे बटोहिया पवन सुगन्ध मन्द अगर चननवाँ से कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया
चम्पक बिपिन अगम घन सघन बगन बीच कुसुम रंग देवे रे बटोहिया द्रुम बट पीपल कदम्ब निम्ब आम वृक्ष केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया तोता तूती बोले रामा बोले भेंगरजवा से पपिहा के पी पी जिया साले रे बटोहिया सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया गावे गंगा रे जमुनवा के झगमग पनिया से सरजू झमकि लहरावे रे बटोहिया ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि-दिन सोनभद्र मीठे स्वर रे बटोहिया अनेक नदी उमड़-घुमड़ नाचे जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया आगरा प्रयाग काशी दिल्ली कलकतवा से मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया अपर
जाउ जाउ भैया रे बटोही हिन्द देखि आठ
जहाँ ऋषि चारो बेद गावे रे बटोहिया
सीता के बिमल जस रामजस कृष्ण जस
मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया रामानुज रामानन्द ब्रह्मा-सुख बन न्यारी प्यारी रूपकला के भँवर रे बटोहिया
नानक अलख कबीर गौर संकर श्री रामकृष्ण के गतिया बतावे रे बटोहिया विद्यापति कालिदास तुलसी के सरल सूर जयदेव कवि कहानी रे बटोहिया जाउ जाउ भैया रे बटोही हिन्द देखि आउ जहाँ सुख झूले धान खेत रे बटोहिया बुद्धदेव पृथु विक्रमार्जुन सिवाजी के फिर-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया
अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेस मोरे हिन्द जग के निचोड़ रे बटोहिया सुन्दर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेहि जन 'रघुवीर' सिर नावे रे बटोहिया