आगे जवन हम बतावे जात हईं तवन भोजपुरियन बदे ना, हमरा मतिन
विदेशियन बदे हौ त केहू कह सकत हौ कि भइया, जब ईहे हो त अंग्रेजी में
बतावा, ई भोजपुरी काहे झारत हउअ ? जतावल चाहत हउअ का कि तोके भोजपुरी
आवेला ? ना भइया, ई जताके कि हमके भोजपुरी आवेला, हम पहिलही बहुते भोग
चुकल हई। आजे दुपहरिया के बात हो कि एक ठे फिलिपिन्सी साथी पहुँचने आ
पहुँचते हुकुम दनदनवनै कि चलऽ । कहाँ ? कहने कि पूछऽमत, बस चल द! एगो
जूस वाला से ममिला फरियावे के बा हम कहलीं कि तहार ममिला, तू फरियावा,
हमके काहे घसेटत हउआ ? कहने कि तोके भोजपुरी आवेला, तूहीं ओसे झिकझिक
कर सकत हउआ । अब जरत दुपहरिया में हम्में उनके साथ जूसवाला किहें जाय
पड़ल। पता चलल कि हमार साथी ओसे एक गिलास जूस मँगले रहनै ऊ ना जानत
रहने कि बनारस के जूसवाला उनसे जादे अंग्रेजी जाननऽ एही से ऊ हिन्दी में
मँगने- 'बारा ग्लास जूस' ई बारा ग्लास माने 'बड़ा ग्लास' जूस मँगने ऊ बारा
ग्लास माने 'बारह ग्लास' जूस निकाल के दे देहलेस अब भयल तमाशा चलs
ब्रूस फरिया, भोजपुरी छाँटे... भइया, ई त एगो नमूना रहल भोजपुरी जनले के
चलते त हमके कई बेर खुद्दे नमूना बन जाय के पड़ल हो जइसे तब, जब जूसवलू
हमरा मुँह भोजपुरी सुन के अतना गदगद भइन कि बारहो गिलास जूस हमरा सोझा
रख देने कि पी जा भइया गटागट, बारहो के बारहो, अभी के अभी, एकदम
फिरी, पी जा कि हमरे आत्मा के शान्ति मिल जाय। अब केहू हमके बतावे कि
आत्मा के शान्ति केके मिली, बारह गिलास जूस पियावे वाला के कि पिए वाला
के ? ममिला तब फरियायल जब हमहू जूसजीवलू के सामने हाथ जोड़ के कहलीं
कि भइया, हम बारही गिलास के पइसा देइब, बाकिर हमरे सरधा हौ कि हमरे तरफ
से तू पी जा ई बारहो गिलास जूस अभी के अभी । तव कवनो कुकुर कटले हो हमके कि हम केहू के ई बताई कि हमके भोजपुरी आवेला संयोग से एगो भोजपुरी सम्मेलन में पहुँच गइलीं। हमरा साथे हमार दुश्मन प्रकाशो उदय रहलन। ऊ जब-ना-तब जेही नातेही से बता दें कि ई ब्रूस हउअन इनके भोजपुरी आवेला ई सुन के कि इनका भोजपुरी आवेला कवनो- कवनो भोजपुरिया भाई हमसे अंग्रेजी में बतिआवे लगनै। कुछ लोग त अइसे देखे लगल जइसे हम कवनो चिड़ियाघर से भाग-परा के आयल हुई। एहर हम ए साँसत में पड़ल हई ओहर प्रकशवा उदयवा मुँह फेर के मजा लेत हौ तब हमके त उल्टे कबी-कबो समझियो के ई जताने के पड़त हौ कि हम समझत ना हुई। आ हमके त कुछ अइसनो लोग मिलल हउअन जे हमार हिन्दी आ कबो-कबो त अंगरेजियो सुन के हमरे के बतावे लगत हउअन कि बवुआ तू भोजपुरिहा हउअ हम सोचे लगली कि ई कइसे भयल। हमरा अंग्रेजी में से लोग के कइसे भोजपुरी के गंध मिले लगल ? त हमके इयाद पड़ल कि एक बेर प्रकाश उदय हमसे चार-पाँच दिन तक लगातार कुछ ट्रांसलेशन पूछने छठवाँ दिन से ई हाल भयल कि हम जब ट्रांसलेशन कहे चहली त हमरा मुँह से निकलल टंटलेशन असहीं उनुका कृपा से अब हमरा सर्टिफिकेट कहे से जादे आसान लगे लगल बा साटिकफिटिक कहल ए हालत में हमके जतावे बतावे के परी केहू से कि थोर बहुत भोजपुरी हमरो आवेला ?
असल बात त ई हो कि ई कुल्ह जवन हम कह रहल हुई तवन भोजपुरी में हुई ना हौ, ठेठ अंग्रेजी में हो हम अंग्रेजी बोलत हई आ आप सबके भोजपुरी सुनात हौ त ए में दोष ना आप सब के हौ ना हमार ई त चमत्कार हौ ओह पान के जवन हमरे मुँह में दबल हौ, ओ सुर्ती के जवन कपार प चढ़ल हाँ आ ओ पनपीक के जवन ओठ तक भरल हो। विदेशी बंधु लोग के हम भोजपुरी बोले- सोखे के ईहे. सरल सूत्र सिखावल चाहत हई सुर्तीवाला पान जमावऽ आ जब गाल भर जाय त मुँह उठा के संसार के कवनो भाषा बोले के शुरू क द हमार दावा हो कि पान के साधे कचराके ऊ भोजपुरी में बदल जाई। कुछ लोग के लग सकेला कि ई संभव नाइ हौ, बाकी ई ओसही संभव हो जइसे भारतीय लोग के खोस में भा नशा में (हम एगो हिन्दी गीत सुनले हई जवना में कहल हो कि नशा सूट बूट, कोट आ हरे हरे नोट तक क होत हौ) भा खीस के नशा में धड़ाधड़ अंग्रेजी बोलल ।
भोजपुरी सीखे के एगो अउर रास्ता हो ऊ तनी लमहर हौ अइसन करs कि तू भोजपुरी सिखवे मत कर तू हिन्दी सीख हमार दावा हो कि अगर तू दसो परसेंट हिन्दी सीख ले ल त छौ परसेंट भोजपुरी त समझ कि आपे से आप सीख गइल। हम त एगो अइसनो साथी के जानत हुईं जे इहाँ रह के अंग्रेजी सीखे के दौरान भोजपुरी सीख लेले सीख साख के एक दिन ऊ अपना बनारसी गुरु के 'टंटलेसन' सुनावत रहने- "देयर वाज एक मंकी ऐण्ड जौन मंकिया वाज तवन वाज भेरी क्लेभर....." हमरा से गलती हो गइल। हम टोक देहली। ऊ बिगड़ गइनै- "हेन आई टॉक, आइए टॉक हेन यू टॉक, यूए टॉक डॉन्ट टॉक मिडले मिडिले..... " -
अब जब तू भोजपुरी सोख ले ल त तोके भोजपुरी में कविताइयो करे के सीख लेवे के चाहीं ना त हमार अनुभव हौ कि भोजपुरी सिखले के बाद तोके पता चली कि तू सुने के ठीका ले लेले हउआ जे मिली से तोके दू-चार ठे गीत-गजल सुना जाई आ तू मुँह बवले रहि जाब एसे तोके कविताइए करे ना आवे के चाही, थोक में कविताई करे आवे के चाहीं ए थोक में भोजपुरी कविताई के नुस्खा हम बड़ा तपस्या के बाद प्रकाश उदय से पवलीं ई नुस्खा अतना कारगर हो कि हमके बता के ऊ बड़ा पछतइन अढ़ाई किलो प्रतिदिन के दर से जब साढ़े तीन मन कविताई उनुका के सुना चुकलों त ऊ हमरे गोड़ प लोट गइनै आ गुरुदक्षिणा में थोक में अंग्रेजी कविताई के नुस्खा पुछनै। हम उनका श्रद्धा भाव से गदगद हो के बताइयो गइलीं। अगला दिन जब हम आपन भोजपुरी कविताई के अढ़ाई किलो उनुका के सुनावै बड़ठलीं ऊ आपन अंग्रेजी कविताई के साढ़े तीन किलो वाला गठरी खोल के बइठ गइन। ओ दिन से हमहन दूनो के बीच बोलचाल बन्द हौ ।
ओइसे त हमहन दूनो आदमी में ई करार रहल कि थोक कविताई के एक दूसरा के नुस्खा कवनो तीसर आदमी के ना बतावल जाई बाकिर अब का अब त बोलचाल बन्द हाँ। दोसरे हमके ई लगत हौ कि ऊ आपन करार तूर देते हउअन। परसों हमके एगो अइसन आदमी मिल गयल जवन उहै नुस्खा छाप अंग्रेजी कविता हमके सुना मरलेस " ओ मिस्टर बीए फेल-आइ एम वेलर दैन क्वाइट एण्ट क्वाइटर दैन वेल" ओ आदमी से हम पुछलों कि ई गुन कहाँ पवलs ? जवाब में ऊ बड़ा भक्ति भाव से प्रकाश उदय के नाम लेहलेस अब जब ऊ करार तूर देले हउअन त हमहूँ तूर देत हई आ लेल जाय, नुस्खा प्रस्तुत हो ।
पहिले कुछ जरूरी समान के लिस्ट बनावs एगो बलमू पचपन से साठ किलो के लगभग एगो धनिया, ओसे कुछ हलुक (कविताई बदे, असल में चाहे जतना भारी होवै) एगो सास, बलम् धनिया के बराबर ३५ से ४५ किलो के बीच के कुछ ननदी, देवरवा वगैरह एही टाइप के कुछ अवरू अवरू चीज । एकरे अलावा डेढ़ दू हजार मन चाँदनी चाहीं अन्हरिया ओ से जादे कुछ फासला चाहीं बिना नाप-जोख के सावन फागुन वगैरह अन्दाज से एगो आँगन छोट दुखवा विपतिया-घोर कुछ सामान वैकल्पिक रूप से चाहीं । जइसे एक डेढ़ गो छोट लड़का (रोअत), महुआ (झरत), अमवा (फुलात), सेजिया (विछावल) वगैरह कुछ अउर गैर जरूरी सामान हौ जवन सबसे जादे जरूरी हौ जइसे इया, अवा एह अवा इया के नदी, पहाड़ आदि से जोड़ के नदिया, पहड़वा बनावे बदे। विधि ई हो कि ई सब चीज के बटोर के मिलावऽ आ थोरे देर तक हिलावs आंकरे बाद कागज प बिछा द कबो पाँच मिनट हिलाव5 कबो साढ़े पाँच मिनट ए से कविताई के सवाद बदलत रही। कबो-कबो सामान में से कुछ कम क द आ एकाभ्रगो दोसर चीज डाल के मिला के हिलावऽ । जइसे कबो बदरा के मिला द कबो कोइलिया के
चीज तइयार हो। सुनावऽ। हमके ना हुनुके... ।