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कौना दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

6 November 2023

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भारत स्वतन्त्र भैल साढ़े तीन प्लान गैल

बहुत सुधार

भैल जानि गैल दुनियाँ

चोट के मिलल अधिकार मेहरारून का

किन्तु कम भैल ना दहेज के चलनियाँ

एहो रे दहेज खाती बेटिहा पेरात बाटे

तेली मानों गारि-गारि पेरत बा धनियाँ

बेटी के जनम बा बवाल भैल भारत में

एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

दिल्ली का गद्दी पर बैठलि मेहरारुए बा

ओही के बाटे उहाँ

चलत

परधनियाँ

जल थल आ नभ तीनू सेना के सेनापति

दागें सलामी ओ के साथ ले पलटनियाँ

यू०पी० में तिरिया राज बाटे सुतारन भैल गुप्ता आ त्रिपाठी जी में होत बा बजनियाँ एहू तिरिया राजो में सुख ना बा बेटिन का एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ एके दू कौर खा के रातो दिन रहे के परी देहि के जरावे लागि भूखि अगिनियाँ खेला का पहिले आ पाछे थारी जाँच करे अइहें बला के कुछ माई आ बहिनियाँ ढेर खइला से सबै लागी बदनाम करे ऐसने बा एकरा खन्दान के रहनियाँ एहो तरे केतने महीना ले रहे के परी एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

जाँचे के हमार मन सासु धरि दीहें करें बिछौना तर लड्डू और बुनियाँ कुक्कुरो बिलारि मूस आ के खाइ जाई तब उल्टे घुमाई लोग हमरे घनियाँ 

हँस-हँस के बानो करें विगिहें जेठानी आ सासु कहि दोहें ई त बड़ी बा चटनियाँ हमरा सफाई के रहो ना सुनवाई कहीं एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

ओठर सासु दोहें कि 'एकरा नैहरवा से आइल कर्बे ना तनि ढंग से करनियाँ' एकर खन्दान जरिए के भिखमंगा हवे करनी ना कौनो बस खाली वा कथनिया एकरा महतारी के फूआ बियाहलि रहें हमरा मौसी का घरे पांड़े का जमुनियाँ जानि मैनी एकरा से घर ना चली हमार एही दुखी डोली में रोवति जाति कनियाँ

ऊ आजु जात बानी बन्द होखे एक जेल बीच जेलर जहाँ के सासु नन्दी आ जेठनियाँ हमके दिनरात डेरवइहें धमकइहें लंका में जानकी के जइसे रकसिनियाँ दुइ चार साल के न बाटे जेल के ई सजा जेले में बीती सउँसी जिन्दगनियाँ कौनो अदालत सुनी एकर अपील नाहीं एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ अब

सरकार चोरी चुगलाई हम आजु ले न कइनी कहीं तुरनी ना कौनो के कनुनियाँ कौन बटे कौन दफा लागू बा हमरा पर एकर ना पौनी हम आजु ले समनियाँ एकहू गवाही ना गुजरल बिपक्ष में बा केहू से ना बाटे हमरा से दुसमनियाँ बेकसूर हमके दियात जेल बाटे आजु एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

काल कोठरी समान होई जेलखाना उहाँ

जहाँ पैसि पाई ना प्रकास के किरनियाँ 

डेढ़ पोरसा पैं कहीं जंगला जो होई एक सासु उहाँ साजि दीहें झाँपी अरु मोनियाँ जेठो बइसाख में न सोड़ सूखत होई जहाँ धूंआ से भरल घर होई कहीं कोन्हियाँ चडकट का भीतरे रहे के परी आठो घरी एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

लेबे के साँस ना बतास ताजा पाइब हम ओढ़े के परिहें कई पर्त के ओढ़नियाँ कहियो त गोड़ बड़ा जोर झिन्झिनाए लगी कहियो दुखाए अगियाए लगी चनियाँ डाक्टर कही कि कम भइल बा बिटामिन बी नइहर के भूत कही ओझा औरू गुनियाँ केकर जवाब कौन कइसे दे पाइबि हम एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

हमके साँप देले बा माई बाप जेकरा के जेकर रहे के बाटे बन के परनियाँ उनहूँ से बोलत में देखि लीहें सासु कहीं खोसिन वनि जइहें ऊ बन के बघिनियाँ कहिहें कि कइसन कुरहनी ई आइलि बा एकरा नजर में वा तनिको ना पनियाँ केहू कही अब्बे से आपन ई चीन्हे लगलि एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

जात छूटि जात बाटे आजु हमरा से माई बाप छूटि जात वाटे आजु भाई आ बहिनियाँ काका अरू काकी के न आँखी देखि पाइब हा नइहर के नाँव जगरनियाँ बारी फुलवारी सखियारी सब छूटि जात सपना समान भइल के दुनियाँ माई और बाप के रोवाई बा न बन्द होत एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ 

बखरा अइसन हमार पिता देले जे दहेज मानि किन्तु बाटे समाज के चलनियाँ कौना मसक्कत से रुपया ई जुटावल बा ईना लोग बूझेला समुझेला मँगनियाँ केहू का बिदाई मिले केहू का पुजाई मिले केहू नेग खातिर बा चढ़ि जात छन्हियाँ लूटे आ लुटावे के हमरे धन बाटे इहे एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

बाप और दादा जवन सम्पति कमाइ गइले अउरी जे छोड़ि गइले उनहूँ के पुरनियाँ सगरी दियाइल ह तब्बो ना ओराइल ह तिलक दहेज वाला किश्त सोरहनियाँ बेटो का घरमें ना हाय! रहि पावल ऊ लूटेले ओहू के नचनियाँ आ बजनियाँ रोके के ई लूट अधिकार ना हमार बाटे एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

चौदहे बरिस घर राम छोड़ि दिहले त पोथी के पोथी लोग लिखने बा कहनियाँ जन्मभूमि छोड़ि देत बानी आजीवन हम माथ पै चढ़ा के माई-बाप के बचनियाँ हमरी बेर बाकी त दुकाहे दो सूखि गइल बालमीकि व्यास कालिदास के कलमियाँ हमरा ए त्याग पै लिखाइल ना ग्रन्थ एको एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ 

अमृत ध्वनि छंद 

उनगन समधी नाधि के बकें अंट के संट

बेटिहा भेजले अंत में, लट्ठद्धर कुछ लंठ

लट्ठद्धर कुछ

लंठज्जब्बर गरजद्धरधर

धद्धग्गरदन चच्चच्चटकन थत्थत्थप्पर

गातल्लउरि खातक्कवरि सुधियातत्तनमन भुलातट्ठनगन सुहातट्ठहर

डकडर बिना न जात बा अइसन वा बरजाद आइल तीर्थ प्रयाग से कुंभञ्चर परसाद कुंभज्वर परसादधर तन कम्पत्थरथर आँखण्झरझर नाकस्सरसर साँसग्घरघर बन्दग्गर मनमंदत्तर निस्पन्दच्छिनभर तारच्छिकत कपारद्धिकत पधारड्डकडर

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लेख
पुरइन-पात
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भोजपुरी के प्रमुख साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन अपना सम्मोहक रचना से साहित्यिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ले बाड़न. अपना अंतर्दृष्टि वाला कहानी खातिर विख्यात ऊ अइसन कथन बुनत बाड़न जवन भोजपुरी भाषी क्षेत्रन के समृद्ध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री से गुंजायमान बा. नीरन के साहित्यिक योगदान अक्सर सामाजिक गतिशीलता के बारीकियन में गहिराह उतरेला, जवन मानवीय संबंधन आ ग्रामीण जीवन के जटिलता के गहन समझ के दर्शावत बा। उनकर लेखन शैली भोजपुरी संस्कृति के सार के समेटले बा, पारंपरिक तत्वन के समकालीन विषय के साथे मिलावत बा। डॉ. अरुणेश नीरन के भोजपुरी भाषा आ धरोहर के संरक्षण आ संवर्धन खातिर समर्पण उनुका काम के निकाय में साफ लउकत बा. एगो साहित्यिक हस्ती के रूप में उहाँ के अतीत आ वर्तमान के बीच सेतु के रूप में खड़ा बानी, ई सुनिश्चित करत कि भोजपुरी साहित्य के अनूठा आवाज उहाँ के अंतर्दृष्टि वाला कलम के तहत पनपत आ विकसित होखत रहे।
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स्वस्ती श्री

4 November 2023
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भोजपुरी क्षेत्र की यह विशेषता है कि वह क्षेत्रीयता या संकीर्णता के दायरे में बँध कर कभी नहीं देखता, वह मनुष्य, समाज और देश को पहले देखता है। हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में भोजपुरी भाषी लोगों का अ

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कविता-खण्ड गोरखनाथ

4 November 2023
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अवधू जाप जप जपमाली चीन्हों जाप जप्यां फल होई। अजपा जाप जपीला गोरप, चीन्हत बिरला कोई ॥ टेक ॥ कँवल बदन काया करि कंचन, चेतनि करौ जपमाली। अनेक जनम नां पातिंग छूटै, जयंत गोरष चवाली ॥ १ ॥ एक अपोरी एकंकार जप

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भरथरी - बारहमासा

4 November 2023
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चन्दन रगड़ी सांवासित हो, गूँथी फूल के हार इंगुर माँगयाँ भरइतो हो, सुभ के आसाढ़ ॥ १ ॥ साँवन अति दुख पावन हो, दुःख सहलो नहि जाय। इहो दुख पर वोही कृबरी हो, जिन कन्त रखले लोभाय ॥ २ ॥ भादो रयनि भयावनि हो, ग

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कबीरदास

4 November 2023
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झीनी झीनी बीनी चदरिया | काहे के ताना काहे के भरनी, कौने तार से बीनी चदरिया | इंगला पिगला ताना भरनी, सुषमन तार से बीनी चदरिया | आठ कँवल दल चरखा डोलै, पाँच तत्त गुन तीनो चदरिया | साई को सियत मास दस लागे

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धरमदास

4 November 2023
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सूतल रहली मैं सखिया त विष कइ आगर हो । सत गुरु दिहलेंड जगाइ, पावों सुख सागर हो ॥ १ ॥ जब रहली जननि के अंदर प्रान सम्हारल हो । जबले तनवा में प्रान न तोहि बिसराइव हो ॥ २ ॥ एक बूँद से साहेब, मंदिल बनावल

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पलटू साहेब

4 November 2023
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कै दिन का तोरा जियना रे, नर चेतु गँवार ॥ काची माटि के घैला हो, फूटत नहि बेर । पानी बीच बतासा हो लागे गलत न देर ॥ धूआँ कौ धौरेहर बारू कै पवन लगै झरि जैहे हो, तून ऊपर सीत ॥ जस कागद के कलई हो, पाका फल डा

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लक्ष्मी सखी

4 November 2023
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चल सखी चल धोए मनवा के मइली ॥ कथी के रेहिया कथी के घइली । कबने घाट पर सउनन भइली ॥ चितकर रेहिया सुरत घड़ली । त्रिकुटी भइली ॥ ग्यान के सबद से काया धोअल गइली । सहजे कपड़ा सफेदा हो गइली ॥ कपड़ा पहिरि लछिमी

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बाबू रघुवीर नारायण बटोहिया

4 November 2023
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सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्रान बसे हिम-खोह रे बटोहिया एक द्वार घेरे राम हिम कोतवलवा से तीन द्वार सिधु घहरावे रे बटोहिया जाहु जाहु भैया रे बटोही हिन्द देखि आउ जहवाँ कुहकि कोइलि बोले रे

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हीरा डोम

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हमनी के राति दिन दुखवा भोगत वानों हमन के साहेब से मिनती सुनाइबि हमनों के दुख भगवनओ न देखता जे हमनीं के कबले कलेसवा उठाइब जा पदरी सहेब के कचहरी में जाइब बेधरम होके रंगरेज बानि जाइवि हाय राम! धरम न छोड

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महेन्दर मिसिर

4 November 2023
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एके गो मटिया के दुइगो खेलवना मोर सँवलिया रे, गढ़े वाला एके गो कोंहार कवनो खेलवना के रंग बाटे गोरे-गोरे मोर सँवलिया रे कवनो खेलवना लहरदार कवनो खेलवना के अटपट गढ़निया मोर सँवलिया रे, कवनो खेलवना जिउवामा

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मनोरंजन प्रसाद सिन्हा - मातृभाषा आ राष्ट्रभाषा

6 November 2023
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दोहा जय भारत जय भारती, जय हिन्दी, जय हिन्द । जय हमार भाषा बिमल, जय गुरू, जय गोविन्द ॥ चौपाई ई हमार ह आपन बोली सुनि केहू जनि करे ठठोली ॥ जे जे भाव हृदय के भावे ऊहे उतरि कलम पर आवे ॥ कबो संस्कृत, कबह

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कौना दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

6 November 2023
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भारत स्वतन्त्र भैल साढ़े तीन प्लान गैल बहुत सुधार भैल जानि गैल दुनियाँ चोट के मिलल अधिकार मेहरारून का किन्तु कम भैल ना दहेज के चलनियाँ एहो रे दहेज खाती बेटिहा पेरात बाटे तेली मानों गारि-गारि पेर

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महुआबारी में बहार

6 November 2023
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असों आइल महुआबारी में बहार सजनी कोंचवा मातल भुँइया छूए महुआ रसे रसे चूए जबसे बहे भिनुसारे के बेयारि सजनी पहिले हरका पछुआ बहलि झारि गिरवलसि पतवा गहना बीखो छोरि के मुँड़ववलसि सगरे मथवा महुआ कुछू नाहीं

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राम जियावन दास 'बावला'

6 November 2023
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गाँव क बात गीत जनसरिया के होत भोरहरिया में, तेतरी मुरहिया के राग मन मोहइ । राम के रटनियाँ सुगनवा के पिजरा में, ओरिया में टैंगल अँगनवा में सोहइ । माँव-गाँव करैला बरुआ मड़इया में गइयवा होकारि के मड़इया

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सपना

6 November 2023
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सूतल रहली सपन एक देखली मनभावन हो सखिया फूटलि किरिनिया पुरुष असमनवा उजर घर आँगन हो सखिया अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा त खेत भइलें आपन हो सखिया गोसयाँ के लठिया मुरड्या अस तूरली भगवलीं महाजन हो सखिया

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इमली के बीया

6 November 2023
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लइकाई के एक ठे बात मन परेला त एक ओर हँसी आवेला आ दूसरे और मन उदास हो जाला। अब त शायद ई बात कवनी सपना लेखा बुझाय कि गाँवन में जजमानी के अइसन पक्का व्यवस्था रहे कि एक जाति के दूसर जाति से सम्बंध ऊँच-नीच

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कोजागरी

6 November 2023
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भारत के साहित्य में, इतिहास भी पुराणन में, संस्कृति भा धर्म साधना में, कई गो बड़हन लोगन के जनम आ मरण कुआर के पुनवासी के दिन भइल बाटे। कुआर के पुनवासी- शरदपूर्णिमा के ज्योति आ अमृत के मिलल जुलल सरबत कह

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पकड़ी के पेड़

7 November 2023
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हमरे गाँव के पच्छिम ओर एक ठो पकड़ी के पेड़ बा। अब ऊ बुढ़ा गइल बा। ओकर कुछ डारि ठूंठ हो गइल बा, कुछ कटि गइल बा आ ओकर ऊपर के छाल सुखि के दरकि गइल बा। लेकिन आजु से चालीस बरिस पहिले ऊहो जवान रहल। बड़ा भ

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मिट- गइल-मैदान वाला एगो गाँव

7 November 2023
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बरसात के दिन में गाँवे पहुँचे में भारी कवाहट रहे। दू-तीन गो नदी पड़त रही स जे बरसात में उफनि पड़त रही स, कझिया नदी जेकर पाट चौड़ा है, में त आँख के आगे पानिए पानी, अउर नदियन में धार बहुत तेज कि पाँव टि

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हजारीप्रसाद द्विवेदी

7 November 2023
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अपने सभ हमरा के बहुत बड़ाई दिहली जे एह सम्मेलन के सभापति बनवलीं। एह कृपा खातिर हम बहुत आभारी बानी हमार मातृभाषा भोजपुरी जरूर वा बाकिर हम भोजपुरी के कवनो खास सेवा नइखों कइले हम त इहे समझली ह जे अपने सभ

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भगवतशरण उपाध्याय

7 November 2023
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अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, सीवान के अधिवेशन के संयोजक कार्य समिति के सदस्य, प्रतिनिधि अउर इहाँ पधारल सभे जन-गन के हाथ जोरि के परनाम करतानी रउआँ जवन अध्यक्ष के ई भारी पद हमरा के देके हमार जस

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आचार्य विश्वनाथ सिंह

8 November 2023
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महामहिम उपराष्ट्रपति जी, माननीय अतिथिगण, स्वागत समिति आ संचालन- समिति के अधिकारी लोग, प्रतिनिधिगण, आ भाई-बहिन सभे जब हमरा के बतावल गइल कि हम अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का एह दसवाँ अधिवेशन के

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नाटक-खण्ड महापंडित राहुल सांकृत्यायन

8 November 2023
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जोंक नोहर राउत मुखिया बुझावन महतो किसान : जिमदार के पटवारी सिरतन लाल  हे फिकिरिया मरलस जान साँझ विहान के खरची नइखे मेहरी मारै तान अन्न बिना मोर लड़का रोवै का करिहैं भगवान हे फिकिरिया मरलस जान करज

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गबरघिचोर

8 November 2023
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गलीज : गाँव के एगो परदेसी युवक गड़बड़ी : गाँव के एगो अवारा युवक घिचोर : गलीज बहू से पैदा गड़बड़ी के बेटा पंच : गाँव के मानिन्द आदमी  गलीज बहू : गलीज के पत्नी आ गबरघिचोर के मतारी जल्लाद, समाजी, दर्शक

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किसान- भगवान

8 November 2023
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बाबू दलसिंगार राय बड़ा जुलुमी जमींदार रहलन। ओहू में अंगरेजी पढ़ल- लिखल आ वोकोली पास एगो त करइला अपने तीत दूसरे चढ़ल नीवि पर बाबू साहेब के आपन जिमिदारी जेठ वाली दुपहरिया का सुरुज नियर तपलि रहे। हरी- बंग

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मछरी

9 November 2023
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ताल के पानी में गोड़ लटका के कुंती ढेर देर से बइठल रहे गोड़ के अँगुरिन में पानी के लहर रेसम के डोरा लेखा अझुरा अझुरा जात रहे आ सुपुली में रह-रह के कनकनी उठत रहे, जे गुदगुदी बन के हाड़ में फैल जात रहे।

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भँड़ेहरि

9 November 2023
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रामदत्त के मेहरारू गोरी रोज सवेरे नदी तीरे, जहाँ बान्ह बनावल गइल बा, जूठ बर्तन माँजे आ जाले जब एहर से जाये के मोका मिलेला ओकरा के जरूर देखी ला। अब ओखरा संगे संगे ओकरा बर्तनो के चीन्हि लेले बानी एगो पच

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रजाई

9 November 2023
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आजु कंगाली के दुआरे पर गाँव के लोग फाटि परल वा एइसन तमासा कव्वी नाहीं भइल रहल है। बाति ई बा कि आजु कँगाली के सराध हउवे। बड़ मनई लोगन के घरे कवनो जगि परोजन में गाँव-जवार के लोग आवेला, नात- होत आवेलें,

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तिरिआ जनम जनि दीहऽ विधाता

9 November 2023
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दिदिआ क मरला आजु तीनि दिन हो गइल एह तोनिए दिन में सभ कुछ सहज हो गइल नइखे लागत जइसे घर के कवनो बेकति के मउअति भइल होखे। छोट वहिन दीपितो दिदिआ के जिम्मेदारी सँभारि लेलसि भइआ का चेहरा पर दुख के कवनो चिन्

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पोसुआ

9 November 2023
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दूबि से निकहन चउँरल जगत वाला एगो इनार रहे छोटक राय का दुआर पर। ओकरा पुरुष, थोरिके दूर पर एगो घन बँसवारि रहे। तनिके दक्खिन एगो नीबि के छोट फेंड़ रहे। ओहिजा ऊखि पेरे वाला कल रहे आ दू गो बड़-बड़ चूल्हि दू

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तिसरका कुल्ला

10 November 2023
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एहर तीनतलिया मोड़ से हो के जो गुजरल होखव रउआ सभे त देखले होखब कि मोड़ के ठीक बाद, सड़क के दहिने, एकदिसाहें से सैकड़न बर्हम बाबा लोग बनल बा.... बहम बाबा के बारे में नइखीं जानत ? अरे नाहीं जी, ब्रह्म आ

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यैन्कियन के देश से बहुरि के

10 November 2023
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बहुत साल पहिले एगो किताब पढ़ले रहलीं राहुल सांकृत्यायन जी के 'घुमक्कड़ शास्त्र' जवना में ऊ लिखले रहलन कि अगर हमार बस चलित त हम सबका घुमक्कड़ बना देतीं। 'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा' से शुरू क के ऊ बतवले र

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गहमर : एगो बोधिवृक्ष

10 November 2023
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केहू केहू कहेला, गहमर एतना बड़हन गाँव एसिया में ना मिली। केह केहू एके खारिजो कइ देला आ कहला दै मदंवा, एसिया क ह ? एतना बड़ा गाँव वर्ल्ड में ना मिली, वर्ल्ड में बड़ गाँव में रहला के आनन्द ओइसही महसूस ह

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त्रेता के नाव

10 November 2023
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आदमी जिनिगी में बेवकूफी के केतने काम कइल करेला, बाकिर रेलगाड़ी में जतरा करत खानी अखवार कीनि के पढ़ल ओह कुल्ही बेवकूफिन के माथ हवे। ओइसे हम एके खूब नीके तरह जानत बानी, तबो मोका दरमोका हमरो से अइसन मू

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डोण्ट टाक मिडिले-मिडिले

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आगे जवन हम बतावे जात हईं तवन भोजपुरियन बदे ना, हमरा मतिन विदेशियन बदे हौ त केहू कह सकत हौ कि भइया, जब ईहे हो त अंग्रेजी में बतावा, ई भोजपुरी काहे झारत हउअ ? जतावल चाहत हउअ का कि तोके भोजपुरी आवेला

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एगो किताब पढ़ल जाला

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